शीला की जवानी- 4

एक हफ्ते की रात रात भर की चुदाई ने ज्योति को मस्त कर दिया था। ज्योति शीला को भी मुझसे चुदवाने को तैयार हो गयी। उस इतवार को ज्योति श्रेया को उसकी ननिहाल छोड़ने जा रही थी। इतवार तो शीला ज्योति कि घर ही रहती थी।

ज्योति ने मुझसे कहा ,”जीते शीला आएगी बारह बजे। चोदने कि लिए तैयार हो जा। दिन में शीला को चोद, रात में मैं और तू मौज करेंगे। श्रेया होगी नहीं, तो खुल कर चुदाई करेंगे।”

पूरे बारह बजे शीला आ गयी। ज्योति अभी नहीं आयी थी। शीला ने ज्योति का ही सूट डाला हुआ था हरे रंग की प्रिंटेड कमीज और सफ़ेद सलवार, और सफ़ेद ही चुन्नी। ऊपर से बिल्कुल हल्का मेकअप।

ज्योति ने कपड़ों के मामले में और अपने रख रखाव के मामले अच्छा खासा तेज़ कर दिया था शीला को। बेहद खूबसूरत लग रही थी। आते ही बोली, “कैसे हो अजित भैया?”

मैं (मन में): भैया? मुझसे चुदवाने जा रही है और भैया बोल रही है?

शीला बोली “अजित भैया, ज्योति भाभी नहीं आयी अभी तक ? मुझे तो बारह बजे आने के लिए कहा था।” मैंने कहा, “देर हो गयी होगी, अपने मायके गई है श्रेया को छोड़ने।” शीला हंसी, “हां भैया मुझे मालूम है।”

मेरे लंड में कुलबुलाहट हो रही थी। अगर ये मालूम है की ज्योति श्रेया को छोड़ने गयी है, फिर तो ये भी मालूम होगा क्यों छोड़ने गयी है। और क्या पिछले हफ्ते की चुदाई की बात बता दी ज्योति को।

मैंने पूछा, “शीला आज क्या ख़ास काम है?” शीला फिर हंसी, “क्या आपको नहीं मालूम अजित भैया।” मैंने अनजान बनते हुए पुछा, “क्या नहीं मालूम?” फिर शीला बोली, “चलो छोड़ो भैया, अगर सच में ही आपको नहीं मालूम तो फिर भाभी ही बता देगी।”

हम बात कर ही रहे थे कि ज्योति भी आ गयी। आते ही शीला से बोली, “आ गई शीला, बड़ी अच्छी लग रही है तू तो।” फिर ज्योति चाबी शीला को दे कर बोली, “चल जा ऊपर ताला खोल, मैं आती हूं”। शीला चली गयी।

ज्योति ने मुझसे पूछा, “शीला क्या बात कर रही थी जीत?”

फमैंने सारी बात बता दी और पूछा, “भरजाई उसे मालूम है की आपने क्यों आज दोपहर बजे बुलाया है?”

“मैंने साफ बात तो नहीं की थी, मगर इतना कहा था कि जीत चुदाई बड़ी बढ़िया करता है।”

मैंने लगभग चिल्लाते हुए कहा, “क्या भरजाई, इसका मतलब आपने पिछले हफ्ते जो भी हमारे बीच हुआ वो बता दिया?”

ज्योति बोली, “मैंने कब कहा मैंने बता दिया?”

“मगर भरजाई बात तो एक ही है। आपने ये तो कहा ही है की जीत, मतलब मैं चुदाई बहुत अच्छी करता हूं। शीला सोचेगी नहीं कि ये आपको कैसे पता चला?”

ज्योती बोली, “जीत, समझने और बताने में फर्क होता है। शीला मुझे अपनी हर बात बताती है। जिस दिन होटल से या उन दो लड़कों के यहां से चुद कर आती है तो चुदाई की पूरी कहानी सुनाती है – जैसे आंखों देखे हाल सुनाते हैं – एक एक बात बताती है – किसने क्या किया। ऊपर लेट कर चोदा या पीछे से चोदा। पानी अंदर छोड़ा या चूचियों पर। लंड का पानी मुंह में डाला या नहीं ? चूत चूसी या नहीं। वो होता है बताना।”

“शीला तो ये तक बताती है कि एक को तो चुदाई के बाद अपने ऊपर मुतवाने की आदत है।” ये बताते हुए ज्योति कि हंसी छूट गयी। “कई बार तो उसकी चुदाई की बातें सुन-सुन कर मेरी अपनी चूत गरम हो जाती है। फिर मैं श्रेया को बोल देती हूं, “श्रेया, मम्मा शीला आंटी से मालिश करवा रही है, अंदर नहीं आना। और कमरा बंद करके शीला से चूत चुसवा कर पानी छुड़वाती हूं।”

“उस दिन जब तूने शीला को छेड़ा था, मैंने उसी दिन समझ लिया था की शीला तुझसे चुदवाना चाहती है। मुझे बताते-बताते दस बार तो शीला ने अपनी चूत खुजलाई।” मैंने पूछ ही लिया था, “शीला तुझे करवाना है जीत से? तो मालूम हैं उसने क्या कहा?”

