Bhabhi ki chut ka ras

हेलो दोस्तो!

मैं शाश्वत आप सभी का मेरी कहानी में स्वागत करता हूं। आशा है कि आप सभी को यह कहानी पसंद आयेगी। और आपके लन्ड और चूत का पानी निकाल देगी।

सुरु करने से पहले मैं थोड़ा अपने बारे में बता दू की मेरी उम्र 23 साल है। मैं एक मस्त लड़का हूं और मेरे लन्ड का साइज 6.7 इंच है। किसी भी लड़की, आंटी या भाभी को कोई भी आवश्कता हो तो वो बेझिझक मुझसे संपर्क कर सकती हैं। और जो भाई अपनी पत्नी के लिए कोई मदद चाहते हो तो वो भी मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
आपकी गोपनीयता मेरी जिम्मेदारी होगी। क्युकी प्राइवेसी इज पॉलिसी।

ये बात करीब एक साल पहले की है। मैं बाहर शहर में रह कर पढ़ाई कर रहा था। तभी घर से फोन आया कि जल्दी से घर आ जाओ तुम्हारी भाभी को बेबी होना है। यहां मैं आप को बता दूं कि मेरे घर में मां पिता जी भैया भाभी और मैं रहते हैं। भैया मुंबई में काम करते है तो वह घर से बाहर मुंबई में रहते थे। तो काम ज्यादा होने और छुट्टी ना मिलने के कारण भैया भाभी की डिलीवरी करवाने ना आ सके।

पहले मैं आप सब को इस कहानी की हीरोइन अपनी पंखुड़ी भाभी से मिलवा देता हूं। पंखुड़ी भाभी की उम्र तब 24 रही होगी। पंखुड़ी भाभी एक नंबर की पटोला माल है। उनका गोरा जिस्म मस्त फिगर। जरा भी चर्बी नही है उनकी बॉडी पे। पतली कमर उभरी हुई गांड़ और मस्त मुलायम चूचे। पूरी जहर लगती है भाभी। उनको देख कर अच्छे अच्छों का ईमान डोल जाए ऐसा मस्त फिगर है भाभी का।

तो वापस स्टोरी पर आते है। तो उस समय भाभी को बेबी होने वाला था और घर पे भैया भी नही थे भाभी को हॉस्पिटल ले जाने को।तो मुझे घर से फोन आया और मैं घर के लिए निकल गया और शाम तक घर भी पहुंच गया। चुकी भाभी की डिलीवरी डेट कुछ ही दिनों में थी और उनको थोड़ा दर्द भी शुरू हो गया था तो जाते ही मैने चार पहिया गाड़ी का इंतजाम कर लिया ताकि अगर रात में जाना हो तो दिक्कत ना हो।

घर में मां भाभी के रूम में थी और भाभी अपने बेड पर लेटी थी। खैर मैने खाना खाया और रात में भाभी से बाते कर के अपने रूम में सो गया। जैसा मैने सोचा था वैसा ही हुआ रात में भाभी का दर्द बढ़ गया तो मै भाभी और मां को गाड़ी में बिठा कर शहर के हॉस्पिटल की ओर निकल पड़ा। रास्ते में भाभी की दर्द भरी चीखों से बुरा भी लग रहा था और भाभी की साड़ी ऊपर हो जाने की वजह से उनकी नंगी चिकनी जांघ देख कर अच्छा भी लग रहा था।

खैर जल्द ही हम हॉस्पिटल पहुंच गए। भाभी को प्यारा सा बेबी हुआ। जिससे हम सभी बहुत खुश हुए। पर डॉक्टर ने बताया की भाभी को कुछ दिक्कत होने की वजह से कुछ दिनों तक हॉस्पिटल में ही रहना होगा। फिर अगली सुबह मै मां को गांव छोड़ आया क्युकी वहा भी काम और खाना बनाना होता था। और बोल दिया की मैं भाभी के साथ हॉस्पिटल में रह लूंगा।

फिर मैं अंदर रूम में जा कर पंखुड़ी भाभी से मिला तो बिखरे बालो में वो कमाल की लग रही थी। भाभी बहुत खुश थी। दिन भर मैं भाभी के साथ ही रहा हमने खूब बात भी की और हसीं मजाक भी किया। इस बीच भाभी ने मुझे बताया की उन्हें अभी भी नीचे बहुत दर्द हो रहा है।

