बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-23

पिछला भाग पढ़े:- बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-22

दो नए खिलौने संदीप दे गया था। उधर रागिनी भी डाक्टर मालिनी के पास आ गयी थी। डाक्टर मालिनी ने रागिनी को भी वो नए खिलौने दिखाए। दोनों ने सोचा इनका भी इस्तेमाल करके देखना चाहिए। अब आगे।

“रागिनी ने मुझसे कहा, “कमाल है मालिनी जी, संदीप के साथ इतना कुछ होते हुए भी आपने अपने आप को रोक लिया? मैं होती तो अब तक चूत खोल कर संदीप के सामने लेट चुकी होती”।

“रागिनी के इस बात का जवाब देते हुए जब मैंने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब मैं संदीप के नीचे चूत खोल कर लेटने वाली हूं। तो रागिनी मेरी बात पर हंस दी और बोली, “चलिए मालिनी संदीप के सामने चूत खोल कर लेटने का टाइम तो जब आएगा तब आएगा, अब आप ये बताईये, कि अभी करना क्या है”?

“मैं रागिनी की तरफ देख ही रही थी कि रागिनी लंड वाली चढ्ढी हिलाते हुए बोली, “बताईये मालिनी जी आपने मेरी फुद्दी में डालना है या मैं डालूं आपकी फुद्दी में”?

“फिर रागिनी चढ्ढी के साथ लगे सात इंच के लंड पर हाथ फेरते हुए बोली, “इसे तो गांड में लेने का भी बड़ा मजा आएगा”।

“मैंने भी हंस कर कहा, “रागिनी ये तो मैंने भी पहली बार इस्तेमाल करने हैं। फुद्दी गांड सब जगह डाल कर ट्राई करते हैं। चलो पहले तुम ही पहनो, और चोदो मुझे। दोनों को पता चल जाएगा चुदाई का कैसा मजा देते हैं ये”।

“रागिनी अपने कपड़े उतारते हुए बोली, “मालिनी जी ये वाला चुदाई वाला लंड तो एक बार में एक ही औरत इस्तेमाल करेगी, मतलब एक औरत इस ख़ास चढ्ढी को पहन कर इसके साथ लगा लंड दूसरी औरत की चूत या गांड में डालेगी। फिर ये दो का सेट क्यों है”?

“मैंने रागिनी से कहा, “ये दोनों आये तो एक ही पैकिंग में हैं। मैंने भी ये बात संदीप से या बात नहीं पूछी। मेरा ख्याल है कम्पनी की सोच यही रही होगी कि सब के पास अपने-अपने खिलौने होने चाहिये, जैसे अपने-अपने मर्दों के लंड होते हैं, अपनी-अपनी बीवियों की फुद्दीयां होती हैं”।

“रागिनी कपड़े उतार चुकी थी। रागिनी मुझसे बोली, “मालिनी जी वो जैल वाली टयूब देना ये चड्ढी के पीछे लगा हुआ लंड पहले गांड में तो डालूं, तभी आगे वाले लंड से काम लेने का मजा आएगा”।

“मैंने दराज में से जैल की टयूब निकल कर रागिनी को पकड़ा दी। रागिनी ने घुटने मोड़ कर अपनी टांगें चौड़ी की, आगे चूत के नीचे से टांगों बीच में से हाथ डाल कर जैल अपनी गांड के छेद पर लगाई और चड्ढी के पीछे की तरफ लगा हुआ साढ़े छह इंच वाला लंड अपनी गांड के अंदर डाल लिया और इलास्टिक वाली निक्कर जैसी चड्ढी ऊपर कमर तक चढ़ा ली”।

“चड्ढी के सामने लगा हुआ हल्के भूरे गुलाबी रंग का सात इंची लंड सीधा खड़ा था, और गहरे भूरे रंग के लंड के नीचे लटकते हुए दो टट्टे असली टट्टों की तह लटके हुए इधर-उधर हिल रहे थे”।

