अजब गांडू की गजब कहानी-4

पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-3

हेमंत ने जब मुझे ऑस्ट्रेलिया जा कर पढ़ाई करने के बारे में बताया, तो पहले तो मुझे यही विश्वास नहीं हुआ कि हमारी तरह का पढ़ाई में निकम्मा ऑस्ट्रेलिया जाने की बात सोच भी कैसे रहा था? लेकिन जब हेमंत ने सारी स्कीम मुझे अच्छे से समझाई तो मेरा मन भी ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए मचलने लगा।

मेरे लंड के साथ खेलते-खेलते हेमंत बोला, “देख भाई राज, मैंने ऑस्ट्रेलिया की पढ़ाई का सब पता कर लिया है। जहां तक इंग्लिश बोलने लिखने का सवाल है उसके लिए यहां लखनऊ में ही कई कोचिंग सेंटर हैं जो छह महीने का कोर्स करवाते हैं। ये कोर्स होते ही उनके लिए हैं जिन्होंने विदेश जा कर पढ़ाई करनी हो।”

“कोई बता रहा था, इन कोचिंग सेंटर्स की फीस जरूर ज्यादा है, लेकिन इंग्लिश बोलना, समझना, लिखना अच्छे से सिखा देते हैं। अब इस ज्यादा फीस की चिंता ना तो तुझे है ना मुझे।”

फिर हेमंत बोला, “दूसरी तेरी ये बात कि यहां की पढ़ाई हमारे से पूरी होनी नहीं, बिल्कुल सही है। वैसे भी ये बीए शीए पास कर भी लिया तो आज के टाइम में इसको कौन पूछता है? और फिर बीए करके हमने कौन सी क्लर्की करनी है, चलाना तो बाप का सेट किया हुआ बिज़नेस ही है।”

“और सब से बड़ी एक बात और, अगर यहां की पढ़ाई पूरी ना हुई तो कुछ और हो ना हो, ये जरूर हो जाएगा कि सुन्दर पढ़ी लिखी लड़की नहीं मिलेगी शादी के लिए। ना ढंग की लड़की से शादी, ना चोदने के लिए ढंग की फुद्दी। आज कल पढ़ी-लिखी खूबसूरत लड़कियों के ही नखरे कौन से कम हैं। कब तक इस गांड चुदाई में पड़े रहेंगे। बहुत हो गयी गांड चुदाई। अब लडकियां ढूंढनी चाहिए चोदने के लिए।”

“सब सोच विचार कर यही ठीक लगा के ऑस्ट्रेलिया का ठप्पा लगवा लेता हूं। आगे की पूरी जिंदगी का सवाल है। कम से कम ढंग खूबसूरत लड़की से शादी तो हो जाएगी, चिकनी मुलायम चूत तो मिल जाएगी चोदने के लिए। में तो सोच रहा हूं, ऑस्ट्रेलिया जा कर चार साल कोइ आसान सा कोर्स कर लूं, नहीं तो दो-दो साल के दो कोर्स कर लूंगा। एजेंट से ही पूछेंगे क्या करना चाहिए। ये लोग सही सलाह देते हैं।”

कुछ रुक कर मेरे लंड की मुट्ठ मारते हुआ हेमंत बोला, “एक बात और भी है राज। यहां लखनऊ में तो हम रह ही रहे हैं, सारी जिंदगी यहीं रहना है। वही गाड़ियों की पैं-पैं, तेरी मां की, तेरी बहन की वाली गालियां। दूर दराज के किसी दूसरे मुल्क जा कर बाहरी दुनिया के रहन-सहन का भी पता लग जाएगा।”

“सब से बड़ी बात, हमें अंगरेजी पढ़नी बोलनी तो आ जाएगी और हमारी ये यूपी वाली बकलोल, बकचोदी, झट्टू, फट्टू बोलने आदत में भी सुधार आ जाएगा। आज कल ये झट्टू-फट्टू वाली भाषा कौन बोलता है? वैसे भी ऐसी भाषा बोलने वालों से लोग दूरी ही बना कर रखना पसंद करते हैं।”

हेमंत बात चालू रखते हुए बोला, “मैं तो कहता हूं तू और युग भी अपने-अपने पापा से बात करो। आकाश और अमन से मैंने बात की थी, वो तो खेती ही संभालेंगे। ऑस्ट्रेलिया-विस्ट्रेलिया उनके बस में नहीं। अगर तुम लोगों के बाप मान गए तो इक्ट्ठे जायेंगे, ये गांड चुदाई की मौज मस्ती भी जारी रहेगी।”

पहली बार मुझे ऐसा लगा कि हेमंत खाली गांडू ही नहीं, एक सोचने समझने वाला समझदार लड़का भी था। हेमंत की कही हुई हर बात ठीक थी।

