बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-17

पिछला भाग पढ़े:- बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-16

मानसी की चुदाई की कहानी सुन कर डाक्टर मालिनी की चूत पानी छोड़ चुकी थी। अब डाक्टर मालिनी को चूत में कुछ चाहिए था। जब मानसी ने डाक्टर मालिनी से पूछा कि ऐसे मौकों पर वो चूत की आग ठंडी करने के लिए क्या करती है, तो डाक्टर मालिनी ने मानसी को क्या बताया ये पढ़िए इस भाग में।

– डाक्टर मालिनी ने मानसी को दिखाए चूत और गांड में लेने वाले लंड की शकल के रबड़ के खिलौने।

मेरी बात सुन कर मानसी बोली, “आंटी अब आप क्या करेंगी, ऐसे में आप क्या करती हैं, किसी को बुलाएंगी क्या”?

“जब मानसी ने मुझसे ये पूछा तो मैं समझ गयी कि पूछने का मतलब था, कि क्या मैं फोन करके कोई चुदाई करके चूत का पानी निकलने वाला बुलाऊंगी क्या? मानसी का सोचना भी ठीक था, कोइ चूत चोदने वाला मर्द तो वहां दिखाई नहीं दे रहा था”।

“मैंने मानसी के हाथ पर हाथ रख कर कहा, “नहीं मानसी, आगर मेरी चूत कुछ मांगने लगे तो ऐसी हालत में किसी को बुलाती-वुलाती नहीं”।

“फिर मैंने अपनी चूत को हल्का सा छूते हुए कहा, “मगर मानसी ऐसे मौकों पर इसका इलाज करने के लिए मेरे पास अलग तरह के दूसरे जुगाड़ हैं”।

“मानसी थोड़ा हैरान सी हुई और बोली, “अलग तरह के दूसरे जुगाड़? कैसे जुगाड़ आंटी”?

मैंने हंसते हुए कहा, “हींग लगे ना फिटकड़ी, रंग चोखा वाले जुगाड़। असली चुदाई जैसा मजा लेने वाले जुगाड़। देखने हैं”?

“मानसी ने फिर पूछा, “हां आंटी, मुझे भी दिखाईये वो जुगाड़। मुझे भी देखने हैं”।

“मुझे लगा यही मौक़ा है मानसी को सेक्स टॉयज दिखाने का। हो सकता है कोइ पसंद ही आ जाये और मानसी अलोक से चुदाई करवाने से वैसे ही हट जाए”।

मैंने मानसी से कहा, “मानसी सच में देखोगी”?

मानसी के चेहरा पर आश्चर्य के भाव थे।

मानसी बोली, “हां आंटी सच में देखूंगी। मुझे भी तो पता लगे ऐसे किस तरह के अलग जुगाड़ हैं जिनकी आप बात कर रही हैं”।

मैंने उठते हुए कहा, “आओ मेरे साथ”।

“और मैं मानसी को पीछे वाले क्लिनिक के साथ वाले कमरे में ले गयी”।

मैंने मानसी को सोफे की तरफ इशारा करके कहा, “बैठो मानसी”।

“मैं ड्रेसिंग टेबल की दराज में से तीनो बक्से ले आयी। असलम के लंड जैसे मोटे लम्बे लंड वाला बक्सा, चूत का दाना चूसने वाले खिलौने वाला बक्सा, और गांड और चूत में डालने वाला खिलौना। मैंने तीनों बक्से मानसी को दिए और बोली, “लो देखो मानसी अलग तरह के दूसरे जुगाड़ – एक नहीं तीन-तीन जुगाड़”।

“मानसी ने जैसे ही बक्से खोले, उसकी आंखें खुली की खुली रह गयी। वो हैरानी से बोली, “आंटी ये? ये आप लेती हैं”?

“मैंने सोचा आज कल तो लड़कियों को पंद्रह सोलह साल की उम्र में ही इन रबड़ के खिलौनों के बारे में पता लग जाता है, फिर मानसी क्यों नही जानती”?

