भावना आयी और पीछे पीछे दोनों लड़के भी थे।
मुकुल सोच रही थी, क्या करने वाली है भावना ?
भावना ने लड़कों पूछा “कहां से आते हो तुम दोनों “?
एक लड़का बोला, “जी गांधी नगर से”।
भावना ने बात जारी रक्खी “ये तो लक्ष्मी नगर के पास ही है। अच्छा ये बताओ, कितना पढ़े हो”?
“जी हम दोनों ने बाहरवीं पास हैं I बीए की तैयारी कर रहे हैं – प्राइवेट पास करने की”।
“बाहरवीं पास हो तो यह काम क्यूं करते हो “।
वो बोले ,”मैडम असल में यहां बड़ी फैक्ट्रियां तो हैं नहीं, छोटे छोटे कारखाने हैं – वर्कशॉप टाइप के। वो पैसे कहां देते हैं, ऊपर से चार घंटे ओवर टाइम जरूरी बोलते हैं। अब आप ही बताईये बारह घंटे की ड्यूटी।आना जाना मिला कर तेरह चौदह घंटे हो जाते हैं”।
“मैडम हम दोनों के पापा एक ही दुकान में काम करते हैं। वो भी नहीं चाहते हम वर्कशॉप में काम करें। इस लिए जी हम पांच छः घंटे ये काम करते हैं करते हैं। चार सौ पांच सौ दिन के बन जाते हैं। फिर दोस्तों के साथ गप शप करते हैं, थोड़ी मस्ती करते हैं और फिर पढ़ाई कर लेते हैं”।
“अच्छा ये बताओ दोस्तों के साथ मस्ती में क्या करते हो”।
लड़के एक दुसरे को देखने लग गए। मुकुल हैरान थी – मुकुल का शक सही था कि भावना के दिमाग में कुछ चल रहा है।
मुकुल को भावना की कूरियर वाले और डिलीवरी बॉय वाली बात याद आ गयी। “कहीं इनसे चुदाई करवाने की तो नहीं सोच रही भावना “?
अब मुकुल ने दोनों लड़कों की तरफ अलग ही नजरिये से देखा – चुदाई करवाने के नजरिये से।
मुकुल ने सोचा, “बुरे तो नहीं अगर लंड बढ़िया हुए और चोदते अच्छा हुए तो “।
तो क्या आज भावना मुकुल की चूत के आग बुझाने की तैयारी में है ?
“जी ? मस्ती मतलब ऐसे ही इधर उधर घूमना, पार्क में चले जाते हैं “।
“पार्क में ? पार्क में तो लड़किया भी आती हैं। क्या लड़कियां देखने जाते हो “?
लड़के अब नीचे देखने लगे – जवाब नहीं दिया ।
“अरे बताओ तो, मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया – मेरा क्या लेना देना। खाली लड़कियां देखो या कुछ और भी करो। वैसे लड़के ही देखते हैं लड़कियां”।
“जी लड़कियां तो आती हैं वहां तो …….”।
“आती हैं तो ? तो मतलब देखते हो। अच्छा छोड़ो ये बताओ देखते ही हो या कोइ पटाई भी है? फंसाई कोइ ”?
लड़के अब परेशान से होने लग गए थे।
मगर भावना नहीं रुक रही थी।
भावना ने उनसे पूछा,”अरे जवाब दो। मैंने कोइ तेरह का पहाड़ा तो सुनाने के लिए नहीं कहा। सीधा सवाल पूछा है – कोइ लड़की पटाई या नहीं। अच्छे खासे हो दिखने में। रंग भी साफ़ है। साफ़ सुथरे भी हो। किसी को न बताओ की ज़िप ठीक करते हो, तो ज़िप ठीक करने वाले लगते भी नहीं। लड़की तो जरूर पटाई होगी”।
“जी ….. जी”?
