पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-1
अन्तर्वासना कहानी अब आगे से-
असलम का फोन आते ही मैंने सोच लिया था दो गाये तो सामने ही थी – एक मैं और दूसरी रागिनी। अब दूसरा सांड भी मिल गया था – मस्त लंड वाला असलम। एक सांड तो था ही, मोटे लंड वाला संदीप।
कानपुर पहुंचते ही सरताज होटल से उसने मुझे फोन किया। दो बजे थे और असलम मुझसे मिलना चाहता था। कलाई जितने मोटे और आधे हाथ जितने लम्बे लंड वाले असलम से मिलने के लिए मैं भी बेताब थी। मैंने कह दिया, “आ जाओ असलम, मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूं।”
ढाई बजे से ही असलम पहुंच गया। शरीर थोड़ा भर गया था, लेकिन बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने सोचा निकहत मस्त चुदवाती होगी इससे।
जैसे ही असलम बैठा और मेरी चूत में खुजली मच गई। मैंने पूछा, “कहो असलम कैसे हो? निकहत कैसी है? लगता है खूब मजे देती है। मस्त चुदवाती है? और नसरीन कैसी है?”
जैसे ही मैंने कहा, निकहत मस्त चुदवाती होगी, तो एक पल के लिये तो असलम शर्मा गया, फिर अपना लंड पैंट में ठीक से बिठाता हुआ बोला, “निकहत ठीक है मालिनी जी।”
निकहत के बारे में तो असलम ने बता दिया, मगर नसरीन के बारे में कुछ नहीं बताया।
मैंने फिर पूछा, “और नसरीन कैसी है असलम? कोइ दिक्कत है क्या? तुम कह रहे थे उसके बारे में कुछ बात करनी है? क्या बात है?”
असलम बोला, “नहीं मालिनी जी, दिक्कत तो कोइ नहीं। बस ऐसे ही कुछ बात करनी है।” फिर कुछ रुक कर मेरी चूत को देखता हुआ अपना लंड खुजलाते हुए बोला, “आप कैसी हैं मालिनी जी?”
असलम की पैंट में उसके लंड का उभार साफ नज़र आने लगा था। मैंने भी चूत में से साड़ी निकालने का बहाना करते हुए कहा, “मैं भी ठीक हूं असलम, तुम्हें कैसी दिख रही हूं?”
असलम बोला, “मालिनी जी आप भी वैसी ही फिट दिखाई दे रही हैं।” फिर कुछ रुक कर बोला, “मालिनी जी आपकी बहुत याद आती है। अम्मी भी आपको बहुत याद करती है।”
यह बोल कर असलम चुप हो गया और कुर्सी में इधर-उधर होने लगा। साफ़ पता चल रहा था कि असलम कुछ कहना चाहता था। आखिर एक मनोचकित्स्क से कोइ कैसे कोइ अपने दिल की बात छुपा सकता है?
मैंने कहा, “क्या बात है असलम? कुछ कहना चाहते हो?”
असलम ने फिर अपने लंड को खुजलाया मगर बोला कुछ नहीं। असलम की पैंट में उसके लंड का उभार बढ़ता जा रहा था। मुझे लगा असलम मुझे चोदना चाहता था, मगर हिचकिचा रहा था। आखिर असलम से पहले बार की चुदाई मैं भी तो मैंने ही पहल की थी। मैंने फिर से पहल करने की सोची। आखिर चूत तो असलम के लंड के लिए मेरी भी कुलबुला ही रही थी।
मैंने साफ़ ही बोल दिया, “क्या बात है असलम, चोदना चाहते हो मुझे? चुदाई का मन कर रहा है?”