“मैंने मानसी से पुछा, “मानसी क्या तुमने नहीं लिए ऐसे अपनी चूत में”?

“मानसी बोली, “नहीं आंटी, मैंने इनके बारे में सुना तो जरूर है मगर चूत में लेना तो दूर मैंने तो ये देखे भी पहली बार हैं”।

मानसी हाथ में लंड पकड़ कर उलटते-पलटते देखते हुए हैरानी से जैसे अपनी आप से ही बोली, “ये इतना मोटा चूत में घुसता कैसे होगा”?

“फिर बाकी दो को पकड़ कर बोली, “और आंटी ये दोनों, ये क्या हैं”?

“मैं मानसी के पास ही बैठ गयी। पहले लंड पकड़ा और उसके नीचे से बटन दबा कर उसका वाइब्रेटर चालू किया। और मानसी को कहा , “अब पकड़ कर देखो मानसी”।

“जैसे ही मानसी ने लंड पकड़ा और हैरानी से मेरी तरफ देख कर बोली, “आंटी ये अंदर डालने के बाद ऐसे करता है ? कमाल है, फिर तो ये तो बड़ा मजा देता होगा”?

“फिर चूत का दाना चूसने वाला खिलौना पकड़ कर बोली, “और आंटी ये क्या है ? ये तो बड़ा छोटा सा है। इसका क्या करते हैं”?

“मैंने मानसी से कहा, “मानसी अपने छोटी उंगली यहां रखो”।

“मैंने मानसी की उंगली उस खिलौने के एक आगे खुले से हिस्से पर रख दी, जिसकी शक्ल एक बहुत छोटे बच्चे के छोटे-छोटे होंठों जैसी गोल सी थी। मानसी की उंगली थोड़ी सी उसके अंदर चली गयी। मैंने उसका भी बटन दबाया तो खिलौना मानसी की उंगली चूसने लग गया।

“मानसी ने मेरी तरफ देखा और बोली, “ओह आंटी मैं समझ गयी। इसे चूत के दाने पर बिठा कर कुछ करते होंगे”।

“मैंने मानसी को समझाया, “बिल्कुल मानसी, तुम ठीक समझ। इसे चूत के दाने पर लगा कर बटन दबा कर चालू कर देते हैं। फिर ये ऐसा ही मजा देता है जैसे कोइ मर्द तुम्हारी चूत का दाना चूस रहा है”।

“मानसी के मुंह से निकला “ओ माई गॉड”। मानसी फिर अंगरेजी के ‘C’ की शक्ल वाला तीसरा खिलौना उठा कर बोली, “और आंटी ये? ये तो कुछ अजीब सा लग रहा है। और इसके साथ ये उंगली जैसा क्या चूत के दाने पर लगेगा”?

“मैंने कहा, “हां मानसी बिल्कुल सही समझा तुमने। ये चूत के दाने पर ही लगेगा। मानसी खिलौना देखने मैं अजीब तो है, लेकिन मजा भी अजीब ही देता है। जन्नत का मजा”।

“मानसी मेरी तरफ देख रही थी”।

मैंने मानसी को बताना शुरू किया, “मानसी इसका ये वाला पतला वाला हिस्सा जो आगे से बिल्कुल गोल है, इसे पहले गांड के छेद के अंदर डाल लेते हैं। जब ये पूरा गांड के अंदर चला जाता है तो इस वाले हिस्से को जो लंड की शक्ल का है और मोटा भी है, इसे चूत में डाल लेते हैं। जब ये गांड और चूत में बैठ जाता है तो ये उंगली की तरह का छोटा सा हिस्सा अपने आप चूत के दाने के ऊपर आ जाता है। और फिर इसके नीचे का ये बटन दबाते हैं – ऐसे”।

“मैंने बटन दबा कर वो खिलौना मानसी के हाथ में पकड़ा दिया। मानसी बोली, “आंटी ये तो दोनों हिस्से वाईब्रेट कर रहे हैं।आपका मतलब है ये दोनों में, मेरा मतलब गांड और चूत के छेदों में साथ-साथ ही अपना काम करेगा”?

