बहन की दोस्त

दोस्तों मुझे नई नई लड़कियों को पटाना और फिर उसकी रसीली बुर चोदना बहुत पसंद था। मुझे सेक्स करना बहुत पसंद था। जब भी मैं किसी सुंदर और जवान लड़की को देख लेता तो बिलकुल सेंटी हो जाता था और उसे पटाने में लग जाता था।

मेरी कसिन बहन [मेरे चाचा की लड़की] पलक की सहेली अलका बहुत ही सुंदर थी। जब से मैंने उसे देखा था उसकी बुर चोदने को मैं बेक़रार था। इसलिए मैंने अलका को फोन करके बता दिया कि मैं और पलक आज पीवीआर प्लाजा में फिल्म देखने आ रहे है। वो भी आ जाए।

धीरे धीरे मैं अपनी कसिन बहन की सहेली अलका को पटाने लग गया। जब फिल्म शुरू हुई तो मैंने अलका के बगल बैठा था और बार बार उसके हाथ पर हाथ रख देता था। वो समझ गयी थी की मैं उसे लाइन मार रहा हूँ। मैंने उसकी तारीफ़ भी कर दी थी की वो बहुत सुंदर लगती है।

मूवी देखने के बाद मैंने अलका का फोन नॉ ले लिया और हम दोनों फोन से बात करने लगे। सच में अलका बहुत सुंदर लड़की थी। 5 फुट 2 इंच उसका कद था, छरहरा बदन था और देखने में बड़ी भोली और मासूम थी वो। उसका रंग बहुत दूधिया था और चेहरे पर गुलाबी रंगत कोई भी देख सकता था।

अलका अभी २१ साल की हुई थी। उसे गाने और डांस करने का बहुत शौक था। धीरे धीरे हम मिलने लगे और हमारा रोमांस परवान चढने लगा। वेलेंटाइन डे पर मैंने एक महँगा मोबाइल फोन और एक ख़ास चीज गिफ्ट की। मैंने उसे बॉडी केयर की एक मस्त जोड़ी ब्रा और पेंटी गिफ्ट की।

अब मेरा अलका को चोदने का फुल मन करने लगा था। कुछ दिनों बाद मेरी चचेरी बहन पलक का जन्मदिन था। वहां अलका तो जरुर आने वाली थी। मैंने सोच लिया था की उसे अपनी चचेरी बहन पलक के घर ही चोदूंगा। शाम को ६ बजे मैं अपनी गर्लफ्रेंड को बाइक पर बिठाकर पलक के घर पर पहुच गया।

वहां काफी भीड़ थे। मेरे चाचा, चाची, मेरा चचेरा भाई अर्जुन और पलक से मेरी मुलाकात हुई। मेरे चाचा मेरी पढाई के बारे में पूछने लगे। किसी तरह सबसे बात करके मैं अपनी गर्लफ्रेंड अलका के पास पंहुचा। उसे लेकर मैं उपर वाले फ्लोर पर चला गया। दोस्तों मेरे चाचा का घर बहुत बड़ा था और गार्डेन भी था।

मैं अलका को लेकर फर्स्ट फ्लोर पर पंहुचा गया और एक खाली कमरे में घुस गया। वहां पर कोई नही था और हम दोनों आपस में किस करने लगे। आज कितने दिनों बाद अलका को किस करने को मिला था। वो भी मुझे बाहों में भरकर किस करने लगी। सच में वो बहुत सुंदर लड़की थी। उसका चेहरा इकदम गोल था और काले चमकदार बाल थे उसके।

अलका के पापा डॉक्टर थे, उसके घर में किसी को नही मालुम था की वो मुझसे पटी हुई है, वरना तो बवाल ही हो जाता। उसके पापा बहुत सख्त मिजाज थे और प्यार व्यार को बेकार और फालतू की चीज मानते थे। वो हमेशा अलका पर नजर रखते थे।

मैं बड़ी देर तक अपनी गर्लफ्रेंड के गुलाबी होठ पीता रहा। लाल बंद गले के स्वेटर और जींस में अलका बिलकुल कैटरीना कैफ लग रही थी। उसे देख के मेरा लौड़ा बार बार खड़ा हो रहा था। हम दोनों काफी देर तक लिपलॉक होकर किस करते रहे। मेरा हाथ उसके ३४” के दूध पर पहुच गया और मैं अपनी माल के यौवन को छू कर महसूस करने लगा।

“अलका ….आज मुझे हर हालत में तेरी चूत मारनी है!!” मैंने साफ साफ कहा

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पिछले कई महीनो से मैं अलका से बहुत नाराज था। जब जब मैंने कमरे का जुगाड़ किया, वो नही आई और ना ही उसे चोदने को मिला। इसलिए मैं नाराज था। उसका चेहरा बता रहा था आज वो भी चुदना चाहती थी।