ये सुनते ही असलम उठ कर मेरे सामने आ गया और लंड पैंट में से निकाल कर मेरे मुंह के आगे कर दिया। मतलब साफ़ था असलम मुझे चोदना ही चाहता था, मगर कह नहीं पा रहा था। मैंने असलम का लंड मुंह में लिया और मेरी आखों के आगे मेरी और असलम लम्बे और मोटे लंड की चुदाई घूम गयी।
मैंने असलम का लंड जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया। जल्दी ही असलम का लंड सख्त हो गया। असलम बोला, “बस मालिनी जी अब रहा नहीं जा रहा, चलिए अब।” ये कह कर असलम ने लंड मेरे मुंह में से निकाल लिया।
मैं भी उठी और असलम का हाथ पकड़ कर बोली, “चलो।”
हम लोग पीछे कि कमरे मैं आ गये। मैंने अपने कपड़े उतारे और असलम से कहा, “बोलो असलम कैसे चोदनी है – चूत में डालना है या गांड में?” मगर इससे पहले कि असलम कुछ बोलता मैंने कहा, “आज ऐसे चोदो जैसे निकहत को चोदते हो।”
असलम बोला, “मालिनी जी निकहत को मैं पीछे से ज्यादा चोदता हूँ। उसे भी पीछे से चुदाई करवाने में मजा आता है। निकहत के चूतड़ देख कर मन तो बहुत करता है निकहत की गांड चोदने का, मगर वो चुदवाती ही नहीं। निकहत के चूतड़ इतने नरम और मुलायम हैं कि चाटने में भी मजा आ जाता है। छोटा सा गांड का छेद है, उंगली डलने पर भी निकहत चिहुंक जाती है। निकहत पीछे से चुदवाना ही पसंद करती है। एक बार पीछे से चूत चोदते चोदते मैंने ज़बरदस्ती गांड में डालने के कोशिश की, मगर उसे बहुत दर्द हुआ और उसने उस दिन चूत चुदाई भी नहीं करवाई और गांड वाली बात अम्मी को भी बता दी।”
“अम्मी ने भी मुझे हंसते हुए कह दिया, असलम निकहत इसलिए नहीं चुदवाती होगी कि उसकी गांड का छेद टाइट होगा, तुम्हारा मोटा लंड उसकी गांड में जाता नहीं होगा। वरना लड़कियां तो गांड चुदवाती ही हैं।”
फिर अम्मी बोली, “अगर बहुत गांड चोदने मन है तो किसी दिन अगर मौक़ा मिला, तो मेरी गांड चोद लेना। बस मालिनी जी उसके बाद मैंने निकहत की गांड चोदने का ख्याल छोड़ तो दिया। मगर हर बार चूत में लंड डालने से पहले थोड़ा सा लंड निकहत कि गांड में जरूर डालता हूं। बस इतना है कि पूरा लंड गांड में कभी नहीं डाला। हर बार कोशिश करता हूं, हर बार निकहत मना करती है। मगर मेरा मन नहीं मानता।”
फिर असलम कुछ रुक कर बोला, “मालिनी जी जैसे ही निकहत चूतड़ पीछे करके चूतड़ उठा कर लेटती है, उसकी चूत का छेद बिलकुल मेरे लंड के सामने आ जाता है और लंड बैठता भी पूरा है चूत के अंदर तक।” ये कह कर असलम ने भी अपने कपड़े उतार दिए।
पीछे से चुदाई करवाना सभी लड़कियों को अच्छा लगता है। चूत में लंड पूरी गहराई तक बैठता है, और मस्त मजा आता है। लड़कियों को ही क्यों इस दुनिया के हर प्राणी को, चाहे वो इंसान हो या जानवर, पीछे से लंड लेने का ही मजा आता है। ये कुदरती है। खाली इंसान ही ऐसा एक मात्र प्राणी है जो कुदरत के इस नियम के विरुद्ध जा कर औरत के ऊपर लेट कर उसकी चुदाई करता है।
मैंने असलम से कहा, “वैसे असलम कई लड़कियों की चूत की बनावट ऐसी होती है की ऊपर लेट कर चोदो तो चूतड़ और टांगें ज्यादा उठाने पड़ते हैं। ऐसी चूतें पीछे से चोदने पर ही असली मजा मिलता है। निकहत की चूत भी ऐसी ही होगी।”
असलम बोला, “बिलकुल ऐसा ही है मालिनी जी निकहत को ऊपर लेट कर चोदने के लिए चूतड़ भी ज्यादा उठाने पड़ते है और टांगें भी ज्यादा उठानी पड़ती हैं। इसीलिए निकहत को पीछे से चोदने पर लंड आराम से चूत में बैठ जाता है। मगर पीछे निकहत की मुलायम चूतड़ देख कर गांड चोदने का मन हो जाता हैं।”