“मैंने कहा “हां मानसी, और मैं मानसी की तरफ देखने लगी कि देखें अब मानसी क्या बोलती है”।

“मानसी कुछ बोली तो नहीं लेकिन अपनी चूत खुजलाते हुए मेरी तरफ देखने लगी”।

“मैं उसका मतलब समझ गयी। मैंने पूछा, “मानसी ट्राई करने हैं”?

“मानसी बस इतना ही बोली , “मुझे नहीं पता आंटी”।

“मैंने मानसी से कहा, “मानसी अब शर्माओ मत। ट्राई करने हैं तो बताओ। मस्त मजा आएगा। असली चुदाई जैसा मजा”।

मेरे इतना कहने पर मानसी बोली, “सच में आंटी? अभी”?

“मैंने कहा, “हां मानसी सच, बिल्कुल सच, अभी। चलो कपड़े उतारो”।

“मानसी बोली ,”लेकिन आंटी कपड़े क्यों। ये तो चूत में लेने हैं ना”?

“मैंने कहा, “मानसी चुदाई करवाते हुए भी तो लंड ही चूत में जाता है। फिर पूरे कपड़े क्यों उतारते हैं”?

“जब मानसी कुछ नहीं बोली, तो फिर मैंने मानसी से पूछा, “मानसी पूरा मजा लेना है कि नहीं”?

“मानसी थोड़ा हिचकिचाई और बोली, “मजा तो लेना है आंटी लेकिन आंटी आपके सामने कपड़े…”? मानसी ने अपनी बात बीच में ही छोड़ दी”।

“मैंने हंस कर कहा, “अरे मानसी मेरे से शर्मा रही है? मेरे से कयूं शर्मा रही है? जैसी तू, वैसी मैं। वो नीचे जो तेरे पास है, वैसी ही नीचे मेरे पास है। जो-जो तू उसमें तू करवाती है वैसा वैसा ही मैं भी उसमें करवाती हूं – फिर शर्म कैसी? अच्छा चल मैं भी उतारती हूं। तेरे साथ-साथ मैं भी मजा ले लूंगी। मुझे भी बड़े दिन हो गए मजा लिए हुए”।

“ये कह कर मैंने भी कपड़े उतार दिए। मुझे नंगी देख मानसी ने भी कपड़े उतार दिए और एकटक मेरे खड़े मम्मों की तरफ देखने लगी। सोच रही होगी इस उम्र में भी मेरे मम्मी ढले नहीं थे”।

“सारा योगा और कसरत का कमाल था”।

“मैंने मानसी के हाथ पकड़े और अपने मम्मों पर रख कर दबा दिए। मानसी मेरे मम्मों को मसलने लगी। अचानक मैंने मानसी को पकड़ कर अपनी-अपनी तरफ खींचा और उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ अपने होठों में ले लिए”।

“मानसी ने अपने हाथ मेरे मम्मों से हटाए और मुझे हाथ पीछे करके कस कर पकड़ लिया”।

“मैंने भी एक हाथ पीछे करके मानसी के चूतड़ों की दरार में उंगली ऊपर-नीचे करनी शुरू कर दी”।

“पंद्रह मिनट मानसी के होंठ चूसने के बाद मैंने मानसी को छोड़ा और मानसी से कहा, “चल लेट जा मानसी, चूतड़ों के नीचे तकिया रख और चूत उठा ले और टांगें चौड़ी कर ले जिससे चूत का छेद सामने आ जाये। तुझे जन्नत के सैर करवाती हूं”।

