पिछला भाग पढ़े:- गोकुलधाम सोसाइटी की नई दास्तां-3
तप्पू अपने कमरे में अकेला बैठा है। उसका मन बेचैन है, और वो बार-बार अपने कॉलेज के उस दिन को याद कर रहा है। कमरे की खामोशी में उसकी सांसें तेज चल रही हैं। उसकी मेज पर बायोलॉजी की किताब खुली पड़ी है, जिसमें रिप्रोडक्शन चैप्टर के कुछ पन्ने मुड़े हुए हैं। तप्पू का ध्यान बार-बार अपनी नई टीचर, सनी मैम, की ओर जा रहा है।
उधर, हॉल में चंपक खड़ा है, अपने विचारों में खोया हुआ। उसे तप्पू की हालत देख कर चिंता हो रही है। वो समझ रहा है कि तप्पू अब उस उम्र में पहुंच चुका है, जहां हार्मोन्स और भावनाएं उथल-पुथल मचाती हैं। चंपक धीरे-धीरे तप्पू के कमरे की ओर बढ़ता है।
कमरे के बाहर पहुंच कर चंपक रुकता है। वो एक गहरी सांस लेता है और फिर हल्के से दरवाजा खटखटाता है।
चंपक: जेठिया का बेटा, दरवाजा खोल। दादा से बात कर ले। कोई बात नहीं है। कुछ नहीं छुपाना।
तप्पू हिचकिचाता है। उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा है। वो बेड पर बैठा हुआ है, और उसका दिल तेजी से धड़क रहा है। वो उठता है, धीरे से दरवाजा खोलता है, और फिर वापस बेड पर बैठ जाता है, नजरें नीची करके। चंपक अंदर आता है और तप्पू के पास बेड पर बैठ जाता है। कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा जाती है।
चंपक: बेटा, क्या कर रहा था तू वहां? सच्ची बता, दादा से कुछ मत छुपाना। तुझे पता है, मैं तेरा दोस्त भी हूं।
तप्पू कुछ नहीं बोलता। उसकी उंगलियां बेडशीट के किनारे से खेल रही हैं। उसका चेहरा और लाल हो जाता है। चंपक थोड़ा सख्ती से, लेकिन प्यार भरे लहजे में दोबारा पूछता है।
चंपक: अरे बोल ना, तप्पू। क्या हुआ? तू ऐसा क्यों बेचैन है? दादा तेरे साथ है। ये उमर ऐसी ही होती है, कुछ गलत नहीं है।
तप्पू गहरी सांस लेता है। वो धीरे-धीरे बोलना शुरू करता है, जैसे हर शब्द को चुनने में उसे मेहनत करनी पड़ रही हो।
तप्पू: दादा, वो… आज कॉलेज में नई टीचर आई है। सनी मैम। वो हमें बायोलॉजी पढ़ाती हैं। आज… आज उन्होंने रिप्रोडक्शन चैप्टर पढ़ाया। सब कुछ… अजीब सा लग रहा था। क्लास में ही… मेरा… उफ्फ, दादा, बॉडी में कुछ हो रहा था। कुछ ऐसा, जो पहले कभी नहीं हुआ।
चंपक ध्यान से सुनता है। उसका चेहरा गंभीर है, लेकिन आंखों में एक हल्की सी मुस्कान है। वो तप्पू को और बोलने के लिए प्रोत्साहित करता है।
तप्पू: और सनी मैम… वो इतनी खूबसूरत हैं, दादा। लाल साड़ी में, उनका फिगर, उनका बोलने का तरीका… सब कुछ ऐसा कि मन नहीं हटता। क्लास में वो जब बोर्ड पर कुछ लिख रही थीं, तो मैं बस उन्हें देखता रहा। होमवर्क करते हुए भी वही याद आ रही थी। और… और दादा, शाम को मम्मी को देखा, तो भी अजीब सा फील हो रहा था। जैसे… कुछ गलत हो रहा हो। मुझे समझ नहीं आ रहा कि ये सब क्या है।
