पिछला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 7
वीरवार की आधी रात और शुक्रवार का दिन.
मजा आने पर रितु ने इतनी जोर से चूतड़ हिलाये की मुझे लंड अंदर रखने के लिए पूरे जोर के साथ उसकी कमर पकड़नी पड़ी।
जब उसका मजा पूरा हो गया तो उसके चूतड़ हिलने बंद हो गए। मगर मैं उसको एक और मजा देने के लिए तैयार था – उसका पानी एक बार और छुड़ाने के लिए। इतनी बढ़िया गांड चुदाई और टाइट चूत की चुदाई का ईनाम देने के लिए I
सच पूछो तो मैं अभी और रितु की टाइट फुद्दी की चुदाई के मजे लेना चाहता था। ये तो रूबी की दरियादिली थे की उसने मुझे ऐसे बढ़िया कुंवारी कभी कभार चुदने वाली फुद्दी चोदने का मौका दिया। ऊपर से ये कि रितु भी खुल कर चुदवा रही थी।
मुझ से भला उन्नीस बीस साल की कुंवारी लड़की क्यों चुदवाएगी – बिना मतलब के – वो भी इतनी सुन्दर, आकर्षक और कड़क “।
मैंने धक्के जारी रक्खे। हर धक्के के साथ रितु का शरीर भी आगे पीछे हो रहा था। हर धक्के के साथ आवाज आ रही थी फ़ट्ट फ़ट्ट फच्च फच्च फच्च। ये आवाजें माहौल को और कामुक – सेक्सी बना रही थीं।
रूबी ने रबड़ का लंड अपनी चूत में डाल रक्खा था और वाइब्रेटर को चूत के दाने के ऊपर मल रही थी। उसकी आखें आधी खुली थी और वो सिसकारियां ले रही थी …आअह…अअअह… ऊऊह्अ…अअअअह …।
“लगातार के लम्बे लम्बे धक्कों ने रितु को फिर गर्म कर दिया”।
वो चूतड़ आगे पीछे करने लगी, साथ ही सिसकारियां लेने लगी आआह …आआह…. आने वाली हूं मैं ….होने वाला है मेरा….. निकलने वाला है मेरा… मैडम ….सर….मस्त चोद रहे हैं….. और चोदो… चोदो सर…. आआह…. आआह….. आआह….. और एक लम्बी सिसकारी ..आआहह.. के साथ रितु झड़ गयी। जोरदार दस बारह धक्कों के बाद मेरा भी निकल गया – सरररररर ……. के साथ रितु की चूत लेसदार सफ़ेद मलाई से भर गयी।
रितु आगे की तरफ चूचियों के बल लेट गयी। मेरा लंड आप ही उसकी चूत से बाहर आ गया। रूबी ने रबड़ का लंड अपनी चूत से बाहर निकाला और आ कर मेरा लंड चूसने लगी।
मेरा लंड सुखा कर रूबी ने रितु की तरफ देखा। वो अभी भी उल्टी ही चूचियों के बल लेती हुई थी। रूबी रितु के पास ही बैठ गयी और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगी। रितु ने रूबी की तरफ देखा और सीधी हो गयी।
रूबी ने रितु की टांगें फैला कर उसकी चूत खोली की और चाटने लगी। मैं बाथ रूम में चला गया। दरवाजा बंद करने का ना तो सवाल था ना जरूरत।
मैं गर्म पानी के शावर के नीचे खड़ा हो गया और स्नान करने लगा। रितु भी आ गयी और मेरे साथ ही नहाने लगी। वो मेरे लंड को मल रही थी और मैं उसकी फुद्दी को और चूतड़ों को मल रहा था। पंद्रह मिनट नहाने से शरीर में चुस्ती आ गयी।
लेकिन इस चुस्ती का मतलब ये नहीं था की हममें आज और चुदाई की हिम्मत बची थी।
सब ने कपड़े पहने और खाने के लिए चल पड़े।
चाइनीज़ खाना I “चिल्ली चिकन , फ्राइड राइस, सूप और –टाइट फुद्दी और टाइट गांड वाली रितु का बनाया हुआ सलाद”।
खाना खत्म हो चुका था। रूबी ने रितु को कॉफी बनाने के लिए बोल दिया। रूबी बोली। “विक्की आज का दिन हमेशा याद रहेगा। गाउन डाल कर हम बालकोनी में बैठ गए। ठंडी ठंडी हवा बड़ी अच्छी लग रही। सामने पहाड़ों पर शिमला की रात की लाइटों मस्त नजारा था।
रितु कॉफी ले कर आ गयी और कप हमारे हाथों में पकड़ा दिए। रूबी ने कप रितु के हाथ से लेते हुए पूछा, “रितु गांड दुःख तो नहीं रही “? रितु शर्मा कर बोली, “नहीं मैडम, सर बड़े अच्छे से चोदते हैं, दर्द नहीं होने देते”।
रूबी ने कप मेज पर रखा और रितु का हाथ पकड़ कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए पूछा, “रितु कितनी बार झड़ी तू आज “?
