भाई बहन और पापा सभी लोग बाहर होली खेलने गए थे। मैं कई दिनों के बाद गांव आया था, तो मेरा बाहर निकलने का मन नहीं हो रहा था, तो मैं मम्मी के पास बैठा था।
थोड़ी देर बाद मम्मी का पकवान बनाना हो गया, तो वह भी अपनी सहेलियों के साथ होली खेलने चली गई। मेरा घर में मन ना लगा, तो मैं भी मम्मी को ढूंढने चला गया, कि वह कहां होली खेल रही थी।
मम्मी पड़ोस के एक अंकल और आंटी के यहां होली खेल रही थी। मैं जब उनके यहां गया, तो देख कर दंग रह गया। मम्मी अंकल के बाहों में थी, और अंकल अपने हाथ को मम्मी के साड़ी में डाले हुए थे, और एक हाथ मम्मी की गर्दन में लपेट कर उनके गाल को चूम रहे थे, और मम्मी कसमसा रही थी।
मैं अनजान बनते हुए घर में घुसा। मम्मी जब मुझे देखी तो वह और ज्यादा अंकल से छूटने की कोशिश करने लगी। पर अंकल अपना एक हाथ साड़ी में डाल कर मम्मी के चूत फैला रहे थे। तो दूसरी ओर उनके गाल को अपने गाल से रगड़ रहे थे।
आंटी मुझे देखते हुए बोली: मनीष बेटा, आज तो तेरे मम्मी का मालपुआ तेरे अंकल खाएंगे। देख तो, कैसे आज रंग लगाने के बहाने उनके मालपुए को दबा रहे हैं।
मैं भी देख कर हंसने लगा और मम्मी को बोला: मम्मी आप कमजोर नहीं हो। थोड़ा हिम्मत करो, और अपने आप को अंकल से छुड़ा लो।
आंटी हंसने लगी और बोली: बेटा आज तो तेरी मम्मी के मालपुआ को कोई नहीं बचा सकता है।
तभी मम्मी ने बहुत जोर की हिम्मत की और अंकल को पीछे धकेल दी। अंकल पीछे जा गिरे और मम्मी भागती हुई मेरे पास आई और बोली: चल बेटा, मेरा मालपुआ हर किसी के लिए नहीं है।
मम्मी यह बोल कर हंसती हुई मेरे साथ घर चली आई। मम्मी के पूरे शरीर पर रंग लगा हुआ था। वो बाथरूम में गई और अपने आप को साफ करके बाहर आई।
मैं मम्मी से बोला: मम्मी मुझे भूख लगी है।
तब मम्मी हंसती हुई बोली: अब तुझे भी मालपुआ चाहिए क्या?
मैं भी हंसता हुआ बोला: यदि मेरी किस्मत में ऐसा मालपुआ हुआ तो मैं कभी नहीं छोडूंगा।
मम्मी मुझे हल्की सी थपकी लगाते हुए बोली: चल बदमाश कहीं का!
मैं मम्मी से बोला: मम्मी आज तो होली है और आप यदि बुरा ना मानो तो क्या मैं आपके मालपुआ को देख सकता हूं?
मम्मी पहले तो बहुत मना की, पर मैं थोड़ी ज़िद किया तो बोली: चल ठीक है, होली है, तू भी देख ले अपनी मां का मालपुआ।
फिर मम्मी ने अपनी साड़ी को कमर तक उठाया, और पैंटी को घुटने तक नीचे कर दी। उनकी चिकनी चूत देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। मम्मी अपनी होंठों को काटते हुए बड़े ही मादक अंदाज में मेरी तरफ देखी, और अपनी दो उंगलियों को चूत पर ले जाकर उसके दोनों पंखुड़ियां को अलग की। अंदर का लाल नजारा देखकर मेरी तो हालत खराब हो गया।
मैं: उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ… मम्मी, क्या चूत है यार!
मैं मम्मी के पास गया तो मम्मी मुझे रोकने लगी, पर मैं मम्मी को बोला: बुरा ना मानो होली है।
और उनके होंठ को चूमने लगा। मम्मी पहले तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पर फिर वह भी मेरा साथ देने लगी। मैं एक हाथ को मम्मी के गरम मालपुआ जैसी चूत में डाल कर उनके होंठ को चूसने लगा, और चूत में उंगली करने लगा। उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ यररररर आअह्ह्हह्ह्ह्ह मम्मी…..
मैं मम्मी के होंठ चूसना छोड़ कर उनके ब्लाउज और साड़ी को अलग किया, और उनके पेटिकोट उतार कर उन्हें नंगा कर दिया। मम्मी आज होली थी तो बोली कि, “जो करना है आज कर ले, आज तेरा ही राज है।”
घर के बाकी सब लोग बाहर होली खेलने गए थे, और इधर मैं अपने मम्मी के मालपुआ चखने पर लगा हुआ था। मैं नीचे बैठा और उनके मालपुआ जैसी चूत में अपनी जीभ डाल कर उसके रस को पीने लगा। उउउउफ्फ्फफ्फ्फ़… मम्मी आपकी यह रसीली चूत।
मैं उनके चूत को काफी देर तक चूसा और उनके सारे रस को पी गया उसके बाद अपने लंड को निकाला, और मम्मी को किचन के सेट पर बैठा कर अपने लंड को उनके चूत में डाल दिया, और मम्मी के दोनों दूध को पीते हुए जोर-जोर से चोदने लगा। आआआहहहहहह… ऊऊह्ह्ह्हह्ह…
मम्मी की पायल से छनकने की आवाज और मेरी लंड उनके चूत में जाती हुई चप-चप की आवाज ऊऊह्ह्ह्हह्ह क्या रास्स्स है उउउउउफ्फफ्फ्फ़..।
मम्मी अपने बांहों को मेरे गले में डाल कर खूब मजे से चुदवा रही थी। आज मेरी और मम्मी की होली बहुत ही अच्छी बीत रही थी। मैं लगातार मम्मी को जोर-जोर से चोद रहा था। थोड़ी देर तक ऐसे ही मम्मी को चोदने के बाद उनके ऊपर झड़ गया। फिर मम्मी मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर काफी देर तक चूसी और उसे फिर से टाइट कर दिया।
इस बार मम्मी को उल्टा खड़ा किया, और कुछ देर तक उनकी चूत को चोदा, और फिर अपने लंड को उनके गांड में डाल दिया। गांड में लंड जाने से उनको तकलीफ हुई, लेकिन थोड़ी ही देर बाद हम दोनों को मजा आने लगा, और मैं मम्मी की गांड को लगभग आधे घंटे तक चोदता रहा। आअह्ह्ह…
हम दोनों ने एक-दूसरे से खूब मस्ती की और होली मनाई।
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