मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-13

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-12

नसरीन के पूछने पर असलम जमाल के साथ होती रही नसरीन की चुदाई के पीछे की कहानी बता रहा था। इधर कहानी खत्म हुई, उधर असलम का लंड फिर से खूंटे की तरह खड़ा हो गया। नसरीन की चूत भी उसकी अपनी और जमाल की चुदाई की कहानी सुनते-सुनते गीली हो चुकी थी।

नसरीन अपनी कहानी जारी रखे हुए थी और टेप रेकार्डर चालू था, “जमाल के मुझे चोदने के पीछे की कहानी सुनाते-सुनाते ही असलम का लंड फिर खड़ा हो गया। असलम ने उंगली मेरी चूत में डाल दी, और ऊपर-नीचे उंगली हिलाने लगा। मेरी चूत में उंगली हिलाते-हिलाते असलम साथ-साथ बोलता जा रहा था, “आअह अम्मी आह आह अम्मी अम्मी आआह।”

“इधर मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था। चूत मेरी चिकनी हुई पड़ी थी, और मैं अब ज्यादा इंतजार करने के मूड में भी नहीं थी।

मैं उठी और अपनी टांगे लेटे हुए असलम के दोनों ओर करके असलम का मोटा खूंटा चूत की छेद पर बिठाया और लंड पर बैठ गयी।”

“असलम का लंड जड़ तक मेरी चूत के अंदर था। असलम बस इतना ही बोला, “अम्मी बड़ी गरम और चिकनी हुई पड़ी है आपकी फुद्दी आआआह।”

“मैं असलम के खड़े लंड पर उठक-बैठक करने लगी। दस मिनट चली ये चुदाई भी मस्त रही। दोनों का पानी इकट्ठे छूटा।”

“ऐसे ही वक़्त गुजरता गया। असलम की और मेरी मस्त चुदाई चलती रही। ऐसे ही कभी चूत, कभी गांड चुदाई करते-करते तीन साल गुज़र चुके थे।”

“तीन साल की चुदाई के बाद हमारी चुदाईयों में अब वो पहले वाला जोश और गर्माहट नहीं रही थी। चुदाई के वक़्त अब हमारे मुंह से वैसी चूत फुद्दी, लंड, गांड वाली सिसकारियां नहीं निकलती थी, जैसी पहले निकला करती थी।”

“अब कोई भी आआह अम्मी मेरी अम्मी आअह आअह अम्मी आपके चूतड़ आअह” आआह असलम क्या चोदता है बेटा तू मस्त लंड है तेरा आआह आआआह आआआह अम्मी अम्मी आआ, जैसा कुछ नहीं बोलता था।”

“इतना जरूर था कि जब दोनों का पानी छूटता, मजा आता, तो एक “आआआह  आ गया मजा” जैसी छोटी सी सिसकारी ही बस मुंह से निकलती थी।

“इधर असलम चौबीस का हो चुका था, और मैं बयालीस पहुंचने वाली थी।”

“कई बार तो मैं सोचती थी कि असलम ने किसी और हम उम्र लड़की के साथ ऐसा रिश्ता बनाया था या नहीं?”

“अगर असलम ने ऐसा कोइ रिश्ता बनाया होता तो असलम मुझे जरूर बताता। हम दोनों में कोइ राज, कोइ पर्दा तो था नहीं।”

“अगर असलम ने किसी लड़की के साथ इस तरह का रिश्ता नहीं बनाया था, तो इसके दो ही कारण हो सकते थे। एक तो ये कि असलम को बैठे बिठाये चोदने के लिए एक चूत मिली हुई थी। दूसरा ये कि असलम सोचता था कि अगर दूसरी लड़की उसकी जिंदगी मैं आ गयी तो मेरी चुदाई अच्छे से नहीं कर पायेगा।

“मुझे अब अलग ही फ़िक्र होने लगी। मुझे लगने लगा अब वक़्त आ गया था, कि असलम को मेरी चुदाई की फ़िक्र छोड़ कर किसी अपनी उम्र की लड़की के साथ रिश्ता बनाना चाहिए।”

“असलम की उम्र अब शादी के लायक हो भी चुकी थी।”