“रागिनी ने आगे तरफ लगा हुआ लंड हाथ में लिया और मुझसे बोली, “मालिनी जी पीछे से तो ये लंड गांड और चूत में दोनों में ही चला जाएगा, कोइ दिकक्त नहीं आएगी। ऊपर लेट कर चूत में कैसे जायेगा, ये देखना पड़ेगा”।

“मैने कपड़े उतारते हुए कहा, “तो फिर पहले ऐसे ही ट्राई कर लो, मेरे ऊपर लेट कर। मैं लेटती हूं नीचे अभी पता चल जाएगा कैसे चूत के अंदर जाता है”।

“मैंने कपड़े उतार कर एक मोटा तकिया अपने चूतड़ों के नीचे रखा और टांगें पूरी फैला दी। टांगें फैलाते ही चूत में हवा ठंडी ठंडी सी लगी, बिल्कुल ऐसे ही जैसे हवा चल रही हो और कोइ अपनी जुबान निकाले तो जुबान पर हवा ठंडी लगती है”।

“टांगें फ़ैलाने करने के कारण, जरूर मेरी चूत थोड़ी खुल गयी होगी, तभी चूत में हवा ठंडी-ठंडी लग रही थी”।

“रागिनी मेरी चूत में अंदर तक उंगली डालते हुए कहा, “मालिनी जी लग तो रहा है मस्त जाएगा आपकी चूत में”।

“ये कह कर रागिनी ने अपना मुंह मेरी चूत में घुसेड़ दिया और चूत का दाना चूसने लगी”।

“कुछ देर बाद रागिनी उठी और बोली, “मालिनी जी आपकी चूत तो बिल्कुल तैयार है”।

“ये बोल कर रागिनी घुटनों के बल आगे की तरफ आयी, लंड को चूत की दरार में ऊपर नीचे किया, और साथ ही हल्का-हल्का दबाती भी गयी। एक जगह लंड रुका और फिसलता हुआ एक चौथाई चूत में बैठ गया”।

“रागिनी थोड़ा रुकी और रागिनी ने मेरे कंधे पकड़े और एक झटका लगाया। एक बार में ही पूरा लंड टट्टों तक अंदर डाल दिया”।

“लंड अंदर डाल कर रागिनी ने मुझसे पूछा, “मालिनी जी अब आपको ही बताना पड़ेगा कि लंड अंदर तक गया या नहीं। मुझे इस लंड का तो पता नहीं चल रहा, मगर जो मेरी गांड में गया हुआ है वो जड़ तक बैठा हुआ पूरी मस्ती दे रहा है”।

“मैंने अपनी टांगे रागिनी के कमर के पीछे की और रागिनी को टांगों में जकड़ते हुए कहा, “रागिनी पूरा अंदर तक बैठा हुआ है, बस अब चुदाई चालू कर”।

“रागिनी ने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और धक्के लगाने लगी”।

“क्या मस्त खिलौने थे। रागिनी के धक्के मस्त मजा दे रहे थे। नीचे चुदाई करवाते हुए मेरे मन में ऐसे ही ख्याल सा आया ये खिलौने बनाने वाले अगर ऐसे ही नई-नई तरह के खिलौने बनाते रहे तो ये भोसड़ी वाले तो मर्दों की चुदाई का काम ही तमाम कर देंगे”।

“रागिनी मेरे साथ चिपकी हुई मस्त धक्के लगा रही थी। दोनों के मम्मे आपस में गड्ड-मगड्ड हुए पड़े थे। सात आठ मिनट में ही मेरी चूत का पानी निकलने वाला हो गया”।

“तभी मेरे चूतड़ अपने आप जोर से घूमे और मेरे मुंह सी आवाज निकली, “आआह रागिनी निकल गया”।

“रागिनी ने आठ-दस धक्के और लगाए और रुक गयी। कुछ सेकंड के बाद रागिनी ने लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरे साथ ही लेट गयी। रागिनी की चड्ढी के पीछे वाला वाला लंड उसकी गांड के अंदर ही था”।

