सुबह जब उठा तो मम्मी ने कहा कि आज मामी के वहां जाना था। बात यह थी कि मामी की मम्मी की डेथ हो गयी थी। कुछ दिन पहले ही वो गांव से लौट कर आयी थी तो उनका दुख बांटने जाना था। मम्मी को स्कूटी चलानी नहीं आती थी, तो मुझे ही साथ जाना था।
मामी और हम एक ही शहर में रहते हैं, बस 6-7 किलोमीटर दूर। गरमी के दिन थे। मेरा जाने को मन सा ना था। लू के थपेड़े सुबह से लगने शुरू हो चुके थे। जब मैं ब्रश कर रहा था तब मुझे 7-8 साल पुरानी एक बात याद आयी। उस समय हम शहर में नए थे। आए हुए एक दो साल हुए थे, और मामी के मकान के पास ही एक जगह किराये में रहते थे।
एक दिन मामी को शाम को कहीं बाहर जाना था। उनके दो बच्चे छोटे थे, मैं उनसे बड़ा था। तब मुझे कहा गया कि शाम को उनके वहां आ जाऊं जब तक कि वो लौट के नहीं आ जाते। शाम को मैं वहां चले गया। जब मैं उनकी छत पर गया तो मुझे मामी की काली रंग की पैंटी एक कोने में कुछ लकड़ियों के ढेर, जो कि जाड़ों के लिए अभी से इकठ्ठा किए हुए थे, के ऊपर सुखाने के लिए डाले हुए दिखी।
मैं उसकी तरफ ध्यान नहीं देना चाह रहा था, लेकिन मेरी नज़र वहीं जा रही थी। मेरा लंड कड़ा होने लगा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था, इसलिए मैंने पहले आस-पास देखा कि किसी मकान की छत पर कोई था तो नहीं। फिर मैंने पैंटी को उठाया जैसे कि मैं सूखे कपड़े अंदर ले जाने के लिए आया हूं और मौंटी की सीढियों पर जाकर उसे अपनी चड्डी के अंदर डाल दिया।
मेरा लंड उफान मार रहा था, और आप समझ सकते हैं कि मेरा क्या हाल हुआ होगा। जब मामी की सुबह नहा कर सुखाने डाली पैंटी को मैंने अपने लंड में टच किया। इसके बाद मैं सीधे नीचे गया और बाथरूम में घुसा, पजामा उतार कर बैठ गया। मैंने पैंटी के चूत की ओर के हिस्से को अपने लंड के ऊपर रखा, और बाकी हिस्सा चारों ओर लपेटा। ऐसा लगा जैसे मामी की चूत में लंड डाल दिया हो।
फिर मैंने जल्दी-जल्दी पैंटी से लंड को हिला कर अपना पानी निकाल दिया। पानी पैंटी पर नहीं गिरे इसका मैंने ध्यान रखा, क्योंकि उसी में छोड़े जाने पर खतरा था। फिर चुपके से जाकर पैंटी वापस छत पर वहीं डाल दी।
वापस वर्तमान में आते हैं। अभी भी मैं ब्रश कर रहा था। मुझे खुराफात सूझी। मैंने सोचा कि क्यों ना ऐसा ही कुछ किया जाय। हालांकि यह पूरी किस्मत वाली बात थी। मैंने सोचा कि मैं वहां जाऊंगा, थोड़ी देर बैठ कर बाद में बाथरूम जाने का बहाना बना लूंगा। यहां पर दो बात थी। मुठ मारना इस बात पर निर्भर था कि जब मैं बाथरूम जाऊं तो वहां मामी की पैंटी या ब्रा में से कुछ मिल जाए। अगर ना मिले तो मतलब कैंसल।
फिर भी मुझे लगा था कि कुछ ना कुछ मिल जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि दिन छुट्टी का था और बच्चे घर में ही होंगे, और हम लगभग 11 बजे तक वहां पहुंच जाने वाले थे। सुबह अगर मामी ने नहाया होगा तो हो सकता था कि उन्होंने अपने कपड़े पैंटी और ब्रा के साथ सर्फ में भिगो कर रखे हों ताकि बाकी काम करने के बाद उन्हें एक साथ धो सकें। और ऐसा ही कुछ होने की बहुत संभावना थी।
जैसा कि तय था हम 11 से पहले मामी के घर पहुंचे। उनका घर तीन मंजिला था। उसमें नीचे उनके सास ससुर रहते थे और वो खुद ऊपर की मंजिल में। उस समय सभी लोग ऊपर ही थे। उनके बच्चे ट्यूशन गए हुए थे। सब बातें कर रहे थे और फिर मामी की सास लोग नीचे चले गए।
आधे घंटे बाद मैं उठा। उस समय मामी किचन में काम कर रही थी। बाथरूम का रास्ता किचन के सामने से होता हुआ थोड़ा आगे था। बाथरूम का रास्ता भले ही मुझे पता था, पर मैं पहले वहां कभी गया नहीं था। इसलिए मैंने नाटक करते हुए मामी से पूछा कि क्या यही बाथरूम है। मामी किचन से बाहर को आयी और हां कहते हुए मुझे उसके दरवाजे तक ले गई। उन्होंने दरवाजे की कुंडी खोली।