खैर शाम को डॉक्टर साहिबा आई तो उन्होंने बताया की भाभी की चूत से ब्लीडिंग हो रहा है तो उनका छोटा ऑपरेशन करना होगा। ऑपरेशन का सुन कर मैं डर गया और उन्हें बोला की दवा से नही ठीक होगा क्या। तो इसपर डॉक्टर साहिबा थड़ा चिढ़ गई और मुझे शायद वो भाभी का हसबैंड ही समझ रही थी तो वो मुझे भाभी के पास लाई और भाभी की कपड़े को एकबार में भाभी के टांगो के ऊपर कर दिया जिससे भाभी मेरे सामने नीचे से नंगी हो गई।

भाभी की बड़ी सी लाल चूत मेरे आंखों के सामने आ गई। मेरे तो होश ही उड़ गए और मैं बस भाभी की चूत को ही देखता रह गया। इस सब से भाभी की भी नींद खुल गई और खुद को ऐसे मेरे सामने नंगा देख कर वो भी घबरा गई और पूछा क्या हुआ। तो डॉक्टरनी ने बोला की मैं आपने हसबैंड को समझा रही थी की अपनी ब्लीडिंग ठीक करने के लिए छोटा ऑपरेशन करना होगा।

तो यह सुन कर भाभी भी थोड़ी शांत हुई और उन्होंने मुझे देखा तो मै तो एकटक उनकी चूत को ही घूर रहा था। फिर मैंने डॉक्टर साहिबा को बोल दिया जैसा आपको सही लगे कर दीजिएगा। फिर डॉक्टरनी चली गई इधर भाभी उठ कर अपना कपड़ा नीचे करने की कोशिश कर रही थी ताकि उनकी चूत छुप जाए।

ये देख कर मैं खुद जा कर भाभी की चूत ढक दिया। फिर भाभी मुझसे नजर नही मिला पा रही थी तो मैने ही कहा कोई बात नही भाभी सरमाओ नही मैं आपका देवर ही तो ही और वैसे भी देवर भी तो आधा पति ही होता है। यह सुन कर भाभी भी हसने लगी।

जब से मेने भाभी की चूत देखी थी तब से ही मेरे दिमाग में भाभी की चूत घूम रही थी। और मेरा लोड़ा भी खड़ा था। और मेरा मन कर रहा था की अभी ही भाभी को चोद दू। पर फिर ऐसे ही रात हो गई। मैं बाहर से खाना ले कर आया तो अंदर भाभी बेबी को अपने नंगे चूचे से दूध पिला रही थी।

भाभी की दुधारू मस्त मुलायम चूची देख कर मेरा और जोर से खड़ा हो गया। इस बार भाभी भी जरा भी नही सरमाई और मेरे सामने ही बेबी को दूध पिलाती रही। फिर उसके बाद मैं भाभी के बेड के पास ही गया और अपने हाथो से भाभी को खाना खिलाया। भाभी को खाना खिलाते वक्त उनकी मस्त लाल होंठ जब भी छू जाता था तो मेरे अंदर करेंट दौड़ जाता था।

खैर पूरे 1 हफ्ते हम वही रहे और इस बीच मैंने भाभी का खूब खयाल रखा। जिससे भाभी न केवल मुझसे अच्छे से खुल चुकी थी बल्कि उनकी आंखो में मुझे अपने लिए प्यार भी दिखाने लगा था।

अब हम सब घर आ चुके थे। फिर भी भाभी को कुछ दिनों तक आराम करने को बोला गया था। अब सारा दिन तो ऐसे ही बीत गया फिर रात को घर में सिर्फ मै और भाभी बचे थे। सारा दिन बाहर घूमने के बाद जब मैं घर में भाभी से मिलने पहुंचा तो भाभी प्यार से गुस्सा होते हुआ बोली

देवर जी कहां थे सारा दिन अपनी भाभी का तो आपको जरा भी खयाल नही है ना , जानते हैं कितना याद कर रही थी आपको सुबह से।

मैने भी कहा – अच्छा जी हमे याद किया जा रहा था। और ये बोलते हुए मैं भाभी के बगल में ही बेड पर बैठ गया और भाभी के सर में प्यार से हाथ फेरने लगा। और बोला ख्याल तो आपका बहुत मेरी प्यारी भाभी।

