पिछला भाग पढ़े:- मेरी गांड फाड़ चुदाई
हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-
संदीप खड़े लंड के साथ मेरे सामने आ गया। संदीप का लंड बिलकुल मेरे होठों को छू रहा था। अब मैं भी और इंतज़ार नहीं कर सकती थी और मैंने संदीप का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। जल्दी ही संदीप का लंड लकड़ी की तरह सख्त हो गया। रागिनी ठीक ही कह रही थी, संदीप का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था। मेरा मुंह संदीप के लंड से भर गया।
जल्दी ही संदीप ने मेरा सर पकड़ा और अपने लंड पर आगे-पीछे करने लगा। मेरी चूत गर्म हो चुकी थी और लंड मांग रही थी। मैंने संदीप के चूतड़ पकड़े और खुद ही संदीप का लंड जो जोर से अंदर-बाहर करने लगे। संदीप आह आह कर रहा था।
मुझे लगा कहीं संदीप के लंड पानी मेरे मुंह में ही ना छूट जाए। मैं संदीप का लंड चूत में लेना चाहती थी। मैंने लंड मुंह से निकाला और संदीप की तरफ देखने लगी। संदीप समझ गया की मैं अब चुदाई चाहती थी।
संदीप ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मुझे खड़ा कर दिया। संदीप ने मेरी साड़ी खोल दी और मुंह घुमा कर मेरे ब्लाऊज़ के बटन खोल दिए हुए मेरी ब्रा भी उतार दी। अब मैं खाली एक चड्ढी में खड़ी थी। संदीप ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर लिया और मेरे होंठ चूसने लगा। संदीप के जिस्म पर खूब सारे बाल थे। मेरे मम्मे संदीप की छाती से टकरा रहे थे।
संदीप का एक हाथ मेरी चड्ढी के अंदर था और संदीप मेरी गांड के छेद में उंगली डालने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपनी टांगें खोल दी। संदीप ने अपनी उंगली मेरी गांड के छेद में घुसेड़ दी। मुझसे अब और रहा नहीं जा रहा था, मैं चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार थी।
मैंने संदीप को अपने से अलग किया और कहा, “बस संदीप, चलो अब।”
संदीप भी चुदाई के लिए तैयार ही था। बोला, “चलिए मैडम”, और हम कमरे में लगे बेड की तरफ बढ़ गए।
मैंने संदीप से पूछा, “बोलो संदीप, कैसे चोदना है, कैसे लेटूं?”
संदीप बोला, “मैडम पहली चुदाई आपकी मर्जी से होगी, उसके बाद देखेंगे कैसे करना है।”
मैं चुदाई तो रागिनी की तरह रगड़वा कर ही करवाना चाहती थी, मगर फिर सोचा आज पता नहीं संदीप कितनी बार रगड़ेगा। वैसे भी मैं तो तीन चार घंटे का सोच कर ही आयी थी। पहली चुदाई मैं सीधे सादे तरीके से ही करवाना चाहती थी।
मैंने कहा, “संदीप, सीधी सादी चुदाई ही करते हैं।”
संदीप आया और मेरी चड्ढी उतार कर मेरी चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरी टाँगें खोल दी और अपना मुंह मेरी चूत में घुसेड़ दिया। संदीप कभी अपनी जुबान मेरी चूत के अंदर डाल रहा था और कभी मेरी चूत का दाना चूस रहा था। बीच-बीच में संदीप “आह मैडम ओह मैडम” भी बोलता जा रहा था।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। मैं संदीप का मोटा लंड चूत में डलवाना चाहती थी। मेरी चूतड़ खुद-ब-खुद घूमने लग गए। संदीप भी समझ गया कि मैं लंड मांग रही थी। संदीप उठा मेरे ऊपर लेट कर लंड मेरी चूत में ऊपर नीचे किया और जैसे ही चूत के छेद पर लंड रुका, संदीप ने एक झटका लगाया और पूरा लंड मेरी चूत में बिठा दिया।
लंड रगड़ कर चूत में घुसा। वो पल तो जैसे जन्नत की तरह था। संदीप ने मुझे बाँहों में जकड़ा मेरे होंठ अपने होठों में लिए और जोरदार चुदाई चालू कर दी। संदीप बहुत जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। संदीप के हर धक्के साथ ऐसा लगता था जैसे बेड भी हिल रहा है।
वो ऐसे मुझे चोद रहा था जैसे पहली बार चूत चोदने के लिए मिली हो। वैसे बात तो यही थी। संदीप की पहली चुदाई ना भी हो तब भी संदीप मुझे तो पहली बार ही चोद रहा था। संदीप तो न जाने कब से मुझे चोदना चाहता था, मैं ही उसे लिफ्ट नहीं दे रही थी। संदीप ने मेरे होंठ छोड़े और जोर-जोर से धक्के लगाते हुए बोला, “आह मैडम, लो मैडम, गया पूरा आपकी फुद्दी में, आह मैडम क्या चूत है आपकी, मजा ही आ गया। मैडम बड़ा ही तरसाया है आपने। अब तक क्यों नहीं चुदवाई आपने?”