मैं उनके पीछे ही था। उनके बड़े-बड़े चूतड़ों का उभार साफ दिखाई दे रहा था। मामी का शरीर 7-8 सालों में बहुत बदल गया था। पहले वो पतली थी, चूचे और चूतड़ ज्यादा बड़े नहीं थे। पर अब वो काफी हेल्थी हो गई थी और उनके चूचे और चूतड़ काफी बड़े हो गए थे। कुंडी खोल कर जब वो घूमी, उसी समय मैं अंदर जाने के लिए आगे बढ़ गया था जिस कारण मामी के चूतड़ और गांड मेरी पैंट के ऊपर से लंड से रगड़ खा गई। मामी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, पर मेरा लंड कड़ा होने लगा था। मैं जल्दी अंदर घुसा और दरवाजा बंद कर दिया।
जैसा तय था अगर पैंटी या ब्रा में से कुछ मिलता तो उसमें मुठ मार लेता। जैसा मैंने सोचा वैसा ही हुआ था। मामी ने नहा कर अपने कपड़े टब में भिगो कर रखे थे। मैंने अपनी पैंट और चड्डी उतार कर टांग दी और टब के पास गया। कपड़े थोड़ी देर पहले ही डाले थे, इसलिए पैंटी अभी पूरी तरह से भीगी नहीं थी। वो ऊपर से ही थी। मैंने उसे हाथ में उठाया और उल्टा किया।
पैंटी का अंदर का हिस्सा कुछ देर पहले तक मामी की चूत से रगड़ खा रहा होगा। जब वो बैठी होंगी तो पतला हिस्सा फोल्ड होकर उनकी चूत की दरार में फसा होगा। जब उन्होंने मूतने के बाद इसे पहना होगा तो पेशाब की कुछ बची बूंदें उस पर गिरी होंगी। कभी अपनी चूत में उंगली की होगी तो उसका पानी भी उसमें गिरा होगा।
मैं कामुकता में चूर हो गया था। पैंटी उल्टा करने के बाद मैं उसे अपनी नाक के पास लाकर सूंघने लगा। पैंटी को हाथ में मोड़ कर मैं अपनी नाक में उसे रगड़ने लगा। पैंटी से अभी भी चूत की खुशबू आ रही थी। ऐसा लग रहा था मानो मामी मेरे सामने हो और मैं अपनी नाक उनकी चूत के ऊपर रगड़ रहा था। ऐसा करते-करते मेरा लंड टाइट हो गया था। मैंने एक हाथ से उसे पकड़ा और पैंटी सूंघने के साथ साथ लाने लंड को हिलाने लगा।
थोड़ी देर सूंघने के बाद पैंटी को अपने लंड पर लपेटा और हिलाने लगा। मेरा फोन मेरे पास था, मैंने उसमें सम्बन्धों में सेक्स वाला पोर्न सर्च किया। मुझे एक विडियो मिली जिसमें एक आदमी पैसे के बदले अपनी रिश्तेदार महिला को चोदता है। वीडियो में आदमी महिला के घर जाता है और तब महिला उसे अपनी समस्या बताती है। पर आदमी पैसे के बदले उसकी चूत मांगता है। महिला को पैसे की जरूरत थी पर आदमी किसी और शर्त पर मानने को तैयार ना था।
महिला हाथ जोड़ती है, पर अंत में महिला को मजबूरन अपनी चूत मरवानी पड़ती है। महिला के आंसू निकलते हैं। वो बार-बार कहती है कि ये गलत है, प्लीज ऐसा मत करो। पर आदमी बेरहमी से उसे चोदता है। आदमी उसे डॉगी बनने को कहता है और खुद पीछे आकर अपना लंड, चूत के मुंह पर सेट करता है। फिर वो जोर का धक्का मारता है, महिला की चीख निकलती है।
वह आगे से धराशायी हो जाती है, उसके आगे के हाथ नीचे गिर जाते हैं और उसका सिर तकिये के ऊपर जा गिरता है। आदमी महिला के चूतड़ पकड़ कर गहरे शॉट मारता है। महिला की हालत खराब होते जाती है। उसका शरीर पसीने से भीग जाता है। वो तकिये को अपने दांतों के बीच दबा लेती है। उसकी चीखें तकिये में समा जाती है।
वीडियो के सीन में महिला को मामी के तौर पर और पुरुष को खुद मान कर मैं अपने लंड को मामी की पैंटी से हिला रहा था। कभी पैंटी को चूत वाले हिस्से की तरफ से लंड से रगड़ता, कभी गांड वाले हिस्से से। मेरा शरीर अब अकड़ने लगा था। मैंने तेजी से हिलाना शुरू किया, और थोड़ी देर में अपना सारा गरम माल मामी की पैंटी में छोड़ दिया।
कहानी जारी रहेगी।
अगला भाग पढ़े:- मामी के घर में उनको चोदा-2