मैंने भी पूछा, “क्या कहा भरजाई?”

ज्योति बोली, “शीला ने कहा भाभी आप जैसा कहेंगी। अब तू ही बता जीते इसका क्या मतलब है?”

फिर ज्योति बोली, “चल तू तैयारी कर, मैं भेजती हूं उसे नीचे।”

मेरा लंड तो खड़ा ही था। ज्योति की नजर लंड पर पड़ी तो ज्योति बोली “यह तो तैयार ही है”। ज्योति सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते रुक गयी और मुड़ कर मुझसे बोली, “जीत शीला को नीचे भेजूं या ऊपर आ कर चोदेगा?”

पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। दो-दो लाजवाब चूतें इक्क्ठी? इस ख्याल भर से ही मेरा तो लंड फटने को हो गया।

मगर मैं शीला को अकेले में चोदना चाहता था। देखना चाहता था कहां-कहां लंड लेती है, कैसे-कैसे लेती है, और कैसी चुदाई करवाती है।

और ये तभी हो सकता था, जब मेरे और शीला के बीच की पहली चुदाई में किसी की साझेदारी ना हो – ज्योति की भी नहीं।

ज्योति को तो अपनी मर्जी के माफिक चोद ही चुका था। एक बार कुंवारी शीला भी बढ़िया से चुद गयी तो उसके बाद इक्ठठे भी चोदने में कोइ हर्ज नहीं।

मैं सोच रहा था पहली बार अगर शीला को ज्योति के सामने चोदा तो ये हो नहीं सकता था कि ज्योति, जिसे मैंने पूरा एक हफ्ता दबा कर चोदा था, उसके सामने अगर मैं शीला को चोदूं और ज्योति बिना मेरा लंड लिए रह जाए – हो ही नहीं सकता था ।

फिर भी मैंने बनावटी हैरानी से कहा, “ऊपर आ कर आपके सामने? नहीं-नहीं भरजाई। शीला पहली बार मुझसे चुदाई करवाएगी, आपके सामने कैसे खुल पाएगी। और फिर आपके होते हुए मैं आपके सामने किसी और को कैसे चोद पाऊंगा – फिर चाहे वो शीला हो या कोइ और।”

ज्योति भी थोड़ी हंसीं, “अरे तो इसमें हर्ज ही क्या है? शर्मा रहा है क्या? मुझे चोदते हुए नहीं शरमाया, मेरी भेजी हुई लड़की को भी चोदेगा, मगर मेरे सामने चोदने में शर्म आ रही है?”

मुझे – एक नंबर के छोकरी बाज अजित सिंह गिल को दोनों को इक्ठठा चोदने में कोइ परेशानी नहीं थी। मगर मैं कम से कम पहली बार शीला को अकेले में चोदना चाहता था। देखना चाहता था कैसे चुदाई करवाती है – कहां-कहां लंड लेती है।

मैंने कहा, “नहीं भरजाई आज तो नीचे ही भेज दो। आपके सामने अगली बार चोद दूंगा – और साथ आपको भी। मैंने फिर वही डायलॉग मारा, “आपके होते हुए मैं आपके सामने किसी और को कैसे चोद पाऊंगा – फिर चाहे वो शीला हो या कोइ और।” लग रहा था ज्योति मेरी डायलॉगबाजी से बड़ी खुश हुई – हंसते हुए बोली, “बेशरम जीते – चल जा अंदर, भेज रही हूं शीला को। मजे ले शीला की जवानी के।”

हालांकि ज़्यादातर जब भी मैं जान पहचान की लड़कियों, औरतों की चुदाई करता हूं – जैसे कि पंजाबन भरजाई ज्योति की – तब मैं कंडोम का इस्तेमाल नहीं करता। लेकिन अगर कभी लम्बी चुदाई का प्रोग्राम बने, या एक से ज़्यादा लड़कियों को इक्ठठे चोदना हो तो फिर मैं एक खास किस्म के कंडोम का इस्तेमाल करता हूं।

ये कंडोम अभी हमारे देश में केवल दिल्ली, बम्बई, बंगलौर जैसे बड़े शहरों में किसी-किसी दुकान पर ही मिलते हैं। वैसे मैं इसे ऑनलाइन खरीददारी से मंगवाता हूं। पांच कंडोम का एक पॉकेट एक हज़ार का आता है।