मुझे भी मजा तो आ ही रहा था। मैं भी चूतड़ घुमाते-घुमाते बोलने लगी, “ले भोसड़ी के, अब आ तो गयी तेरे पास, आज कर ले जितनी चुदाई करनी है। रगड़ ले मेरी चूत को जितना रगड़ना है – खुद भी मजा ले हुए मुझे भी मजा दे।” इसके साथ ही मैंने अपनी टांगें संदीप के पीछे कर दी और संदीप को टांगों में जकड़ लिया।
बीस मिनट चली इस चुदाई में दो बार मेरी चूत का पानी छूट गया, मगर संदीप एक बार भी नहीं छूटा। मैंने ही कहा, “बस संदीप निकाल ले पानी अपने लंड का फिर थोड़ा आराम कर लेते हैं।”
मेरे ये कहते ही संदीप ने लंड के धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी और बोला, “ऐसे कैसे निकाल लूं मैडम, चूत के अंदर ही मजा निकालूंगा।” ये कह कर संदीप ने और भी कस कर मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठ चूसने लगा। पांच मिनट की चुदाई के बाद एकाएक संदीप बोला, “लो मैडम निकला आपकी फुद्दी मैं, गया ये।”
और इसके साथ ही संदीप के लंड से निकले गर्म-गर्म पानी से मेरी चूत भर गयी। एक मिनट ऐसे ही मेरे ऊपर लेटने के बाद संदीप ने लंड मेरी चूत में से निकाला और पलट कर मेरे साथ ही लेट गया।
मेरे मुंह से अपने आप ही निकल गया, “संदीप, मस्त चुदाई करता है तू।” ये सुनते ही संदीप फिर से मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठ चूसने लगा।
मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। मुझे लगा अगर संदीप ऐसे ही मेरे होंठ चूसता रहा तो मेरी चूत फिर लंड मांगने लगेगी, लेकिन मैं बोली कुछ नहीं।
कुछ देर मेरे होंठ चूसने के बाद संदीप मेरे ऊपर से उतरा और जा कर सोफे पर बैठ गया। मैं भी उठी और बाथरूम में चली गई। पेशाब करके चूत की धुलाई करके मैं बाहर आयी और संदीप के पास ही बैठ गयी। मैंने संदीप के ढीले पड़े लंड को पकड़ा और कहा, “संदीप, मजा आ गया आज चुदाई का।”
संदीप ने भी मेरी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा, “मैडम, चूत तो कसी हुई है आपकी। चोदने में मुझे भी बड़ा ही मजा आया।”
थोड़ी देर ऐसे ही हम एक-दूसरे के लंड चूत के साथ खिलवाड़ करते रहे। संदीप का लंड खड़ा होने लगा। मैंने मस्ती में संदीप की तरफ देखा और कहा, “संदीप ये फिर तैयार हो रहा है क्या?”
