एक दिन रात में मुझे नींद नहीं आ रही थी। मुझे कमरे में घुटन सी महसूस हो रही थी, तो मैंने सोचा क्यों ना छत पर जा कर हवा खाई जाए। ये सोच कर मैं छत पर टहलने चला गया। जब मैं ऊपर गया, तो मुझे ऊपर वाले कमरे में से एक आवाज सी सुनाई दी। पहले तो मैं डर गया कि कहीं भूत का चक्कर तो नहीं। लेकिन फिर वो आवाज मुझे पहचानी हुई लगी।
वो आवाज एक कमरे में से आ रही थी। फिर मैंने धीरे से कमरे का दरवाजा खोला, और अंदर का नज़ारा देख कर दंग रह गया। अंदर मम्मी अपनी चूत में उंगली कर रही थी। वो बिस्तर पर सीधी लेटी हुई थी अपनी टांगें खोल कर। उनकी सलवार और पैंटी नीचे जमीन पर गिरे थे, और कमीज़ उन्होंने चूचों तक उठा रखा था। वो तेजी से अपनी उंगली अंदर-बाहर कर रही थी।उनके मुंह से आह आह की आवाजें निकल रही थी।
उनको ऐसे देख कर मैं समझ गया कि वो पापा की कमी महसूस कर रही थी। लेकिन तभी मम्मी ने दूसरी और से फोन उठाया। वो फोन चल रहा था, और उसमें वीडियो कॉल पर कोई था। मम्मी ने फोन में देखा, और बोली-
मम्मी: देखो सूरज, कितनी बेचैन हुई पड़ी है मेरी चूत। कब तुम इसकी प्यास बुझाओगे।
फिर दूसरी तरफ से आवाज आई: जान मैं जल्दी ही तुम्हारी चूत का भोंसड़ा बना दूंगा। बस मौका मिलने की देर है।
फिर मम्मी ने स्पीड और बढ़ाई, और आह आह करते हुए झड़ गई। उसके बाद उन्होंने कॉल कट कर दी, और चूत साफ करके कपड़े पहनने लगी। मैं वहां से जल्दी से अपने कमरे में आ गया।
कमरे में आके मैं सोचने लगा कि मम्मी की प्यास इतनी बढ़ गई थी, कि वो पराए मर्द के साथ रिश्ता रखने को तैयार थी। तो क्यों ना मैं ही मम्मी की प्यास को शांत कर दूं। अगर ऐसा किया तो घर की इज़्ज़त घर में ही लुटेगी। बाहर बदनामी नहीं होगी। पर सवाल ये था कि मैं मां की चुदाई करूंगा कैसे?
फिर मैं रोज़ रात को ऊपर जाने लगा। मम्मी रोज़ तो नहीं आती थी, लेकिन हफ्ते में 3-4 बार जरूर आती थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं मम्मी की चुदाई कैसे करूंगा। फिर मैंने हिम्मत की, और सीधे उनको रंगे हाथ पकड़ कर उनसे बात करने का फैसला किया।
अगले दिन मम्मी फिर से उसी कमरे में लेटी थी। वो नीचे से नंगी थी, और कमीज़ चूचों तक उठा कर फिंगरिंग कर रही थी। बस आज मुझे उनको रंगे हाथ पकड़ना था, और चोदना था।
जब मम्मी चूत में उंगली लेने में व्यस्त थी, मैं धीरे से दरवाजा खोल कर उनके पास चला गया। मम्मी की आँखें बंद थी, और वो आह आह कर रही थी। फिर मैंने अपने होंठ मम्मी के मुंह के पास किए, और उनके होंठों से चिपका दिया। वो लेटी हुई थी, और मैंने उनको बाजुओं से पकड़ लिया। होंठ मिलते ही मम्मी की आँखें खुली, और वो हैरान हो गई। कुछ सेकंड्स तक मम्मी को कुछ समझ नहीं आया। फिर जब समझ आया, तो उन्होंने मुझे धक्का दे कर दूर कर दिया। फिर वो बोली-
मम्मी: ये क्या बदतमीजी है। अपनी मां के साथ ऐसा करता है क्या कोई?
मैं: मम्मी अपनी मां के साथ नहीं, एक औरत के साथ जो अपने पति के ना होने पर बहुत प्यासी है, और दूसरे मर्दों को वीडियो कॉल करके अपने बदन की नुमाइश करती है।
मेरी बात सुन कर मां हैरान हो गई। फिर वो गुस्से में बोली-
मम्मी: दफा होजा यहां से। मैं जो चाहे करूं, तू कौन होता है मुझे रोकने वाला।
मैं: मम्मी मैं यहां दफा होने नहीं आया हूं।
ये बोल कर मैं मम्मी की टांगों के बीच आ गया, और उनकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया। मम्मी मुझसे दूर होने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने उनकी जांघों को कस के पकड़ा था। मैं कुत्तों की तरह मम्मी की चूत को चाटने-चूसने लगा। इससे मम्मी तड़पने लगी, लेकिन फिर भी मुझे दूर होने को बोल रही थी। लेकिन मैं नहीं रुका।
कुछ 2-3 मिनट मुझे रोकने की कोशिश करी मां ने, और फिर अपने हथियार फेंक दिए। चूत तो पहले से गरम थी उनकी, और मेरे चाटने ने उनकी प्यास और बढ़ा दी। अब ना कुछ भी नहीं कर रही थी, और आराम से लेटी रही। जब भी मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर जाती, उनके मुंह से हल्की आह निकल जाती।
फिर मैंने एक हाथ से मां की चूत का द्वार खोला। मुझे अंदर मां की चूत का उभरा हुआ दाना नज़र आया। देखते ही मैंने उनकी चूत के दाने के साथ अपनी जीभ से खेलना शुरू कर दिया। इससे वो और तड़पने लगी। उनकी गांड में हलचल होने लगी, और वो गांड ऊपर को उठाने लगी। फिर मैंने उनके दाने को अपने होंठों में भरा, और उसको खींच कर चूसने लगा।
अब मम्मी खुद को रोक नहीं पाई, और मेरे सर पर हाथ रख कर मेरे बालों को सहलाने लगी। वो मेरे मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी। मैं समझ गया कि अब वो अपने बेटे की रांड बनने को तैयार थी। मैं वैसे ही पूरे जोश में उनके दाने को चूस रहा था। तभी उनके शरीर में झटके लगने लगे, और उनकी चूत का पानी निकल गया। मैं उनका सारा पानी पी गया।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। फीडबैक authorcrazyfor@gmail.com पर दीजियेगा।
अगला भाग पढ़े:- छत वाले कमरे में मां की चुदाई-2