रितु खड़ी रही और बोली, “तीन बार मैडम”। फिर उसके चूतड़ दबा कर पूछा, “और चुदवानी है “?
रितु ने जवाब दिया, “नहीं मैडम आज नहीं “। फिर कुछ रुक कर कहा, “अभी तो सर दो तीन दिन और हैं यहां”।
रूबी ने कहा, “अच्छा रितु, विक्की के होठों पर प्यारा सा चुम्मा दे, गुड नाईट बोल और जा”।
रितु ने मेरे होंठ अपने होठों में ले लिए, हल्के से मेरे होठों को चूसा और बोली “गुड नाईट सर”। और फिर रूबी की तरफ देख कर बोली , “गुड नाईट मैडम “।
मैंने रितु की चूचियों हल्के से दबाया और कहा, “गुड नाईट रितु, तू किस्मत वाली है जो तुझे इतनी अच्छी मैडम मिली है “।
रितु रूबी की तरफ देखते हुए चली गयी। सोच रहे होगी सच में ही वो कितने किस्मत वाली है। “सारी सुविधाएं भी और लंड भी। सब कुछ तो है यहां”।
मैंने रूबी से पूछा, “रूबी तेरे साथ रितु का अच्छा ताल मेल है। ये तेरी सारी जरूरतें पूरी करती है। इसकी शादी हो गयी तो फिर ये तो चली जाएगी, फिर तेरा काम कैसे चलेगा”।
रूबी बोली,” विक्की मैं एक वकील हूं, कामयाब वकील। मुझे बड़ी दूर की सोच कर चलना पड़ता है। इसकी शादी दो साल बाद होनी है क्यों की जिस लड़के के साथ इसकी शादी होनी है वो कॉलेज के आख़री साल में है। कॉलेज के बाद अगर मेरे पास नौकरी करना चाहे तो उसे अपने ऑफिस में रख लूंगी। रितु का आना जाना लगा रहेगा। यहीं आस पास घर दिलवा दूंगी।
रूबी ने बात जारी रखी, “अगर वो कहीं और नौकरी करना चाहे तो रितु की एक छोटी बहन है जो अभी सोलह साल की है और दसवीं कक्षा में पढ़ रही है। दो साल बाद अगर ये रितु चली गयी तो इसकी बहन यहां आ जाएगी। जितनी तनख्वाह और सुविधाएं मैं देती हूं कोइ नहीं दे सकता। मैं रितु को पंद्रह हजार माहवार देती हूं – पंद्रह में से दस हज़ार सीधा इसके बैंक अकाउंट में जाता हैI कुछ भी खर्च नहीं होता।
“खाना वो, जो मैं खाती हूं, रहना मुफ्त। कपड़े बढ़िया दिलवाती हूं। दो साल बाद तो और ज़्यादा तनख्वाह दूंगी सत्रह या अठारह हज़ार हर महीने और बाकी के सुविधाएं जो रितु को मिल रही हैं। बस रितु की तरह मेरा ध्यान रखना होगा उसे भी”।
मैंने पूछा ,”रूबी क्या रितु जानती है इस दो साल बाद के तेरे इस प्लान के बारे में ”?
रूबी ने जवाब दिया, ” हां विक्की जानती है, रितु से मैं कुछ नहीं छुपाती “।
मैंने फिर ऐसे ही पूछ लिया, “रूबी, इस रितु की बहन भी ऐसी ही सुन्दर है “?
रितु ने जवाब दिया, “इससे भी ज्यादा। क्यों ? क्या दो साल बाद उसकी टाइट चूत और गांड चोदने का इरादा बन रहा है क्या”? और रितु हंस दी। वही खनखनाती हंसी I
मैं खिसिया गया, “नहीं रूबी, अब उन्नीस बीस साल की लड़कियों साथ चुदाई बंद – अच्छा नहीं लगता। हर चीज़ की एक उम्र होती है। तेरे साथ चुदाई तक तो ठीक है “।
“अरे तो वो तो दो साल बाद की बात है”। रूबी ने मेरे होंठ चूस कर और मेरे लंड को छू कर कहा, “तब तक जब भी आएगा शिमला, मुझे और इस रितु को चोद। मैं तेरी थी और तेरी रहूंगी “।
फिर रुक कर बोली, “हां अगर मेरे प्यारे प्यारे पति लेफ्टिनेंट कर्नल श्री राघव चड्ढा ने रिटायरमेंट ले ली और यहां रहने लगे तो बात अलग है ” और रूबी फिर हंस दी।
कॉफी खत्म हो चुकी थी। हमने एक दुसरे को बांहों में लिया – एक दुसरे को चूमा हुए सोने चले गए।
वीरवार की आधी रात
मैं लेटा लेटा छत की तरफ देखता देखता इन तीन दिनों की चुदाई के बारे में सोच रहा था। रितु की टाइट चूत – उतनी ही टाइट गांड। रितु की गांड का गुलाबी छेद मेरी आँखों के आगे घूम रहा था – गुलाब के फूल की पंखुड़ी जैसा छोटा सा गुलाबी बंद छेद ।
मेरी अभी आंख भी नहीं लगी थी की दरवाजा खुला और कोइ अंदर आया । नाईट लैंप की मध्यम रोशनी में देखा तो रितु थी – नंगी।
“क्या फिर चुदवाने आयी थी – क्या फिर चुदाई का मन हो गया था “?