तप्पू की आवाज में शर्मिंदगी और बेचैनी साफ झलक रही है। चंपक तप्पू के कंधे पर हाथ रखता है और हल्के से मुस्कुराता है।
चंपक: अरे बेटा, ये सब नॉर्मल है। इस उमर में हर लड़के के साथ होता है। हार्मोन्स बदलते हैं, बॉडी में चेंज आते हैं। तू जो फील कर रहा है, वो गलत नहीं है। जब दादा तेरी उमर का था, तब मेरे साथ भी यही सब हुआ था। मैं भी ऐसा ही बेचैन हो जाता था। घबराने की कोई बात नहीं।
तप्पू को थोड़ी राहत मिलती है। वो चंपक की ओर देखता है, जैसे उसे कोई रास्ता मिल गया हो।
तप्पू: दादा, तो इसका सॉल्यूशन क्या है? मैं क्या करूं? ये बेचैनी कैसे दूर होगी? मैं दिन भर बस उसी के बारे में सोचता रहता हूं।
चंपक थोड़ा झिझकता है। वो जानता है कि इस उमर में मास्टरबेशन एक सामान्य और सुरक्षित तरीका है तनाव को कम करने का। लेकिन उसे ये बात तप्पू को समझाने में हिचक हो रही है। वो गहरी सांस लेता है और फिर धीरे से बोलना शुरू करता है।
चंपक: ठीक है बेटा, सुन। इसे… मुठ मारना कहते हैं। खुद से… अपना लंड पकड़ कर हिलाना। इससे टेंशन रिलीज होता है, और ये बेचैनी कम हो जाती है।
तप्पू ध्यान से सुनता है। उसकी आंखों में उत्सुकता और थोड़ा डर दोनों हैं। वो चंपक की ओर देखता है और पूछता है।
तप्पू: दादा, ये… ये ठीक है ना? मतलब, कोई गलत तो नहीं?
चंपक: अरे बेटा, इसमें कुछ गलत नहीं है। ये एक नेचुरल प्रोसेस है। बस, इसे प्राइवेटली करना है। किसी को बताना नहीं, और साफ-सफाई का ध्यान रखना।
तप्पू थोड़ा और उत्साहित होकर पूछता है।
तप्पू: दादा, लेकिन ये कैसे करते हैं? मतलब, डिटेल में बताओ ना। मुझे ठीक से समझ नहीं आ रहा।
चंपक अब और हिचकिचाता है। वो जानता है कि तप्पू को समझाना जरूरी है, लेकिन उसे ये बात थोड़ी अजीब लग रही है। फिर भी, वो तप्पू की जिज्ञासा को देखते हुए डिटेल में बताना शुरू करता है।
चंपक: देख बेटा, पहले एक प्राइवेट जगह पर जा, जैसे बाथरूम। दरवाजा बंद कर ले। फिर अपना पजामा नीचे कर। अपने… लंड को हाथ में ले। धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हिला। ज्यादा जोर से नहीं, आराम से। कल्पना कर जो तुझे अच्छा लगे। जैसे वो सनी मैम या कोई और चीज। जब तक… माल ना निकले। फिर साफ कर ले और बाहर आ जा।
तप्पू ध्यान से सुनता है, लेकिन उसका चेहरा बताता है कि वो अभी भी पूरी तरह समझ नहीं पाया है। वो थोड़ा हिचकिचाते हुए बोलता है।
तप्पू: दादा, मुझे ठीक से समझ नहीं आया। आप करके दिखाओ ना। प्लीज, जिद है मेरी।
चंपक पहले तो मना करता है। उसे लगता है कि ये बात बताने तक तो ठीक है, लेकिन करके दिखाना थोड़ा अजीब है। लेकिन तप्पू की ज़िद देख कर वो मान जाता है।
चंपक: ठीक है बेटा, लेकिन ये बात हमारे बीच ही रहे। किसी को बताना मत। चल, बाथरूम में चलते हैं।
