पिछला भाग पढ़े:- बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-1
पिछले भाग में अपने रागिनी के बारे में जाना। अब इस भाग में जानिए डाक्टर मालिनी से मिलने आयी रागिनी और मालिनी के बीच बातों-बातों में क्या कुछ हो गया।
रागिनी अपनी और आलोक की और अपनी डाक्टरों के साथ चुदाई के बारे में बता कर थोड़ा चुप हो गयी। मैंने ही फिर पूछा, “रागिनी तुम बता रही हो उस प्रवीणा के साथ अभी भी तुम्हारे चूत चुसाई वाले रिश्ते हैं? वो अभी भी वहीं है, तुम्हारे साथ? उसने शादी नहीं की”?
रागिनी बोली, “शादी तो की थी मालिनी जी उसने। मगर शादी के बाद उसे पता चला की वो पूरी तरह से ही लेस्बियन है। चूत चुदाई से ज्यादा उसकी दिलचस्पी चूत चुसाई में है, अब मालिनी जी मर्दों के पास तो चूत होती नहीं, जहां औरतों के चूत होती है, वहां मर्दों का लंड और टट्टे लटक रहे होते है। लिहाजा बात कुछ बनी नहीं और शादी के एक साल के बाद ही उनका तलाक हो गया”।
“अब प्रवीणा हस्पताल के पीछे वाले घरों में ही रहती है और वहीं हमारी चूत चुसाई की मस्ती होती है। हस्पताल की बाकी नर्सें भी इस चूत और चूतड़ चुसाई के मजे लेने के लिए उसी के घर पर जाती हैं”।
“अब तो जो नयी-नयी नर्सें जीवन ज्योति में ट्रेनिंग या नौकरी के लिए आती हैं प्रवीणा उनके साथ खूब चूत चुसाई गांड चुसाई का खेल खेलती है। कोइ ही नयी नर्स बचती होगी जो प्रवीणा के इस चूत चुसाई के खेल का हिस्सा ना बनती हो। अब आपसे क्या छुपाऊं, मैं भी ऐसे अक्सर ऐसे चूत गांड चुसाई के खेल में भाग लेती रहती हूं”।
रागिनी की चूत चुसाई वाली बातें सुन कर कर मेरी चूत मैं भी खुजली होने लगी।
पानी तो मेरी चूत ने तभी छोड़ गयी थी जब रागिनी ने कहा था, “आलोक के लम्बे लंड की मैं कुछ ज्यादा ही दीवानी हो गयी”।
जब मैंने अपनी चूत दो-तीन बार खुजाई तो ये बात रागिनी से छुपी नहीं रही। वो हल्का सा मुस्कुराई और बोली, “मालिनी जी क्या बात है, लगता है”, और फिर मेरी चूत की तरफ इशारा कर के बोली, “इसमें कुछ कुछ होने लगा है क्या”?
मैंने भी कह ही दिया, “होने तो लगा है रागिनी। तुम तो जानती ही हो, कि मैंने अब तक शादी नहीं की – शादी मैं करना ही नहीं चाहती थी। बस मुझे ऐसे ही काम चलाने में मजा आता है। कौन बंधे एक खूंटे से। अब तुम्हारी बातों इन चूत चुदाई और चुसाई वाली बातों ने इसे गीला कर दिया है”। ये बोल कर मैंने दुबारा चूत खुजलायी।
मुझे दुबारा चूत खुजलाते देख रागिनी यकायक बोली, “मालिनी जी मेरी मानिये तो आपको इसका अभी की अभी कुछ कर लीजिये”। फिर कुछ रुक कर रागिनी बोली, “मेरे पास इसके इलाज का एक आडिया है, कहें तो बताऊं”?
“मैंने कोइ जवाब नहीं दिया। लेकिन बात तो रागिनी की ठीक ही थी। मेरी चूत गीली तो हुई ही पड़ी थी। कुछ तो जाना ही चाहिए था इसमें, कुछ तो होना ही चाहिए था इसका”। रागिनी के इतना कहने पर मैं रागिनी की तरफ देखने लगी।
मैं अभी कुछ सोच ही रही थी कि थोड़ा आगे की तरफ झुकते हुए बोली, “मालिनी जी सोच क्या रही हैं? चुसवानी है”?