मुझे लगा असलम कुछ ज्यादा ही पागल हुआ पड़ा था निकहत की गांड चोदने के लिए। मैंने कहा, “क्या बात हैं असलम, बहुत गांड चोदने का मन करता हैं निकहत की?” ये कह कर मैं भी बेड के किनारे पर चूतड़ पीछे करके उल्टा लेट गयी। असलम नीचे बैठा और मेरी चूत और गांड का छेद चूसने चाटने लगा।
मैंने सोचा अब ये साले सारे मर्द चूत और गांड को चोदने से पहले सूंघते, चूसते चाटते क्यों है? असल में ये भी कुदरत का ही नियम है, चूत गांड की खुशबू मर्द की चुदाई की ताकत को दुगना कर देती है। मेरी चूत जल्दी ही गरम हो गयी और लंड मांगने लगी। निकहत की गांड वाली बात सुन कर मेरी गांड में भी खलबली मची हुई थी। मेरे चूतड़ अपने आप हिलने लगे।
असलम समझ गया मैं लंड मांग रही थी। असलम खड़ा हुआ, जरा से मेरे चूतड़ ऊपर किये और मेरी जानी पहचानी चूत के छेद पर अपना लंड डाला और चुदाई चालू कर दी। क्या मस्त चोदता है असलम, आलोक की चुदाई से बढ़िया – बिलकुल संदीप की चुदाई जैसा। शायद मोटे लंड का कमाल था। मैं सोच रही थी दो गाये और दो सांड के खेल में इस बार रागिनी को असली मजा आने वाला था।
असलम के लम्बे मोटे लंड की चुदाई के पंद्रह मिनट में ही मेरी चूत पानी छोड़ गयी। मेरे चूतड़ अपने आप ही जोर से हिले और मैं ढीली हो गयी।
असलम समझ गया मुझे मजा आ चुका था। असलम खड़ा लंड चूत में डाले ही ऐसे ही खड़ा रहा। जब मेरा मजा थोड़ा कम हुआ तो मैंने अपनी चूत को सिकुड़ना खोलना शुरू कर दिया। ये साफ़-साफ़ असलम को निमंत्रण था, “अब आगे भी तो कुछ करो असलम।”
असलम अब मुझे अच्छी तरह जान समझ चुका था। वो जानता था मैं कैसी ताबड़तोड़ चुदाई करवाती हूं। असलम ने मेरी चूत में से लंड निकाला और पूछा, “मालिनी जी आपको चूत में तो मजा आ गया, अब?”
मैंने पूछा, “अब क्या असलम? जा उधर अलमारी में से गांड चोदने वाली क्रीम लेकर आ और डाल अपना लंड मेरी गांड में, रगड़ इसको।” असलम जैसे ही मुड़ा मैंने असलम को कहा, “और असलम, अलमारी में रबड़ का लंड भी पड़ा है, वो भी लेता आ – मोटे वाला।”
असलम तो जैसे सब समझ रहा था। वो हां में सर हिलाता हुआ चला गया। आ कर असलम ने मोटा रबड़ का लंड मेरे हाथ में दिया और क्रीम मेरी गांड के छेद में लगा कर लंड पूरा मेरी गांड में बिठा दिया। क्या मस्त मजा आया। मैंने रबड़ का लंड अपनी चूत में डाला और असलम से कहा, “असलम दिखा अपने लंड का जलवा। ”
बीस मिनट की इस गांड चुदाई में मजा ही आ गया। संदीप के मोटे लंड से गांड चुदाई कभी-कभी के लिए तो ठीक है, मगर अगर ज़्यादा ही गांड चुदाई की ठरक है तो फिर असलम का लंड ही सब से अच्छा है। अगर असलम का लंड ना मिले तो आलोक का लंड भी गांड के लिए कम नहीं।
असलम के लंड के धक्के मेरी गांड में राजधानी गाड़ी के रफ्तार से लग रहे थे। लगता ही रहा था असलम ने बहुत दिनों से गांड नहीं चोदी थी। निकहत ने तो गांड चुदवाने से मना ही कर दिया था, मगर मुझे तो ऐसा लग रहा था के असलम अपनी अम्मी की गांड भी नहीं चोद पाया था।
जो भी हो इस बीस मिनट की गांड चुदाई और रबड़ का मोटा लंड मेरी चूत में – दोनों छेद भरे हुए थे। जन्नत ही थी ये। तेज रफ़्तार गांड रगड़ाई के बाद असलम के लंड से गरम-गरम चिकना पानी मेरी गांड में निकल गया। मजा आ गया। कुछ देर लंड गांड के अंदर ही रखने के बाद असलम ने लंड मेरी गांड में निकाला और बाथरूम चला गया।
