पिछला भाग: घरेलू काम वालियों की चुदाई-2
कुसुम चाय भी बना रही थी और बोले भी जा रही थी, ” साहब एक बात और बताऊं, साड़ी के अंदर छुपी चूत तो दिखती नहीं इस लिए उसका ध्यान भी नहीं आता। मगर पीछे से दो चूतड़ जब चलते समय ठप्प ठप्प करके हिलते हैं तो बरबस ही चूतड़ों के बीच की लाइन और लाइन के बीच के छेद – गांड का ध्यान आ जाता है। लंड में हलचल मचाने के लिए ये बहुत होता है साहब”।
कुसुम ने एक और ज्ञान की बात बताई। कुसुम चूत, गांड के मामले में सच में ही ज्ञानी थी।
मैंने भी कहा, “वैसे एक बात बोलूं कुसुम ? चूतड़ तो तुम्हारे भी बड़े मस्त हैं ” I
चाय बनाते बनाते कुसुम बोली, “अच्छा साहब ? कितने मस्त हैं “?
मैंने भी कुसुम के कान के पास मुंह ले जा कर कहा, “बहुत ज़्यादा मस्त हैं कुसुम, मेरा तो चोदने का मन होने लगा है “।
कुसुम ने बिना सर उठाये कहा, “गांड चोदने की बात कर रहे हो साहब “?
मैंने कुछ कुछ झिझकते हुए कहा, “हां “!!
“तो साहब “हां” कहने में इतना टाइम क्यों लगा रहे हो, बोल दो – हां गांड चोदनी है – मैं मना थोड़े ही करूंगी”।
मैंने कहा, “फिर तुम्हारा मजा ? मेरा मतलब तुम्हारी चूत का पानी “?
कुसुम बोली, “उसकी फ़िक्र ना करो साहब, मेरा घरवाला भी कभी कभी मेरी गांड चोदता है। जब वो पीछे से मेरी गांड चोदता है तो मैं उंगली चूत में डाल कर पानी छुड़ा लेती हूं”।
मैंने कुसुम के चूतड़ एक बार और दबाये और ड्राईंग रूम में आ गया।
कुसुम चाय बना कर ले आयी।
चाय पीते पीते मैंने कहा “कुसुम मेरे होते तुम्हें अपनी चूत का पानी छुड़ाने के लिए उंगली नहीं चलानी पड़ेगी”।
कुसम थोड़ा हंसते हुए बोली, “ऐसा क्या साहब ? क्या करोगे आप? दोनों गांड और चूत चोदोगे ?
मैंने भी कहा, “देखते हैं”।
कुसुम खड़े खड़े ही चाय पीने लगी। मैंने कहा, “यहां आ जाओ कुसुम आराम से बैठ कर चाय पीयो “। मैंने उसे अपने साथ बैठने का इशारा किया।
कुसुम ने कहा, “नहीं साहब आपके साथ कैसे बैठ सकती हूं। चुदाई करवाना अलग बात है। आपके साथ बैठ कर आपकी बराबरी नहीं कर सकती “।
मैंने भी सोचा “ये होते हैं उसूल”।
चाय पी कर हम बेड रूम में आ गये। मैंने कुसुम से कहा, “कुसुम आज सारे कपड़े निकाल दो “।
कुसुम ने एक बार भी ना नहीं कहा और साड़ी, पेटीकोट ब्लाउज और ब्रा निकाल दी। मस्त जिस्म था कुसुम का।
मम्मे और चूतड़ एकदम खड़े – तने हुए । कमर अगर पतली नहीं थी तो भी कुसुम का पेट बढ़ा हुआ भी नहीं था। मेरा लंड खड़ा होने लगा।
शारीरिक मेहनत करने के कारण इन काम वालियों के जिस्म तो कड़क ही रहते हैं। इनके पेट बाहर नहीं निकलते। तभी तो कोठियों में रहने वाले मर्द इनको चोदने को हमेशा तैयार रहते हैं।
औरत का पेट निकला हुआ हो तो लंड को खड़ा करने में जोर लगाना पड़ता है या फिर लंड खड़ा करने की गोलियां कहानी पड़ती हैं – विदेशी विआग्रा या देसी सुहागरा – 100 मिलीग्राम वाली – चुदाई से पौना घंटा पहले। गोली खाने से लंड फनफना कर खड़ा हो जाता है और जल्दी झड़ता भी नहीं।