लड़कों ने जी जी किया मगर जवाब अभी भी नहीं दिया।
“क्या बात है, खस्सी हो क्या”?
“नहीं जी”। अब एक लड़का बोला, “हमारी दोनों की एक लड़की से दोस्ती है”।
“दो लड़के एक लड़की”?
“जी नहीं, उसकी की फ्रेंड भी है”।
“मतलब दो लड़के दो लड़कियां”i
“जी”
भावना बोली ,”ये हुई ना लड़कों वाली बात। “अब एक आख़री सवाल। ये बताओ उनकी चुदाई की है”।
एक लड़के के हाथ से तो ज़िप ठीक करने वाला बैग ही छूट गया।
“अरे क्या हुआ। लड़के हो भई, मर्द हो। मर्द ही लड़कियों की चुदाई करते हैं। की है तो बोल दो हां चुदाई की है- नहीं की है तो बोल दो ना”।
एक लड़के ने अपना लंड खुजलाया ,”जी की है”।
और तूने ? भावना ने दुसरे से पूछा।
“जी मैने भी की है। हम इक्क्ठे ही करते हैं “।
अब लड़के भी खुल रहे थे। झिझक दूर हो रहे थी।
“अपनी अपनी वाली को चोदा या अदल बदल कर चोदा – देखो झूठ मत बोलना”। भावना ने थोड़ा हंस कर पूछा।
“जी अदल बदल कर किया “।
“क्या किया”? भावना ने कुरेदना जारी रखा I
“जी चुदाई की”।
लड़के अब खुल चुके थे। लंड खुजला रहे थे। पेण्ट में से उभार साफ़ दिखाई दे रहा था।
“क्या हुआ ? खड़े हो रहे हैं क्या “?
लड़कों ने एक दुसरे की तरफ देखा I
“अच्छा इधर आओ”।
लड़के भावना के सामने जा कर खड़े हो गए।
“निकालो लंड पेण्ट में से”।
लड़कों ने ऐसा कुछ नहीं किया बस चुपचाप खड़े रहे।
“क्या हुआ क्या पेण्ट की ज़िप खराब है क्या”? भावना जोर से हंसी और एक लड़के ज़िप खोलने लगी।
“नहीं जी, मैं करता हूं”। और उसने लंड बाहर निकाल लिया। सात इंच से कम लम्बा क्या होगा।
मुकुल ने सोचा इन सब के सात सात आठ आठ इंच लम्बे हैं एक हमारे वाले ही पांच इंच पार नहीं कर पाए।
भावना ने दूसरे वाले को बोला, “अब तू भी निकाल ले अपना – तुझे अलग से बोलना पडेगा क्या “?
अब तो उन लड़कों को भी मजा आ रहा था। पहले वाले का लंड तो लगभग खड़ा ही था।
दुसरे ने भी लंड निकाल लिया। उसका उतना ही बड़ा था।
भावना ने दोनों के लंड अपने हाथ के अंगूठे और बीच कि उंगली से पकड़ कर देखा की कितने मोटे हैं।
मुकुल हैरान हो रही थी की ये भावना क्या कर रही है। हैरानी के भाव तो लड़कों के चेहरे पर भी थे।
भावना ने कहा। लंड तो अच्छे हैं तुम्हारे। ये कह कर उसने एक लड़के का लंड मुंह में ले लिया। दूसरा लड़का हैरान से भावना को अपने साथी का लंड चूसते देख रहा था और अपना लंड हाथ में ले कर दबा रहा था।
भावना ने पहले का लंड छोड़ कर दुसरे का मुहं में ले लिया।
पहले वाले का तो खड़ा ही था। दुसरे का भी खड़ा हो गया।
पांच मिनट की चुसाई की बाद भावना सोफे पर सीधे हुई और लड़कों से पूछा, “नाम क्या है तुम्हारा”।
“जी मेरा जनक इसका अशोक”।
“अच्छा जनक अशोक ये बताओ चुदाई करोगे “?