– मानसी की चूत और गांड में रबड़ के लंड।

“मानसी ने वैसा ही किया और बिस्तर पर लेट कर चूतड़ों के नीचे तकिया रख लिया। मैंने मानसी के हाथ में चूत का दाना चूसने वाला खिलौना दिया और बोली, “इस पर थोड़ा थूक लगा ले, या चूत का पानी लगा ले। फिर इन चूत के दाने पर रख और नीचे से बटन दबा – और फिर देख इसका करिश्मा”।

“मानसी ने वही किया। जैसे ही खिलौने में कम्पन – वाइब्रेशन चालू हुआ, मानसी की सिसकारी निकल गयी, “आह आंटी आअह आआह आंटी मजा आ गया। बड़ा मजा आ रहा है”।

“पांच मिनट में ही मानसी ने खिलौना चूत के दाने से हटा लिया और बोली, “आंटी अगर इसको और यहां रखा, तो ये तो चूत का पानी ही निकाल देगा I बड़ा मजा देता है ये तो। ये तो असली चूत चुसाई वाला मजा देता है”।

“मैंने हंसते हुए पूछा, “असली चूत चुसाई वाला मजा? जैसी प्रभात ने चूसी थी या जैसी पापा चूसते हैं”?

“मानसी बोली, “आंटी चूत चुसाई तो प्रभात की ही बढ़िया थी। पापा से चूत चुसवाने के लिए तो मुझे ही पापा के मुंह पर चूत रखनी पड़ती है। पापा ने कभी भी पहल करके मेरी चूत चूसते ही नहीं”I

“फिर मानसी धीरे से बोली, “चूत क्या पापा ने तो कभी मेरी चूचियां भी नहीं चूसते, मेरे होंठ भी नहीं चूसते। वो तो एक बार मैं ही पापा के ऊपर बैठ गयी थी, और ये सब शुरू हो गया था, नहीं तो शायद ये भी ना होता”।

“मानसी का ये बताना मेरे लिए ये एक अच्छी खबर थी”।

“मैंने मानसी के हाथ से वो चूत का दाना चूसने वाला खिलौना लेकर मानसी के हाथ में कलाई जितना मोटा और आधे हाथ जितना लम्बा रबड़ का लंड पकड़ा दिया और कहा, “ये लो मानसी, अब इसे अपनी चूत में डालो, नीचे से बटन दबा कर इसका वाइब्रेशन चालू करो और चूत में आगे-पीछे करो और लो बढ़िया चुदाई के मजे”।

“मानसी बोली, “आंटी इतना मोटा मेरी चूत में जाएगा कैसे”?

“मैंने हंसते हुए कहा, “जाएगा मेरी जान। प्रभात का भी तो गया ही था। तुम्हारे पापा का भी तो जाता ही है। धीरे-धीरे करके डालो तो सही”।

“मानसी ने चूत के पानी से लंड को गीला किया और धीरे-धीरे आअह आआह की आवाजें निकलते हुए लंड पूरा चूत में बिठा दिया। फिर मेरी तरफ देख कर बोली, “आंटी ये तो चला गया पूरा, मगर ऐसा लग रहा है जैसे मेरी चूत भरी पडी है इससे”।

“ये कह कर मानसी लंड के नीचे उंगली से बटन दबा दिया। जिसे ही लंड का कम्पन – वाइब्रेशन चालू हुई, मानसी की चीख निकल गयी, “आह आंटी मर गयी मैं। बड़ा मजा आ रहा है”।

“ये कह कर मानसी ने लंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया और सिसकारियां लेने लगी, “आआह आआह पापा आअह प्रभात

आअह और जोर से मजा आ गया आआह आंटी आंटी आह बड़ा मजा देता है ये तो आह”।

“मानसी की सिसकारियां सुन कर मेरी चूत भी गरम हो गयी। मैंने मानसी की कोई छोटी चूचियां पकड़ी और उन्हें मसलने लगी।

“मानसी बोले जा रही थी, “आआह पापा आआह पापा आआह आआह प्रभात आआआह आंटी आअह”।

“मैं मानसी की चूचियां चूसने लगी। मानसी एक से हाथ लंड अपनी चूत में जोर-जोर से अंदर-बाहर कर रही थी और दूसरे हाथ से उसने मेरा सर अपनी चूचियों पर दबा दिया”।

