पिछला भाग पढ़े:- मेरी नामर्दी के कारण मां चुदी दोस्त से-2
हेलो दोस्तों, मेरा नाम मनीष है। मैं अभी ग्रेजुएशन के सेकंड ईयर में पढ़ रहा हूं। मेरे साथ ही मेरा एक बहुत ही बिगड़ैल दोस्त राहुल पढ़ता है, जो हमेशा लड़कियों और आंटियों की चुदाई के फिराक रहता है।
उम्मीद है कि पिछले भाग को आपने पढ़ लिया होगा। किस तरह राहुल ने मेरी मम्मी को झरने के नीचे रात की चांदनी रात में खूब मजे से चोदा, और उसके बाद दोनों थक कर सो गए। मेरी नामर्दी के कारण मेरी मां मेरे दोस्त से चुदने लगी थी।
ट्रैकिंग का आज दूसरा दिन था। मम्मी खाना बना रही थी। राहुल मम्मी की मदद कर रहा था। मैं अभी-अभी सो कर उठा था। मैं जाकर झरने के पास अपना हाथ मुंह धो कर आया, और मैं भी मम्मी के साथ बैठ गया। मम्मी मेरे गाल पर किस्स की और बोली-
मम्मी: बहुत थक गया था मेरा बेटा। उठ कर अब कैसा लग रहा है?
मम्मी के चेहरे पर मुस्कान देख कर मुझे थोड़ी शर्म आई कि मैं रात को मम्मी की मदद नहीं कर पाया, जिसकी वजह से मम्मी ने मेरी दोस्त की मदद ली, और उससे अपनी चुदाई करवा कर शांत हुई।
फिर मम्मी ने थोड़ी देर बाद खाना बनाया, और हम सभी ने मिल कर खाना खाया, और अपना सामान लपेट कर बाइक पर बांध कर आगे की ओर बढ़ गए। आगे बढ़ने पर हमें एक बहुत ही सुंदर नजारा दिखाई दिया। हमने वहां पर अपनी बाइक लगाई और एक अच्छी जगह देख कर टेंट लगा दिया, और उसके भीतर सामान रख दिया। फिर हम लोग वहां पर घूमने लगे।
मेरी मम्मी राहुल के साथ-साथ चल रही थी। अब मम्मी को राहुल का साथ अच्छा लगने लगा था। राहुल मम्मी की गांड को सहलाते हुए चल रहा था, और मम्मी मुस्कुरा रही थी। मम्मी के चेहरे की खुशी देख कर मैं बहुत ज्यादा खुश था। मैं थोड़ा घूमते हुए आगे निकल गया। मुझे अच्छा लग रहा था। तब राहुल ने मुझे आवाज देकर कहा कि कहा कि-
राहुल: मनीष हम लोग इधर खंडहर देखने जा रहे हैं। तुम घूम कर टेंट के पास चले जाना।
मुझे खंडहर देखने में कोई इंटरेस्ट नहीं था। इसलिए मैं बाहर की हरियाली और पेड़ पौधों को देख कर मस्त हो रहा था। वहां पर प्रकृति का बहुत ही अद्भुत नजारा दिख रहा था। फिर राहुल और मम्मी दोनों खंडहर में चले गए।
मैं बाहर प्रकृति का नजारा देख रहा था, कि तभी मुझे लगा कि मुझे भी खंडहर देखना चाहिए। तब मैं भी खंडहर की ओर जाने लगा। जब मैं उस खंडहर में गया तो वहां काफी अंधेरा था। बड़ा सा महल जैसा लग रहा था, जो अब टूट-फूट करके खंडहर ही बचा था। उसमें कई सारे कमरे थे, और उसके अंदर चमगादड़ भरे हुए थे।
मैं उसके अंदर मम्मी और राहुल को ढूंढने लगा। मैं सारे खंडहर के कमरों को चेक कर रहा था, पर वो लोग मुझे कहीं दिखाई नहीं दिए। फिर मैं खंडहर के थोड़ा और भीतर गया। तब मुझे मादक आवाज सुनाई थी।
मैं अंदर गया तो दूसरी तरफ देखा कि एक खिड़की थी, जहां से हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी, और छत टूटा हुआ था, और अंदर काफी सारे घास जमे हुए थे। राहुल मम्मी को दीवार के सहारे खड़ा करके उनकी गर्दन को चूम रहा था, और मम्मी राहुल के बालों को सहला रही थी। वो अपनी आंखों को बंद करके मुंह से हल्की-हल्की मादक आवाज निकाल रही थी।
