रजनी कि चुदाई उसीकी जुबानी-11 – हम करनाल में

करनाल में पहला दिन

उस रात की पंकज और कुणाल के साथ ताबड़तोड़ चुदाई के बाद चूत, गांड और आत्मा, तीनो की तृप्ती चुकी थी। अब पढ़ाई की ओर ध्यान लगाने का समय था। कभी भी करनाल से सरोज का फोन आ सकता था की रजनी के माता पिता रामेश्वरम के लिए रवाना हो चुके हैं। फिर होगी चूत गांड की सिकाई चुदाई वो भी आठ दस दिन लगातार।

बीस दिनों के इंतज़ार के बाद आखिर सरोज का फोन आ गया। एक हफ्ते बाद रजनी के माँ, बाबू जी रामेश्वरम जाने वाले थे।

मैंने और रजनी ने इन बीस दिनों में एक बार भी चुदाई नहीं करवाई थी – ना ही अगले आठ दस दिन दिन तक चुदाई का प्रोग्राम था।

“अब जो होना था करनाल जा कर ही होना था “।

“आखिर संयम भी कोइ चीज़ होती है, ज़िंदगी में चुदाई पिलाई ही तो सब कुछ नहीं होता, वो अलग बात है कि रात को सोने से पहले एक दूसरी की चूत गांड चटाई कर लेते हैं”।

आ गया वो दिन भी – एक दिन बाद हमने करनाल के लिए रवाना होना था ।

हमने एक दूसरी की चूतों कि अच्छी तरह सफाई की, एक भी बाल नहीं रहने दिया। चिकनी कर दी एकदम।

करनाल पहुँचते ही दीपक और सरोज ने हमारा बहुत ही अच्छे से स्वागत किया। रजनी के पिता जी क्यों कि बाहर थे इस लिए संतोष डेरी का काम देखने खेतों में गया हुआ था।

सतोष बोली, ” जीजी आप और ये “, उसने मेरी ओर इशारा कर के कहा, ” उस बीबी जी बाबू के बड़े वाले कमरे में ही सो जाओ। आराम रहेगा”। साथ ही वह हंस भी पड़ी।

“ठीक है सरोज, और हाँ, इसका नाम आभा है। करनाल शहर देखने आयी है, मैंने तुम्हें बताया ही था “। रजनी ने मेरा परिचय करवाया।

“हां जीजी बढ़िया से करनाल दिखाएंगे इनको भी, ऐसा कि वापस जाने का मन नहीं करेगा ” ये कह कर सरोज ने मेरी ओर देखा और हंस पड़ी।

” मुझे तो लगा कि मेरी चूत पानी पानी हुई जा रही है। गांड का छेद फड़कने लगा सो अलग”।

सरोज ने कहा,”जीजी आप और आभा जीजी आप नहा कर फ्रेश हो जाओ। मैं नाश्ता बनाती हूँ। फिर बात करेंगे कि करनाल कैसे देखना है “।

सरोज और रजनी हंस पड़ी, मैं थोड़ी शरमाई। सरोज सच में ही मुझे बड़ी अच्छी लगी।

“चूत और गांड चुदवाने से समय मिला तो मैं, रजनी और सरोज भी चुसाई क्रीड़ा करेंगे “।

हम दोनों एक ही बाथ रूम में घुस गयीं। एक दूसरी की चूत और गांड को मल मल कर धोया, उंगली भी की और चाटा भी।

नहाते नहाते मैंने रजनी से पूछा, “रजनी अब क्या प्रोग्राम है”। मतलब साफ़ था कि चुदाई कब से शुरू होगी।

रजनी ने कहा, देखो आभा, इस मामले में सरोज सब से अच्छी राये दे सकती है। जैसा वो कहेगी वैसा ही करेंगी, दिन बढ़िया गुज़र जाएंगे”।

नहा धो कर हम बाहर आये, नाश्ता मेज पर लगा हुआ था। हम सब बैठ गयी। रजनी ने सरोज को भी साथ ही बैठा लिया। सरोज ने बताया दीपक अभीअभी शहर गया है। और संतोष आज खेत पर ही सोयेगा।

