मुकुल कुलश्रेष्ठ – देवरानी भावना कुलश्रेष्ठ की चुदाई की तैयारी

ये कहानी पूर्णतया काल्पनिक है।

ये कहानी कुलश्रेष्ठ परिवार की सब से बड़ी बहु मुकुल कुलश्रेष्ठ के इर्द गिर्द घूमती और मुकुल के साथ घटी घटनाओं का संकलन है। संकलन की कुछ कहानियां लम्बी होने के कारण अलग अलग भागों में बांटी गयी है। इन कहानियों को अलग अलग भी पढ़ा जा सकता है – धन्यवाद।

मुकुल कुलश्रेष्ठ 23 साल की मध्यम लम्बाई – पांच फ़ीट चार इंच की BSc पास हरियाणवी औरत है। हरियाणा के रोहतक की रहने वाली है। सीधी सादी है मगर भाषा की जरा तीखी है । भोसड़ी के, साले, गांडू उसके लिए अपशब्द नहीं हैं। मगर मुकुल ये शब्द तभी इस्तेमाल करती है जब या तो वो अति उत्साहित होती है या फिर गुस्से में होती है।

दो साल पहले रामजी दIस कुलश्रेष्ठ से शादी हुई थी, जब वो इक्कीस की थी। शादी से पहले एक ऑफिस में काम करती थी, मगर शादी के बाद रामजी ने नौकरी छुड़वा दी।

मुकुल का रंग गोरा है। नैन नक्श तीखे तो नहीं मगर सुन्दर है जैसे कायस्थ होते हैं गोल मटोल – मगर आकर्षक।

गोल मटोल मतलब गदराया शरीर – भारी चूचियां और भारी ही चूतड़ – मगर सख्त। चलने पर दोनों चूचियां और चूतड़ एक लय में हिलते हैं। धक धक धक धक।

मुकुल बाहर अक्सर साड़ी ब्लाऊज़ पहनती है I घर में ब्लाउज और पेटी कोट में ही घूमती है। नीचे ना ब्रा पहनती है ना चड्ढी I जरूरत भी क्या है घर में ही तो रहना है। शायद इसी कारण जब चलती है तो पीछे से चूतड़ मटकते दिखाई देते हैं, और आगे चूचियां ऊपर नीचे होती हैं।

चूतड़ों की ये मटक देख कर देखने वाले का लंड खड़ा होने लगता है – मगर रामजी दास कुलश्रेष्ठ पर इन चूतड़ों की मटकन का कोइ असर नहीं होता।

दोनों चूचियों के बीच की लाइन ब्लाऊज़ में से साफ़ दिखाई देती है। कभी नीचे झुकती है तो लगता है चूचियां ब्लाऊज़ से बाहर ही निकल पड़ेंगी।

असल में रामजी दास कुलश्रेष्ठ के लिए पैसा पहले है, बाकी सब कुछ बाद में है । 30 साल का पति रामजीदास सांवले रंग औसत नैन नक्श का व्यक्ति है। शरीर का भारी – करोड़पति मारवाड़ियों की तरह।

रामजी का कपड़े का काम है। त्रिपुरा, सूरत, अमृतसर, लुधियाना, बैंगलोर से कपड़ा ला कर बड़े दुकानदारों को सप्लाई करता है। रामजी के पिता भी यही कपड़े का काम करते थे।

बाजार में रामजी की अच्छी साख है। दिल्ली के जमुना पार लक्ष्मी नगर मेन मार्किट में अपना ऑफिस है जहां रामजी सुबह जाने के बाद रात को ही लौटता है।

अब इतनी रात को थका हुआ कोइ आये तो खाने और सोने अलावा और क्या करेगा – कम से कम चुदाई तो दूर की बात ही है।

रामजी के पास पैसे की कोइ कमी नहीं। ना ही कभी रामजी ने मुकुल को पैसे की कमी महसूस होने दी। मुकुल जहां मर्ज़ी खर्च करे, जितना खर्च करे, जैसे खर्च करे – रामजी ने इस बारे में कभी कोइ सवाल नहीं किया।

