पिछला भाग पढ़े:- बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-19
मानसी के साथ डाक्टर मालिनी की आपस की बातें चूत चुदाई की हदें पार कर चुकी थी। दोनों एक-दूसरे की चूत में रबड़ की लंड डाल कर मजे ले चुकी थी। मानसी के लिए भी रबड़ के खिलौने – चूत और गांड में लेने वाले तीनों खिलौने आ चुके थे। मानसी डाक्टर मालिनी को रजत की बारे में बता रही थी। अब आगे।
“जब मानसी ने पेंट की जेब से मोबाइल निकाल कर उसमें एक लड़के की फोटो दिखाई, तो मैं समझ गयी कि ये लड़का रजत ही होगा। लड़का देखने में बढ़िया लग रहा था। दोनों गाल के साथ गाल चिपकाये हंस रहे थे”।
“मैंने मानसी से पूछा, “रजत”?
मानसी मुस्कुराते हुए बोली, “हां आंटी रजत”।
मैंने बस इतना ही कहा, “मानसी रजत देखने में तो अच्छा लग रहा है”।
मानसी ही फिर बोली, “आंटी मैंने तो आप को बताया ही था के रजत मुझ पर लट्टू है, मैं ही उसे घास नहीं डालती”।
मानसी बोल रही थी, “उस दिन जब रजत ने मुझसे कहा, “मानसी मुझसे दूर क्यों भागती हो तो मुझे लगा यही मौक़ा है, जैसे कि आपने मुझे समझाया था, रजत के पास आने का”।
मैंने कह दिया, “मैं कहां दूर भागती हूं रजत? तुमने ढंग से कभी मुझे बुलाया ही नहीं”?
“रजत को तो जैसे मेरी इस बात का ही इंतजार था। मेरे इतना कहने से ही वो तो इतना खुश हुआ, कि एक बार जो बोलना शुरू हुआ तो चुप ही नहीं हुआ”।
“बातों-बातों में रजत बोला, “तो चलो मानसी कहीं कॉफी पीने चलें”।
मैंने भी कह दिया, “हां-हां चलो”।
“और आंटी हम कानपुर के मशहूर कॉफी हाउस शौनक में चले गए। शौनक में कालेज के लड़के-लड़कियां खूब आते हैं। हम वहां जा कर एक हल्की रोशनी वाले कोने में बैठ गए। रजत ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, मानसी में तुमसे प्यार करता हूं”।
“आंटी आपसे एक ही दिन बात करके इतना तो मैं समझ ही गयी थी कि दुनिया को किस नजरिये से देखा जाना चाहिए। मैंने रजत के हाथों से अपना हाथ तो नहीं छुड़ाया मगर मैंने हंस कर कहा, “रजत क्या बात है? पहली ही मुलाकात में प्यार? कुछ और मुलाकातें होने दो। मुझे भी सोचने दो, तुम भी सोचो। ये प्यार-व्यार तो होता रहेगा”।
मानसी हंस कर बोली, “आंटी मेरा इतना कहते ही रजत तो हड़बड़ा ही गया और बोला, “नहीं मानसी मेरा वो मतलब नहीं, मेरा मतलब तो था कि मैं तुम्हें पसंद करता हूं”।
मैंने भी कहा, “रजत पसंद तो मैं भी करती हूं तुम्हें, मगर ये प्यार? वो अभी दूर की बात है”।
“मेरी ये बात सुन कर रजत कुछ पल के लिए चुप हो गया। फिर रजत ने मेरा हाथ अपने हाथ सी धीरे-धीरे दबाने लगा और हम इधर-उधर की बातें करने लगे। मैंने भी अपना हाथ रजत के हाथ के ऊपर रख दिया। तभी आंटी रजत थोड़ा आगे आया और अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास ले आया”।
“मैं समझ गयी रजत मुझे किस्स करना चाहता है। आंटी उस वक़्त मुझे आपका चुम्मा याद आ गया। मुझे लगा रजत भी आपकी तरह मेरे होंठ का चुम्मा लेगा, और मेरे होंठ चूसेगा। मगर रजत ने खाली मेरे गाल पर किस्स किया और पीछे हट गया। रजत की इस झिझक से मेरी तो हंसी ही छूट गयी”।
मैंने कहा, “वाह मानसी, तो रजत के साथ बात आगे बढ़ रही है। और पापा के साथ चुदाई”?