मैंने कहा, “यार हेमंत बात तो तू बिल्कुल ठीक बोल रहा है। तेरे बाप की तरह मेरे पटवारी बाप ने भी यहां गोमती नगर में हजार-हजार गज के दो प्लाट ले रक्खे हैं। प्लाट बड़े मौके के हैं। इनमें पापा का मेरे लिए कोइ काम सेट करने का इरादा है।”

हेमंत बोला, “तो फिर ठीक है, एक काम करते हैं। एक दो दिन में मैं और मेरे पापा एक एजेंट के पास जाने वाले हैं। उस एजेंट से पासपोर्ट बनवाने, वीज़ा लगवाने से ले कर ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई के कोर्स के बारे में बात करेंगे। तू भी हमारे साथ चल। एजेंट से कोइ बात अगर तूने पूछनी हो तो तू पूछ लेना। फिर तुझे अपने पापा से बात करने में आसानी रहेगी।”

मुझे ये बात जंची। मैंने कह दिया, “ये ठीक है हेमंत, मैं चलूंगा तुम्हारे साथ और मैं युग से भी बात करूंगा।”

बातें करते एक-दूसरे के लंडों के साथ खिलवाड़ करते-करते दोनों के लंड खड़े हो गए थे। ऑस्ट्रेलिया की बातें करते-करते गांड चोदने का मेरा मन नहीं था फिर भी मैंने हेमंत से पूछा, “हेमंत खड़ा हो गया है मेरा। डालूं अंदर, है मन?”

हेमंत बोला, “छोड़ यार मुट्ठ ही मार लेते हैं।” हमने एक-दूसरे के लंड की मुट्ठ मार कर पानी निकाला और बाहर आ गए।

बाद में युग से मैंने बात की तो उसने तो साफ़ ही झंकार कर दिया और बोला, “भाई मैंने तो जहांगीराबाद वाले जमीन ही संभालनी है मुझे ऑस्ट्रेलिया जा कर क्या करना है। मेरा तो किसी तरह कालेज खत्म हो जाए बस। मुझसे और पढ़ाई नहीं होती।”

खैर दो दिन बाद मैं हेमंत और उसके पापा के साथ एजेंट के पास चला गया। एजेंट हेमंत के पापा के मोबाइल शोरूम के बारे में पहले से ही जानता था। सारी बातें सुनने के बाद उसने सलाह दी कि हेमंत को दो साल का मार्केटिंग का कोर्स करना चाहिए और उसके बाद दो साल का बिज़नेस मैनेजमेंट का कोर्स ठीक रहेगा। हेमंत की इच्छा अनुसार चार साल की पढ़ाई हो जाएगी, और कोर्स बाद में काम भी आएंगे।

मेरे लिए एजेंट ने दो साल का होटल मैनेजमेंट का और दो साल का बिज़नेस मैनेजमेंट का कोर्स करने की सलाह दी। आने वाले शनिवार को मैंने बाराबंकी जा कर पापा से बात की तो पापा को भी ये ऑस्ट्रेलिया वाली पढ़ाई का आडिया बहुत पसंद आया।

मेरे पापा ने हेमंत के पापा के साथ सलाह मशविरा करके एजेंट को पैसे पकड़ा दिए। एजेंट ने छह महीने में पासपोर्ट, वीज़ा, एडमिशन का सारा काम करवा दिया।

इस बीच हमने इग्लिश भाषा का छह महीने का कोर्स भी पूरा कर लिया। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर की एक यूनिवर्सिटी में हमारा एडमिशन हो गया। एजेंट ने कुछ अलग से रूपए ले कर पर्थ में हमारे रहने का जुगाड़ भी करवा दिया।

इसके बाद युग ने हॉस्टल का कमरा छोड़ दिया और आकाश और अमन के साथ ही रहने चला गया।

–ऑस्ट्रेलिया का शहर पर्थ में मस्त चुदाई

साल 2017 के आखिर में हम दोनों, मैं और हेमंत ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर पहुंच गए। 2018 से हमारी पढ़ाई शुरू होने वाली थी।

लखनऊ वाले एजेंट ने पर्थ में हमारे लिए दो कमरों के छोटे से घर में हमारा रहने का जुगाड़ करवा दिया था। घर में दो कमरे थे, एक बाथरूम था और एक किचन थी। बाथरूम में कपड़े धुलाई की मशीन थी और किचन में बर्तन धोने की मशीन थी। मतलब छोटा घर था, मगर था सब सुविधाओं से लैस था।