लक्ष्मी नगर में ही बड़ा पुश्तैनी दुमंजिला घर है पुराने ढंग का। नीचे दरवाजे से गुजर कर बड़ा सा आंगन है और पांच तरफ कमरे बने हैं ।

किसी ने कोइ बात भी करनी हो तो आंगन में जा कर ही करनी पड़ती है। नीचे के पांच में से चार कमरे गोदाम की तरह प्रयोग होते हैं। एक कमरा सारी सुविधाओं के साथ गेस्ट रूम की तरह इस्तेमाल होता है।

बाकी परिवार की रिहाइश ऊपर की मंजिल पर है।

बाल बच्चा अभी नहीं हुआ। काम वाली बाई सुबह आ जाती है और सारा काम निबटा कर ग्यारह बजे तक चली जाती है। इसके बाद घर में मुकुल दिन भर अकेली रहती है।

घर में पूरे समय के लिए नौकर की जरूरत नहीं – ऐसा रामजी का सोचना है।

मुकुल का एक देवर है महेश – 26 साल का। देखने में बिलकुल अपने भाई जैसा। मगर अच्छा पढ़ा लिखा है। कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री की हुई है ।

महेश की पुश्तैनी कपड़े के काम में कोइ दिलचस्पी नहीं है। नोएडा में एक बहुत बड़ी कंप्यूटर कम्पनी में सीनियर मैनेजर है और विदेश आना जाना लगा रहता है। मोटी तनख्वाह है। नोएडा में ही किराए के मकान में रहता है।

महेश की पत्नी है भावना, मुंबई के रहने वाली तेज तर्रार लड़की। बात चीत करने में तेज है। उम्र 22 साल कंप्यूटर साइंस का कोर्स किया हुआ है। मुंबई में बॉय फ्रेंड भी बनाये और चुदाई भी करवाई।

साल भर ही हुआ है उनकी शादी को I शादी से पहले भावना नौकरी करती थी, मगर अब नहीं करती। महेश को भी भाई की तरह औरतों का नौकरी करना पसंद नहीं है।

जब महेश विदेश जाता है तो भावना मुकुल के पास रहने आ जाती है।

मुकुल का एक देवर और है विपिन – 20 साल का। कुरक्षेत्र में इंजीनियरिंग कर रहा है उसकी एक जुड़वां बहन है शिखा – मुकुल की ननद – वो चंडीगढ़ में पढ़ती है।

शिखा चंडीगढ़ में रहते हुए चंडीगढ़ की लड़कियों की तरह ही स्मार्ट हो गयी है, तेज तर्रार, आत्मविश्वास से भरपूर – मौज मस्ती वालीं।

विपिन और शिखा दोनों छुट्टियों में ही घर आते हैं। शिखा कई बार नहीं भी आती और अपनी एक सहेली के साथ कसौली चली जाती है जो चंडीगढ़ से केवल 57 किलोमीटर है – दो घंटे की दूरी पर है।

दोनों भाई बहन अपने दो बड़े भाईयों के विपरीत गोरे छरहरे और लम्बे है।

मुकुल की देवरानी भावना का मानना था की मुकेश और शिखा का पिता और बड़े भाइयों रामजी और महेश का पिता एक नहीं हैं – मतलब कि विपिन और शिखा किसी दुसरे मर्द से चुदाई की पैदाइश हैं ।

कोइ बड़ी बात नहीं, मुकुल और भावना की सास का किसे दुसरे मर्द से चुदाई का चक्कर हो। अगर ऐसा है तो कोइ तो कारण होगा ऐसे बाहर चुदाई करवाने का।

कोइ भी शादी शुदा औरत यूं ही शौक के लिए बाहर के मर्दों से चुदाई नहीं करवाती।

अब मुकुल और भावना तो यही करवा रहीं हैं – बाहर के मर्दों से चुदाई, और इसके पीछे भी एक कारण है।