“मानसी मेरे पास आ कर बोली, “पापा के साथ चुदाई बंद। अब मम्मी ध्यान रखेगी पापा के लंड का। अब मैं पापा के पास चुदाई करवाने नहीं जाऊंगी। हां अगर पापा का मन ही मुझे चोदने का आ गया तो मना भी नहीं करूंगी”।
“मानसी फिर रजत की बात करने लगी और बोली, “आंटी ये तो मैंने आपको बताया ही था कि रजत मुझमें दिलचस्पी रखता है – मैं ही उससे ओर दूर रहती थी”।
“मैंने हां में सर हिलाया”।
“आंटी”, मानसी मेरे हाथ पर हाथ रख कर बोली, ” मुझे ये मानने में जरा भी झिझक नहीं कि उस दिन जब आप मुझ से पापा की और मेरी चुदाई की बात कर रही थी तब आपने कहा था कि मानसी इस तरह के रिश्ते – जिनमें मां-बेटे में, बाप-बेटी में और भाई-बहन की चुदाई होती हो, ऐसे रिश्तों का कोइ भविष्य नहीं होता। ये कभी ना कभी खत्म होने ही होते हैं। और अगर वक़्त पर ना खत्म किये जाएं तो बहुत नुक्सान वाले भी हो सकते हैं”।
“मुझे याद आ गया जब मैंने मानसी से ये सब कहा था”।
मानसी फिर बोली, “इसके साथ ही मुझे पापा की बताई वो 44 साल की उम्र वाली बात भी याद आ गयी, जब आपने कहा था कि वक़्त के साथ-साथ उनके लंड की सख्ती कम होती जाएगी, मगर मेरी चूत को अभी भी कम से कम पंद्रह साल और सख्त लंड की चुदाई की जरूरत होगी”।
“तभी मुझे लगा था कि जब मेरी और पापा की चुदाई अगर हमेशा नहीं चलनी, और किसी ना किसी दिन खत्म होनी ही है। उसी वक़्त मैंने सोचा लिया अगर पापा-बेटी में चुदाई जब खत्म होनी ही है, तो फिर अभी ही क्यों नहीं”।
“फिर मानसी ने वही बात दोहराई और बोली, “आंटी अब मैं पापा के साथ चुदाई के रिश्ते अपनी तरफ से बंद करना चाहती हूं, मगर हो सकता है पापा को ही अब मुझे चोदना अच्छा लगता हो। अगर ऐसा हुआ और अगर पापा ने मुझे चुदाई के लिए बोला, तो मैं मना नहीं करूंगी”।
“ये बोल कर मानसी कुछ रुकी। मुझे लगा मानसी कुछ और भी कहना चाहती है। मैंने मानसी के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा, “कुछ और भी बात है मानसी”?
“मानसी ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, “आंटी एक बात ऐसी भी हुई जिससे लगा पापा की और मेरी चुदाई असली चुदाई नहीं, बस मेरा जूनून है पापा के नीचे लेट कर उनका लंड अपनी चूत में लेने का। जब लंड एक बार चूत में चला गया तो फिर मर्द चूत में लंड आगे-पीछे करके धक्के तो लगाएगा ही। और जब धक्के लगाएगा तो लंड पानी भी छोड़ेगा। मगर ये सही चुदाई नहीं है”।
“मानसी की इस बात से तो मुझे भी कुछ हैरानी सी हुई। मानसी बात सही कह रही थी, मगर ऐसा क्या हुआ जो मानसी अब ये सोच रही थी”?
“मैंने मानसी से पूछा, “मानसी बात तो तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो, मगर ये बताओ ये ख्याल तुम्हारे मन में कब और कैसे आया?
