दगाबाज़ चाचा-1

नमस्ते दोस्तों, मैं आदित्य आज आपके सामने अपने परिवार की एक सच्ची घटना लेके आया हूं। मैं पंजाब से हूं, और मेरे परिवार में मैं, मेरी मां, मेरे पापा, मेरी बहन, और मेरी पापा के भाई यानी मेरे चाचा रहते  थे।

हम सब बहुत खुश थे। सब अच्छा चल रहा था। पैसों की भी कोई कमी नहीं थी। लेकिन फिर एक दिन एक हादसा हुआ, और सब कुछ बदल गया। तो चलिए कहानी शुरू करते है।

ये पिछले साल की बात है। मेरे पापा और मम्मी कार से कही जा रहे थे। पापा गाड़ी चला रहे थे। तभी अचानक से सामने से एक ट्रक आ गया, और पापा गाड़ी को नियंत्रित नहीं कर पाए। गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और पापा की मौत हो गई। लेकिन मम्मी की किस्मत अच्छी थी, और वो बच गई। उन्हें बस थोड़ी चोट लगी थी।

उस वक्त मेरी उमर 18 साल थी, और मेरी बहन बस 19 साल की थी। चाचा उस दिन बिजनेस के किसी काम से दूसरे शहर गए हुए थे। मम्मी को ठीक होने में कुछ दिन लगे, और वो फिर से स्वस्थ हो गई। लेकिन पापा की कमी अब कभी पूरी नहीं हो सकती थी।

अब कुछ दिन बीत गए थे, और सब धीरे-धीरे ठीक हो रहा था। तभी हमारे सर पर एक और पहाड़ टूट पड़ा। पापा का वकील आया, और उसने बताया की पापा अपनी सारी जायदाद चाचा के नाम कर गए थे। मम्मी ये सुन कर बहुत अचंभे में थी। अब हमें अपनी हर जरूरत के लिए चाचा की तरफ देखना पड़ता था।

फिर एक दिन मैंने वो देखा, जो कभी सोचा भी नहीं था। उस दिन कॉलेज में कुछ खास काम नहीं चल रहा था। तो मैं जल्दी घर वापस आ गया। घर आके मैंने देखा की मम्मी ना तो अपने कमरे में थी, और ना ही रसोई में थी। फिर मैंने महसूस किया, की चाचा के कमरे में से मम्मी की आवाज आ रही थी, तो मैं उनके कमरे की तरफ गया। जब मैं कमरे के बाहर पहुंचा, तो मैंने सुना-

मम्मी: भाई साहब आप ये क्या बोल रहे है। ये बिजनेस मेरे पति का भी है। आज अगर मुझे उसमें से थोड़े पैसे चाहिए, तो आप मुझे मना कैसे कर सकते है?

चाचा: देखो भाभी, भैया ने सब कुछ मेरे नाम किया है, तो कुछ सोच कर किया होगा। तो मुझे जो सही लगेगा मैं करूंगा।

दरअसल बात ये थी, की मम्मी की मम्मी, यानी मेरी नानी बीमार थी। और उनके इलाज के लिए मम्मी को 20000 रुपए चाहिए थे। लेकिन चाचा उन्हें मना कर रहे थे।

मम्मी उनको बहुत मिन्नते कर रही थी, लेकिन वो नहीं सुन रहे थे। मम्मी ने सलवार सूट पहना था, और दुपट्टा नहीं लिया हुआ था। चाचा सोफे पर बैठे थे, और मम्मी उनके सामने वाली सीट पर बैठी हुई थी।

इतनी मिन्नते करने के बाद भी जब चाचा नहीं माने, तो मम्मी रोने लग गई। ये देख कर चाचा उठे, और मम्मी के पास आके बैठ गए। उन्होंने मम्मी के कंधे पर हाथ रखा, और सहलाते हुए बोले-

चाचा: भाभी, आप रोइए मत। ये सब आपका ही है। लेकिन अगर आप मेरी हो जाओ तो।

ये कह कर चाचा ने मम्मी का एक चूचा दबा दिया। मम्मी एक-दम से हैरान हो गई।‌ वो उठी, और चाचा से दूर खड़े होके बोली-

मम्मी: तुम्हें शर्म नहीं आती। मैं तुम्हारे भाई की बीवी हूं। तुमने मुझसे राखी बंधवाई है।