“मेरी तरफ सर घुमा कर रागिनी ने पूछा, “कैसा रहा मालिनी जी? मजा आया इसके साथ चुदाई करवाने का”? और इसके साथ ही रागिनी चड्ढी में हाथ डाल कर अपनी चूत रगड़ने लगी”।

“मैंने कहा, “बहुत मजा आया रागिनी। तुम्हारे धक्के बड़े मजेदार और जोरदार थे। पूरा लंड अंदर तक डाल रही थी तुम। तुम बताओ, तुम्हें कैसा लगा”?

“रागिनी बोली, “मालिनी जी ये आगे वाला लंड तो असल चुदाई करवाने वाली के मजे के लिया है, मगर फिर भी मजा तो मुझे भी आ ही रहा था। जब मैं अपनी चूत पर धक्का लगाती थी, तो लंड का पिछला हिस्सा मेरी चूत को दबाता था और उधर मेरी गांड में बैठा दूसरा लंड गांड के छेद के अंदर एक-दम जकड़ा जाता था”।

रागिनी फिर बोली, “मालिनी जी है तो बढ़िया। ये फैक्ट्रियों वाले भी कई तरह की खोज विचार करके ही बनाते होंगे ये ऐसे खिलौने। अब इसी खिलौने को ही ले लो। आगे वाला लंड आपको यानी चुदाई करवाने वाली को मजा देगा और ये पीछे वाला लंड गांड में गया हुआ चुदाई करने वाली को मजा देगा, कमाल है”।

“ये कहते हुए रागिनी अपनी चूत को जोर सी रगड़ने लगी और साथ ही चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी”।

“मैंने रागिनी को अपनी चूत में उंगली करते देखा तो कहा, “रागिनी ये क्या कर रही हो? चूत में उंगली क्यों कर रही हो ? दो मिनट रुक जाओ, मैं देती हो तुम्हें इस लंड का मजा”।

“रागिनी चूत रगड़ते-रगड़ते बोली, “वो बात नहीं मालिनी जी। बस मेरा निकलने ही वाला है। असल में गांड में डाला हुआ लंड भी बड़ा मजा दे रहा है। आपकी चूत पर धक्के लगाते-लगाते मेरी अपनी चूत गरम हो गयी है”।

“रागिनी की एक उंगली उसकी अपनी चूत में थी। तभी रागिनी ने सिसकारी ली, “लो मालिनी जी, गयी मेरी चूत, निकल भी गया मेरी फुद्दी का पानी भी”।

“और इस सिसकारी के साथ ही दूसरे हाथ की उंगली रागिनी ने मेरी चूत में डाल दी। इस एक सिसकारी के साथ ही रागिनी ढीली हो गयी”।

“कुछ देर के बाद रागिनी उठी और चड्ढी के पीछे लगा हुआ लंड अपनी गांड में से निकाल कर चड्ढी उतार दी और गांड में से निकाले हुए लंड को देखते हुए बोली, “हे भगवान कितना मजा देते हैं ये खिलौने। फिर जैसे अपने आप से ही बोली, “कैसे कैसे चुदाई के खिलौने बनाते हैं ये फैक्ट्रियों वाले मादरचोद भी”।

“रागिनी तो ये बोल कर बाथरूम में चली गयी और मेरी रागिनी की इस बात पर कि” कैसे कैसे चुदाई के खिलौने बनाते हैं ये फैक्ट्रियों वाले मादरचोद भी”, हंसी छूट गयी”।

“अभी कुछ देर पहले रागिनी के नीचे चुदाई करवाते हुए यही तो सोच रही थी, ” ये खिलौने बनाने वाले अगर ऐसे ही नई-नई तरह के खिलौने बनाते रहे तो ये भोसड़ी वाले तो मर्दों की चुदाई का काम ही तमाम कर देंगे”।

“रागिनी दस मिनट बाथरूम में लगा कर आयी, और आकर मेरे पास ही लेट गयी”।

“कुछ देर के बाद रागिनी बोली, “मालिनी जी अब? अब आप डालेंगी मेरी फुद्दी में लंड? आप करेंगी मेरी चुदाई”?