अब आते हैं कुलश्रेष्ठ बहुओं – जेठानी मुकुल और देवरानी भावना की कहानी पर।

सारी सुविधाओं के बावजूद मुकुल और देवरानी भावना दोनों उदास रहती हैं I कारण एक ही था। सम्भोग – चुदाई – चूत की रगड़ाई, जो ढंग से नहीं होती।

अब रामजी दास और महेश पांच इंच के लंड भी क्या चुदाई करेंगे। वैसे तो डॉक्टर लोग बोलते हैं कि साढ़े चार इंच का लंड भी काम चला सकता है – अगर वो तब जब आदमी बीस पच्चीस मिनट तक चुदाई करता रहे और ना झड़े।

रामजी और महेश के लंड तो चलो डॉक्टरों के हिसाब से आधा इंच फालतू थे, मगर यहां तो दोनों भाई शीग्र पतन से भी ग्रस्त थे – मतलब जल्दी झड़ जाते थे। पांच सात मिनट की चुदाई के बाद ही।

जेठानी देवरानी की चूतें अभी गरम होना शुरू होती थीं की भाइयों लंड पानी छोड़ कर ठंडे हो जाते थे। औरतें उंगली से ही काम चलIने की कोशिश करती थीं।

अब तक जेठानी मुकुल और देवरानी भावना में इस पर कोइ बात नहीं हुई थी – झिझक कह लो या रिश्तों का लिहाज।

मुम्बई की रहने वाली भावना अपना मन मारने के पक्ष में नहीं थी। इसी लिए उसने एक रबड़ का बैटरी से चले वाला सात इंच लम्बा लंड मंगवा लिया था – जो वो चूत में ले कर मजे लेती थी। लंड के ऊपर उभरे हुई दाने थे जो चुदाई के मजे को दुगना कर देते थे।

मगर फिर भी असली मर्द का लंड तो असली ही होता है। रबड़ का लंड चूत का पानी तो छुड़ा देता था मगर मानसिक संतुष्टी नहीं मिलती थी।

भावना असली लंड की तलाश में भी रहती थी। कभी कभी ऐसा लंड मिल भी जाता था।

उधर मुकुल रोहतक के संयुक्त परिवार से आयी थी। लंड ढूढ़ना उसके बस की बात नहीं थी। वो अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्में – चुदाई की फ़िल्में – देख कर चूत में उंगली डाल कर काम चला लेती थी।

मगर बात वही थी – उंगली असली लंड का काम तो नहीं दे सकती।

महेश एक हफ्ते के लिए कम्पनी के काम से सिंगापुर गया था और भावना एक हफ्ते के लिए लक्ष्मी नगर मुकुल के पास रहने आ गयी थी।

भावना ने नोट किया की मुकुल इस बार ज्यादा ही उदास है – ना समझ में आने वाली उदासी।

भावना के मन में खटका हुआ कही जेठ जी भी तो उसके पति की ही तरह खस्सी नहीं ?

“छोटा लंड और ऊपर से शीग्र पतन”।

भावना को मालूम था मुकुल कैसे माहौल से आयी है। रबड़ के लंड और बाहर की चुदाई इसके बस की बात नहीं और झिझक के कारण कुछ बताएगी इस बात की उम्मीद कम ही थी।

भावना ने खुद ही पहल करने का फैसला किया।

दोनों बैठी इधर उधर की बात कर रही थी की भावना ने पूछा, “जीजी क्या बात है, आप कुछ उदास सी लग रही हैं “।

मुकुल ने सकपका कर कहा, “नहीं भावना, ऐसी तो कोइ बात नहीं”।

“नहीं जीजी कुछ बात तो है, और अगर मेरा अंदाजा सही है तो मामला जेठ जी से जुड़ा है”।

“नहीं भावना ऐसा भी क्या हो सकता है जो रामजी से जुड़ा हो “।

भावना बोली “जीजी मैं भी एक औरत हूं इस तरह की बेमतलब उदासी का कारण मैं समझती हूं “।

मुकुल चुप रही।

“जीजी, क्या जेठजी चुदाई सही नहीं करते “? मुकुल चुप ही रही। वो भावना की तरफ देख भी नहीं रही थी।

भावना ने सोचा की अब बात साफ़ साफ़ करनी ही पड़ेगी। उसने पूछा जीजी,” जेठ जी का भी तो महेश की तरह छोटा लंड तो नहीं – और उनका भी पानी महेश की तरह जल्दी नहीं छूट जाता “?