वैसे अभी तक मुझे इन गोलियों की जरूरत नहीं पडी – रूपा का जिस्म भी मस्त सेक्सी है – पर कब तक ? आखिर को भी तो रूपा का पेट निकलेगा ही। शहरी औरतों का निकल ही जाता है। अगर पेट बढ़ने से रूपा रोक लेगी तो इसमें उसीका भला है। चुदाई अच्छी होती रहेगी।
कुसुम की बड़ी बड़ी चूचिया मुंह में लेने में मजा आ गया। इधर मैं कुसुम की चूचियां चूस रहा था, उधर एक हाथ से कुसुम के चूतड़ मसल रहा था। बीच बीच में गांड के छेद में उंगली भी घुसेड़ देता था।
थोड़ी देर में कुसुम बोली, “चलो साहब थोड़ा लंड चुसवाओ और चोदो मेरी गांड। गांड में खुजली मच रही है “। ये कह कर कुसुम बेड पर बैठ गयी।
मैंने लंड कुसुम के मुंह में डाल दिया। कुसुम ने पहले की ही तरह कमाल की लंड चुसाई की। लंड एकदम सख्त हो गया। कुसुम ने लंड मुंह में से निकला और हाथ में ले कर हंसते हुए बोली, “साहब ये तो तैयार है गांड में घुसने के लिए”।
इतना कह कर कुसुम बेड के किनारे पर कुहनियों के बल उलटा लेट गयी और चूतड़ उठा दिए।
मैं जा कर क्रीम ले आया। कुसुम ने दोनों हाथ पीछे करके चूतड़ चौड़े कर दिए। गांड का गहरा भूरे रंग का छेद मेरी आँखों के सामने था। मैंने छेद को कपड़े से साफ़ किया और अपनी जुबान छेद पर फेरी। कुसुम ने एक सिसकारी ली आअह साहब एक बार और।
कुसुम मस्ती में बोली, “मुझे तो अपने मर्द को ये भी बताना पड़ेगा, कि साले गांड के छेद को चाटा भी कर कभी। सीधा लंड अंदर डालने की जल्दी करता है”।
में कुसुम के चूतड़ों को चूम रहा था। चूतड़ों पर हल्के निशान थे जैसे दांतों के होते हैं। मैंने कुसुम से पूछा, “कुसुम तुम्हारे चूतड़ों पर ये निशान कैसे हैं “?
कुसुम बोली, “साहब मेरा मर्द चूतड़ों को जब चूमता चाटता है तो कई बार दांतों से काटता भी है। साहब आप भी काटो ना थोड़ा – बड़ा मजा आता है”।
मैं सोच रहा था “कैसे कैसे शौक होते हैं औरतों के”।
मैंने कुसुम के चूतड़ों पर हल्का हल्का काटा। जैसे ही मैं हल्के से दांतों से काटता था कुसुम एक ऊंची सिसकारी लेती थी ” आआह साहब”।
ऐसे ही कुछ देर तक करने के बाद मैने कुसुम की गांड का छेद थोड़ा और चाटा और क्रीम कुसुम की गांड के छेद पर और अपने लंड पर लगा दी। चूतड़ पकड़ कर लंड छेद पर रखा और अंदर धकेला। लंड फिसलता चला गया था।
लग रहा था कि कुसुम की गांड की चुदाई होती रहती थी। मैंने कमर से कुसुम के चूतड़ पकड़ कर मैंने धक्के लगाने शुरू किये।
गांड चोदने का भी अपना ही मजा है। मोटे चूतड़ सामने थे। लंड का आख़री सिरा और टट्टे जब चूतड़ों के साथ टकराते थे तो आवाज आती थी ठप्प….ठप्प…ठप्प ।
बीच बीच में मैं कुछ धक्के कुसुम की चूत में भी लगा देता था।
जल्दी ही कुसुम ने चूतड़ आगे पीछे करने शुरू कर दिए। कुसुम सिसकारियां ले रही थी। कुसुम ने अपनी चूत का दाना अपनी उंगली से रगड़ना शुरू कर दिया।
मतलब कुसुम को गांड चुदवाते वक़्त चूत में लंड लेने की आदत नहीं थी।
फिर मैंने भी ध्यान गांड चोदने में लगाया और कुसुम को उंगली करके चूत का पानी छुड़ाने के लिए छोड़ दिया। कुसुम को ऐसी ही आदत पड़ी हुई थी।