भूतिया नुमा इस खंडहर में मम्मी की मादक आवाज, ऊपर से उनके कातिलाना शरीर की बनावट और राहुल ने जिस तरह उन्हें खड़ा करके गर्दन को चूम रहा था, वह बिल्कुल भी एक काम उत्तेजक अप्सरा लग रही थी। मम्मी आज पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, जिसमें वह किसी अप्सरा से काम नहीं लग रही थी। राहुल उनकी साड़ी के ऊपर से ही चूचियों को दबाता, और गर्दन को और गाल को चूमते हुए होंठों का भी रस पान कर रहा था।
मम्मी भी राहुल के होठों को चूस रही थी, और उसके बालों को सहलाते हुए अपने हाथ नीचे ले गई, और उसके लंड को हल्का-हल्का रगड़ने लगी। फिर राहुल ने अपनी पेंट को खोल कर नीचे सरका दिया, और लंड को आजाद कर दिया। मम्मी अपने हाथों में लंड को भर कर हल्का-हल्का सहलाने लगी।
राहुल मम्मी के चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से सहला रहा था। फिर राहुल ने मम्मी के पल्लू को नीचे गिराया, और ब्लाउज को खोल कर दोनों चूचियों को आजाद करके चूसने लगा। मम्मी उसके लंड को सहला रही थी। मम्मी की चूचियां उसके मुंह में जाते ही मम्मी के मुंह से मादक आवाज़ निकलने लगी। मम्मी बिल्कुल ही मदहोश अपनी आंखें बंद कर ली थी।
मम्मी नीचे बैठी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। राहुल को बड़ा ही आनंद आ रहा था, जब मम्मी उसके पूरे लंड को अपने मुंह में भर लेती। मम्मी ने उसके लंड को चूस कर उसे पूर्ण तरीके से खड़ा कर दिया, और उसके बाद राहुल ने मम्मी को ऊपर उठाया। फिर उनके होठों को चूस कर, उनकी साड़ी को कमर तक उठा कर पेंटी को नीचे सरकाया, और उनका एक पैर को खिड़की के ऊपर रखा। इससे मम्मी की टांगे खुल गई, और चूत साफ नज़र आने लगी। राहुल ने मम्मी की बुर पर अपना लंड रखा, और सट से अंदर पेल दिया।
मम्मी ने राहुल को बाहों में भर लिया, और अपनी टांगों को फैला कर राहुल का लंड अपनी चूत में लेने लगी। राहुल बहुत जोर-जोर से मम्मी के चूत को चोद रहा था, और मम्मी उसे बाहों में पकड़ कर बहुत ही सेक्सी आवाज़ें निकाल रही थी।
इस खंडहरनुमा महल में मम्मी की चुदाई की आवाज़ें गूंज रही थी, और जोर-जोर से लंड अंदर जाते हुए पूरे खंडहर में मम्मी की थप थप और पायलों की छन-छन की आवाज गूंज रही थी। बहुत ही सुरीली आवाज थी जिसमें मम्मी की मादक सिसकारियां भी शामिल थी।
इस तरह कुछ देर राहुल ने मम्मी को चोदा, और फिर मम्मी को हल्का सा झुका करके, उनके पीछे से लंड डाल कर दोनों चूचियों को मसलते हुए चोदना शुरू कर दिया। मम्मी इस पोज में बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। किसी हिरनी की तरह नीचे झुक कर चुदवा रही थी। कुछ ही देर बाद राहुल जोर-जोर से चोदते हुए आहें भरते हुए मम्मी की चूत में ही अपना लावा उगल दिया, और ऐसे ही एक-दूसरे की बाहों में पड़े रहे। तभी मम्मी की नज़र मुझ पर पड़ गई, और उसने मुझे देखते ही बोला-
मम्मी: मनीष तुम यहां?