सकपकाए से जनक ने पूछा “जी किसकी”? खड़े लंड हाथों में ले कर सहला रहे थे।
भावना हंसी, “हम दो ही तो हैं”। भावना ने मुकुल और अपनी तरफ इशारा कर के कहा “हम दोनो की चुदाई।चूत की भी और गांड की भी “।
लड़कों को तो लग रहा था विश्वास ही नहीं हो रहा था। चुदाई ? दो दो लड़कियों की ? दो दो चूतें और दो दो ही गांड के छेद “?
भावना बोली, “देखो जनक अशोक ये कोइ ज़बरदस्ती नहीं है। तुम दोनों हम दोनों को चोदना अदल बदल कर आगे से पीछे से – गांड में चूत में मुंह में – जो मर्ज़ी करना, जैसे मर्जी चोदना जितनी बार मर्जी चोदना। बस पानी निकलना है हमारा। मजा देना है हमे। समझे “?
दोनों लड़के हैरान थे ….. या परेशान थे ? दो दो जवान लड़कियां चोदने के लिए बोल रहीं थीं। सोच रहे होंगे ऐसा भी हो सकता है ?
अब भावना ने आख़री वार किया, “देखो भई अगर चोदना है तो पैंटें उतार दो और आ जाओ, नहीं तो अपने अपने लंड पैंटों के अंदर करो, पैंटों की ज़िपें बंद करो, बैग उठाओ और जाओ”।
मुकुल सोच रही थी भावना ने तो चूत प्लेट में सजा कर लड़कों को परोस दी थी। अब लड़के मना भी करें तो कैसे। लड़कों के सामने भावना कोइ चारा ही नहीं छोड़ा था।
दोनों ने अपनी अपनी पैंटें उतार दी। खड़े लंड देख कर मुकुल मस्त गयी। भावना बोली, “चलो बाकी के कपड़े भी उतार दो और आ जाओ और अपने अपने हथियारों का करतब दिखाओ।
फिर भावना ने मुकुल से कहा “जीजी हो जाओ तैयार। और भावना ने अपने कपड़े उतार दिए।
एक लड़का जल्दी से आगे आया और फर्श पर बैठ कर खड़ी भावना की चूत चाटने लगा।
भावना बोली “अरे क्या कर रहा है। क्या नाम है तेरा, अशोक ? अशोक सबर कर ले ऐसे नहीं चाट पायेगा चूत को । खड़ी चूत में जुबान नहीं घुसती। सबर कर ले चूत गांड सब चटवाएंगी तुम दोनों से और चुदवाएंगी भी”।
मुकुल भी कपड़े उतार चुकी थी।
दोनों लड़कों – जनक और अशोक को पकड़ कर मुकुल और भावना कमरे की तरफ ले गयीं।
पुरानी तरह के मकान का फर्नीचर भी पुरानी तरह का ही था। बेड इतना बड़ा था की चार औरते और चार मर्द इक्क्ठी चुदाई कर सकते थे।
ग्रुप सेक्स के लिए भी बिलकुल सही था I
अच्छा एक बात बताओ, चूत ही चोदते हो या गांड चुदाई भी करते हो।
लड़कों ने एक दुसरे की तरफ देख। अशोक बोला, “जी गांड तो मैं भी चोदता हूं, मगर कभी कभी, जब लड़की की चूत न मिले। मगर इस जनक को गांड चोदना ज़्यादा अच्छा लगता है”।
भावना बोली, “हमारी गांड भी चोदोगे “?
जनक बोला, “हां जी मैं तो चोद दूंगा”। फिर अशोक की तरफ इशारा करके बोला, “ये भी चोद देगा। लड़कों की भी तो चोदता ही है। तो फिर आप की चोदने में क्या परेशानी है”?
भावना मुकुल से पूछा, “क्रीम कहां हैं जीजी “?