रबड़ का लंड अपनी चूत में से निकाल लिया। मैंने भी रबड़ का लंड अपनी चूत में से निकाला और असलम के पीछे-पीछे मैं भी बाथरूम मैं चली गयी। असलम खड़ा पेशाब कर रहा था। असलम ने मुझे देखा और पेशाब करता रहा। जैसे ही असलम के लंड से पेशाब की आख़री बूंद निकली और असलम ने लंड झाड़ा, मैंने असलम को टॉयलेट सीट पर बैठा दिया और खुद टांगें चौड़ी करके उसकी टांगों पर बैठ गयी। असलम हैरानी से मुझे देखने लगा, के मैं ये क्या कर रही थी।
असल में मुझे संदीप की वो हरकत याद आ गयी थी जब उसने मुझे अपनी टांगों पर बिठा कर पेशाब करने के लिए बोला था। मैंने असलम के होंठ अपने होठों में ले लिए और असलम का एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया। दोनों हाथों से मैंने असलम को कस कर पकड़ लिया और चूत ढीली छोड़ कर पेशाब की धार असलम की टांगों और लंड पर डाल दी।
असलम भी अपने हाथ से मेरी चूत थपथपाने लगा। पेशाब करके मैं उठी और तौलिया उठा अपनी चूत पोंछी और तौलिया असलम को दे दिया, “असलम अपनी टांगें और लंड साफ़ साफ कर लो।”
ये कह कर मैं बाहर आ गयी और कपड़े पहन लिए। असलम भी बाहर आया और कपडे पहनता हुआ बोला, “मालिनी जी आज जैसा चुदाई का मजा तो कभी भी नहीं आया। और ये जो आपने मेरे लंड पर बैठ कर मूता, इसने तो अजीब ही मजा दिया। गर्म-गर्म मूत जब सुर्र-सुरर्र की आवाज के साथ लंड पर गिरा मेरा तो लंड जी फिर खड़ा होने लगा था। अब तो मैं भी निकहत से अपने लंड पर मुतवाया करूंगा।”
मैंने हंसते हुए पूछा, “और नसरीन से? अपनी अम्मी से नहीं?”
मेरे इस सवाल का असलम ने कोई जवाब नहीं दिया। मैं समझ गयी कुछ तो गड़बड़ थी। खैर।
मैंने कहा, “असलम अभी तो असली चुदाई का मजा बाकी है।”
असलम हैरानी से मुझे हैरानी से देखता बोला, “क्या मालिनी जी अभी और चुदाई होगी?” ये कहते हुए असलम ने अपना लंड खुजला दिया।
मैंने कहा, “नहीं असलम मैं आज एक और चुदाई का बात नहीं कर रही, मगर एक और मस्त चुदाई होगी – इधर बैठो बताती हूं।”
असलम मेरे सामने हे बैठ गया और मैंने उसे दो गाये और दो सांड वाली बात बता दी। साथ ही मैंने उसे बता दिया की संदीप का लंड कैसा है और वो कैसे सूखी चुदाई करता है। और साथ ही मैंने असलम को ये भी बता दिया के रागिनी कैसी रगड़ाई वाली चुदाई की शौक़ीन है।
असलम के मुंह से बस यही निकला “कमाल है।”
मैंने असलम से पूछा, “तो असलम पक्का करूं प्रोग्राम?”
असलम अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला, “बिलकुल मालिनी जी, मेरा लंड तो आपकी और वो आपकी रागिनी जी चुदाई का सोच-सोच कर अभी से खड़ा होने लगा है।”
मैंने असलम से कहा, “तो असलम बताओ, कब का प्रोग्राम बनाऊं।”
असलम बोला, “मालिनी जी मैंने तो एक दिन इसी लिए खाली रक्खा था के आपके साथ पूरा दिन चुदाई करूंगा, मगर आपके साथ तो आज ही चुदाई हो गयी। अब कल का दिन मैं पूरा खाली हूं, कल का ही बना लीजिये, अगर बनता है तो, नहीं तो अगर आपको कोइ एतराज ना हो तो मैं कल फिर आ जाऊंगा।”
मैंने कहा, “ठीक है असलम मैं बात करती हूं। अगर बन गया तो ठीक, नहीं तो रागिनी को भी यहीं बुला लेंगे। तुम्हारे लंड में तो अच्छा खासा दम है, दो चूतें तो संभाल ही लेगा।” ये कह कर फोन स्पीकर पर डाल दिया और को रागिनी को फोन मिला दिया।
उधर रागिनी ने फोन उठाया तो नमस्ते नमस्ते के बाद रागिनी बोली, “मालिनी जी कहिये।”
मैंने रागिनी से हंसते हुए कहा, “रागिनी दूसरा सांड आ गया है। मगर वो कल के दिन ही खाली है। तुम्हारा कल का क्या प्रोग्राम है। तुम कहो तो संदीप से बात करूं कल के लिए?”