थोड़ा खाने के बाद रजनी ने पूछ ही लिया, “सरोज, अब क्या प्रोग्राम रहेगा”।

सरोज ने बड़ी ही मस्ती में पुछा “क्यों जीजी खुजली हो रही है क्या नीचे “।

“हो तो रही है सरोज”।

“और आपके आभा जीजी ” ? सरोज ने मेरी ओर देख कर पूछा।

मैं शर्मा गयी – कुछ नहीं बोली।

रजनी ने ही कहा, “अरे आभा अब शर्माना छोड़ो, सरोज से कुछ नहीं छुपा। तुम्हें तो सब मालूम ही है “। फिर वो दबी आवाज में बोली – जैसे कोइ राज़ कि बात बताने जा रही हो, ” सरोज की राय चुदाई के मामले में बिलकुल सटीक और सही होती है – क्यों सरोज “। रजनी ने सरोज कि तरफ हंस कर देखा।

सरोज भी हंसी, अच्छा जीजी ये बताओ कितने दिन का प्रोग्राम है, उसी हिसाब से आप कि दिनचर्या बनाएंगे।

“दिनचर्या वह – मतलब कब कब किसकी चूत कि चुदाई होगी, कब गांड मारी जाएगी, कब मूतने का प्रोग्राम बनेगा और कब हम तीनों कन्याओं की आपस में चूत चटाई और उंगलीबाजी होगी “।

सरोज ने बात चालू रखी, “जीजी दीपक शहर गया है शाम तक आएगा, गांड चुदाई का सामान भी ले कर आएगा। कल दीपक ने मेरी गांड चोदी, उसमें सारी जैल लग गयी। आज रात आभा जीजी को दीपक के लिए छोड़ देते हैं। संतोष आज खेतों पर ही सोयेगा इस लिए मैंने अपने देवर राकेश को बुला लिया है। उसको आप लोगों के बारे में भी बता दिया है”।

फिर उसने रजनी कि तरफ इशारा कर के कहा, “आप आज राकेश का लंड ले लेना, बढ़िया गांड चुदाई करता है I पिछली बार आप राकेश से नहीं चुदवा पाई,और शाम तक जैल भी आ जाएगी I राकेश मेरी गांड चोदने ले लिए अपनी जैल क्रीम ले कर आता है।”।

“साफ़ पता लग रहा था कि रजनी कि चूत और गांड दोनों प्यासी हो रही थी। हालत तो मेरी भी कुछ ऐसी ही थी “।

रजनी ने पूछा, ” और सरोज तुम “?

सरोज ने जवाब दिया, “अरे मेरी छोड़ो, मुझे लंडों कि कमी नहीं। दीपक है, राकेश है और संतोष तो है ही”।

रजनी बोली ,”फिर भी तुम भी आ जाना। तीनो रहेंगे – तुम मैं और राकेश”।

सरोज मान गयी, “ठीक है जीजी, मगर चुदाई खाली आप ही करवाना, मैं आप से चूत चटवाऊंगी जैसे दीपक के साथ चटवाई थी जब वो आप की गांड चोद रहा था “।

रजनी हंसी ,” बड़ी खुदगर्ज हो सरोज, मैं क्यों ना तुम्हारी चूत का स्वाद लूं “।

सब हंस पड़े।

रजनी ने पूछा, “ये तो हो गया आज का। इसके बाद” ?

“इसके बाद कल राकेश तो चला जाएगा और अगर संतोष घर पर आ गया तो आप दीपक के पास चली जाना। आभा जीजी को संतोष से चुदाई का मौका दे देंगे। फिर जिस दिन संतोष का प्रोग्राम खेतों पर रुकने का होगा तो राकेश को बुलवा लेंगे। बीच में अगर मौक़ा लगा तो मैं और आप या मैं और आभा जीजी इक्क्ठी दीपक से चूत और गांड का प्रोग्राम बना लेंगी”।

रजनी का दिमाग तो कुछ और ही सोच रहा था – शायद पंकज और कुणाल की इक्क्ठी चुदाई याद आ रही थी। उसने पूछा, “मगर सरोज हमसब, मतलब मै तुम, आभा, दीपक ,संतोष और राकेश क्या सब एक साथ ये चूत गांड चुदाई का खेल नहीं खेल सकते ” ?

