गोकुलधाम सोसाइटी की नई दास्तां-4

पिछला भाग पढ़े:- गोकुलधाम सोसाइटी की नई दास्तां-3

तप्पू अपने कमरे में अकेला बैठा है। उसका मन बेचैन है, और वो बार-बार अपने कॉलेज के उस दिन को याद कर रहा है। कमरे की खामोशी में उसकी सांसें तेज चल रही हैं। उसकी मेज पर बायोलॉजी की किताब खुली पड़ी है, जिसमें रिप्रोडक्शन चैप्टर के कुछ पन्ने मुड़े हुए हैं। तप्पू का ध्यान बार-बार अपनी नई टीचर, सनी मैम, की ओर जा रहा है।

उधर, हॉल में चंपक खड़ा है, अपने विचारों में खोया हुआ। उसे तप्पू की हालत देख कर चिंता हो रही है। वो समझ रहा है कि तप्पू अब उस उम्र में पहुंच चुका है, जहां हार्मोन्स और भावनाएं उथल-पुथल मचाती हैं। चंपक धीरे-धीरे तप्पू के कमरे की ओर बढ़ता है।

कमरे के बाहर पहुंच कर चंपक रुकता है। वो एक गहरी सांस लेता है और फिर हल्के से दरवाजा खटखटाता है।

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