“खुले शरीर वाला असलम, और जमा जमाया काम। असलम के लिए शादी के रिश्तों की लाइन लगी हुई थी। मगर असलम किसी लड़की के लिए हां ही नहीं कर रहा था।”

“एक बार तो मेरी और उसकी बहस भी हो गयी कि वो शादी के लिए मान क्यों नहीं रहा। उस दिन तो उसने मुझे साफ़ कह दिया, “अम्मी आप क्यों मेरी शादी के पीछे पड़ी है? अगर शादी सिर्फ चुदाई के लिए ही करनी है तो फिर आपकी चूत तो है ही – एक और चूत की क्या जरूरत है?”

“असलम बिना रुके बोलता ही जा रहा था, “और फिर अगर कोइ लड़की इस घर में मेरी बीवी बन कर आ गयी तो आपकी चुदाई कैसे होगी? कौन करेगा आपकी चुदाई? कौन ठंडा करेगा आपकी चूत की आग? कौन मजा देगा आपको? क्या आप कहीं बाहर लंड की तलाश करेंगी? यहां मेरी और आपकी चुदाई चार दीवारों के अंदर है। किसी को भनक तक नहीं कि हम दोनों में मां-बेटे के अलावा भी एक रिश्ता बना हुआ है। अगर अपने बाहर चुदाई करवाई और बात खुल गयी तो मालूम है अम्मी क्या होगा? क्या हो सकता है?”

“ये बोल कर असलम चुप हो गया लेकिन मैं गुमसुम पड़ गयी।”

“मैंने मन में सोचा तो ये कारण है असलम का शादी के लिए मना करने का, शादी के लिया हां ना करने का? मेरी चूत और चुदाई असलम की शादी के बीच में आ रही है। मुझे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा। मैं अपने आप को ही इसके लिए कुसूरवार समझने लगी।”

“मेरे और असलम की बहस में माहौल तो गरम हो ही चुका था। मैंने भी गुस्से में कह दिया, “असलम बहुत चूत चोद ली तूने अपनी अम्मी की चूत। अब बढ़ती उम्र के साथ मेरी चूत ढीली हो रही है। तेरा इतना मोटा लंड भी रगड़ कर अंदर नहीं जाता। मेरी गांड को भी तेरे इस मोटे लंड की आदत पड़ चुकी है। तू समझ नहीं रहा असलम, तेरा लंड अभी पूरी जवानी पर है। अब इसे एक सील बंद टाइट चूत और गांड चाहिए, जो एक नई लड़की के पास होती है।”

“मैं दिल से चाहती हूं कि एक नयी-नवेली नाजुक सी लड़की इस घर में तेरी बीवी बन कर आये जिसकी छोटी ्-छोटी चूचियों को तू दबाए उनको चूसे। उसकी चूत की सील तोड़े। उसकी गांड चोद-चोद कर फुला दे। दोनों अपनी जवानी भरी जिंदगी के मजे लो – जन्नत के मजे।”

“असलम, मेरा मन अब चुदाई के लिए इतना नहीं करता जितना पहले करता था। और फिर मैं कहीं जा थोड़े ही रही हूं – जब भी तेरी बीवी अपने मायके जाए, तू मुझे चोद लिया करना। मैं कोइ तुमसे चुदाई करवाने के लिए मना तो नहीं कर रही।”

नसरीन बता रही थी, “असलम मेरी बातों का कोइ जवाब ही नहीं दे रहा था। मैंने हर तरीका आजमा लिया, मगर असलम था की शादी ना करने की जिद पर अड़ा हुआ था।”

“एक दिन जब फिर ये बात छिड़ी, तो असलाम ने खुदकुशी तक करने की धमकी दे डाली। तब मुझे लगा कि मामला बहुत आगे जाता जा रहा था। इसी के चलते मैं आगरा की एक NGO के पास पहुंच गई और अब आपके सामने बैठी हूं। आप मेरी मदद करिये। आपका बड़ा एहसान होगा मुझ पर।”

इसके बाद नसरीन चुप हो गयी। नसरीन की बात पूरी हो चुकी थी।

मैंने रिमोट का बटन दबाया और क्लिक की एक आवाज के साथ टेप रिकार्डर बंद हो गया। मैंने टेप रिकार्डर में से टेप निकाल कर अपने सामने रख ली।”