“मैंने कोइ जवाब नहीं दिया और एक पलटी कर रागिनी के होंठ अपने होठों में लेकर चूसने लगी। रागिनी भी मस्ती से होंठ चुसवा रही थी। रागिनी होंठ चूसते-चूसते मुझे मानसी की बातें याद आ गयी”।

“मानसी का लाजवाब आइडिया कि खिलौने चूत और गांड के अंदर लेने के बाद मानसी नीचे लेट जाएगी और मैं मानसी के ऊपर लेट कर मर्द के तरह धक्के लगाते हुए चुदाई करने जैसी एक्टिंग करूंगी। इसके साथ ही दोनों गांड, चूत, लंड, रंडी, कुतिया, भोसड़ी, फुद्दी,चोद मेरी चूत, फाड़ मेरी चूत जैसी बातें बोलेंगी।

“मानसी का आइडिया मुझे बहुत पसंद आया था। और हमने इस तरह से दुनिया भर की बातें बोलते हुए मजे भी लिए थे”।

“रागिनी ने नया वाला खिलौना मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदा था, मगर इस चुदाई के दौरान ना रागिनी ने ना मैंने ही इस तरह की कोई बात बोली थी जैसी मैंने और मानसी ने उस दिन बोली थी”।

“मैंने सोचा क्यों ना रागिनी के साथ भी वही सब बोला जाये, जैसा मैंने और मानसी ने आपस में खिलौने अपनी अपनी चूत में डाल कर बोला था – चूत, फुद्दी, गांड, लंड, कुतिया, रंडी, चूत का भोसड़ा”।

मैंने रागिनी से कहा, “रागिनी क्यों ना अब कुछ नया करें”।

हैरानी से रागिनी बोली, “नया मतलब? कैसा नया मालिनी जी”?

रागिनी अभी भी हैरान थी। मैंने रागिनी की हैरानी को दूर करने के लिए कहा, “रागिनी अबकी बार मैंने इस नए वाले खिलौने से तुम्हें चोदना है। ठीक”?

“रागिनी उसी हैरान से बोली, “बिल्कुल ठीक मालिनी जी, अब आपकी बारी है आपने ही चोदना है”।

“मैंने कहा, “रागिनी अभी जब तुम मुझे चोद रही थी, तब ना तुम कुछ बोली, ना मैं ही कुछ बोली – मतलब लंड, चूत, फुद्दी, भोसड़ा, फुद्दी की झाग निकालने जैसी बातें। ऐसी बातें तुम जब आलोक से चुदाई करवाती हो तब तो बोलती हो, अलोक भी तुम्हें चोदते हुए ऐसा ही कुछ-कुछ बोलता है”।

“रागिनी हैरानी से मेरी तरफ देख रही थी, कि ये मैं क्या और कैसी बातें कर रही हूं, और क्यों”।

“रागिनी ने कहा, “मालिनी जी बोलती तो हूं, आलोक भी बोलता है। चुदाई के वक़्त सभी औरतें और मर्द ऐसा बोलते हैं”।

“मैंने रागिनी की चूत सहलाते हुए पूछा, “एक बात बताओ रागिनी तुम और आलोक चुदाई करते हुए ये चूत, फुद्दी, चूत की झाग जैसी बातें क्यों बोलते हो। चुदाई तो लंड चूत की कर रहा होता है, फिर इन बातों का क्या मतलब? चुदाई तो इन सब बातों के बिना भी पूरी हो ही जाती है। चूत और लंड का पानी तो इन बातों के बिना भी निकल जाता है”।

“रागिनी ने मेरी बात का जवाब दिया, “मालिनी जी आपकी बात ठीक है, मगर ये बातें चुदाई का मजा दुगना कर देती हैं”।

“मैंने रागिनी से कहा, “तुमने बिल्कुल ठीक कहा, ये बातें चुदाई का मजा दुगना कर देती हैं। अब मेरी बात सुनो”।

“रागिनी मेरी तरफ देखने लगी”।

“मैंने फिर कहा, “रागिनी तुम मुझे चोदते हुए चुप रही। अब मैंने तुम्हें चोदना है तो फिर क्यों ना एक काम करें”?