लोगों को भी अभी इसके बारे में बहुत अधिक जानकारी भी नहीं है – और फिर महंगा भी तो है। दो सौ का एक कंडोम – ऐसा सस्ता भी नहीं। हमारे देश के लोगों को कंडोम जैसी चीज़ें बेकार लगती हैं और इन पर पैसा खर्चना भी फिजूलखर्ची लगती है।

खुद मुझे भी इसके बारे में मेरे एक दोस्त ने बताया था, जिसका चंडीगढ़ में होटल है और जहां मंहगी कॉल गर्ल – देसी भाषा में कहें तो बीस हजार से पच्चीस हजार एक रात की चुदाई का लेने वाली बीस इक्कीस साल की घरेलू लड़कियां या अपने मेंहगे शौक पूरे करने करने के लिए – पैसे कमाने के लिए और चुदाई के मजे लेने के लिए चुदाई करवाती हैं।

इनमे कई तो अच्छे खासे रईस परिवार से होती हैं। एक बार तो मेरे साथ चंडीगढ़ के उस होटल में जयपुर के कालेज में पढ़ने वाली दो लड़कियों ने रात गुज़ारी, जिनमे एक का पापा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में बहुत बड़े ओहदे पर था – शायद आयुक्त – कमिश्नर।

दोनों लड़कियां मौज मस्ती के लिए चंडीगढ़, कसौली, शिमला की सैर करने निकलीं थी। चंडीगढ़ के उस मेंहगे होटल में रुकी थी। उसी होटल के मालिक – मेरे दोस्त ने, मुझे उन दो लड़कियों कि बारे में बताया कि दोनों को पचास हजार रुपये चाहिए थे। पूरी रात की चुदाई करवाएंगी।

दोनों लड़कियों को मौज मस्ती के लिए पैसे चाहियें थे – पचास हजार रूपए।

मेरा वो दोस्त, होटल का मालिक भी चुदाई कि लिए तैयार हो गया। दो हम और दो वो जवान कुंवारी कड़क लड़कियां। पच्चीस हजार मैंने देने थे पच्चीस हजार मेरे दोस्त ने जिसका होटल था।

अब इतना सारा पैसा एक रात में तो वही उड़ा कर सकता है जिसकी लाखों की आमदन हो, टैक्स ढेले का ना भरता हो, जिसके लिए बिजली पानी मुफ्त हों और ऊपरी कमाई बिना मांगे मिलती हो।

अब ये सारे के सारे गुण मुझमें मौजूद थे – सो उस रात मैं पच्चीस हजार कैश जेब में डाल कर अपने उस दोस्त के होटल में उन दो लड़कियों की चुदाई के लिए गया था। उसी रात मेरे उस होटल वाले दोस्त ने वो ख़ास कंडोम का पैकेट दिया था जिसमें पांच कंडोम थे।

इन कंडोम खासियत ये होती है की इनका बीच का हिस्से के ऊपर अलग से एक पतली रबड़ की झिल्ली होती है जो असली लंड के ऊपर की बारीक चमड़ी की तरह ही चुदाई के वक़्त आगे पीछे होती है। इस झिल्ली पर नरम नरम उभरी हुई लाइनें भी होती हैं।

कंडोम का जो हिस्सा सुपाड़े पर चढ़ता है उसमे अलग से उभार होता है और इस उभार पर भी हुए नरम-नरम दाने होते हैं जो धक्के लगाते समय चूत के अंदर मस्ती भरी रगड़ पैदा करते हैं। सब से बड़ी बात कि इस कंडोम का कोइ रंग नहीं होता – पूरी तरह से पारदर्शी होता है। अगर लड़की को बताया ना जाए या गौर से ना देखा जाए तो पता ही नहीं लगता कि चुदाई के वक़्त लंड पर कंडोम चढ़ा हुआ है।

बस एक ही कमी है कि लंड के मजे का गरम पानी चूत में नहीं गिरता। इसमें भी कई लड़कियों को फरक नहीं पड़ता, क्योंकि कंडोम चढ़ाने से चुदाई के कारण बच्चा-वच्चा ठहरने की चिंता नहीं रहती और मज़ा पूरा आता है।

कुल मिला कर इस कंडोम का असली मकसद लड़की को चुदाई के दौरान जन्नत का मजा देना होता है, और साथ ही इस कंडोम की रगड़ाईयों के कारण लड़की जल्दी झड़ जाती है। अगर लड़की की नजर ना पड़े तो पता ही नहीं चलता लंड बुर्के में छुप कर चुदाई कर रहा है।