“मानसी मेरा हाथ पकड़ती हुई बोली, “आंटी एक बोलूं। मुझे आप बहुत अच्छी लगने लगी हैं। आपसे कुछ भी छुपाने का मन नहीं करता। ये ख्याल मेरे मन में तब से आया जब से मैंने मम्मी और पापा की उस दिन की शराब पीने के बाद वाली जबरदस्त चुदाई देख ली”।
फिर कुछ रुक कर मानसी बोली, “जो मुझे नहीं देखनी चाहिए थी”।
“जिस तरह पापा और मामी चुदाई कर रहे थे, जिस तरह की चूत, चुदाई, फुद्दी, रंडी, कुतिया वाली बातें दोनों बोल रहे थे, जिस तरह मम्मी नीचे अपने चूतड़ झटका रही थी, जिस तरह पापा धक्के लगाते हुए मम्मी के होंठ चूस रहे था, मुझे लगा यही असली चुदाई है”।
“मम्मी पापा की वो वाली चुदाई देख कर मुझे समझ आया मेरी और पापा के चुदाई चुदाई नहीं सिर्फ मेरा पागलपन है। मैं पापा के सामने चूत खोल कर लेट जाती हूं, और पापा का लंड मेरी खुली चूत देख कर खड़ा हो जाता है, और फिर चुदाई हो जाती है”।
“आंटी मेरी और पापा की चुदाई तो बस ऐसे होती है जिसमें बस चूत और लंड का पानी छूटना होता है। ना कोइ चूत चुदाई वाली बातें होती हैं, ना पापा मेरे होंठ चूसते हैं। मेरे तो चूतड़ भी तभी घूमते हैं जब मुझे मजा आता है और मेरी चूत पानी छोड़ती है”।
“मानसी की बात सुन कर मैंने सोचा यही बहुत है। मुझे यकीन था अगर मानसी ने एक बार रजत का लंड ले लिया, तो मानसी अलोक का लंड अपने आप ही भूलने लगेगी”।
“आखिर को लड़के-लड़की वाली असली चुदाई तो मानसी और रजत के बीच ही होगी, जिस चुदाई में वो बातें भी तो होंगी जो मानसी और
आलोक – बाप-बेटी – की चुदाई में नहीं होती”।
“जब रजत बोलेगा, “ले मानसी ले मेरी जान, ले तेरी गांड में मेरा लौड़ा, ये लेले निकला मेरा, ले मेरी जान मानसी, ले आआआह आआह, क्या चूत है मानसी तेरी, मजा ही आ गया, जकड़ लिया तेरी फुद्दी ने मेरा लंड मानसी”।
“और उधर चुदाई करवाते हुए मानसी बोलेगी, “आआह रगड़ मेरी चूत रजत, आअह आह रगड़ रजत, और रगड़, आआह घुस जा मेरी फुद्दी में रजत, आह दबा कर चोद आज मुझे रजत, रगड़ो मेरी चूत झाग निकाल दो इसकी इस फुद्दी की रजत”।
“मैं मन ही मन सोच रही थी कि एक ही बार बात करने से मानसी कितना बदल गयी थी”।
“मैंने मानसी से कहा, “मानसी अब इस शौनक कॉफी वाली मुलाक़ात के आगे क्या कुछ हुआ क्या, बात कुछ आगे बढ़ी क्या”?
“मानसी मेरे पास आती हुई बोली, “आंटी इसके आगे रजत के साथ तो जो हुआ सो हुआ, पहले आप भी तो मेरे साथ कुछ करिये”।
“ये बोल कर मानसी मेरे सामने आ कर खड़ी हो गयी और अपने होंठ हल्के से खोल दिए। मेरे बराबर की लम्बाई वाली मानसी का चेहरा बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने था”।
“मानसी मुझे चुम्मे के लिए कह रही थी। मानसी के इस तरह बोलने से मेरी चूत में झुरझुरी हुई और मैं भी एक-दम मस्ती में आ गयी”।
“मैंने भी मानसी को कमर से पकड़ा और उसे अपने साथ चिपका लिया। मानसी के मम्मे और मेरे मम्मे आपस में टकरा रहे थे, और हमारी फुद्दीयां आपस में सटी हुई थी। मैंने मानसी कि होंठ अपने होठों में ले लिए और उन्हें चूसने लगी”।
“मानसी कि होंठ चूसते-चूसते मैंने मानसी के गालों को जोर से दबाया, और मानसी का मुंह थोड़ा सा खुल गया। मैंने अपने जुबान मानसी के मुंह में डाल दी। मानसी मेरी जुबान चूसने लगी।
“दस मिनट मैंने मानसी के होठ चूसे। मानसी मेरी पीठ पर हाथ फेर रही थी, और मैं मानसी के चूतड़ दबाती जा रही थी। मेरा मन ही नहीं कर रहा था मानसी को छोड़ने का”।
“कुछ देर बाद मैंने मानसी को छोड़ा और बोली, “बैठो मानसी। अगर मैं लड़का होती तो दबा कर चोदती तुम्हें”।
“मेरे चुम्में से मस्त हुई पड़ी मानसी बोली, “तो क्या हुआ आंटी। आप अब भी मुझे चोद लो, जो चाहो कर लो मेरी चूत के साथ। ये रबड़ का लंड तो आ ही गया है। इसको मैं अपनी चूत में डाल लेती हूं, उसके बाद आप मेरे ऊपर लेट कर मेरी चुदाई कर लो, जैसे प्रभात ने की थी, जैसे पापा करते हैं, और जैसे अब रजत करेगा”।
“मानसी हंसते हुए बोली, “लड़कों की तरह चूत पर धक्के ही तो लगाने हैं, और लड़कों वाली बातें बोलनी हैं। बाकी चूत का पानी छुड़ाने का काम तो ये रबड़ का लंड और इसका वाईब्रेटर करेगा”। ये कह कर मानसी कुर्सी पर बैठ गयी।
“मैं भी हंसी और कुछ सोचने लगी, मगर मैंने मानसी की इस बात का कोइ जवाब नहीं दिया, और प्रभा को बुला कर चाय और कुछ स्नेक्स लाने के लिए कह दिया”।
मैंने मानसी से पूछ, “मानसी अब बताओ उस कॉफी वाली मुलाक़ात के बाद रजत तक कहां तक पहुंची तुम”?
