पिछला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 15
सोमवार – वापसी
मैं अपने कमरे में गया और लेट गया। पिछले दिनों की चुदाई एक फिल्म – चल चित्र की तरह मेरी आँखों के सामने घूम रहा था ।
मैंने सोचा ही नहीं था कि रूबी को ढूढ़ते हुए ये सब हो जाएगा।
रूबी का अकेले मिलना। कुंवारी जवान कड़क लड़की रितु का उसके साथ रहना। रितु की टाइट चूत और अनछुई गांड – और फिर चूत और गांड की चुदाई – वो भी लगातार छः छः दिन।
यही सोचते सोचते मेरी आंख लग गयी ।
रात का सोया तो सुबह छः बजे रितु ने जगाया।
“गुड मॉर्निंग सर” और एक किस मेरे होठों पर किया और एक किस्स पायजामें की ऊपर से ही मेरे लंड पर किया, और हंस कहा “ये शरारती अभी भी सो रहा है”। मेरी हंसी छूट गयी।
मैं बाथ रूम गया और नहा कर ही बाहर निकला। रूबी भी उठ चुकी थी और नहा कर तैयार थी। शायद उसने भी आज कोर्ट जाना था।
रूबी आयी और आ कर जोरदार चुम्मा मेरे होठों का लिया – गुड मॉर्निंग प्यारे विक्की । मैंने भी रूबी को बाहों में भर दबा दिया – गुड मॉर्निंग मेरी जान I
मैंने रूबी के होंठ अपने होठों में ले लिए और चूसने लगा। दस मिनट हम ऐसे की एक दुसरे के होठों को में होठों में लिए चूसते रहे। मैं रूबी की चूचियां धीरे धीरे मसल रहा था। बीच बीच में उसके चूतड़ भी दबा रहा था”।
रूबी ने मेरे होठ छोड़ कर कहा, “बस कर विक्की। मेरा मन फिर करने लग जाएगा चुदाई के लिए। मेरी चूत फिर गीली हो गयी तो आज भी रुकना पड़ जाएगा चोदने के लिए “।
बालकनी में बैठ कर चाय पीते पीते सात बज गए। रूबी बोली रितु ऐसे कर पनीर के परांठे बना ले। रात को भी कुछ नहीं खाया और मेहनत भी खूब हुई।
मैं और रूबी दोनों हंस दिए। रितु परांठे बनाने चली गयी। मैंने रूबी से कहा रूबी, एक बात करने थी।
“ओये विक्की, क्या सुबह सुबह चोदना है क्या ? चुदाई का मन तो नहीं हो रहा “? और रूबी हंस दी।
मैंने कहा नहीं वो बात नहीं, मैं उठा और कमरे की तरफ चला गया। रूबी थोड़ी हैरान सी हुई।
मैं वापस आया तो मेरे हाथ में मेरा बैग भी था। मैंने एक लिफाफा रूबी को दिया। रूबी ने लिफाफा खोल कर उसमें से नोटों का बंडल निकाला, ” ये क्या है विक्की “?
रूबी ये पचास हजार रुपये हैं रितु के लिए। जैसे भी वो खर्च करना चाहे या उसकी शादी के लिए।
रूबी ने कहा, इतने सारे ?
मैंने कहा रूबी, रितु एक करोड़ की लड़की है – तेरा कितना ख्याल रखती है। जिसके साथ शादी होगी वो खुशकिस्मत होगा।
अरे पर, जब शादी होगी तो आ कर दे देना। अब तो तुझे भी बुलाना ही है इसकी शादी में।
तब की तब देखेंगे रूबी तू ये तो रख।
विक्की तू खुद ही देदे उसे, और रूबी ने आवाज लगाई, “रितु, जरा इधर आ”।
रितु आयी और रूबी के पास खड़ी हो गयी। रूबी बोली, “रितु ये पचास हजार रूपये तेरे सर ने दिए हैं तेरी शादी में खर्च करने के लिए।
“पचास हजार ? मैडम, इतने सारे ? नहीं नहीं मैडम वापस कर दीजिये, ये नहीं अच्छा लगता “।
मैंने कहा रितु इधर आ। मैंने रितु का चेहरा पकड़ कर उसके होंठ थोड़े से चूसे और कहा। “ये रख अपने पास”।
रितु एक पल चुप खड़ी रही, फिर रूबी से बोली, मैडम ये …….।
रूबी बोली “कोइ बात नहीं रितु रख ले”।
“पर मैडम सर मेरी शादी में आ कर भी तो दे सकते हैं, अभी क्यों दे रहे हैं “।
जवाब मैंने दिया, “रितु वो आने वाले कल की बात है। अगर मैं तब आया तो तब की तब देखेंगे”।
रूबी ने नोटों का बंडल रितु की हाथ में पकड़ाया। रितु ने बंडल नहीं पकड़ा ओर बोली आप अपने पास ही रख लीजिये मैडम। मैं नाश्ता लगाती हूं। और रितु मुड़ कर चली गयी। मुझे लगा अगर और खड़ी रहती तो उसने रो ही पड़ना था।