संदीप ने बस इतना ही कहा,”जी मैडम”, और उठ कर दोनों गिलासों में जिन डालने लगा। मैंने भी संदीप को मना नहीं किया। मैं भी संदीप के मोटे लंड की चुदाई का पूरा मजा लेना चाहती थी।
दो बड़े-बड़े घूंट भरने के बाद संदीप ने अपना गिलास मेज पर रख दिया और खड़ा हो गया और अपने खड़े लंड को हाथ मैं लेकर बोला, “चलिए मैडम, अब बताईये कैसे मजा लेना है, कैसे चुदवानी है?”
मैंने अपने गिलास में से घूंट भरते हुए कहा, “अब जैसे तेरी मर्जी है वैसे चोद संदीप, बस यादगार बना दे आज की चुदाई।”
“चलिए मैडम आइये फिर, यादगार बनाता हूं चुदाई।” इतना बोल कर संदीप मेरे सामने खड़ा हो गया। इशारा साफ़ था कि मैं संदीप का लंड मुंह में लूं।
मैंने गिलास मेज पर रखा और संदीप का मोटा लंड मुंह में ले लिया। पांच मिनट की चुसाई के बाद ही संदीप बोला, “बस मैडम उठिये और चूतड़ पीछे कर के बेड के किनारे पर उल्टा लेट जाईये। जरा आपके चूतड़ चाटूं।”
मैंने लंड मुंह में से निकाला और जैसा संदीप ने कहा था वैसे ही चूतड़ पीछे की तरफ करके घुटनों बल बेड के किनारे पर लेट गयी। संदीप मेरे पीछे आया हुए अपना लंड मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगा। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद संदीप नीचे बैठ गया और उसने मेरे चूतड़ चौड़े किये और मेरी गांड का छेद चाटने लगा।
संदीप फिर खड़ा हो गया और बोला, “मैडम मस्त चूतड़ हैं आपके। मैडम गांड में लेना है?”
मैंने हंसते हुए कहा, “साले फाड़ेगा क्या मेरी गांड? तेरा मोटा लंड मेरी गांड में जा भी पायेगा? चल कोशिश करके देख ले, मगर जबरदस्ती मत करना।”
संदीप बोला, “चलिए मैडम पहले एक बार चूत चुदाई तो कर लें, फिर देखेंगे।”
ये कह कर संदीप ने मेरे चूतड़ थोड़ा ऊपर उठा दिए। मेरी चूत बिलकुल संदीप के लंड के सामने थी। संदीप ने अपना लंड चूत के दरार में ऊपर नीचे किया और जैसे ही लंड चूत के छेद पर बैठा, संदीप ने एक झटका लगाया लंड अंदर बिठा दिया। चिकने पानी से भरी मेरी चूत में संदीप का लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया।
संदीप लंड चूत में डाले कुछ देर ऐसे ही खड़ा रहा, मगर चुदाई शुरू नहीं की।
मुझे कुछ हैरानी सी हुई के संदीप चुदाई क्यों नहीं कर रहा। तभी संदीप ने लंड चूत में से बाहर निकाल लिया और अलमारी की तरफ चला गया। मैंने सर मोड़ कर देखा के ये संदीप क्या कर रहा था। संदीप मुड़ा तो उसके हाथ में एक छोटा तौलिया था। मैं समझ गयी अब मेरी रगड़ाई वाली चुदाई होने वाली थी। मेरे सामने रागिनी की फूली हुई चूत घूम गयी। ऐसे ताबड़-तोड़ चुदाई के ख्याल भर से ही मेरी चूत ने फिर फव्वारा छोड़ दिया।
संदीप मेरे पीछे आया और मेरी चूत तौलिये पोंछने लगा। मैंने अनजान बनते हुए संदीप से पूछा, “संदीप ये क्या कर रहे हो?”