– मालिनी और रागिनी की चूत चुसाई
“मेरी चूत में तो झनझनाहट हो ही रही थी मगर रागिनी की बात सुन कर मुझे कुछ हैरानी सी हुई”।
“रागिनी मुझे सालों बाद मिली थी, और इस तरह से आमने-सामने बैठ कर तो हम पहली बार ही बात कर रहे थे। और रागिनी इस पहली मुलाक़ात में ही चूत चुसाई तक जा पहुंची थी”?
मैंने मन ही मन में कहा, “बिल्कुल नहीं बदली तुम रागिनी, वैसी ही हो पहले जैसी – चुदक्कड़”।
मैंने अपनी हैरानी पर काबू रखते हुए कहा, “अभी? रागिनी पहले तुम्हारी पूरी बात तो सुन लें। तुम्हारी समस्या तो समझ लें जिसके लिए तुम आज यहां आयी हो”।
रागिनी बोली, “समस्या कहीं भागी तो नहीं जा रही मालिनी जी, और ना ही ये एक दिन की समस्या है। चलिए पहले ये काम कर लें। सब काम अपनी-अपनी जगह जरूरी होते हैं”।
फिर थोड़ा आगे झुक कर रागिनी बोली, जैसे बड़े राज की बात बताने जा रही हो, “मालिनी जी मैं दोनों चूत और चूतड़ों का छेद, दोनों को बढ़िया चूसती हूं। एक बार चुसवा कर देखिये। याद रखेंगी आप भी, ऐसी चुसाई करूंगी। प्रवीणा तो मेरी गांड चुसाई की दीवानी है”।
“जैसा कि मैं रागिनी को जानती थी, रागिनी चुदाई के मामले में तेज तो पहले से ही थी, मगर ऐसी तेज होगी कि पहली ही मीटिंग में वो मेरी चूत चुसाई पर पहुंच जाएगी, ये नहीं सोचा था”।
“जैसे ही रागिनी ने कहा “मालिनी जी मैं दोनों चूत और चूतड़ों का छेद, दोनों को बढ़िया चूसती हूं। एक बार चुसवा कर देखिये”, मेरी चूत की तो हालत खराब हो गयी। रागिनी की बातों ने मुझे पागल कर दिया। मेरी चूत फुर्र-फुर्र पानी छोड़ने लगी। अब रुकने की ना कोई गुंजाइश नहीं थी”।
मैंने उठते हुए कहा, “चलो”।
“हम दोनों क्लिनिक के पीछे वाले कमरे मैं चले गए। जैसे ही मैंने क्लिनिक वाला दरवाजा बंद किया, रागिनी ने एक मिनट भी नहीं लगाया और अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी खड़ी हो गयी”।
“रागिनी का जिस्म इस उम्र में भी कड़क था। तने हुए मम्मे, उभरे हुए मुलायम चूतड़”।
रागिनी के खड़े मम्मे देख कर मुझसे रहा नहीं गया I मैंने हाथ में रागिनी के मम्मे पकड़े और जोर-जोर से मसलने लगी।
“रागिनी सिसकारियां लेने लगी और अपने मम्मों को मेरे मम्मों के साथ रगड़ने लगी”।
“जल्दी ही हम दोनों मस्ती में आ गईं”।
रागिनी बोले, “मलिनी जी आप भी तो कपड़े उतारिये, ऐसे मजा नहीं आ रहा”।
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और रागिनी को बाहों में ले कर पीछे हाथ करके रागिनी के चूतड़ दबाने लगी। हम दोनों के मम्मे आपस गुत्थम-गुत्था हुए पड़े थे।
रागिनी बोली, “तो मालिनी जी बताईये क्या करना है? चुसवानी है या चूसनी है”? मैंने रागिनी की चूत की दरार में में ऊंगली ऊपर नीचे करते हुए कहा, “तुम बताओ”।
रागिनी बोली, “ऊपर नीचे हो जाते है। एक दूसरी के चूत और गांड दोनों की चुसाई हो जाएगी”।
“मैंने कहा, ठीक है चलो तुम लेटो, मैं ऊपर आती हूं”।
रागिनी लेट गयी और चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर चूत उठा दी।
रागिनी के ऊपर लेटते हुए मैंने धीमी आवाज में पूछा, “रागिनी एक बात बताओ, वो जो तुम कह रही हो आलोक का लंड कुछ ज्यादा ही लम्बा है – “ज्यादा ही” से क्या मतलब? मतलब कितना लम्बा”?