दोनों धीरे से बाथरूम की ओर जाते हैं। चंपक दरवाजा बंद करता है। वो थोड़ा झिझकते हुए अपना पजामा नीचे करता है। उसका लंड थोड़ा तना हुआ है। वो तप्पू को दिखाता है।
चंपक: देख, ऐसे।
वो हाथ से पकड़ कर दिखाता है। ऐसे पकड़ो, और ऊपर-नीचे हिलाओ, धीरे से। ज्यादा जोर मत लगाना।
तप्पू देखता है और खुद भी ट्राई करता है। वो थोड़ा नर्वस है, लेकिन चंपक की हिम्मत बढ़ाने वाली बातों से उसे थोड़ा कॉन्फिडेंस आता है। दोनों साथ में शुरू करते हैं। तप्पू सनी मैम और दया की कल्पना करता है, जबकि चंपक अपनी जवानी की कुछ पुरानी यादों में खो जाता है। कुछ मिनटों बाद दोनों झड़ जाते हैं। माल निकलता है। दोनों राहत महसूस करते हैं। वो साफ-सफाई करते हैं और बाथरूम से बाहर आते हैं।
तप्पू: थैंक्स दादा, अब सचमुच अच्छा लग रहा है। जैसे सारी बेचैनी चली गई।
चंपक: हां बेटा, लेकिन ये राज़ रहे। किसी को बताना मत। और हां, ये बार-बार मत करना। जरूरत हो, तभी। अब सो जा, सुबह कॉलेज जाना है।
तप्पू मुस्कुराता है और बेड पर लेट जाता है। चंपक भी अपने कमरे में चला जाता है। दोनों रिलैक्स होकर सो जाते हैं।
अगली सुबह, तप्पू कॉलेज के लिए तैयार हो रहा है। वो आज थोड़ा कॉन्फिडेंट फील कर रहा है। सनी मैम की क्लास में वो पहले की तरह बेचैन नहीं है। वो पढ़ाई पर ध्यान देता है, लेकिन सनी मैम की खूबसूरती अभी भी उसे थोड़ा डिस्ट्रैक्ट करती है। क्लास के बाद, वो अपने दोस्तों के साथ कैंटीन में बैठता है। उसके दोस्त उससे पूछते हैं कि वो आज इतना खुश क्यों लग रहा है। तप्पू बस मुस्कुराता है और कहता है, “बस, दादा ने कुछ टिप्स दिए।”
उधर, चंपक घर पर अकेले बैठा सोच रहा है। उसे लगता है कि तप्पू को और गाइडेंस की जरूरत है। वो सोचता है कि उसे तप्पू को और जिम्मेदारियां देनी चाहिए, ताकि उसका ध्यान इन चीजों से हटे। वो ये भी सोचता है कि तप्पू की मां, दया, को भी इस बारे में थोड़ा बताना चाहिए, लेकिन फिर उसे लगता है कि शायद अभी ये ठीक नहीं होगा।
शाम को, तप्पू घर लौटता है। वो चंपक को देख कर मुस्कुराता है। चंपक उससे पूछता है कि कॉलेज कैसा रहा। तप्पू बताता है कि आज उसने क्लास में ध्यान दिया और सनी मैम ने उसकी तारीफ भी की। चंपक खुश होता है और तप्पू को गले लगाता है।
चंपक: बेटा, तू अब बड़ा हो रहा है। बस, अपने मन को कंट्रोल करना सीख। और कुछ हो, तो दादा से बता देना।
तप्पू: ठीक है दादा। आप बेस्ट हो।
दोनों हंसते हैं, और तप्पू अपने कमरे में चला जाता है। चंपक हॉल में बैठ कर टीवी देखने लगता है, लेकिन उसका मन अभी भी तप्पू की बातों में उलझा हुआ है। वो सोचता है कि ये उमर कितनी नाजुक होती है, और सही गाइडेंस कितनी जरूरी है।
चौथा एपिसोड समाप्त।
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