मुकुल बोली, “मैं लाती हूं”।
मुकुल चूतड़ मटकाती हुई गयी क्रीम ले आई। क्रीम ले आयी और भावना के हाथ में पकड़ा दी।
मुकुल के चूतड़ों की मटकन देख कर दोनों लड़कों के मुंह खुले के खुले रह गए।
“सोच रहे होंगे, ये चूतड़ चोदने हैं आज हमें “?
भावना ने क्रीम अशोक को दी।
भावना ने कहा, “अब सुनो तुम दोनों।आज तुम दोनों ने चूत के साथ साथ हमारी गांड भी चोदनी है – समझे “?
भावना ने फिर कहा, “और एक बात और ध्यान से सुनो I माना तुम लड़कों की गांड चोदते हो। लेकिन यहां तुमने लड़कियों की गांड चोदनी है। अब तुम पूछोगे की फरक क्या है ? गांड तो गांड ही है”।
भावना का लेक्चर जारी था। “अब सुनो भोसड़ी वालो दोनों अशोक और जनक। जब तुम किसी लड़के की गांड चोदते हो तो तुम ये अपनी मर्दानगी साबित करने लिए गांड चोदते हो। बाद में उस लड़के को बोलते हो अबे भूल गया साले कैसे तेरी गांड मारी थी मैंने”?
दोनों लड़के अशोकऔर जनक ही ही ही ही करके हंसने लगे।
मुम्बई वाली तजुर्बेकार भावना बात करने में कुशल थी, “यहां तुमने लड़कियों की गांड चोदनी है मजे देने के लिये और मजे लेने के लिए। लड़कों की गांड समझ कर मत चोदना – आराम से चोदना धीरे धीरे ….खुद भी हमारी गांड चोदने के मजे लेना और हम दोनों को गांड चुदाई के मजे देना – जीजी को ख़ास करके। समझे “?
दोनों ने सर हिलाये – दोनों इक्क्ठे बोले “हां जी समझ गए”।
भावना ने अशोक को कहा,”अशोक तू जीजी के पीछे जा। बढ़िया चुदाई कर जीजी की गांड की I जीजी को आज तारे दिखादे। बस गांड में लंड आराम से बिठाना – जीजी की गांड कुंवारी है। एक बार तेरा लंड जीजी की गांड में बैठ गया तो बस फिर मत रुकना चाहे जीजी भी बोले तो भी नहीं “।
फिर भावना ने जनक से कहा, “चल जनक हो जा शुरू। दिखा दे आज कैसा बढ़िया गांडू है तू “।
जनक हे हे ही ही कर के हंसा, “बढ़िया गांड चुदाई करूंगा जी आप की। मैंने भी कई दिनों से गांड नहीं चोदी “।
भावना ने सोचा कहीं सच ही तो गांडू – समलिंगी नहीं ये जनक।
अच्छा है अगर ऐसा यही तो। बढ़िया गांड चोदेगा।
जनक भावना कि गांड पर क्रीम मल रहा था।
उधर अशोक ने ढेर सारी क्रीम लगा कर उंगली मुकुल कि गांड के छेद में घुसेड़ दी। आआआह आआह, मुकुल ने आवाज निकली।
अशोक को पता था कि उंगली गांड में डालने से दर्द नहीं होता। ये मजे कि ही आवाज थी।
अशोक सोच रहा था कि अगर आज इस भारी चूतड़ों और भारी चूचियों वाली की चुदाई की तस्सली करवा दी तो आगे के लिए चुदाई का रास्ता खुल जाएगा।
अशोक ने क्रीम गांड पर अच्छे से मली। पहले आठ दस बार एक उंगली अंदर कि फिर पंद्रह बीस बार दो उंगली अंदर। गांड का छेद मुलायम हो गया था।