रागिनी ने मुस्कुराते हुए अपनी कलाई से नीचे हाथ रखते हुए कहा, “लगभग इतना”।
“जितना रागिनी बता रही थी ये तो आठ इंच से भी ज्यादा लम्बाई वाला लंड था। मेरी चूत में फिर खुजली मच गई। एक पल को तो ऐसा लगा जैसे आलोक का लम्बा लंड मेरी चूत में चूत के आख़री हिस्से तक पहुंचा हुआ है”।
“मुझे तभी कुछ याद आया। मैंने कहा, “रागिनी चलो पहले एक दूसरी की चूत चूसते हैं, फिर तुम्हें कुछ और चीज दिखाऊंगी। बढ़िया मजा दूंगी तुम्हें”।
“रागिनी ने हूं हूं किया और मैंने रागिनी की चूत खोल कर अपने होठों में रागिनी की चूत का दाना ले लिया और चूसने लगी। रागिनी की चूत में से मस्त खुशबू आ रही थी”।
“रागिनी मेरी चूत पर अपनी जुबान फेर रही थी, और साथ ही एक उंगली मेरी गांड में डाल कर अंदर बाहर कर रही थी”।
“मानने वाली बात थी कि रागिनी चूत चूसने में माहिर थी। मजा आ गया उसकी चुसाई में। लग ही रहा था रागिनी और प्रवीणा खूब मस्ती करती हैं”।
“जब दोनों की चूतें पानी छोड़ गयी, और हम दोनों को ही मजा आ गया तो मैंने कहा, “चलो रागिनी उठो तुम्हें आज जन्नत का मजा देती हूं”।
रागिनी हैरानी से बोली, “ऐसा क्या है मालिनी जी? मजा तो आ चुका है। अब क्या गधे के लंड जैसे लंड वाला कोइ मर्द छुपा के रक्खा है यहां”? ये बोलती हुई रागिनी हंस दी।
मैंने हंस कर जवाब दिया, “अरे नहीं रागिनी। मजे लेने के लिए मैं मर्दों की मोहताज नहीं”।
“फिर रागिनी की तरफ देखते हुए एक आंख दबा कर बोली, “हां अगर कोइ ऐसे लंड वाला मर्द”, मैंने अपने हाथ से रागिनी के हाथ वाला इशारा दोहराया, “सामने हो तो फिर बात कुछ और हो जाती है”।
“अब इतनी भी नासमझ नहीं थी रागिनी। रागिनी एक मिनट में समझ गयी कि मेरा इशारा आलोक के लंड की तरफ था”।
रागिनी बोली, “मालिनी जी एक बात बताऊं, जैसा लम्बा लंड आलोक का है, ऐसे लंड से चूत चुदाई का मजा तो आता ही है, गांड चुदाई का और भी ज्यादा मजा आता है। जब लम्बा लंड गांड में पूरा अंदर तक जाता है तो गांड के साथ-साथ चूत में भी कुछ-कुछ होने लगता है”।
रागिनी ने फिर एक ज्ञान की बात बताई, “मालिनी जी ज्यादा मोटा लंड चूत के लिए तो थो ठीक रहता है गांड चुदाई में तो गांड छील कर रख देता है। ऐसी गांड चुदाई भी किस काम की जिसमें गांड का कचरा ही हो जाये”।
मगर रागिनी के गांड छीले जाने वाली बात पर मुझे आगरा वाले असलम के साथ हुई गांड चुदाई याद आ गयी। असलम के मोटे लंड से गांड चुदवाने से मेरी गांड का भी तो कुछ ऐसा ही हाल हुआ था”।
“रागिनी ने इशारों-इशारों में सब समझा दिया था मुझे। बस इतना ही नहीं कहा “मेरी मानिये तो आप भी एक बार ट्राई कर लीजिये आलोक का लम्बा लंड”।
ये कहते हुए रागिनी हंस दी। मैंने भी हंसते हुए कहा, “चलो देखते हैं क्या होता है, कब और कहां मिलेगा ऐसा लंबा लंड”।
“रागिनी की बातों से मैंने सोचा रागिनी को तो चूत चुसाई के अलावा गांड चुदाई का भी अच्छा तजुर्बा लगता है। मैंने कह ही दिया, “रागिनी तुम तो गांड का छेद भी मस्त चूसती चाटती हो। क्या बात है, सारे शौक पाल रखे हैं क्या”?