फिर मेरी नजर भाभी की ब्लाउज में बंद मस्त नरम नरम चुचियों पर गई। इस समय भाभी की साड़ी का पल्लू नीचे हो गया था तो भाभी का नंगा पेट और ब्लाउज में कैद चूची मेरे सामने थी।

भाभी ने भी मुझे उनकी चूची को घूरते हुए देख लिया। और बोली

क्या देख रहे हो देवर जी

मैने कहा क्या भाभी इतना ही देखने में तुम शर्मा गई अब तो मत शरमाओ ना अब तो आपका बहुत कुछ देख चुका हु। ( ये मैने भाभी की चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा )

भाभी – धत्त पागल
तो मैने फिर भाभी से बोला यार भाभी आपका ब्लाउज थोड़ा गीला हो गया है वही देख रहा था।

तो भाभी ने बताया की अरे बेबी ने उनका दूध पिया नही ज्यादा तो उनका दूध चुचियों में भर गया है और दर्द भी कर रहा है सो उसी वजह से गीला हो गया।

बस भाभी इत्ती सी बात मैं ठीक कर देता हु आपका दर्द और ये बोलते हुए मैने अपनी भाभी की मस्त मुलायम चुचियों पर हाथ रख दिया। इस तरह अचानक से भाभी थोड़ा चौक गई और बोली क्या कर रहे हो। तो मैने भी कहा क्या भाभी अब मुझसे क्या शर्माना , और वैसे भी मुझसे आपका दर्द देखा नही जाता है। और ये बोल कर मैने भाभी की नरम चूची को धीरे से दबा दिया। जिससे भाभी के मुंह से हल्की सी आह निकली और वो बस देवर जी बोल पाई फिर वो भी चुपचाप मजा लेने लगी।

अब मै भाभी की चुचियों को धीरे धीरे अपने दोनो हाथो से दबा रहा था। जिससे भाभी के चूची से और भी दूध रिसने लगा। जिसे देख कर मैने कहा भाभी आपको ऐसे तो आराम नही मिलने वाला आपकी चुचियों का दूध खाली करना पड़ेगा। और ये बोल कर मैने भाभी के ब्लाउज की हूक खोलने लगा। इस बार पंखुड़ी भाभी भी कुछ नही बोली बस मेरी आंखों में प्यार से देखा।

अब मैंने भाभी का ब्लाउज उतार दिया था। भाभी मेरे सामने ऊपर से नंगी हो चुकी थी। क्या बताऊं दोस्तो भाभी की चूचियां क्या कमाल की थी। ऊपर से उनकी चुचियों में दूध भरे होने की वजह से वो टाइट और तनी हुई थी।

मेने अब भाभी को नंगी चूचियों को दबाना शुरू किया तो भाभी की चूची से सफेद दूध बह निकला जिसे मैंने अपनी हथेलियों में ले कर पी लिया। क्या मस्त मीठा स्वाद था भाभी के दूध का।

अब मेरा लोड़ा पूरा खड़ा हो चुका था और मुझसे और कंट्रोल नही हो रहा था तो मैने अपना मुंह अपनी प्यारी भाभी के चूची के निप्पल पर लगा दिया। और उनके बोबे दबाते हुए और चूसते हुए उनका दूध पीने लगा। बीच बीच में भाभी के निप्पल में थोड़ा काट भी लेता था। जिससे भाभी की शिश्कारी आह…. आउच…. निकल जाता था। मेरे इस तरह दूध पीने से भाभी की चूत भी गरम हो गई थी और वो अपनी दोनो पैर को आपस में रह रह कर रगड़ रही थी। थोड़ी ही देर में भाभी अचानक से अकड़ने लगी और एक आह… के साथ झड़ गई।

मैने भी भाभी का सारा दूध पी कर भाभी की दोनो चूचियां खाली कर दी।

फिर मैंने पूछा आराम मिला भाभी तो वो बोली हां अब दर्द खत्म हो गया फिर मैं वही रात में भाभी की चुचियों से खेलते हुए उनके साथ ही सो गया।

तो दोस्तो यह थी मेरी कहानी। उम्मीद करता हु आप सब को पसंद आई होगी। अगर आपका लन्ड या चूत इसे पढ़ कर सुलग गए हो तो कृपया मुझे मेल कर के जरूर बताएं। बाकी मैं आप सब को भाभी की चुदाई की भी कहानी बताना चाहूंगा। अगर आपका अच्छा रिस्पॉन्स आया तो। खास तौर से लड़कियों का भी।

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