“दस मिनट में मानसी ने इतनी जोर से चूतड़ घुमाए और जोर से बोली, “आअह आंटी निकल गया मेरा, आह पापा, आअह आ गया आंटी आह आंटी, आह निकल गया मेरी चूत का और मानसी ने जोर से चूतड़ घुमाए और लंड चूत के अंदर ही छोड़ कर निढाल हो गयी”।

“मैंने मानसी की चूचियां चूसनी बंद की और लंड का बटन बंद कर दिया, मगर लंड मानसी की चूत में ही रहने दिया”।

“कुछ देर ऐसे ही लेटने के बाद मानसी ने आंखें खोली और मेरी तरफ देखा और बस इतना ही कहा, “आंटी”।

“मैंने उठी और जैसे मर्द चुदाई के लिए औरत के ऊपर लेटता है ऐसे मानसी के ऊपर लेट गयी, और मानसी के होठ अपने होठों में लेकर चूसने लगी”।

“मानसी मेरी पीठ हाथ फेरने लगी। कुछ देर बाद मैं उठी और मानसी से पूछा, “मानसी कैसा मजा आया? असली चुदाई जैसा मजा आया या नहीं”?

“मानसी बोली, “आंटी जन्नत का मजा आया। मैं तो पापा की और प्रभात की चुदाई भूल गयी”।

“मानसी उठने लगे तो मैंने कहा, “अरे मानसी उठ क्यों रही है। थोड़ा आराम कर फिर अगला स्पेशल खिलौना भी तो ट्राई करना है”।

“मानसी फिर लेट गयी और बोली, “आंटी क्या वो भी ऐसा ही मजा देगा”?

“मैंने कहा, “शायद इससे भी ज्यादा। ये मेरा फेवरिट – मनपसंद टॉय है”।

“मैं दराज में से जैल लेकर आयी और मानसी को टयूब दिखते हुए बोली, “मानसी गांड के छेद में डालने के लिए इसके जरूरत पड़ती है”।

“फिर मैंने की चूत का दाना रगड़ते हुए मानसी को कहा, “मानसी जब चूत फिर गरम हो जाये और चुदाई मांगने लगे तो बताना। फिर मैं इसका काम चालू करूंगी।इसका एक हिस्सा तुम्हारी गांड के अंदर जाएगा, एक हिस्सा चूत में जाएगा, और ये जो उंगली जैसा दिखाई दे रहा है ये तुम्हारी चूत के दाने पर रगड़े लगाएगा”।

“मानसी बोली, “आंटी गरम क्या होने है, मेरी चूत तो गरम ही है”।

“मैंने कहा, “मानसी ऐसा है तो फिर शुरू करते हैं। चलो टांगें थोड़ी और उठाओ जिससे गांड का छेद दिखाई देने लगे”।

“मानसी ने टांगें और ऊपर कर ली। मैंने मानसी की गांड के छेद पर जैल लगाई और उंगली पर जैल लगा कर उंगली गांड के अंदर डाल दी। मानसी की सिसकारी निकली, “आआह आंटी फिर से”।

“मैंने आठ दस बार उंगली गांड मैं घुसाई और टॉय का एक हिस्सा गांड में धकेल दिया। फिर दूसरा हिस्सा मानसी की गीली चूत में डाल दिया। लंड के हिस्से के आखिर में उंगली की तरह का हिस्सा मानसी की चूत के दाने पर आ गया”।

“तैयारी पूरी हो चुकी थी, बस अब खेल चालू होना था। मैंने नीचे से बटन दबाया और पूरा खिलौना वाइब्रेट करने लगा”।

“एक-दम से ही मानसी की सिसकारियां चालू हो गयीं, “आआह आआआह आआह”। मैंने खिलोने का बटन बंद किया और पूरा खिलौना मानसी की गांड और चूत में से निकाल लिया।