रूबी बोली “जितने पैसे मैं रितु को देती हूं उसका बड़ा भाग इसके बैंक अकॉउंट में जमा करवा देती हूं। आज कल पांच हजार इसके पिता को देती हूं और दस हजार हर महीने इसके बैंक अकॉउंट में डाल देती हूं। इसके अकॉउंट में छः लाख के लगभग जमा हो चुके हैं और पचास ये। दो साल बाद शादी तक आठ लाख तक हो जायेंगे। मेरी इच्छा है इसकी शादी का खर्च मैं ही उठाऊं”।
मैंने रूबी हाथ दबा कर कहा, रूबी तू तो बहुत कुछ कर रही है इसके लिया आज के जमाने में कौन करता है।
रूबी नोटों का बंडल मुझे दिखा कर बोली “और तू ? तेरे लिए तो रितु एक अनजान लड़की है। कोइ और होता जवान कुंवारी की चुदाई के मजे ले कर चलता बनता। रिश्ता तो तेरा मुझ से है, इससे तो नहीं – मगर फिर भी तू पचास हजार उसको दे ही रहा है।
मैं कुछ नहीं बोला। डाइनिंग टेबल पर भी कोइ कुछ नहीं बोला।
कस्तूरी आ चुका था। चलने का टाइम हो गया था। मैं खड़ा हुआ और रूबी को बाहों में ले कर होठों को थोड़ा चूसा। हल्के से चूचियां दबाई और अलग हो गया। रूबी बोली, अगर प्रोग्राम बनता हो तो इस साल एक चक्कर लगा लेना “।
रितु थोड़ा दूर खड़ी थी, मैंने रितु को बुलाया। उसकी आँखों में आंसू थे। वो अपनी जगह से नहीं हिली। मैं ही उसके पास गया, “रितु अपने सर को किस नहीं करेगी “? रितु एक दम मुझ से लिपट गयी और होंठ खोल दिए। मैंने रितु के होठों को चूसा और उसे अपने साथ थोड़ा चिपकाया और बोला, “रितु खुश रहो”।
मैं अपना बैग लेने लगा तो रितु बोली “मैं लाती हूं सर”।
मैं और रूबी आगे आगे चले। कार के पास आ कर रूबी बोली, “विक्की अपनी मैडम को मेरा हैलो बोलना” I
मैंने कहा “मैं वीना को तेरा नबर ही दे दूंगा और बात भी करवा दूंगा”।
रितु ने मेरा बैग कार में रख दिया। मैं कार की पिछली सीट पर बैठा और हाथ हिला कर रूबी और रितु से विदा ली।
कार चल पडी। मैं सोच रहा था कि आया तो था अपने बचपन के प्यार से मिलने यहां तो पूरे धूमधाम से सुहागरात ही मन गयी।
मैंने फोन अपने हाथ में ले लिया। “एक फोन आने वाला था”।
तभी घंटी बजी। “हेलो”।
उधर से रूबी थी। मैं जानता ही था। “तेरा एक लिफाफा रह गया है विक्की। रितु को तेरे कमरे के साइड टेबल पर एक लिफाफा मिला है जिसमें बहुत सारे नोट हैं। अभी तो तो कार ‘कार्ट रोड’ पर भी नहीं पहुंची होगी। वापस आ और ले जा – दस मिनट लगेंगे “।
मैंने कहा, “मैं जानता हूं रूबी। ये मैंने ही छोड़े थे। ये भी उसी के लिए हैं”। कस्तूरी के सामने मैं रितु का नाम नहीं लेना चाहता था। “ये भी पचास हैं”।
रूबी भी समझ गयी की मैं कस्तूरी के सामने रितु का नाम नहीं ले रहा था।
कामयाब वकील थी रूबी। वो भी फौजदारी की – क्रिमिनल लॉयर।
वो बोली, “मगर विक्की, एक लाख ? एक अनजान लड़की के लिए – सिर्फ छः दिन की मुलाकात के बाद” ?
मैंने कहा रूबी तूने क्या कहा था, याद है ? “पांच मिनट में तू पहचान लेती है कि सामने वाला कितने पानी में है। और छः दिनों में तो कई पांच मिनट होते हैं “।
रूबी बोली, “विक्की, क्या है रे तू I कौन सी दुनिया से आया है”?
“उसी दुनिया से रूबी, जहां से तू आयी है – धर्मपुर”।
रूबी हंसी, “बाय – हैप्पी जर्नी” उधर से आवाज आयी।
“बाय”, मैंने भी कहा। दोनों तरफ से फोन कट्ट हो गया।
हैपीज़ एंडिंग्स – The End – समाप्त
कृपया पाठक अवश्य बताएं की ये सोलह भागों में चली कहानी “मेरे बचपन का प्यार रूबी” कैसी लगी।
दो भागों में समाप्त होने वाली अगली कहानी – “कुंवारी साली की जोर ज़बरदस्ती” – जल्द ही आएगी।
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