“रागिनी मेरी तरफ देखती जा रही थी”।

“मैंने रागिनी से कहा, “अब मैंने तुम्हें चोदना है तो समझो मैं मर्द हूं, और तुम रागिनी ही हो। तुम नीचे लेट कर चुदाई करवाओगी और मैं ऊपर लेट कर तुम्हारी फुद्दी में ये लंड डाल कर तुम्हारी चुदाई करूंगी – मतलब करूंगा। और तब चुदाई करते हुए हम दोनों वही कुछ बोलेंगे जो व्हिस्की पीने के तुम और आलोक चुदाई करते हुए बोले थे”।

“रागिनी हंस दी और बोली, “मालिनी जी आइडिआ तो बढ़िया है, मजा आ जाएगा, मगर ऊपर से चोदने वाले मर्द का नाम भी तो होना चाहिए , जैसे संदीप या फिर आलोक”।

मैंने कहा, “संदीप नहीं रागिनी। संदीप से चुदाई करवाने का अभी मेरा कोइ इरादा नहीं, आलोक ही ठीक है”।

“रागिनी हंसते हुए बोली, “मालिनी जी मतलब आलोक से चुदाई करवाने का आपका इरादा है”?

“मैंने भी सोचा ये में क्या बोल गयी”।

“रागिनी बात को आगे ना बढ़ाते हुए कुछ सोचते हुए बोली, “मगर मालिनी जी उस दिन कुछ तो चुदाई का नशा था, कुछ शराब का भी असर था। नशे में मैं और आलोक कुछ ज्यादा ही मस्त हो गए थे। बिना शराब के इतना कुछ बोलना – कैसे बोलेंगे मालिनी जी”?

“रागिनी की बात सुन कर मैंने कुछ सोचा और बोली, “चलो इसका भी इलाज करती हूं मैं। मेरे यहां इस कमरे में ही व्हिस्की पडी है इम्पोर्टेड। ऐसा करते हैं दो-दो तीन-तीन पेग लगा लेते हैं”।

रागिनी बोली, “मालिनी जी नेकी और पूछ-पूछ? ये भी करके देख लेते हैं”।

“फिर रागिनी बोले, “मगर मालिनी जी मैं तो गाड़ी चला कर आयी हूं, दारू पी कर जाऊंगी कैसे”?

मैंने हंसते हुए कहा, “अरे हमने कौन सी बोतल चढ़ानी है। दो-दो पेग ही तो लगाने है। एक डेढ़ घंटा हमारी चुदाई वाली मस्ती चलेगी, तब तक दारू भी उतर जाएगी”।

“इसके बाद रागिनी ने मुझे अपने पास आने का इशारा करते हुए कहा, “चलो आलोक डालो गिलास में दारू और दो घूंट पी कर डालो मेरे फुद्दी में अपना लम्बा लंड, क्यों तरसा रहे हो। आज ऐसे रगड़-रगड़ कर चोदो आज जैसे रंडी को चोदते हैं। फाड़ ही दो आलोक मेरी गांड चोद-चोद कर”।

ये कह कर रागिनी हंस पड़ी। मेरी भी हंसी छूट गयी। मैंने शिवाज़ रीगल की बोतल निकाली और गिलास में एक-एक मोटा पेग डाल दिया और सोफे पर बैठ कर पीने लगीं”।

“पीते-पीते मैंने रागिनी की चूत में उंगली डाल दी और बोली, “क्या बात है रागिनी मेरी जान, तेरी चूत तो पानी से भरी पड़ी है। तगड़ी चुदाई करवाने का मन है क्या”?