कुसुम के भारी भारी सेक्सी चूतड़ पकड़ कर मैंने लम्बे लम्बे जोरदार धक्के लगाए।
कुसुम आवाजें निकाल रही थी “साहब बड़ा मजा आ रहा है। पूरा गांड के अंदर तक जा रहा है अपना खूंटा। रगड़ो साहब। मेरी चूत झड़ने वाली है। आअह आअह साहब और जोर से”।
कुसुम ने जोर से अपनी चूत में उंगली चलाई और चूतड़ घुमाए और एक लम्बी “आआह आआह आ गया साहब निकाल गया …. आआह” के साथ कुसुम की चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैं दस मिनट और कुसुम की गांड चोदता रहा।
कुसुम नीचे कसमसा रही थी। मैंने कुसुम से ही पूछा, “कुसुम मेरा लंड तो अभी खड़ा है, अभी झड़ेगा भी नहीं। बोलो क्या करना है। गांड ही चुदवानी है या चूत चुदवानी हैं”।
कुसुम बोली, “साहब मेरी गांड तो दुखने लग गयी। इतनी तो कभी नहीं चुदी। चूत पानी छोड़ चुकी है। आप लेटो मैं चूस कर निकालती हूं आपका पानी”।
मैं बेड पर लेट गया। कुसुम मेरा लंड चूसने लगी।
दस ही मिनट की चुसाई के बाद मेरा निकलने को हो गया।
मैंने एक जोर की आवाज निकाली “आअह कुसुम” और मेरा गरम पानी कुसुम के मुंह में निकल गया।
कुसुम कुछ देर ऐसी ही लंड मुंह में लेकर बैठी रही। फिर मेरे लंड का पानी निगल कर मेरा लंड चाट चाट कर साफ़ किया I
मैं तो अभी लेटा ही हुआ था। मेरे लंड को पकड़ कर कुसुम बोली, “कितना पानी छोड़ते हो साहब आप। मुंह में छुड़ाने मजा आ गया।
ये कह कर कुसुम खड़ी हुई और कपड़े पहनने लगी। मैं भी उठ कर बाथरूम चला गया। वापस आया तो कुसुम जाने को तैयार थी।
कुसुम बोली साहब मैं तीन दिन अब नहीं आ पाऊंगी। मुझे अपने घर वाले मुरारी के साथ के साथ मथुरा वृंदावन जाना है। आप कपड़े इक्क्ठे कर लेना। तीन दिन बाद आ कर कपड़े भी धो दूंगी और “मेरे लंड के तरफ इशारा करके बोली, “इसका काम भी कर दूंगी”।
फिर कुसुम बोली, “अगर आप कहो तो माया को बोल दूं कपड़े धो देगी या फिर सुमन को भेज देगी वो धो देगी कपड़े”।
सुमन का नाम आते ही मेरे लंड कसमसाने लगा जैसे खड़ा हो रहा हो।
मैंने पूछा, “कुसुम एक बात बता, ये लड़की – सुमन – ये कौन है,क्या लगती है माया की”। मैंने लंड को जरा सा खुजलाया। कुसुम ने भी मुझे लंड खुजलाते हुए देख लिया।
कुसुम हंस कर बोली “क्यों, साहब क्या बात है – क्या हुआ I खुजली मच गई सुमन के नाम से? चोदनी है क्या” ?
मैं सकपकाया, “नहीं नहीं मैंने तो ऐसे ही पूछा है”।
कुसुम बोली, “अरे शर्मा क्यों रहे हो साहब। चोदनी है तो माया से बात करो। जवान है साहब। पता नहीं सील भी टूटी है नहीं। मगर है तो चुदाई के लायक। चुदाई चाहती भी है। कहो तो मैं बात करूं माया से” I
मैंने जल्दी में कहा “नहीं कुसुम नहीं। मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया”।
कुसुम बोली, “कोइ बात नहीं साहब। मगर एक बात बताऊं सुमन पर जवानी अपना रंग दिखा रही है। चुदाई के लिए बेचैन हो रही है वो”।
अब मुझे भी सुमन के बारे में बात करने में मजा आने लगा। मैंने पूछा, “चुदाई के लिए बेचैन – मतलब “?