मुकुल के मुंह से निकल गया, “क्या ?…..महेश भी ”? वो एकदम चुप हो गयी।

भावना का अंदाज़ा सही था। मुकुल की चुदाई भी उसकी चुदाई की तरह अधूरी ही रहती है।

मकुल अभी भी चुप थी।

भावना ने कहा , “जीजी ऐसे मन मारने से कुछ नहीं होगा उलटा सेहत खराब हो जाएगी “।

अब मुकुल बोली, “तो क्या करूं भावना, तू ही बता “?

जीजी कोइ लंड ढूढो, चुदाई का साधन तलाशो।”

मुकुल ने कहा “कहां ढूंढू, कैसे ढूंढू। अच्छा तू बता तू क्या करती है”।

भावना ने बताया, “जीजी मैंने तो रबड़ का लंड मंगवाया हुआ है, वही चूत में डाल कर पानी छुड़ा लेती हूं। अगर मौक़ा लग जाये तो किसी बाहर वाले से चुदवा भी लेती हूं “।

मुकुल ने पूछा, “बहार वाले से मतलब ? किससे – कैसे “?

भावना ने बताया, “जीजी पिछले हफ्ते एक दिन एक बीस बाईस साल का लड़का किसी के घर का पता पूछते पूछते आ गया था। उसीको मैंने पटा लिया और चुदाई करवा ली “।

मुकुल ने पूछा, “कैसे “?

जीजी हुआ की उस दिन बड़ी गर्मी थी। मैं AC चला कर जो लेटी हुई थी कि दरवाजे की घंटी बजी। मुझे कोफ़्त तो बड़ी हुई की इस वक़्त कौन आ गया।

मैंने मैक्सी पहनी हुई थी – नीचे ना ब्रा पहनी हुई थी ना पैंटी। मैक्सी भी झीनी झीने सी थी। अगर बड़े गौर से देखो तो चूचियों की झलक मिल ही सकती थी।

मैंने मैक्सी के ऊपर ही दुपट्टा ओढ़ लिया और देखने गयी के कौन है। दरवाजे पर एक बीस साल के लगभग उम्र का लड़का था जो किसी का पता पूछ रहा था। मकान नंबर तो हमारा ही था, मगर लग रहा था कि सेक्टर नंबर में कुछ गड़बड़ थी।

मुझे बड़ा गुस्सा आया की बेकार में डिस्टर्ब कर दिया।

मैं कुछ बोले ही वाली थी की मेरे नजर उसके चेहरे पर पड़ी – गर्मी के कारण लाल हुआ पड़ा था। मैंने पूछा “इतनी गर्मी में घूम रहा है यहीं से फोन करके सही पता क्यों नहीं पूछ लेता”?

लड़का बोला मैडम, “फोन की बैटरी खत्म हो गयी है”।

अब मैंने उसे गौर से देखा। शरीफ लग रहा था – अच्छे परिवार का। गर्मी बहुत थी, मैंने उसे कहा। अंदर आओ पानी पी लो और फोन चार्जिंग पर लगा लो। गर्मी बहुत है फोन एक बार चार्ज हो जाये तो सही पता पूछ कर चले जाना”।

मैंने उसका मोबाइल चार्जिंग पर लगाया और पानी लेने चली गयी। ट्रे में पानी का जग और गिलास ले कर आई तो मुझे लगा कि वो लड़का मुझे कुछ अलग नज़रों से देख रहा है।

मैं हैरान हुई कि मेरे पानी लाने के दौरान ऐसा भी क्या हो गया कि लड़का कुछ अलग ही नज़रों से मुझे देखने लगा है। मेरा ध्यान अपने टांगों की तरफ गया तो मुझे कारण समझ में आ गया।