नसरीन की पूरी बात सुनने के बाद ये तो समझ गयी कि मां बेटे – नसरीन और असलम की चुदाई परिवार में एक-दूसरे के लिए कुछ कर दिखाने के जज़्बे का नतीजा है।

अपने अब्बू की इंतकाल के बाद असलम से अपनी अम्मी नसरीन की उदासी देखी नहीं गयी, और उसने दुकान में काम करने वाले लड़के जमाल से अपनी अम्मी की चुदाई करवा दी।

और जब जमाल दुबई चला गया, तो अपनी अम्मी की चूत की प्यास को असलम ने अपने लंड से बुझाने की कोशिश की।

अब जब की नसरीन की उम्र बढ़ रही थी, उसकी चूत को लंड की तलब कम महसूस होती थी, और वो चाहती थी कि उसका बेटा असलम शादी करके अपना घर बसाए और एक नई श-नकोर कुंवारी लड़की के साथ टाइट चूत और टाइट गांड की चुदाई के मजे ले।

मेरी समझ में नसरीन की सोच बिल्कुल ठीक थी। तीन-चार साल पहले माँ बेटे में चुदाई वक़्त की जरूरत थी। अब वो जरूरत पूरी हो चुकी थी, और असलम को अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए था। असलम अब शादी के लायक हो गया था, और उसके लिए रिश्ते भी बहुत आ रहे थे। नसरीन चाहती थी कि असलम अब शादी कर ले।

उधर असलम कुछ अलग तरीके की सोच रखता था। असलम शादी से इस कारण इन्कार कर रहा था कि अगर उसकी शादी हो गयी तो उसकी अम्मी की चुदाई कैसे होगी – उसकी अम्मी की चूत की आग कैसे ठंडी होगी।

मुझे इसमें नसरीन ठीक लगी। नसरीन की उम्र बढ़ रही थी। नसरीन एक घरेलू औरत थी। उस तरह की घरेलू औरत जो एक बार ढलना शुरू होती हैं तो फिर पूरी तरह ढल कर ही रुकती हैं – मेरी तरह नहीं जिसने बावन में भी अपने आप को फिट रखा हुआ था, और अभी भी ऐसे चूत चटवाती थी चुदाई करवाती थी, जैसे पच्चीस की औरत चूत चटवाती है, और चुदाई करवाती है।

मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन तुम्हारी फाइल पढ़ने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंची हूं कि असलम ये सोचता है कि अगर उसकी शादी हो गयी, तो तुम्हारा जैसा ख्याल वो इस वक़्त रख यहा है, वैसा वो शादी के बाद नहीं रख पायेगा। मतलब तुम्हारी चुदाई कैसे होगी, कौन करेगा?”

नसरीन मेरी इस बात पर चुप रही, और मेरी तरफ देखती रही।

मैंने फिर नसरीन से कहा, “नसरीन मेरा तो मानना है कि अगर असलम को इस बात का यकीन हो जाये, कि उसकी शादी के बाद भी तुम ऐसे ही चुदाई के मजे लेती रहोगी जैसे अब ले रही हो, तुम्हारी चूत को लंड की कमी महसूस नहीं होगी, तुम्हारी चूत में ऐसे ही लंड जाता रहेगा, तो हो सकता है वो शादी केलिए हां कर दे।”

नसरीन ने बीच में ही मुझे टोकते हुए कहा, “मालिनी ये आप क्या कह रही हैं? मुझे तो मेरी जमाल के साथ और असलम के साथ चुदाई भी एक हादसे की तरह लगती है। मैं किसी और मर्द से चुदाई करवाने का सोच भी नहीं सकती। मुझे तो कभी-कभी जमाल और असलम के साथ चुदाई का भी अफ़सोस होने लगता है।”

मैंने नसरीन के हाथ पर हाथ रख कर कहा, “नसरीन तुम्हें कौन कह रहा है किसी और से चुदाई करवाने के लिए?”