रागिनी भी ये सुन कर मस्ती में आ गयी और बोली, “आलोक बड़े दिन हो गए ढंग से चुदी नहीं मेरी ये फुद्दी। आज तो आग लगी हुई है मेरी फुद्दी में। आज चोद-चोद कर झाग निकाल दो इसकी, ठंडी कर दो इसकी आग”।

“अपनी ऐसी बातों पर हम दोनों ही खुल कर हंस पड़ी”।

“इसके बाद मैंने लंड लगी हुई इलास्टिक वाली निक्कर पहन ली, और निक्कर के अंदर वाला लंड अपनी गांड में डाल लिया और रागिनी से कहा, “आजा मेरी चुदक्कड़ रागिनी खोल अपनी गुलाबी फुद्दी, आज सच में ही ऐसे रगड़-रगड़ कर चोदूंगा तुझे की तू भी याद रखेगी। ऐसे धक्के लगाऊंगा जैसे कुत्ता लगाता है कुतिया को – दीन दुनिया से बेखबर हो कर”।

“रागिनी चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर टांगें ऊपर उठा कर लेट गयी, और मैंने रागिनी के ऊपर लेट कर उसकी चूत में लंड डाल कर दुनिया भर की छूट, फुद्दी, लंड, भोसड़ी, भोसड़ा, फुद्दी की झाग बोलते हुए खूब धक्के लगाए”।

“मुझे धक्के लगाते कोइ सात-आठ मिनट ही हुए होंगे की नीचे से रागिनी बोली, “जरा रुकना मालिनी जी – मेरा मतलब जरा रुकना आलोक”।

“मैंने कहा, “रागिनी, क्या हुआ मेरी रंडी? तेरी फुद्दी पानी छोड़ गयी क्या इतनी जल्दी, आठ मिनट की चुदाई भी नहीं झेल पायी तेरी फुद्दी। तू तो कहती थी आग लगी हुई हैं तेरी फुद्दी में। फिर अब क्या हुआ”?

“रागिनी बोली, “नहीं मेरे राजा, फुद्दी में तो अभी भी आग लगी हुई है। अब जरा पीछे से चुदाई कर। पीछे से लंड चूत में लेने का मन हो रहा है। चूत चोदते-चोदते चार झटके अपने इस मस्त लम्बे लंड के गांड में भी लगा देना”।

“मैं रागिनी की चूत में से लंड निकल कर खड़ी हो गयी। रागिनी उठी और बेड के किनारे पर चूतड़ पीछे करके उल्टा लेट गयी”।

रागिनी ने सर पीछे के तरफ घुमाया और बोली, “आजा आलोक दिखा दे तारे आज। पहले चूत की तसल्ली कर दे। फिर जैसे ही मेरी चूत पानी छोड़े, अपना ये लम्बा खूंटा मेरी गांड में डाल देना। आजा अब बस तरसा मत अपनी रागिनी को। और याद रखना रंडी कि तरह चोदना, रगड़े लगा लगा कर”।

“मैंने रागिनी को कमर से पकड़ा और निक्कर के साथ लगा हुआ लंड रागिनी की पानी से भरी हुई फुद्दी में डाल दिया। जैसे ही मैं लंड का धक्का लगाती थी, मेरी अपनी गांड में गया हुआ लंड भी गांड की अंदर की तरफ चला जाता था, और अजीब सा ही मजा देता था”।

रागिनी ने ठीक ही बोला था ,”कैसे-कैसे चुदाई के खिलौने बनाते हैं ये फैक्ट्रियों वाले मादरचोद भी”।

“चुदाई करते-करते हम आलोक और रागिनी बने हुए इतना कुछ 3बोल रही थी, कि हमे खुद भी पता था कि आखिर हम बोल क्या रही थी”।

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