अशोक मुकुल के भारी चूतड़ों को मसल रहा था बीच में एक हल्का धप्प भी लगा देता – चट्ट चट्ट कि आवाज़ के साथ। अशोक को मोटी गांड पर धप्प लगाने में मजा आ रहा था। अशोक के हर धप्प के साथ ही मुकुल की आवाज आती आआह अशोक। मजे की आवाज।
अशोक ने लंड मुकुल कि गांड पर रक्खा और धीरे धीरे अंदर डाला। पांच मिनट के अंदर बाहर करने के बाद लंड का सुपाड़ा अंदर बैठ गया।
एक कुशल गांडू के तरह सुपाड़ा वहीं घुमाया। बाहर निकाला – क्रीम लगाई और फिर बिठा दिया। काफी बार ऐसा करने के बाद जब सुपाड़ा आराम से फिसल कर अंदर जाने लगा तो अशोक ने आधा लंड अंदर डाल दिया।
मुकुल सोच रही थी “अशोक का आधा लंड भी मुकुल के पति रामजी के पूरे लंड के बराबर था”।
अशोक लंड बाहर निकालता अंदर करता – बाहर निकालता अंदर करता – मगर आधा ही। अशोक को मालूम था जल्दी ही मुकुल चूतड़ हिला कर पूरा लंड मांगेगी।
जब वो किसी लड़के की पहली बार गांड चोदता था तो वो भी चूतड़ हिला कर पूरा लंड अंदर डालने का इशारा करता था।
मुकुल का मन अब पूरा लंड लेने का हो रहा था। उसने चूतड़ हिलने शुरू कर दिए। आगे पीछे – दांयें बाएं ।
गांड में क्रीम तो लगी ही हुई थी। अशोक का आधा लंड अंदर ही था। वहीं से अशोक ने थोड़ा थोड़ा थोड़ा कर के पूरा लंड अंदर बिठा दिया और रुक गया।
मुकुल ने सर घुमा कर अशोक कि और देखा – मगर बोली कुछ नहीं।
क्या मुकुल गांड चुदाई के लिए तैयार हो चुकी थी”? गांड चुदाई में कुशल अशोक के हिसाब से तो हो चुकी थी।
अशोक ने लंड एक बार और बाहर निकला। क्रीम लगाई लंड पर भी, गांड पर भी और गांड के अंदर भी।
“मुर्गी झटकने का वक़्त आ गया था”।
अशोक ने लंड गांड के छेद पर रखा और एक ही बार में झटके से अंदर डाल दिया। मुकुल ने एक लम्बी सिसकारी ली “आआआआह”।
अशोक के लिए अब सोचने का वक़्त नहीं था की ये दर्द कि सिसकारी थी या मजे की। उसका अपना लंड फनफना रहा था। उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए – पूरा लंड बाहर फिर पूरा अंदर।
गाड़ी का इंजन स्टार्ट हो चुका था बस अब इंजन ने स्पीड पकड़नी थी।
पंद्रह बीस धीरे के धीरे धक्कों के बाद अशोक शुरू हो गया – एक पेशेवर गांडू कि तरह।
मुकुल को चूतड़ों से पकड़ कर ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था। मुकुल कसमसा रही थी ऊई उई कर रही थी – शायद पहली गांड चुदाई का दर्द था। मगर अब अशोक नहीं रुकने वाला था।
एक तो उसे भी टाइट गांड को रगड़ने का मजा आ रहा था, दुसरे चुदाई की तजुर्बेकार भावना ने भी यही कहा था, “जीजी को आज तारे दिखादे। बस गांड में लंड आराम से बिठाना – जीजी की गांड कुंवारी है। एक बार तेरा लंड जीजी की गांड में बैठ गया तो फिर मत रुकना “।
वही अशोक कर रहा था।
कुंवारी गांड वाली मुकुल को तारे दिखा रहा था।
पूरा लंड ले रही थी। मस्त चुदाई करवा रही थी मुकुल। चूतड़ों को झटके दे दे के