मैं: आंटी आपका बेटा अब पूरी तरह मेरे कब्जे में है। अब आपको हमें चुदाई करते हुए रंगे हाथ पकड़ना है, ताकि हम भी उसके सामने खुल कर चुदाई कर सके।
आंटी: ठीक है।
मैं: आज रात छत पर उसके पीछे ही आ जाना, और जब मैं उसकी गांड में लंड डालू, तो हमें पकड़ लेना।
आंटी: ठीक है।
फिर मैंने शाम को पंकज को छत पर बुलाया, और जैसे ही उसकी गांड में लंड डाला, आंटी ने नाटक करते हुए हमें पकड़ लिया। पंकज बहुत डर गया, और मैं भी डरने का नाटक करने लगा।
फिर आंटी उसको बोली: हरामजादे, तू ये गुल खिला रहा है! रुक मैं तेरे पापा को अभी तेरी हरकतें बताती हूं।
ये बोल कर आंटी नीचे चली गई।
पंकज मुझे बोला: यार मां को समझा लो प्लीज। अगर पापा को पता चल गया, तो मुझे घर से निकाल देंगे।
मैं: यार मैं समझा तो लूं, लेकिन अगर इसके लिए मुझे उनके साथ कुछ करना पड़ा, तो क्या तू इसकी इजाजत देगा?
पंकज: क्या करना पड़ेगा तुझे?
मैं: देख तेरी मम्मी अकेली है, क्योंकि पापा बाहर रहते है। तेरी मम्मी को भी कोई मर्द चाहिए होगा ना। तो अगर मैं उसको पटा लूं, तो वो किसी को कुछ नहीं कहेंगी, क्योंकि वो खुद भी तो वहीं काम कर रही होंगी।
पंकज को मेरी बात समझ में आ गई, और उसने हां बोल दी। बस यहीं तो मैं सुनना चाहता था। फिर मैंने उसको वहीं रुकने को बोला, जब तक मैं ऊपर नहीं आ जाता। उसके हां बोला, और वहीं सीढ़ियों पर बैठ गया।
मैं नीचे गया, और आंटी के कमरे में गया। आंटी ने मुझे इशारे से पूछा कि क्या पंकज मेरे साथ था? तो मैंने उनको इशारे से ना बोल दिया। आंटी खुश हो गई, और मेरे पास आके मेरे गले से लग गई। आंटी ने सिल्क का पिंक रंग का गाउन पहना हुआ था, जिसमें से उनके जिस्म कर हर उभार दिख रहा था। नीचे उन्होंने सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनी थी।
जब आंटी मेरे गले लगी, तो मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने आंटी को कस कर अपनी बाहों में भर लिया, और उनकी गर्दन पर किस्स करने लगा। क्या मस्त बदन था उनका, सारे का सारा चूमने लायक। गर्दन पर किस्स करते हुए हम दोनों के होंठ मिले, और आज पहली बार मैं आंटी के रसीले होंठों का रस चूस रहा था। आंटी भी मेरा पूरा साथ देने लगी।
किस्स करते हुए मैंने आंटी का गाउन पीछे से उठाया, और पैंटी के ऊपर से उनकी मोटी गांड मसलने लगा। इससे आंटी और उत्तेजित होने लगी, और ज्यादा जोश से किस्स करने लगी।
कुछ देर किस्स करने के बाद हम अलग हुए। फिर मैंने आंटी के गाउन को सामने से खोल दिया, और उसको नीचे गिरा दिया। अब आंटी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। भरा हुआ उनका बदन एक-दम बवाल लग रहा था। मैंने आंटी को धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया, और उनकी नंगी जांघों को चूमने लगा। वो मदहोश हो रही थी।
फिर मैं उनकी पैंटी को चूत वाली जगह से चाटने लगा। उनकी पैंटी मेरी थूक और चूत के पानी से गीली हो चुकी थी। उसके बाद धीरे से मैंने आंटी की पैंटी उतार दी, और अब उनकी चिकनी चूत मेरे सामने थी। दोस्तों हर औरत की चूत को देखने और उसको चोदने का अलग ही मजा होता है। मैंने उनकी चूत को देखते ही उस पर अपना मुंह लगा लिया, और उसको चाटने लगा।
आंटी के मुंह से आह आह की आवाजें निकलने लगी, और सांसे तेज़ होने लगी। उन्होंने अपने हाथ को मेरे सर पर रखा, और उसको चूत में दबाने लगी। उनकी चूत का पानी बहुत स्वादिष्ट था। कुछ देर चूत चूसने के बाद मैं ऊपर गया, और उनकी ब्रा से उनके चूचे आजाद किए। उनके चूचे बहुत विशालकाय थे। उनको देखते ही मैं पागल हो गया, और दबा-दबा कर चूसने लगा।
फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और उनके ऊपर आके उनके होंठ चूसने लगा। होंठ चूसते हुए मेरा लंड नीचे उनकी चूत पर टकरा रहा था। तभी आंटी मुझे उनको चोदने के लिए बोलने लगी। मैंने जरा भी देर नहीं की, और लंड हाथ में लेके चूत पे सेट कर लिया। फिर मैंने जोर का धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। आंटी दर्द के मारे चीखने लगी, लेकिन मैं लंड पेलता गया चूत में।
पहले-पहले आंटी को दर्द हो रहा था, लेकिन फिर उनकी चूत के पानी से चिकना हो कर लंड आराम से उनके अंदर-बाहर होने लगा। अब आंटी ने मुझे बाहों में भर लिया, और आह आह करके चुदने लगी। मैं आंटी के होंठ, चूचे, गर्दन सब मजा लेकर चूस रहा था। तकरीबन 15 मिनट मैंने आंटी की चूत को जम के चोदा। इस बीच वो 2 बार झड़ गई। फिर मैंने अपना लंड निकाला, और पिचकारी उनके ऊपर निकाल दी।
उसके बाद मैं वापस ऊपर चला गया, और पंकज को बोला-
मैं: पंकज तेरी मम्मी मान तो गई है। लेकिन इसके लिए मुझे उसको चोदना पड़ा। मुझे माफ करना। उन्होंने ये भी कहा कि जब तक मैं उनकी चुदाई करता रहूंगा, वो अपना मुंह बंद रखेंगी।
पंकज मेरे गले लग कर बोला: माफी तो मुझे तुझसे मांगनी चाहिए, जो मेरी वजह से तुझे मेरी मां को भी चोदना पड़ा।
ये सुन कर मैं खुश हो गया। अब दोनों मां बेटा मेरे गुलाम थे। मैं जब चाहे उनकी चुदाई करता था, और अभी भी करता हूं।
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