पिछला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-3
मैं सुहागरात पर अपनी बीवी की गांड चुदाई करने वाला था, और उसने मुझे लंड पर तेल लगाने को कहा। अब आगे-
फिर मैं उठा। पलंग के रखे साइड टेबल पर नारियल का तेल रेखा हुआ था, मानो भाभी जानती हो कि आज मुझे इसकी ज़रूरत पड़ेगी। फिर मैं तेल की बोतल उठा कर रानी को देते हुआ बोला-
मैं: मेरी जान, ये लो खुद ही तेल लगा दो मेरे इसे औजार पर।
रानी तोड़ा शरमाई और मना करते हुए बोली-
रानी: आप खुद से ही लगा लो। मुझे शर्म आती।
मैं: बोला अरे मेरी जान, अगर तुम नहीं लगाओगी तो मैं फिर ऐसे ही अपना लंड तुम्हारे छेद मैं डाल दूँगा।
मेरे ऐसे बोलने पर रानी ने डर के मारे तेल की बोतल उठा कर, अपने दोनों हाथो में तेल लेके, मेरे लंड पर लगाने लगी। उफ़ क्या आनंद मिल रहा था। उसने तेल खूब अच्छे से मेरी लंड पर लगा दिया। फिर मैंने तेल की बोतल लेके उसकी गांड पर भी लगा दिया, ताकि जब मैं अपना लंड उसकी गांड मैं डालूं तो वो चिकनाई होने के कारण उसकी गांड में चला जाए और उसे दर्द थोड़ा कम हो। उसके बाद मैंने उसकी गांड के छेद पर अपने लंड का सुपारा रखा, उससे कहा-
मैं: अब तुम अपना मुँह जोर से दबा लो, जिससे तुम्हारे मुँह से चीख ना निकले।
उसने कहा: ठीक है, मैं दबा लेती हूं। लेकिन आप बहुत धीरे-धीरे घुसाना।
मैंने कहा: हां, मैं बहुत धीरे ही घुसाऊंगा।
उसने अपने हाथों से अपने मुँह को दबा लिया। मैंने थोड़ा सा ही जोर लगाया था कि वो जोर से चीख पड़ी। मेरे लंड का सुपारा भी अभी ठीक से उसकी गांड में नहीं घुस पाया था कि वो रोने लगी।
वो बोली: मुझे छोड़ दो, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा: दर्द तो होगा ही। तुम अपना मुँह जोर से दबा लो।
उसने अपना मुँह फिर से दबा लिया, तो मैंने इस बार कुछ ज्यादा ही जोर लगा दिया। वो दर्द से तड़पते हुए जोर-जोर से चीखने लगी: उई माँ भाभी, बचा लो मुझे, नहीं तो मैं मर जाऊंगी।
इस बार मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड में घुस गया था। उसकी गांड से खून निकल आया था। वो इतने जोर-जोर से चीख रही थी कि मैं थोड़ा सा डर गया। मैंने एक झटके से अपना लंड बाहर खींच लिया। पुक्क़ की आवाज के साथ मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड से बाहर आ गया।
मैंने उसे चुप कराते हुए कहा: अरे मेरी प्यारी बीवी। रानी, मेरी जान। अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी, तो काम कैसे बनेगा?
वो बोली: मैं क्या करूं, मुझे बहुत दर्द हो रहा था।
मैंने कहा: थोड़ा सब्र से काम लो। फिर सब ठीक हो जायेगा। अब तुम अपना मुँह दबा लो, मैं फिर से कोशिश करता हूं।
उसने अपना मुँह दबा लिया, तो मैंने फिर से अपने लंड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर रख दिया। उसके बाद मैंने उसकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उसे जोर से पकड़ लिया। फिर मैंने पूरी ताकत के साथ जोर का धक्का दे मारा। वो बहुत जोर-जोर से चिल्लाने लगी। वो मेरे नीचे से निकलना चाहती थी, लेकिन मैंने उसे बुरी तरह से जकड़ रखा था। मेरा लंड इस धक्के के साथ उसकी गांड में 3″ तक घुस गया।
वो जोर-जोर से चिल्लाते हुए भाभी को पुकारने लगी: भाभी, बचा लो मुझे… नहीं तो ये मुझे मार डालेंगे… बहुत दर्द हो रहा है।
तभी कमरे के बाहर भाभी आई और बोला: नंदोई जी, क्या हुआ सब ठीक तो है? रानी इतना क्यों चिल्ला रही है?