“मानसी एक-दम बोली, “क्या हुआ आंटी निकाल क्यों लिया। बड़ा मजा दे रहा था ये”।

“मैंने कहा, “मानसी अब तुम इसे अपने आप अपने अंदर लो जैसे मैंने किया था। इसको इस्तेमाल करने के लिए थोड़ी प्रैक्टिस चाहिए। तुम्हें अपने आप डालना और चालू करना आना चाहिए”।

“असल में मैं सोच चुकी थी कि मानसी को या तो ये तीनों खिलौने नए मंगवा दूंगी। मानसी के लिए मेरे वाला लंड थोड़ा मोटा था। कम उम्र की मानसी को अभी इतने मोटे लंड की जरूरत नहीं थी”।

“वैसे तो मेरी सोच के हिसाब से मानसी को इस उम्र में इन रबड़ के लंड और दूसरे खिलौनों की जरूरत ही नहीं थी। उसे तो इस उम्र में असली लंड की चुदाई का ही मजा लेना चाहिए था”।

“मगर मानसी के साथ दिक्क्त ये थी कि उसने अब तक चुदाई करने वाला कोइ दोस्त ही नहीं बनाया था। अभी तो बस मानसी को अलोक के लंड के बदले मजा लेने के लिए कोइ जुगाड़ चाहिए था”।

“मानसी ने थोड़ी कोशिश की और खिलौना गांड और चूत में डालने में कामयाब हो गयी”।

“फिर मैंने कहा, “चलो अब इसे चालू करो और जन्नत का मजा लो”।

“मानसी ने उंगली से स्विच ढूंढा और दबा दिया”।

“पूरे खिलौने का वाइब्रेशन चालू हो गया। पांच ही मिनट में मानसी मजे में आ गयी और चूतड़ हिलाने लगी”।

“इस खिलौने की खासियत ये थी कि चूत और गांड में लेकर बस मजे लेने थे। दोनों हाथ खाली थे। चाहे अपनी चूचियां दबाओ या कुछ और करो”।

“मानसी की सिसकारियां चालू हो गयी, और उन सिसकारियों को सुन कर मेरी चूत भी गरम हो गयी। मानसी बोलती जा रही थी, “आह क्या मजा आ रहा है गांड में चूत भी पानी छोड़ रही है, चूत भी, मजा आ रहा है। आह पापा आअह पापा प्रभात आआआह आंटी आह पापा आंटी आआह आंटी आआह।

“इधर मेरी चूत भी तैयार हो चुकी थी I मैंने रबड़ का लंड उठा कर मानसी के हाथ में पकड़ा दिया और कहा, “चलो मानसी डालो इसे मेरी चूत में, और करो मेरी चूत की चुदाई, और मजा दो मुझे भी”।

“ये कह कर मैंने अपनी टांगें मानसी की दोनों तरफ कर दी और अपने चूतड़ मानसी के सर की तरफ कर के अपने हाथ पीछे करके अपने चूत खोल दी”।

“मानसी ने रबड़ का मोटा लौड़ा मेरी चूत में जड़ तक बिठा दिया, और लंड का बटन दबा कर वाइब्रेशन चालू कर दिया, और साथ ही लंड अंदर-बाहर करने लगी”।

“मानसी का सब कुछ चुद रहा था और मेरी चूत चुद रही थी”।

“मुझे भी मजा आने लगा था। हम दोनों ही बोल रही थी, “आआआह मानसी रगड़ो मेरी चूत, मेरी फुद्दी, और जोर से आअह आआआह। आंटी ये क्या हो रहा है मेरी चूत को, मेरी गांड को आअह। मैं रोज लूंगी इसको, नहीं निकालूंगी अपनी गांड से आह पापा आआआह आंटी आअह मजा आ गया”।

“दस मिनट में हम दोनों की चूतें पानी छोड़ गयी और हमें पूरा मजा आ गया”।

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