“असल में मुझे भी नई-नई जवान हुई बीस साल की मानसी की प्रेम कहानी सुनने में मजा आ रहा था”।
“मम्मी पापा की चुदाई का हाल सुनाने की बाद फिर मानसी ने रजत की बात शुरू कर दी”।
“फिर आंटी हमारा एक दिन पिक्चर का प्रोग्राम बन गया। हम PVR में चले गए। आज कल सिनेमा हाल में भीड़ तो होती नहीं। हम अपनी मर्जी की सीटों पर बैठ गए। हमारे आस-पास कोइ भी नहीं बैठा था। आंटी, एक बात बताऊं, खूब चुम्मा-चाटी हुई हमारी। रजत का तो लंड ही खड़ा हो गया। उसने लंड पेंट में से निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया”।
“आंटी क्या मस्त लंड है रजत का। बिल्कुल ऐसा ही जैसा वो रबड़ वाला आपके पास है। रजत का खड़ा लंड एक-दम गर्म-गर्म सा था। रजत का लंड हाथ में लेते ही मेरी तो चूत ने तो पानी ही छोड़ दिया”।
“आंटी रजत का खड़ा लंड हाथ में पड़ते ही मुझे पापा और मम्मी की वही चुदाई याद आ गयी, और मुझे लगा पापा और मेरे बीच हो रही चुदाई असली चुदाई नहीं है। उस वक़्त ऐसी ही मेरे मन में ख्याल सा आया कि अगर कभी मेरे और रजत की चुदाई हुई तो मैं भी ऐसी ही चुदाई करवाऊंगी जैसी मम्मी उस दिन पापा से करवा रही थी”।
“मगर मैंने रजत का लंड छोड़ते हुए कहा, “रजत ये क्या पागलपन है। अंदर करो इसको”।
“रजत ने लंड तो अंदर कर लिया, मगर आंटी मेरा मन बड़ा ही चंचल हो गया। मेरा मन किया किसी तरह ले ही लूं इसे अपनी चूत में। फिर मैंने सोचा, आप से बात कर के ही आगे बढ़ूंगी”।
“मानसी की बात सुन के मुझे बड़ा अच्छा लगा, मैंने कहा, “मानसी, तू तो बड़ी तेज निकली, बड़ी जल्दी पटा लिया छोरा”।
मानसी बोली, “आंटी रजत तो महीनों से मेरा दीवाना था, मैं ही पापा की चुदाई में मस्त थी। आंटी लड़का तो एक और भी है कार्तिक, वो भी मेरे पीछे-पीछे घूमता है, मगर मुझे रजत ही अच्छा लगता है”।
मैंने कहा, “मानसी बात चीत सभी से रखो, मगर सीरीयस दोस्ती एक से ही होनी चाहिए”।
“फिर मैंने मानसी से पूछा, “मानसी तुम कह रही थी कि रजत के पापा तुम्हारे पापा को जानते हैं। अगर ऐसा है तो ये तो और भी अच्छी बात है”।
“मानसी जहां तक आगे बढ़ने का सवाल है, आराम से, धीरे-धीरे आगे बढ़ो। चुम्मा-चाटी, लंड पकड़ना एक बात है, चुदाई होना दूसरी बात है। और फिर अब तो तुम्हारे पास एक नहीं तीन-तीन अपने जुगाड़ होंगे। चूत में ज्यादा खुजली मचे तो उनसे काम लो। चलो आओ दिखाती हूं तुम्हें तुम्हारे लंड”।
“मैं उठ कर पीछे वाले कमरे की तरफ जाने लगी”।
“मानसी भी मेरे पीछे-पीछे अंदर आ गयी। मैंने अलमारी में से डिब्बा निकाल लिया। अभी तक तो डिब्बा मैंने भी नहीं खोला था। लेकिन तीनो सेक्स टॉयज, चूत का दाना चूसने वाला, चूत में लेने वाला लंड और गांड और चूत में इकट्ठा डालने वाला – तीनो ही बिल्कुल नए तरीके के थे”।
“शोरूम वाला संदीप सोलंकी तो बता ही रहा था कि ये वाले पहले वालों से कुछ अलग से हैं”।