चाचा: भाभी भैया तो अब नहीं रहे। तो तुम्हारे लिए यही सही रहेगा की तुम मुझे ही अपना पति मान लो। तभी तुम्हे पैसे मिलेंगे।

ये सुनते ही मम्मी ने चाचा को थप्पड़ मार दिया। चाचा बहुत गुस्से में आ गए, और बोले-

चाची: ये तुमने अच्छा नहीं किया भाभी। अब तुम खुद चल कर आओगी, और अपने कपड़े अपने हाथों से उतारोगी।

फिर मम्मी उनके रूम से बाहर आने लगी। मैं जल्दी से बाहर चला गया।

उस दिन के बाद चाचा ने हमारे लिए बहुत सी मुश्किलें खड़ी कर दी। हमें पैसे देने बिल्कुल बंद कर दिए। अब मेरी और मेरी बहन को होस्टल में थी, उसकी फीस भी नहीं मिल रही थी। मां ने नौकरी ढूंढने की कोशिश की, लेकिन नहीं मिली। आखिरकार मां हार मान गई।

फिर एक दिन रात में मैंने मम्मी को चाचा के रूम में जाते देखा। मम्मी ने ब्लैक नाईटी पहनी हुई थी। अब मैं पहले आपको मम्मी के बारे में बता देता हूं।

मम्मी एक गोरे रंग की औरत है। उनके बड़े-बड़े चूचे है और भरा हुआ बदन है। उनका फिगर विद्या बालन जैसा है। गांड तो ऐसी है, की हर मर्द का लंड खड़ा कर दे।

तो मम्मी चाचा के रूम में जा रही थी। अंदर जाके उन्होंने रूम बंद कर दिया, लेकिन कुंडी नहीं लगाई। मैं जल्दी से जाके चाचा के रूम के बाहर खड़ा हो गया, और अंदर झांकने लगा। चाचा बिस्तर पर बैठे थे, और उन्होंने कुर्ता पायजामा पहना था। मम्मी उनके सामने जाके बोली-

मम्मी: ठीक है, तुम्हें जो करना है कर लो। लेकिन मुझे और मेरे बच्चों को परेशान मत करो।

चाचा: मैंने बोला था ना, कि तुम खुद मेरे पास चल कर आओगी।

मम्मी: हां तुम जीत गए। अब बोलो मुझे क्या करना है?

चाचा: उतारो अपने कपड़े।

मम्मी ने अपना सर नीचे झुकाया, और अपनी नाइटी खोल दी। अब नाइटी के अंदर से उनकी काले रंग की ब्रा और पैंटी नजर आ रही थी। गोरे बदन पर काला रंग बहुत जचता है दोस्तों, और खास कर तब, जब बदन पूरा गदराया और भरा हुआ हो।

एक बार तो मम्मी का बदन देख कर मेरा लंड भी उठने लगा था। फिर मम्मी ने नाईटी उतार दी, और पैरों में गिरा दी। अब वो बस ब्रा और पैंटी में चाचा के सामने खड़ी थी। चाचा के मुंह से भी लार टपकने लगी थी मम्मी को ऐसे देख कर। उनका लंड उनके पैजामे मैं बड़ा होता दिख रहा था।

फिर मम्मी बोली: अब क्या करना है?

चाचा: मैंने सारे कपड़े उतारने को बोला है।

मम्मी थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर उन्होंने पीछे हाथ ले जा कर अपनी ब्रा का हुक खोला। जैसे ही उनकी ब्रा का हुक खुला, उनके बड़े-बड़े रसीले चूचे उछल कर  बाहर आ गए। मम्मी के चूचे कसे हुए थे, और उन पर भूरे रंग के निप्पल थे। वो अपने हाथों से अपने चूचे छुपाने लग गायक। फिर चाचा बोले-

चाचा: अभी पैंटी बाकी है मेरी जान।

मम्मी ने एक बाजु से अपने चूचे ढके, और दूसरे हाथ से अपनी पैंटी नीचे करके उतार दी। अब मम्मी एक बाजु से अपने चूचे, और दूसरे हाथ से अपनी चूत छुपा रही थी। चाचा की आंखें मम्मी के जबरदस्त जिस्म को देख कर चमक उठी थी। फिर चाचा बिस्तर से उठे, और मम्मी की तरफ बढ़े।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले भाग में पता चलेगा।

अगला भाग पढ़े:- दगाबाज़ चाचा-2

Leave a Comment