“इतना कह कर मैं उठी और मैंने अपने ड्रेसिंग टेबल के दराज में से अपनी तीनो चुदाई के खिलौने निकाल लाई। मोटा लम्बा लंड, चूत का दाना चूसने वाला खिलौना और गांड और चूत में इकट्ठा डालने वाला और साथ ही चूत का दाना चूसने वाला अंगरेजी के “C” शब्द जैसा खिलौना। मैंने तीनो खिलौने रागिनी के सामने रख दिए”।
– रबड़ के लंड हमारी चूत और गांड में।
“रागिनी एक सीनियर नर्स थी। उसे इन खिलौनों के बारे मैं पूरा पता था। फिर भी वो बोली, “मालिनी जी आप तो कमाल हैं। क्या आप इनका काफी इस्तेमाल करती हैं”?
“मैंने कहा, “रागिनी वैसे तो मेरी कोशिश रहती है कि इनका कम से कम इस्तेमाल किया जाए। असली लंड का मुकाबला ये रबड़ के लंड लौड़े नहीं कर सकते, मगर अगर कभी चूत या गांड में आग लग ही जाए तो फिर मैं ज्यादा नहीं सोचती। अब बताओ तुमने अभी कौन सा लेना है”।
“रागिनी ने चूत और गांड वाला “C” जैसा खिलौना उठा लिया और बोली, “यही लेती हूं मालिनी जी। ऐसा, चूत और गांड वाला कभी पहले नहीं डलवाया”।
मैंने कहा ,”चलो ठीक है। तुम लेटो मैं इसे तुम्हारे गांड और चूत में डाल कर चालू कर देती हूं। तुम्हारी गांड, चूत और चूत के दाने का काम ये अकेला ही कर देगा।
रागिनी बोली, “ठीक है मालिनी जी, और आप क्या करेंगी “?
मैंने रागिनी से कहा, “मैं चूतड़ तुम्हारे मुंह की तरफ करके तुम्हारे ऊपर उल्टा लेट जाऊंगी। तुम वो मोटा वाला लंड मेरी चूत ने डाल कर उसका वाइब्रेशन चालू कर देना। बस फिर दोनों लेंगे जन्नत के मजे”।
ये बोल कर मैंने रागिनी के ऊपर उल्टा लेटते हुए रागिनी के हाथ में असलम के मोटे लंड जैसा रबड़ का लंड रागिनी के हाथ में पकड़ा दिया और कहा, “ये लो तुम ये लंड मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत की चुदाई करना और साथ मेरी गांड का छेद चाटना। ठीक”?
रागिनी बिस्तर पर लेटते हुए बोली, “बिल्कुल ठीक”।
“फिर हंसते हुए रबड़ के लंड पर हाथ फेरते हुए बोली, “एक बात तो है मालिनी जी, आप भी अच्छे खासे मोटे लंड की शौकीन हैं। बस अब एक बार आप लम्बा लंड भी ट्राई करिये हैं”। अब तो मुझे पक्का विश्वास हो गया की रागिनी का इशारा आलोक के लंड के तरफ ही था।
“और ये कहते हुए रागिनी ने अपने चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर गांड और चूत दोनों उठा दिए और टांगें उठा कर फैला दी। रागिनी की चूत का गुलाबी छेद साफ़ दिखाई दे रहा था – छेद थोड़ा सा खुला हुआ था।
“मैंने रागिनी की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और खिलौने के गांड में जाने वाले हिस्से पर जैल लगाई और और उस खिलौने को रागिनी की गांड में जड़ तक बिठा दिया। रागिनी ने एक हल्की सी सिसकारी ले, “आअह मालिनी जी”।
“फिर मैंने रागिनी की चूत का दाना को थोड़ा-थोड़ा हल्का-हल्का रगड़ा। जब रागिनी की चूत ने चिकना-चिकना पानी छोड़ दिया। चूत लंड लेने के लिए तैयार थी। मैंने खिलौने का दूसरा हिस्सा चूत में आखिर तक बिठा दिया”।
“खिलौने के लंड वाले हिस्से के अंत में उंगली के बराबर एक और हिस्सा लगा हुआ था, आगे से थोड़ा सा खाली था। जब लंड चूत में पूरा बैठ जाता था तो ये उंगली जैसा हिंसा चूत के दाने के ऊपर आ जाता था”।
“जैसे ही खिलौने के तीनो हिस्से रागिनी की चूत, गांड और चूत के दाने पर ठीक से बैठ गए तो मैंने खिलौने का स्विच दबा दिया। खिलौने के तीनो हिस्से जो गांड और चूत के अंदर और दाने पर बैठे थे वाइब्रेट – कम्पन करने लगे”।