संदीप ने जवाब दिया, “मैडम यादगार चुदाई के तैयारी कर रहा हूं, आप बस आप देखती जाईए।”
अच्छी तरह चूत का पानी पोंछ कर संदीप ने अपने उंगली चूत के छेद मैं डाली, ये देखने के लिए के चूत बिलकुल सूख गयी है। चूत बिलकुल सूखी हो चुकी थी, संदीप ने चूत का पूरा पानी सुखा दिया था। संदीप ने तौलिया एक तरफ रख दिया और लंड को फिर से चूत के छेद पर बिठा दिया और दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली। मैं समझ गई की अब संदीप क्या करने वाला था। मैं बस उस पल का इंतजार कर रही थी जब संदीप का मोटा लंड मेरी चूत के परखच्चे उड़ाने वाला था।
तभी संदीप बोला, “लो मैडम लो यादगार होने वाली चुदाई के मजे”, और इतना कहते ही संदीप ने एक जोर का झटका लगाया और लंड मेरी चूत को जैसे छीलता हुआ अंदर चला गया।
मेरे मुंह से मस्ती भरी एक सिसकारी निकली, “आह संदीप”, और मैं दर्द के मारे थोड़ा आगे की तरफ हुई। मगर संदीप ने मेरी कमर पकड़ी हुई थी। संदीप ने मुझे हिलने नहीं दिया और चुदाई चालू कर दी। लंड के हर धक्के के साथ संदीप बोलता जा रहा था, “लो मैडम लो मेरा लंड। अब होगी आपकी यादगार चुदाई।”
एक मिनट की चुदाई के बाद हे मेरा दर्द ग़ायब हो गया और दर्द की जगह जन्नत के मजे ने ले ली। मेरे मुंह से बरबस ही निकल गया, “भोसड़ी के इतने दिन कहां था? क्यों अब तक नहीं की मेरी चुदाई? आह मजा आ गया संदीप, रगड़ दे आज मेरी चूत फुला दे इसे, फाड़ दे।”
इतना सुनना था के संदीप ने जोर-जोर से लम्बे-लम्बे धक्के लगाने शुरू कर दिए। सूखी चूत की चुदाई मैं पांच मिनट नहीं झेल पायी और झड़ गयी, निकल गया मेरी चूत का पानी। मेरे मुंह से बस इतना ही निकला, “संदीप निकल गया मेरा, क्या मजा दिया है तूने।”
संदीप ने लंड बाहर निकाल लिया। उसका एक हाथ मेरी कमर पर ही था, मतलब मुझे अभी ऐसे ही लेटी रहना था। दूसरे हाथ से सदीप ने तौलिये से फिर मेरी चूत साफ़ की। चुदाई और मजा आने के दौरान जो पानी चूत ने छोड़ा था, संदीप ने उसे साफ़ किया और फिर से झटके के साथ लंड चूत में बिठा दिया और चुदाई चालू कर दी। सूखी चूत की चुदाई का ये सिलसिला बीस मिनट तक चला। इस दौरान मेरी चूत दो बार और पानी छोड़ गयी।
हर बार मुझे मजा आने पर संदीप तौलिये से चूत पोंछ कर चूत का पानी सुखाता और चुदाई चालू कर देता। इस सूखी चुदाई से मेरी चूत सुन्न हो चुकी थी। अब चूत में हल्का-हल्का दर्द भी होने लगा था। मैंने सर मोड़ कर संदीप से पूछा, “और कितना रगड़ोगे संदीप, तुम्हारा नहीं निकल रहा?”
संदीप ने धक्के लगाते हुए कहा, “मैडम मेरा नहीं निकलेगा। आप अगर थक गई हैं तो मैं बस करता हूं, मगर लंड का पानी या तो अपनी गांड में निकालूंगा या मुंह में।”
मैंने इतना ही कहा, “संदीप थक तो गयी हूं। तीन बार मजा भी आ चुका है।”
मेरा इतना कहते ही संदीप ने चुदाई रोक दी, मगर लंड बाहर नहीं निकाला। संदीप बोला, “तो मैडम बताईये कहाँ छुड़ाऊं, गांड में छुड़वाना है या मुंह में?”
मैंने वैसे लेटे लेटे पूछा, “संदीप गांड में कैसे छुडवाओगे? तुम्हारा लंड गांड में जाएगा ही कैसे।”
संदीप बोला, “वो आप मत सोचो मैडम, जितना जाएगा उतना डाल कर ही छुड़वा दूंगा। मैडम में गांड में गरम-गरम छुड़वाने का भी अपना ही मजा है।”
मैंने कह दिया, “ठीक है संदीप, फिर गांड में ही निकाल दे, मुंह में बाद में देखेंगे।”
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