नसरीन बोली, “तो फिर आप ये जो ” नसरीन ने बात बीच में ही छोड़ दी।

मैंने ही कहा, “देखो नसरीन जब तक जमाल का लंड तुम्हारी चूत में नहीं गया था तब तुम किसे चूत का मजा लेती थी? कैसे अपनी चूत का पानी छुड़ाती थी? तब तक तुम उस पैन के कवर को चूत में डाल कर मजा लेती थी। यही बात है ना?”

नसरीन ने हां में सर हिलाया।

मैंने फिर कहा, “अब जरा सोचो अगर उस पैन के कवर की जगह बिल्कुल लंड जैसा हूबहू ही कुछ मिल जाये तो?”

नसरीन ने बस “जी मैं समझी नहीं” ही कहा।

मैंने नसरीन को हाथ पकड़ कर उठाते हुए कहा, “नसरीन चलो मैं तुम्हें कुछ दिखाती हूं।”

मैं नसरीन को लेकर क्लिनिक के साथ लगे कमरे में ले गयी। नसरीन को सोफे पर बिठा कर मैं भी नसरीन के पास ही बैठ गयी और बोली, “नसरीन क्या तुम जानती हो मेरी उम्र 52 साल की है और मैंने अब तक शादी नहीं की?”

नसरीन हैरान हुई और बोली, ” मालिनी जी मुझे तो ये सब नहीं पता कि आपने अब तक शादी नहीं की। लेकिन अगर आप 52 की हैं भी तो भी आप लगती तो नहीं। आप तो अब भी जवान ही दिखती हैं। आपके चेहरे का नूर और आपकी तंदरुस्ती भी बता रही है कि आपको किसी चीज की कमी नहीं, मेरा मतलब वो जो आपने मुझसे कहा था चुदाई की कमी। चूत में लंड जाने की कमी।”

मैंने नसरीन से हंसते हुए कहा, “तुमने सही समझा है नसरीन। मुझे ना चुदाई की कमी है, ना चूत में लंड जाने की कमी। जहां तक चुदाई का सवाल है, मैंने जवानी में खूब चुदाई करवाई है। यहां तक कि मुझे मर्द के लंड के लिए कभी शादी की जरूरत महसूस नहीं हुई।”

“जब बढ़ती उम्र के साथ मर्दों से चुदाई की इच्छा और मर्द के लंड की ठरक कम होने लगी तो मैंने नकली लंड का सहारा लिया। रबड़ के लंड का – जिनका आज कल खूब चलन है।”

मैं बोल रही थी और नसरीन सुन रही थी, “कालेज के हॉस्टलों में ठहरने वाली लड़कियां, किट्टी पार्टियों में औरतें ऐसी पार्टियों में खूब इस्तेमाल करती हैं इनका। ये कई तरह के होते हैं ये रबड़ के लौड़े। चूत में लेने वाले। गांड में लेने वाले और चूत और गांड दोनों में इकट्ठा लेने वाले।”

मैं जब ये सब बता रही थी तो नसरीन अपनी चूत खुजला रही थी।

वैसे तो जिस बारीकी से नसरीन ने अपनी बशीर, जमाल और असलम के साथ हुई चुदाई की बातें बताई थी, मेरी तो अपनी चूत भी गीली हुई पड़ी थी।

मैंने पूछा, “नसरीन देखोगी?”

नसरीन के जवाब का इंतजार किये बिना मैं उठी और अपने ड्रेसिंग टेबल की दराज में से दो बक्से ले आयी।

एक में एक मोटा लंड और एक उंगली की तरह का खिलौना था और दूसरे में अंग्रेज़ी के शब्द C की तरह दिखने वाला खिलौना था, जिसके एक हिस्सी के आखिर में उंगली की तरह का लगभद ढाई इंच लम्बा सा कुछ लगा हुआ था।

मैंने जब बक्से खोल कर ये खिलौने नसरीन को दिखाए, तो नसरीन ये खिलौने देख कर हैरान हो गयी। घरेलू औरत नसरीन शायद ये पहली बार देख रही थी।

या शायद जमाल की दी हुई मैग्ज़ीनों में या फिर उन चुदाई की फिल्मों में ही अब तक देखे होंगे।

नसरीन ने उंगली की तरह का खिलौना उठाया और उसे उलट-पुलट कर देखने लगी। नसरीन को लगता था समझ नहीं आया कि ये क्या था। नसरीन मेरी तरफ देखने लगी।

मैंने नसरीन के हाथ से वो खिलौना ले लिया और बोली, “नसरीन नहीं समझ आया ये क्या है?”