“मुझे कहाँ पर चोदोगे???” वो बोली

“यही पर..इसी कमरे में!!” मैंने कहा

“कोई आ गया तो???” वो घबराकर बोली

“इसका जुगाड़ हो गया है!!” मैंने कहा

दोस्तों उस कमरे में लॉक की चाबी दरवाजे में लगी हुई थी। वैसे भी ये स्टोर रूम था और यहाँ पर कोई आता नही था। मैंने दरवाजे से चाबी निकाल ली थी और अंदर से दरवाजा लॉक कर लिया था।

उसके बाद मैंने अलका को वही एक पुराने पड़े बेड पर लिटा दिया और उससे प्यार करने लगा। अब ये बेड पुराना हो चुका था और बेकार हो चुका था। पर आज इस पर मेरी गर्लफ्रेंड की ठुकाई तो आराम से हो ही सकती थी। हम दोनों ने अपने अपने स्वेटर निकाल दिए। ये जाड़ो के दिन थे। थोड़ी सर्दी भी थी।

पर जैसे ही अलका नंगी हुई, उसके दूधिया जिस्म को देखकर मेरी सारी सर्दी दूर हो गयी। मैंने लगे हाथों उसकी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। मैं अलका पर लेट गया और उसके दूध पीने लगा।

उसकी नंगी छातियों पर मैंने अपने हाथ रख दिए। उफ्फ्फ्फ़!! कितने मस्त, कितने बड़े बड़े दूध थे उसके। इतने सुंदर मम्मे मैंने आज तक नही देखे थे। मैं हाथ से उसके पके पके आमों को दबाने लगा। अलका को भी मजा आ रहा था।

वो “ “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…” करके सिसकी लेने लगी। मैं खुद को रोक न सका। अलका सिसकने लगी। मैं और जोर जोर से उनकी नर्म नर्म छातियाँ दबाने लगा। वो और जोर जोर से सिसकने लगी। फिर मैं उसके पके पके आमों को मुँह में भर के पीने लगा।

मैं अपने नुकीले दांतों उसकी मुलायम मुलायम छातियों को काट काटकर पी रहा था। दांतों से चबा चबा कर मैं उसकी मस्त मस्त उजली उजली छातियाँ पी रहा था। कसम से दोस्तों, ये दृश्य बहुत मजेदार था। मैं अपनी गर्लफ्रेंड की छातियों को भर भरके पी रहा था। मैं पूरे मजे मार रहा था। वो छातियाँ शायद दुनिया की सबसे रसीली, गोल और शानदार छातियाँ थी।

मैं तेज तेज मुंह में भरकर अपनी माल की चूची पीने लगा था। मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था और अलका की चूत मारने को बेक़रार था। मैं हपर हपर करके लपर लपर करके उसकी नुकीली नारियल जैसी दिखने वाली बेहद कमसिन चूचियों को मुँह में भरके पी रहा था। अलका के दूध इतने मुलायम मक्खन की तरह थे की मेरा दांत उसमे अपने आप गड़ जाते थे और निशान बन जाते थे।

“त्रिभुवन… मुझे चोद लो, मेरे मम्मे पी लो मगर अपने दांत मेरे बूब्स पर मत गडाओ, वरना मैं अपने होने वाले पति को क्या जवाब दूंगी” अलका अपनी आँखें बंद किये ही बोली। मैं इस बात से सहमत था, इसलिए मैंने दांत गड़ाना बंद कर दिया। धीमे धीमे आराम आराम से मैं उसके दूध पीने और चूसने लगा। उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था, उतेज्जना भी हो रही थी और मजा भी आ रहा था. ‘त्रिभुवन …. आराम से मेरे नारियल चूसो!! आराम से मेरे जानम’ अलका बोली।

मेरा बस चलता तो मैं उसकी छातियाँ खा ही लेता। फिर मैं उसकी रसीली छातियों को अपने हाथों से जोर जोर से दबाने लगा और निपल्स पर अपनी जीभ फेरने लगा और पीने लगा। दोस्तों, बड़ी देर तक यही खेल चलता रहा। मेरी गर्लफ्रेंड सच में कमाल की जिस्म की मलिका थी। वो किसी अफसर जितनी सुंदर थी।

मैंने बड़ी देर तक उसकी नर्म नर्म छातियों का मदिरापान किया और सेक्स के नशे में आ गया। उसके दूध पीने के बाद अब मेरा अपनी गर्लफ्रेंड से लंड चुस्वाने के बड़ा दिल कर रहा था।

“चल लौड़ा फेट और मुंह में लेकर पी!!” मैंने कहा

आगे की कहानी अगले पार्ट में जल्दी ही आएगी

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