कुसुम बता रही थी, ” साहब आपने तो देखा ही है कैसी कड़क शरीर वाली लड़की है सुमन। कालोनी की सारे लड़के उसके पीछे हैं। अनजाने में किसी से कभी भी चुद जाएगी आरती”।
“हमारी कालोनी से लगती झुग्गियों की हालत बड़ी खराब है। वहां कचरा बीनने वाले कबाड़ी रहते हैं I वहां तेरह तेरह चौदह चौदह साल की लड़कियां चुदाई करवाती हैं – वो भी सरे आम”।
“लड़के खुले आम एक दुसरे की बहन चोदते हैं ये कह कर तू मेरी बहन चोद ले में तेरी चोद लेता हूं”।
“एक ही झुग्गी में एक दूसरे के सामने ये खेल चलता है – सबको पता है। घर में तो कोइ होता नहीं – सब तो कचरा बीनने चले जाते हैं।
“पंद्रह सोलह साल की लड़कियों के तो बच्चे ठहर जाते हैं”।
“इन झुग्गियों के लड़के आवारागर्दी के अलावा कुछ काम धंदा नहीं करते”।
“घर की औरतें, लडकियां कमाती है – ये मौज करते हैं। छोटी मोटी चोरियां करते हैं इधर उधर घूमते रहते हैं” I
“खूब बन ठन कर रहते हैं। रंग बिरंगे कपड़े पहनते हैं। बालों के अजीब अजीब फैशन करते हैं हमारी कालोनी में भी आ जाते है और लड़कियां छेड़ते हैं I
“हमारी कालोनी के गुंडा टाइप के लड़के और इन झुग्गी वाले लड़कों में खूब छनती है। मिल कर नशा करते हैं “।
“एक बार झुग्गी वालों से या कालोनी के किसी आवारा गुंडा – दादा टाइप किसी लड़के से सुमन चुद गयी तो अपनी गुंडागर्दी के बल पर अपने हर दोस्त से, अपने जानने वालों से सब से चुदवा देंगे उसे, माया भी कुछ नहीं कर पाएगी I कहां तक निगरानी करेगी सुमन की। साले भड़वे हैं सारे के सारे”।
मैंने पूछा, “तुम लोग रोकते नहीं इनको ? पुलिस में शिकायत नहीं करते ?
साहब हम लोगों में इन गुंडों से उलझने की हिम्मत नहीं। पुलिस भी इनको कुछ नहीं कहती। इनका तो ये रोज का काम है। शिकायत भी करो तो पुलिस वाले थाने ले जाते हैं और दो थप्पड़ लगा कर छोड़ देते हैं। जेल में अंदर डाल नहीं सकते क्यों की ये नाबालिग होते हैं “।
“वापस कालोनी में आ कर और शेर बन जाते हैं। कमरे के आगे आ कर बोलते हैं, “क्या उखाड़ लिया पुलिस में जा कर”।
“एक बात और बोलूं साहब ? सुमन आपने तो देखी ही है। जिस तरह से वो सुन्दर और जवान निकल रही है – और जैसे कालोनी के लड़के उसके आगे पीछे घुमते हैं – गंदे गंदे इशारे करते हैं – सुमन भी मजे लेती है।
आखिर को सुमन भी तो लड़की ही है – उसकी चूत भी गर्म हो जाती होगी इनके गंदे गंदे इशारे देख कर – चुदवाने का मन भी करता ही होगा उसका । माया और मैं कई बार देख चुकी हैं सुमन को अपनी चूत में उंगली करते हुए”।
फिर कुसुम बोली, “और साहब आस पास के गुज्जरों के पैसे वाले बिगड़ैल लड़के तो सुमन जैसी कड़क, भरे जिस्म वाली लड़की को एक बार चोदने के लिए दस बीस हजार खर्च करने को तैयार हो जायेंगे “।
“माया के पति किशन का कोइ भरोसा नहीं। नशेड़ी तो है ही और फिर सुमन ही कौन सी उसके अपनी बेटी है। कहीं चुदाई की प्यासी सुमन को इन्हीं गुज्जरों के पास ले गया तो ? चार चार चढ़ेंगे सुमन के ऊपर। चूत का भौसड़ा बना देंगे दो हफ्ते में ही” ।
कुसुम की बातें बड़े शहरों के साथ लगी कालोनियों की सच्चाईयां बयान कर रहीं थीं। आधे से ज़्यादा रेप भी इन्हीं झुग्गियों में रहने वाले नाबालिग ही करते हैं।
कुसुम ने कहा, ” साहब हुए एक बात बोलूं ? एक तो कालोनी का माहौल – दुसरे सुमन की फूटती हुई जवानी। सुमन उम्र के ऐसे मोड़ पर है कि अब उसको चुदाई तो चाहिए ही। आप चोद दोगे तो लड़की की गर्मी निकल जाएगी ”
“और फिर बीबी जी भी तीन चार महीने तो अपने मायके ही रहेंगी। मजे लो आप भी। बीच बीच में मैं ले आया करूंगी उसे आपके पास”।
कुसुम की ऐसी बातें सुन सुन कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने खड़े होते हुए लंड को पायजामे में ठीक से बिठाने के लिए लंड खुजलाया – कुसुम ने मुझे लंड खुजलाता देख लिया और हंस कर चली गयी।
अगले तीन दिन कुसुम ने नहीं आना था। अगली सुबह माया आ आयी।
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