नसरीन ने ना में सर हिला दिया। मैंने कहा, “मैं बताती हूं, इस उंगली की तरह की चीज का ये हिस्सा देखो।”

वो एक वो गोल सा हिस्सा था जो अंदर की तरफ दबा सा हुआ था।

मैंने नसरीन को कहा, “नसरीन अब अपने हाथ के उंगली इस दबे हुए हिस्से पर रखो।”

नसरीन ने ऐसा ही किया। मैंने खिलौने के नीचे की हिस्से से एक बटन दबाया तो खिलौने का आगे का हिस्सा ऐसे हरकत करने लगा, जैसे नसरीन की उंगली चूस रहा हो।

नसरीन ने मेरी तरफ देखा, जैसे उसे समझ नहीं आया था।

मैंने कहा, “अब जरा सोचो नसरीन जहां तुम्हारी उंगली है वहां तुम्हारी चूत का दाना हो तो?”

नसरीन के मुंह से निकला, “अल्लाह ये तो बड़ा ही मजा देगा।”

मैंने कहा “हां नसरीन बड़ा मजा देगा।” फिर मैंने नसरीन को मोटा लंड दिखाया। नसरीन को वो तो समझ आ ही गया। आखिर नसरीन बशीर, जमाल और असलम के लंड ले ही चुकी थी।

फिर नसरीन ने C की तरह का खिलौना उठाया और मेरी तरफ देखते हुए बोली, “और मालिनी जी ये?”

मैंने कहा, “नसरीन ये गांड, चूत और चूत के दाने की, तीनो की खातिरदारी करता है – वो भी इक्क्ठे।”

नसरीन के मुंह से बस यही निकला, “कमाल है।” और नसरीन ने फिर अपनी चूत खुजलाई।

मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन ले कर देखने हैं?”

नसरीन हैरानी से बोली, “जी?”

मैंने नसरीन की चूत की तरफ इशारा करके कहा, “अरे नसरीन मैंने पूछा लेने हैं इसमें?”

नसरीन का चेहरा गुलाबी हो गया। कुछ पल चुप रहने के बाद नसरीन ने फिर से चूत खुजलाई मगर बोली कुछ नहीं।

ये एक तरह से नसरीन की हां थी। मैंने फिर नसरीन को टटोला, “बोलो नसरीन लेकर देखने हैं?”

नसरीन ने फिर दुबारा अपनी चूत खुजलाई और इस बार बोली, “जैसी आपकी मर्जी मालिनी जी।”

लग ही रहा था नसरीन की चूत गरम थी। ये कह कर नसरीन अपनी सलवार का नाड़ा खोलने लगी।

नसरीन जब अपनी सलवार का नाड़ा खोल रही थी, तो मैंने नसरीन से पूछा, “नसरीन एक बात पूछूं?”

नसरीन बोली, “पूछिए मालिनी जी।”

“नसरीन, बशीर जमाल और अब असलम, तीनों तुम्हारी चूत चूसते थे और खूब चूसते थे। असलम तो अभी भी चूसता है। तुमने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्या होता है चूत में? क्या निकलता है औरत की चूत में से जो मर्दों को इसकी चुसाई में इतना मजा आता है जो वो अक्सर हर चुदाई से पहले वो चूत जरूर चूसते है?”

नसरीन बोली, “मालिनी जी आपकी बात तो बिल्कुल ठीक है। कुछ तो होगा ही चूत चुसाई में। बशीर जमाल और असलम ये तीनों ही जब भी मुझे चोदते थे खूब चूत चूसते थे। असलम को तो एक बार मेरी चूत चूसने के बाद चूत चूसने का चस्का ही लग चुका है। जब तक वो एक बार मेरी चूत चूस ना ले उससे ढंग से मेरी चुदाई ही नहीं होती।”

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