“मैंने तीनो टॉयज निकाल कर सोफे पर रख दिए। चूत का दाना चूसने वाला तो देखने पर वैसा ही लगा, मगर जब गौर से देखा जो कि चूत दाने ऊपर जो छोटे बच्चे के होंठ जैसा दाना चूसने वाला बना हुआ था। उसके अंदर भी छोटे-छोटे दाने से थे। मतलब खिलौने का बाकी हिस्सा तो चूत के दाने को चूसता और अंदर जो दाने थे वो चूत के दाने पर रगड़ लगाते”।
“लंड और दूसरे टॉयज में भी यही बात थी। लंड के जड़ में दो इंच पर उभरे हुए नरम नरम दाने थे, जो चूत को और अधिक रगड़ा लगाते। इसे तरह के दाने गांड और चूत में लेने वाले खिलौने में भी थे। दूसरी बात थी कि ये दोनों खिलौने गुलाबी रंग की पारदर्शी रबड़ के बने हुए थे और इनके ऊपर चुदाई करते हुए लड़का-लड़की की बहुत सी छोटे-छोटी फोटो थी”।
“मुझे लगा अब मुझे भी अपने खिलौने बदल लेने चाहिये। मैंने सोचा जल्दी ही संदीप से इन खिलौनों के लिए बात करनी पड़ेगी”।
“साला भोसड़ी वाला संदीप। खिलौने ले कर आएगा और आधा घंटा बेफिजूल की बातें करते हुए मेरी चूत को घूरता रहेगा”।
“मानसी इन खिलौनों को उठा कर उलट-पलट कर देख रही थी। तभी मानसी ने खिलौने वापस डिब्बे में रख दिए और अपनी चूत खुजलाने लगी”।
“अब मेरे और मानसी के बीच झिझक तो रही नहीं थी। मैंने मानसी से पूछा, “मानसी क्या हुआ लेने का मन हो रहा है”?
मानसी ने कुछ ज्यादा ही जोर से चूत खुजलाते हुए कहा, “हो तो रहा है आंटी”।
मैंने कहा, “तो शर्मा क्यों रही हो? उतारो कपड़े, और लो जहां लेना है और वाइब्रेटर चालू कर के चूत का पानी छुड़ाओ, और मजे लो”।
मानसी बोली, “आंटी आप भी लो ना। दोनों लेंगी तो और मजा आएगा”।
मैंने कहा “ठीक है”, और मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। फिर मैंने मानसी से पूछा, “मानसी तुमने कौन सा वाला लेना है”?
मानसी बोली, “आंटी मैं गांड और चूत में डालने वाला ये C वाला ही लूंगी। प्रैक्टिस भी हो जाएगी। अपने आप तो मैंने अभी तक एक बार ही लिया है”।
मैंने कहा “ठीक है”, और मैंने मानसी को दराज में से गांड में लगाने वाली जैल की टयूब निकाली और मानसी को पकड़ा दी”।
जब मैं लंड अपनी चूत में डालने की तैयारी कर रही थी तो मानसी बोली, “आंटी एक बात बोलूं”?
मैंने कहा “बोलो मानसी क्या बात है”?
मानसी बोली, “आंटी ये खिलौने अंदर लेने के बाद और वाइब्रेटर चालू करने के बाद मैं नीचे लेट जाऊंगी, और आप मेरे ऊपर लेट कर धक्के लगाइये और वैसे ही मुझे चोदिये जैसे मर्द औरत को चोदता है”।
“आप लड़कों की तरह मेरी चुदाई करिये कमर ऊपर नीचे करके – जैसे लड़के चुदाई करते हुए धक्के लगाते हैं और मैं लड़कियों की तरह चुदाई करवाऊंगी चूतड़ घुमा-घुमा कर”।
“और मानसी धीमी आवाज में बोली, “और आंटी साथ ही वो वाली गांड, चूत, लंड, रंडी, कुतिया भोसड़ी , फुद्दी वाली बातें भी बोलिये – मर्दों वाली। मैं भी बोलूंगी लड़कियों वाली – चोद मेरी चूत, फाड़ मेरी चूत”।
“मानसी की बात सुन कर मेरी हंसी भी छूट गयी और मेरी चूत ने फर्रर्र से पानी भी छोड़ दिया।
अगला भाग पढ़े:- बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-21