“हल्की पारदर्शी होने के कारण मैक्सी में से मेरी टाँगें दिखाई दे रहीं थीं। अगर टांगें दिखाई दे रहीं थीं तो चूतड़, चूतड़ों के बीच की लाइनऔर चूचियां भी दिख रही होंगी।

मैं जब पानी लेने गयी तो लड़के ने मेरे चूतड़ों के झलक देख ली होगी।

भावना बोली, “सच पूछो तो जीजी मुझे बड़ा अच्छा लगा। चूत में कुछ कुछ होने लगा था”।

भावना ने बात जारी रक्खी, “मैंने सोचा चलो परखते हैं लड़के को। मैं उसके सामने ही सोफे पर बैठ गयी। दुपट्टा उतार कर मैंने दोनों हाथों से बाल इस तरह पीछे किये कि मेरी छातियां आगे की तरफ तन गयीं”।

पानी का गिलास लड़के के हाथ में था। लड़का पानी पीना ही भूल गय। वो मेरी छातियों की तरफ ही देखता जा रहा था। जरूर छातियों के निप्पलों की झलक दिख रही होगी।

“जीजी मेरा मन चुदवाने का होने लगा था।

मैं सोफे पर पसर कर बैठ गयी। मैंने लड़के से पूछा, “नाम क्या है तुम्हारा “।

वो बोला, “जी राकेश “।

मैंने बात जारी रखते हुए फिर पूछा, “कहां और क्या पढ़ते हो”।

“जी, मैं गुडगाँव से इंजीनियरिंग की डिग्री कर रहा हूं। यहां एक बड़ी कम्पनी में कालेज की तरफ से दो हफ्ते की ट्रेनिंग के लिए भेजा गया गया है। मेरा एक दोस्त है मेरे कालेज का ही – मेरा सीनियर है, उसका यहां घर है। उसके घर में एक कमरा खाली रहता है। उसने दो हफ्ते का वहां मेरे रहने का इंतजाम किया है। इसे लिए वहीं जा रहा था”।

लड़का पानी पी कर गिलास मेज पर रख चुका था।

मैं गिलास उठाने के बहाने कुछ ज़्यादा ही झुकी जिससे मेरे स्तन उसे दिखाई दें और मैं उसकी नीयत भाप सकूं।

राकेश का मुंह खुला का खुला रह गया।

मैं उसे टटोलने लगी, “राकेश तुम्हारे कालेज में ‘को-एजुकेशन’ है ? लड़के लड़किया इक्क्ठे पढ़ते हैं “?

उसकी नजर मेरी छातियों के तरफ ही थी, “जी “।

उसकी नजरें भांप कर मैंने सोचा, “अब खुलना ही चाहिए”।

“कोइ लड़की फंसाई राकेश, कोई गर्ल फ्रेंड बनाई “?

राकेश परेशान कि ये मैं क्या पूछ रही हूं। उसने बड़ी मुश्किल से पूछा , “जी”?

मैंने हंस कर कहा, “अरे भई आसान सी बात है किसी लड़की के साथ दोस्ती हुई, चक्कर चला या नहीं “?

लड़का बोला,” जी एक लड़की के साथ फ्रेंडशिप है “।

अब देर करना ठीक नहीं था। मैंने पूछा, “कहां तक की फ्रेंडशिप है किस किया उसे कभी – चुम्मा लिया “?

लड़का अब सहज हो रहा था। हो सकता है मेरी मंशा जान गया हो। मेरी झीनी मैक्सी, मेरा झुक कर गिलास उठाना और इस तरह के व्यग्तिगत सवाल पूछना ऐसे ही बिना किसी मंशा के तो नहीं हो सकता था।

“और जीजी ये सब बिना मंशा के था भी नहीं। मेरी मंशा ही उससे चुदाई करवाने की थी”। भावना ने मुकुल से कहा।

मुकुल ने पूछा, “भावना, ऐसे किसी अनजान से चुदाई ? इसमें जोखिम नहीं”?

भावना ने कहा, ” कैसा जोखिम जीजी ? कोइ चोर लुटेरा आ जाए या चुदाई का भेद खुल जाए “?

“दोनों ही”, मैंने कहा।

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