“रागिनी के मुंह से बस इतना ही निकला, “अअअअअह मालिनी जी मजा ही आ गया”।
“रागिनी की चूत और गांड का काम करने के बाद मैं उठी, अपनी दोनों टांगें रागिनी के दोनों तरफ कर के उल्टा लेट गयी। मेरे चूतड़ रागिनी के मुंह के आगे थे”।
“मेरी चूत तो चिकनी हुए ही पड़ी थी। रागिनी ने रबड़ का मोटा लंड मेरी चूत में एक ही झटके से दबा कर डाल दिया और उसका वाइब्रेटर चालू कर दिया और इसके साथ ही मेरे गांड के छेद पर जुबान फेरने लगी”।
“रागिनी को कुछ भी बताने की जरूरत नहीं थी। रागिनी वैसे ही चुसाई की उस्तादनी थी”।
“उधर मैंने रागिनी की चूत से खिलौने का उंगली वाला हिस्सा रागिनी की चूत के दाने से हटाया और रागिनी की चूत का दाना चूसने चाटने लगी”।
“चूत और गांड में खिलौनों का खेल चालू हो चुका था। बस अब मजे ही मजे थे”।
“अगला आधा घंटा हम ऐसे ही लेटे रहे और सेक्स के खिलौने हमारी गांड और चूत में अपना काम करते रहे। चूतड़ हिलाने से पता लग रहा था कि मेरी और रागिनी की चूतें कम से कम दो दो तीन तीन बार पानी छोड़ चुकी थीं”।
“जब दोनों की तसल्ली हो गयी तो मैंने रागिनी से कहा, “रागिनी, मेरा तो हो गया, लंड निकाल लो मेरी चूत में से”।
“रागिनी ने मेरी चूत में से मोटा लंड निकाल लिया। मेरी गीली चूत में से जब लंड बाहर निकला तो आवाज आयी प्लप”।
“रागिनी के ऊपर से उतर कर मैंने रागिनी से पुछा, “रागिनी निकाल लूं या अभी और करना है “?
रागिनी बोली, “बस मालिनी जी बड़ी बार पानी छोड़ चुकी मेरी चूत। कमाल का खिलौना है ये”।
“मैंने रागिनी की चूत और गांड में से वो सेक्स टॉय निकाल दिया और दोनों टॉयज की बैटरी निकाल कर बाथरूम के सिंक में धोने के लिए रख दिया”।
“इसके बाद हम दोनों ने उठ कर कपड़े पहने और क्लिनिक में वापस आ गए। अब वो काम शुरू करना था जिसके लिए रागिनी मेरे पास आयी थी”।
रागिनी ने मुझसे कहा, “मालिनी जी आप तो ऐसे चूत चूसती और चटवाती हैं कि कोइ पक्की लेस्बियन भी क्या चूत चूसेगी और क्या चूत चुसवायेगी। क्या आप भी मेरी तरह नार्मल और लेस्बियन हैं या प्रवीणा की तरह पूरी लेबियन ही हैं”?
मैंने हंसते हुए कहा, “रागिनी मैं कोइ लेस्बियन नहीं हूं। खूब लंड लेती हूं और अच्छे मोटे लम्बे लंड मुंह में चूत और गांड दोनों सब जगह लेने की शौक़ीन भी हूं”।
“मगर रागिनी औरत के अंदर एक लेस्बियन छिपी होती है। हर औरत कभी ना कभी चूत चूसने चुसवाने, गांड चाटने चटवाने की और किसी लड़की के होंठ चूसने या चुसवाने की इच्छा रखती है”।
“तुम और मैं बिल्कुल नार्मल – सामान्य हैं, कोइ लेस्बियन नहीं। मैं भी चूत और गांड चुदवाने का मजा लेती हूं तुम भी लेती हो। कभी-कभी औरतों को आपस में ये सब करने का मजा आता है”।
रागिनी बोली, “मालिनी जी ऐसा मोटा लंड तो चूत में पहले भी ले रक्खा है, मगर ये गांड और चूत वाला पहली बार लिया है। मजा आ गया। मैं भी मंगवाती हूं ऐसा”।
मैंने कहा, “मगर रागिनी ये तो हम जैसियों के लिए है जिनके पास हर वक़्त मर्द नहीं होते। तुम्हारे पास तो लम्बे लंड वाला आलोक है”।
इस बात का रागिनी ने कोइ जवाब नहीं दिया, मगर मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी।
अगले भाग में रागिनी की कहानी, उसी की जुबानी।
अगला भाग पढ़े:- बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-3