सरोज थोड़ा संजीदा हुई, ” नहीं जीजी आखिर को तो दीपक मालिक ही है। संतोष या राकेश ऐसा करने के लिए नहीं मानेंगे। उधर संतोष हालांकि मेरी और राकेश कि गांड चुदाई के बारे में जानता है, मगर वो भी इक्क्ठे चुदाई नहीं करते “।

“मैं सोच रही थी बात तो सही है, भाई भाई में इतना लिहाज और आदर तो होना ही चाहिए। अब रजनी ही कहाँ अपनी माँ के साथ दीपक से चूत चुदवा सकती है”।

सरोज कह रही थी, “पर जीजी निराश होने कि जरूरत नहीं। मुझे मालूम है, जब कभी बीबी जी घर पर नहीं होती तो दीपक अपने कुछ दोस्तों के साथ ग्रुप चुदाई के लिए जाता है – जिसमे दीपक के कुछ दोस्त होते हैं और साथ उनकी गर्ल फ्रेंड्स होती हैं। सब एक दुसरे की गर्ल फ्रेंड को चोदते है। जिस दिन संतोष खेतों पर रुकेगा उस दिन राकेश को ना बुला कर दीपक को कहेंगे अपने दो या तीन दोस्तों को बुला लेगा। हम तीन होंगी और वो भी तीन – या फिर चार होंगे, मज़ा ही आ जाएगा “।

क्या बढ़िया स्कीम थी सरोज की। ठीक ही कहा था रजनी ने, “सरोज की राय चुदाई के मामले में बिलकुल सटीक और सही होती है “।

रजनी उठी और सरोज के होंठ चूसने लगी, “सरोज चलो थोड़ी मस्ती करती हैं “।

“लगता है सरोज भी गर्म हो गई थी। मेरी भी चूत पानी पानी हुई जा रही थी, गांड का छेद फड़क रहा था “।

सरोज उठ खड़ी हुई, “चलो – आओ आभा जीजी”।

” मेरे तो मन में लड्डू फुट रहे थे, पहला दिन और क्या चूत गांड चटाई होगी। और रात को दीपक से साथ जो होगा वो अलग “।

हम तीनो हमारे वाले कमरे की ओर चल पड़ी।

“उसके बाद तो जो हुआ वो कमाल ही था”। सरोज हालांकि हम से बड़ी थी मगर उसका जिस्म कड़क था – मेहनत का नतीजा था। चूचिया तनी पड़ी थी। चूतड़ हमारे चूतड़ों से भारी थे मगर सख्त थे।

“जिस तरह वो हम लोगों की चूतें चाट रही थी और जैसे चटवा रही थी, अपनी गांड में उगली ले रही थी और हमारी गांड में उंगली डाल कर गोल गोल घुमा रही थी, लग ही रहा था की सेक्स का पूरा मजा लेने में विश्वास रखती है ”

अगली बार मैंने भी रजनी की गांड में उंगली डाल कर सरोज की तरह गोल गोल घुमाई तो रजनी हं कर बोली, “आभा बड़ी जल्दी सीख गयी तू तो ” !!

मैं हंस पड़ी।

“अगले डेढ़ घंटे तक हमने जो किया वो हर लड़की को अपने ख़ास सहेली के साथ जरूर करना चाहिए”।

एक दूसरी की चूत चाट चाट लाल कर दी। गांड में उंगली कर कर के वो हालत कर दी की अब अगर गांड की चुदाई ना हुई तो क़हर आ जयेगा। और आखिर में जो मूता मुताई हुई वो अलग। दो बैठती थी और एक अपनी चूत उनके मुंह पर लगा कर पानी छोड़ती थी। सर..र..र..र..र..र..र की आवाज के साथ गर्म मूत जब चेहरे पर गिरता था तो मजा ही जाता था।

हर खेल से पहले खिलाडी “वार्म अप” करते हैं, थोड़ी उछल कूद करते हैं जिससे उनके जोड़ खुल जाए और जब असली खेल में जाएं तो बढ़िया नतीजे लाएं।

“हम तीनों का भी ये वार्म अप था। अब आगे की चुदाई बढ़िए होने की संभावना थी ”

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