वह दोनों लोग हड़बड़ा कर उठे। राहुल वहां से अपनी पेंट चढ़ा कर निकल गया। मम्मी वहीं पर थी। मुझे भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। तब मम्मी ने फिर से कहा-
मम्मी: बेटा तू कब से यहां पर खड़ा है? मुझे पहले क्यों नहीं बताया? क्या तुमने सब देख लिया?
मैं कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। फिर मम्मी ने अपनी ब्लाउज ठीक की और पेंटी को ऊपर चढ़ा कर साड़ी नीचे करके उसे ठीक की, और मेरे पास आकर मेरे बालों को सहलाते हुए बोली-
मम्मी: मनीष बेटा मैं जानती हूं तुम्हें यह सब देख कर बुरा लग रहा होगा। पर मैं जान-बूझ कर यह सब कुछ नहीं कर रही थी। मेरे अंदर पता नहीं कहां से इतनी कामुक उत्तेजना उठने लगी, और मैं उस रात तुम्हारे साथ करने को मजबूर हुई। पर तुम ना कर पाए तो मुझसे रहा ना गया, और मैं तुम्हारे दोस्त के साथ यह सब कर बैठी। मुझसे गलती हो गई बेटा, मुझे माफ कर देना।
मैं अपनी मां से लिपट गया। मां मेरे बालों को सहलाने लगी। मैंने मम्मी से कहा-
मैं: मम्मी मैं जानता हूं आप मेरे कारण ही यह सब की हो। अगर मैं उस दिन आपके साथ यह सब ठीक से कर पाता, तो यह नौबत ही ना आती। मैं जानता हूं कि आप कभी भी बाहर के मर्दों को अपने शरीर को देखने तक नहीं देती, छूने की तो दूर की बात है। मैं आपकी मजबूरी समझ सकता हूं मम्मी। आप निश्चिंत रहें, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा। आप यदि चाहे तो फिर से भी कर लेना, मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
राहुल बाहर खड़ा हो कर सब सुन रहा था। मम्मी मेरी बातों को सुन कर भावुक हो गई, और उन्होंने मेरे गाल पर चुम्मा ले लिया। फिर मेरी बालों को सहलाते हुए कुछ ना बोल पायी।
मैं और मम्मी दोनों एक-दूसरे की बाहों में समाए हुए थे। मम्मी की चूचियां मेरी छाती में दबी हुई थी। मैंने मम्मी के होंठों पर एक हल्का सा किस्स कर दिया। फिर मम्मी ने मुझे मुस्कुराते हुए गाल को सहलाते हुए बोली-
मम्मी: ऐसे नहीं करते।
और वो मेरे होंठ पर होंठ रख कर लिप लॉक की, और कुछ दर बाद छोड़ी। फिर बोली-
मम्मी: इस तरह से करते हैं।
और फिर हम दोनों हंसने लगे। फिर हम लोग खंडहर से बाहर आए। राहुल भी हमारे साथ पीछे-पीछे आ रहा था। हम लोग टेंट में गए, और वहां पर कुछ जगह और घूमने के बाद हम लोग शाम को घर वापस आ गए। उस दिन राहुल भी हमारे साथ हमारे घर पर ही रुका हुआ था। फिर राहुल और मम्मी के बीच रात में जबरदस्त उनके कमरे में चुदाई हुई। उनकी चुदाई देख कर मेरा लंड ऑटोमेटिक ही पानी छोड़ने लगा था।
अब जब भी मम्मी का मन करता है, तो राहुल को फोन करती है और वह रात भर के लिए घर पर आता है और रात भर मम्मी को नंगा करके चोद लेता है। उसके बाद फिर मम्मी अब हमेशा खुश रहने लगी। पापा आते थे तो एक महीना राहुल घर आता ही नहीं था, और मम्मी की चुदाई पापा से होती थी। फिर जब वह चले जाते तब राहुल जाकर मम्मी को जी भर के पेलता।
धन्यवाद!