चूत चुदवाने का भरपूर मजा लेने के बाद, और दो-तीन बार अपनी चूत का पानी छुड़ाने के बाद अगर कोई लड़की चूत के अंदर गरम-गरम पानी छुड़वाने का मजा लेना चाहे, तो मैं इसको आखिर के कुछ धक्कों के पहले ये उतार लेता हूं, और पानी अंदर छुड़ा देता हूं।

इस खासमखास कंडोम के कारण कई बार तो लड़की तीन-तीन बार झड़ जाती है और लंड खड़े का खड़ा ही रहता है – जैसा की चंडीगढ़ में उन दो लड़कियों को चोदते वक़्त मेरे साथ हुआ था।

अब असली बात पर आते हैं कि इस कंडोम पर इतना बड़ा ज्ञान बांटने कि क्या जरूरत थी?

तो दोस्तों जरूरत इस लिए थी कि आज और आने वाले हफ्ते में मैं इस कंडोम को लंड पर चढ़ा कर चुदाई करने वाला था।

आज इस लिए की दिन में शीला कि चुदाई होनी थी और रात में – पूरी रात भरजाई ज्योति की।

शीला को मैं ऐसा मजा देना चाहता था की वो बार-बार चुदाई के लिए मेरे पास आये।

क्या करूं, शीला की जवानी है ही ऐसी, और फिर मैं ही कब तक बठिंडे में हूं, इसका भी क्या पता।

सब तैयारी हो चुकी थी। कुर्ते पायजामे के नीचे से अंडर-वियर और बनियान मैं उतार चुका था। कंडोम का पैकेट बिस्तर पर चद्दर पर पड़ा था। बस अब शीला का इंतजार था। मैं सोच रहा था ज्योति शीला को आगे की सीढ़ियों से भेजेगी या पीछे की सीढ़ियों से।

शीला पीछे की सीढ़ियों से आयी और पीछे के बरामदे में आ कर आवाज लगाई, “जीत भैया”?

जीत भैया”? मेरे दिल में फिर वही ख्याल आया, आई है चुदाई करवाने और बोल रही है भैया। मुझे थोड़ी हंसी सी भी आयी।

मैं ड्राईंग रूम में बैठा था, वहीं से मैंने जवाब दिया, “शीला इधर आ जा ड्राईंग रूम में।

शीला ड्राईंग रूम में आ गयी और बोली, “जीत भैया, ज्योति भाभी ने भेजा है, बोल रही थी कुछ काम है आपको मुझसे।”

मैंने भी सोचा बहुत हो गया शर्म लिहाज। मैं उठा, शीला के पास जा कर उसे बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूसने लगा। लगभग मेरे बराबर लम्बाई की शीला के होंठ मेरे होठों के सामने थे। मैं पांच-सात मिनट तक शीला के होंठ चूसता रहा।

शीला बोली, “जीत भैया, ये काम था क्या मुझ से?”

मैंने कोइ जवाब नहीं दिया, मैं सोफे पर बैठ गया और शीला को अपनी गोद में बिठा कर फिर से उसके होंठ चूसने लगा। एक हाथ मेरा शीला की चूचियों पर था, दूसरे हाथ से मैंने शीला को कमर से पकड़ा हुआ था।

पांच मिनट शीला के होंठ चूसने के बाद मैंने उसके होंठ छोड़े और बोला, “शीला बड़े दिनों से इस दिन का इंतजार था। फिर मैंने ऐसे ही पुछा, शीला क्या बोलकर भेजा है ज्योति भरजाई ने तुझे नीचे।”

शीला बोली, “सच सच बताऊं जीत भैया?”

मैंने कहा, “हां सच सच बता, मगर पहले तू मुझे ये भैया बोलना बंद कर।”

शीला जोर से हंसी और बोली, “भैया बोलने से क्या होता है जीत भैया। ये तो मैं आप को बुलाने के लिए बोलती हूं, अपना भाई थोड़े बना रही हूं।”

मैंने कहा, “फिर भी – भैया?”

शीला फिर बोली, “अरे तो क्या हुआ, जीत भैया? लोग अपने पालतू डॉगी – कुत्ते – का नाम टाइगर रखते हैं, तो क्या वो शेर बन जाता है?”

और फिर अपनी बात जारी रखते हुए बोली, “वो तीस नंबर वाली ढिल्लों आंटी है ना, उन्होंने अपने बेटे का नाम टायसन रखा हुआ है – वो मुक्के वाली कुश्ती वाला टायसन। नाम टायसन है और गली के सारे लड़कों से पिटता है। हमेशा रोता रहता है और शिकायतें लगाता रहता है। बड़ा आया अपनी मां का टायसन”।

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