रागिनी चहकते हुए बोली, “वह मालिनी जी, आप करिये बात संदीप से। मेरी चूत तो दूसरे सांड की खबर सुन कर ही गीली हो रही है।”
रागिनी के बात सुन कर मेरी हंसी छूट गयी और असलम का लंड खड़ा हो गया। असलम ने लंड पैंट में से बाहर निकल कर हाथ में ले लिया और इधर मैंने संदीप को फोन मिला दिया।
फोन अभी भी स्पीकर पर ही था। संदीप ने फोन उठाया और बोला, “अरे मैंडम आप? हुकुम करिए मैडम, क्या सेवा है मेरे लिए?”
मैंने उसी तरह हंसते हुए कहा, “सेवा ये है संदीप के दूसरा सांड आया हुआ है। मगर दिक्कत ये है के वो कल का दिन ही खाली है। रागिनी से मेरी बात हो गयी है। वो कल के लिए तैयार है। बस अब तुम बताओ, कल का प्रोग्राम बन सकता है?”
संदीप बोला, “वह मैडम, आपने तो कमाल कर दिया हफ्ते भर में ही दूसरे सांड का जुगाड़ कर लिया। कल का पक्का करिये मैडम। आपकी चुदाई के लिए तो मैं हमेशा तैयार हूं, मजा आ जाएगा। कुछ और चाहिए तो बता दीजिये मालिनी जी?”
मैंने हंसते हुए कहा, “और क्या चाहिए संदीप, सब कुछ तो है तेरे ऑफिस में रबड़ के लंड और गांड चुदाई की क्रीम तो है ही। बस तू कल का टाइम बता दे ताकि मैं रागिनी को फोन कर दूं।”
संदीप बोला, “मैडम जब मर्जी आईये। बस इतना ध्यान रखिये के कम से कम चार पांच घंटे हों हमारे पास। आखिर को दो गायें और दो सांड होंगे, इतना टाइम तो होना ही चाहिए।”
मेरी हंसी बंद नहीं हो रही थी। उधर असलम अपने लंड को हाथ से मसल रहा था। मैंने कहा, “तो फिर ठीक संदीप, ग्यारह बजे का रखते हैं, मैं रागिनी को फोन कर देती हूं। हम ग्यारह बजे तुम्हारे पास आ जायेंगे, तैयार रहना।”
संदीप बोला, “मैडम।”
मैंने कहा, “हां संदीप बोलो।”
संदीप बोला, “मैडम मेरा लंड तो अभी से तैयार ही गया है फुंफकारे मारने लगा है इसका क्या करूं।”
मैंने हंसते हुए कहा, “इसको अभी सुला दे, इसने कल बहुत मेहनत करनी है।” ये कह कर मैंने फोन काट दिया और रागिनी को फोन मिला दिया।
रागिनी ने फोन उठा तो मैंने कहा, “रागिनी संदीप से बात हो गयी है। कल ग्यारह बजे का प्रोग्राम बना है। संदीप कह रहा था चार पांच घंटे का प्रोग्राम बनाना। दो गायें और दो सांड हैं इतना टाइम तो चाहिए ही।”
रागिनी बोली, “मालिनी जी ठीक ही कह रहा था संदीप। दो-दो चूतों का पानी निकालना है, वो भी दो-दो तीन-तीन बार, इतना टाइम तो लगेगा ही। वैसे भी जल्दी पानी भी तो नहीं छोड़ता उसका लंड। बताईये कैसे चलना है?”
मैंने कहा, ”तुम यहीं आ जाना। यहां से असलम को होटल से लेते हुए चलेंगे।”
रागिनी ने कहा, “ठीक है मालिनी जी, साढ़े दस पौने ग्यारह पहुंचती हूं।” फिर कुछ रुक कर बोले, “मालिनी जी आपके पास तो आज सांड है, मुझे लगता है रबड़ का लंड लेना पड़ेगा चूत में।” ये कह कर रागिनी हंसी और फोन काट दिया।
मैंने भी फोन बंद करके असलम की तरफ देखा। असलम का खड़ा लंड उसके हाथ में ही था। असलम बिना कुछ बोले मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया और पैंट खोल कर नीचे गिरा दी और लंड मेरे मुंह के आगे कर दिया। मेरी चूत भी रागिनी की और संदीप की बातों से गरम हो चुकी थी।
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