ऑस्ट्रेलिया में ऐसे घरों को यूनिट कहा जाता है। हमारे वाले प्लाट में दो-दो कमरों के कुल चार ऐसे यूनिट थे। एक में हम आ गए थे। एक में पंजाब के जालंधर से आये दो लड़के पहले से ही रहते थे, बलविंदर और सुमित। सामने वाले तीसरे यूनिट में दिल्ली की दो लड़कियां थी, पारुल और तबस्सुम। चौथा यूनिट अभी खाली था।

ये सारे हमारी तरह ही पर्थ में पढ़ने आये थे। दूसरे ही दिन हमें पता चल गया कि पारुल और तबस्सुम एक नंबर की चुद्दकड़ लडकियां थी, और बलविंदर और सुमित उन्हें खूब चोदते थे। तबस्सुम के चूतड़ तो इतने बड़े-बड़े थे कि मेरा तो मन करता था उसकी गांड में ही लंड पेल दूं।

जल्दी ही बलविंदर और सुमित ने पारुल और तबस्सुम से हमारी भी सेटिंग करवा दी। पारुल और तबस्सुम तो चुदाई की इतनी शौक़ीन थी, कि जब भी किसी का लंड खड़ा होता और चुदाई का मन होता, वो उनके यूनिट में पहुंच जाता और किसी एक को चोद कर आ जाता। दोनों हमेशा ही चुदाई के लिए तैयार मिलती। यहां तक कि एक-दूसरे के सामने चुदाई करवाने से भी उनको कोइ परहेज नहीं था।

दोनों लड़कियां चुदाई के दौरान सब कुछ करती थे। चूत चूसो, लंड चुसवाओ, गांड चटवाओ, मुंह में पानी निकालो, यहां तक की दोनों गांड भी चुदवाती थी। चुदाई करवाते वक़्त ऐसे चूतड़ मटकाती हिलाती थी कि चोदने वाले का मजे के मारे दिमाग काम करना ही बंद कर देता था।

चूत चुदाई में तो जैसे दोनों ने पीएचडी कर रखी थी। हालत ये थी हो चुकी थी कि मुश्किल से ऐसा कोइ दिन निकलता था जिस दिन चुदाई ना होती हो। इस चूत चुदाई के चक्कर में मेरी और हेमंत की गांड चुदाई कभी कभार ही होती थी, कभी दो महीने बाद कभी तीन महीने बाद।

चूत चुदाई के अलावा पारुल और तबस्सुम एक-दूसरे के ऊपर लेट कर एक-दूसरे की चूत भी चूसती चाटती थी। मजे की बात ये थी कि ये वो सब हमारे सामने भी कर लेती थी। घर से बाहर रहने का पूरा मजा ले रही थी दोनों। वैसे तो हम लड़के लोग भी कौन से कम थे। घर से बाहर रहने के मजे तो हम भी ले ही रहे थे, मैं, हेमंत और वो दो पंजाबी लड़के सुमित और बलविंदर।

हफ्ते भर बाद हमारे साथ वाले चौथे वाले खाली यूनिट में एक वियतनामी लड़का-लड़की आ गए। वो भी हमारी तरह पढ़ने ही आये थे। लड़के का नाम था हवांग और लड़की का किम। दोनों छोटे कद के पतले और हल्के-फुल्के, मगर गठीले शरीर वाले थे। दोनों ही सफ़ेद रंग वाले गोरे-चिट्टे थे, जैसे ये जापानी, चीनी, वियतनामी और कोरिया की तरफ के लोग होते हैं। इनकी रंगत में लाली नहीं होती, ना ही ये गेहुएं या सावले ही होते हैं।

हवांग पांच फुट दो या तीन इंच का होगा। किम तो पांच से भी नीचे थी। दोनों कम से कम भाई बहन तो नहीं थे। हमने कई बार हवांग को किम को चूमते और उसकी चूत में उंगली करते देखा था।

जल्दी ही पारुल और तबस्सुम ने हवांग को भी पटा लिया। अब हमारे साथ साथ हवांग भी परुल और तबस्सुम की चुदाई करने लग गया।

हालांकि छोटे कद के हवांग का लंड भी छोटा था युग के लंड जैसा, मुश्किल से पांच इंच का I मगर पांच फुट आठ इंच, नौं इंच लम्बी दोनों, पारुल और तबस्सुम को हवांग से चुदाई करवाने में बड़ा मजा आता था। इसका कारण शायद ये था कि हवांग आधा-आधा घंटा चुदाई करता रहता था और झड़ता नहीं था। और शायद हल्का होने के कारण थकता भी नहीं था।

पारुल या तबस्सुम को चोदते-चोदते अगर किसी की चूत का पानी निकल गया और उसने कह दिया, “बस हवांग “, तो हवांग मिनट नहीं लगाता था और खड़ा लंड चूत में से निकाल कर दूसरी के पास पहुंच जाता। दूसरी भी टांगें उठाये, चूत खोल कर इंतजार ही कर रही होती। हवांग उस दूसरी कि चुदाई चालू कर देता।