मुझे पता नहीं कि मैं भाभी को इसे बात का जवाब क्या देता, कि मेरी भोली बीवी क्यूँ चिल्ला रही थी? लेकिन भाभी बार-बार पूछ रही थी कि क्या हुआ हम दोनों ठीक तो है। रानी क्यूँ चिला रही है। फिर मुझे लगा भाभी अकेले बाहर हम दोनों के बारे में सोच के परेशान हो रही होगी और रानी भी चिल्ला रही थी, और रो भी रही थी। तो मैं भाभी के सवालों का जवाब देते हुआ बोला-
मैं (शरमाते हुआ बोला): मैं अपना औजार अन्दर घुसा रहा था। लेकिन ये मुझे घुसाने ही नहीं दे रही है। बहुत चिल्ला रही है।
भाभी ने कहा: नंदोई जी आप दोनो बाहर आ जाओ। मैं रानी से बात कर उसे समझा देती हूं।
फिर मैं उठा और मैंने लुंगी पहन ली और रानी से कहा: बाहर चलो, भाभी बुला रही हैं।
वो उठना चाहती थी, लेकिन उठ नहीं पा रही थी। मैंने उसे सहारा दे कर खड़ा किया। उसने केवल अपनी साड़ी बदन पर लपेट ली। मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया। वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
भाभी ने रानी से पूछा: इतना क्यों चिल्ला रही थी?
वो रोते हुए भाभी से कहने लगी: ये अपना औजार मेरे छेद में घुसा रहे थे, इसलिए मुझे बहुत दर्द हो रहा था।
भाभी ने कहा: पहली-पहली बार दर्द तो होगा ही। सभी औरतों को होता है। ये कोई नई बात थोड़े ही है।
मुझसे भाभी ने कहा: नंदोई जी इसलिए मैंने बोला था तोड़ा संभाल कर करना।
मैंने कहा: भाभी मैं संभाल कर ही कर रहा था। मैं अपने औजार पर तेल भी लगा कर धीरे-धीरे ही घुसाने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया और मेरे औजार का टोपा इसके छेद में घुसा, कि ये जोर-जोर से चिल्लाने लगी। इसके चिल्लाने से मैं डर गया और मैंने अपना औजार बाहर निकाल लिया। उसके बाद मैंने इसे समझाया, तो ये राजी हो गई। मैंने फिर से कोशिश की, तो रानी फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगी। जबकि अभी मेरा औजार केवल जरा सा ही अन्दर घुस पाया था। तभी आपने हम दोनों को बुला लिया और हम बाहर आ गए।
भाभी ने कहा: इसका मतलब अभी तक आपने कुछ भी नहीं किया?
मैंने कहा: बिल्कुल नहीं, आप चाहो तो रानी से पूछ लो।
भाभी ने रानी के तरफ देखा उसने अपना सिर हां में हिला दिया। भाभी ने रानी से कहा: तुम कमरे में जाओ। मैं नंदोई जी को समझा बुझा कर भेजती हूं।
रानी कमरे में चली गई।
भाभी ने मुझे समझाते हुए कहा: इस बार आप तोड़ा धीरे-धीरे उसके छेद में घुसाना, नहीं तो मैं आपको मारूंगी।
मैंने हंस कर कहा: मैं तो बहुत धीरे-धीरे ही घुसा रहा था, लेकिन इसका छेद भी बहुत छोटा सा है।
भाभी ने कहा: फिर तो ऐसे काम नहीं बनेगा। आप रानी के साथ थोड़ी सी जबरदस्ती करना, लेकिन ज्यादा जबरदस्ती मत करना। ये अभी कमसिन उम्र की है, इसलिए इसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।
इतना कह कर भाभी मुस्कुराने लगी।
मैंने कहा: ठीक है भाभी मैं समझ गया इस बार मैं धीरे-धीरे कोशिश करूँगा।
कहानी जारी है…
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