लड़की किम की मस्त लंड सवारी

पारुल और तबस्सुम ने किम को पटाने में हफ्ता भी नहीं लगाया। चूत चुसाई से शुरू हुई किम की उन दोनों के साथ दोस्ती को हमारी और किम की चुदाई तक पहुंचने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा।

अब छोटी सी चूत वाली किम भी हमारे साथ लग गयी थी। हम अब पांच लड़के थे और तीन लड़कियां। कोइ किसी को भी चोद सकता था, किसी तरह की कोई मनाही नहीं थी।

हल्की-फुल्की किम को लंड की सवारी करने का शौक था। छोटे कद वाली किम लंड पूरा अंदर तक लेती थी चूत में। किम भी हवांग के तरह हल्की-फुल्की होने के कारण लंड पर खूब उछल-कूद करती थी और थकती नहीं थी।

किम की चुदाई में एक बात और थी। हमारी देसी लड़कियों, पारुल और तबस्सुम की तरह किम की चूत चुदाई के दौरान बिल्कुल भी पानी नहीं छोड़ती थी। पूरी चुदाई के दौरान लंड चूत में जकड़ा रहता था, और खूब रगड़े लगते थे। क्या मजा आता था चुदाई का!

किम चूत की झांटे भी साफ़ नहीं करती थी। किम ने बताया कि ये जापान, चीन, विएतनाम साइड की लड़कियां झांटों के बाल नही साफ़ करती। वहां झांटों का साफ़ करना बुरा मना जाता है। वैसे तो हम पारुल और तबस्सुम की सफ़ाचट चूत भी चूसते थे, मगर जब किम की बालों वाली चूत चूसते-चाटते थे, तो झांटों में से अजीब सी मस्त कर देने वाली गंध आती थी। किम की चूत के पानी और पेशाब की मिली-जुली गंध लंड को एक झटके के साथ सख्त कर देती थी।

लंड पर छलांगें लगाते हुए किम पतली आवाज और अपनी वियतनामी भाषा में ऐसी चीख-चीख कर सिसकारियां लेती थी कि मजा ही आ जाता था।

जिस तरीके से हम सब खुलेआम एक-दूसरे के कमरों में जाते थे और बाहर खड़े हो कर इक्क्ठे बियर पीने के मजे लेते, सब पड़ोसियों को पता था कि हम क्या क्या करते होंगे। ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ये खासियत है कि किसी के घर के अंदर क्या हो रहा है, कौन क्या कर रहा है, कौन किसको चोद रहा है, किसी को कोइ मतलब नहीं। बस आवाज बाहर नहीं चाहिए और पड़ोसियों को किसी तरह की कोइ परेशानी नहीं होनी चाहिए।

ऐसे देशों में क़ानून का पालन करो और मौज करो। सड़क पर शराब पीयो, कोइ कुछ नहीं बोलेगा। घर पर चुदाई के लिए लड़की लाओ कोइ कुछ नहीं बोलेगा। हां शराब पी कर कार चला ली या लड़की छेड़ ली और पकडे गए तो समझ लो ना बाकी की जिंदगी शराब पी सकोगे ना कार चला सकोगे।

हमारे यहां तो हालत ये है कि जरा सा समाज के चौधरियों को पता लग जाए सही कि अंदर कमरे में कोइ लड़की चुद रही है तो समझ लो दोनों का बंटा धार। ये साले चौधरी तो उन दोनों लड़का-लड़की को तो छोड़ो, मकाल मालिक को भी बिरादरी से ही बाहर करवा देंगे, हुक्का पानी बंद कर देंगे सो अलग।

खुद चाहे साले ये मादरचोद चौधरी भोसड़ी वाले जवानी में खेतों जंगलों में भेड़ बकरियां और मुर्गियां चोदते रहे हों।

असल यहां हमारे इंडिया में आधी समस्याओं के जड़ ही यही है। यहां जिसको देखो साला चौधरी बना घूमता है, “तू मुझे जानता नहीं, मैं कौन हूं?” जैसे ये मादरचोद फुकरे कोई मामूली इंसान नहीं कंडोम के ब्रांड की तरह के कोइ ब्रांड हैं, बाहुबलियों और लीडरों के दामाद या साले हैं। अब मेरा दोस्त युग त्रिपाठी भी तो यही करता था।

इन पारुल, तबस्सुम और किम की चुदाईयों से ये हुआ कि मेरी और हेमंत की गांड मुट्ठ मारने वाली वाली आदत और गांड चुदाई बिल्कुल बंद सी ही हो गयी। कभी जरूरत ही नहीं पड़ी। तीन-तीन चूतें थी और चोदने की कोइ मनाही नहीं थी।

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