रितु आई मगर बोली कुछ नहीं। बेड पर बैठ कर मेरा अंडरवेअर उतार दिया। अपनी टांगें मेरे दोनों तरफ कर के मेरे ऊपर लेट गयी 69 पोज़िशन में। मेरा लंड उसने अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। पीछे हाथ करके अपने चूतड़ खोल दिए और गांड का छेद मेरे मुंह के सामने कर दिया।
मैं कुछ मिनट पहले तक रितु की गांड के गुलाबी छोटे से छेद के बारे में ही सोच रहा था और छेद सामने था।
“आज कुछ और भी सोच लेता तो वो इच्छा भी पूरी हो जाती”।
रितु के हाथ हटा कर मैंने अपने हाथों उसके चूतड़ खोल लिए और अपनी जुबान गांड के छेद पर फेरनी शुरू कर दी। उंगली को थूक लगा कर थोड़ा सा गांड के अंदर भी डाला। रितु मजे से कुलबुलाई और बंद मुंह से सिसकारी ली ह्म्म्मम्म ह्म्म्मम्म।
मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैं सोच रहा था की शायद अब रितु चूत या फिर गांड चुदाई के लिए बोलेगी। मगर रितु ने कुछ नहीं कहा और लंड चूसती रही।
पंद्रह मिनट तो हो चुके होंगे रितु को लंड चूसते हुए। मैं रितु ली गांड का छेद चूस रहा था और रितु की चूत पानी छोड़ रही थी। चूत का पानी मेरी ठुड्डी पर लग आ रहा था। मैंने रितु के चूतड़ थोड़ा ऊपर किये और चूत का सारा पानी चाट लिया।
रितु ने फिर सिसकारी ली हम्म्म हम्म्म। मैं फिर गांड का छेद चाटने लगा। रितु अब धीरे धीरे चूतड़ हिला रही थी – शायद उसे मजा आने वाला था।
मेरा लंड कभी भी पानी छोड़ सकता था। रितु चुदाई के लिए कह ही नहीं रही थी ना ऊपर से हट रही थी। मतलब मेरा लंड चूसने और अपनी गांड का छेद चटवाने ही आयी थी।
मैंने रितु की गांड का छेद जोर जोर से चाटना शुरू किया। बीच बीच में रितु की चूत में उंगली डाल चूत का लेसदार पानी उंगली पर लगा आकर उंगली रितु गांड में डाल देता।
रितु ने लंड जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया साथ ही वो जोर जोर से चूतड़ घुमा रही थी।
लगता है मजा आने वाला था। मजा तो मेरा भी किसी भी पल निकल सकता था।
अचानक रितु ने चूतड़ ऊपर कर लिए और थोड़ा पीछे हो कर चूत मेरे मुंह पर सटा – मतलब अब मुझे रितु की चूत चूसनी थी।
मैं जितना मुंह रितु की चूत में घुसा सकता था उतना घुसेड़ कर चूत को सपड़ सपड़ लपड़ लपड़ चाटना चूसना शुरू कर दिया।
तभी रितु के बंद मुंह से ही एक सिसकारी ली ह्म्म्मम्म्म्म और ज़बरदस्त तरीके से चूतड़ घुमाये – वो झड़ गयी थी।
तभी मेरा भी सफ़ेद गाढा पानी रितु के मुंह में चला गया। मैंने भी एक सिसकारी ली ह्म्म्मम्म जो रितु की चूत में दब कर रह गयी।
दोनों एक बार फिर झड़ गये थे।
कुछ देर ऐसे हे लेटने के बाद रितु उठी और बिना कुछ बोले चली गयी। जाते जाते दरवाजा भी बंद कर गयी।
एक बार और झड़ने की बाद मुझे गहरी नींद आ गयी।
शुक्रवार का दिन
अगला दिन भी वैसे ही शरू हुआ। बालकनी में रितु चाय दे गयी। मैं और रूबी चाय के सिप ले रहे थे, रूबी ने पूछा, “आज का क्या प्रोग्राम है विक्की”।
मैंने कहा, रूबी मैं जब भी शिमलाआता हूँ, मेरा कोई ख़ास प्रोग्राम नहीं होता। आस पास की सारी जगह मैंने कई कई बार देख रखीं हैं। शिमला में जब भी आता हों, जाखू मंदिर और काली बाड़ी मंदिर ज़रूर जाता हूं। जाखू तो हो ही आये हैं। आज काली बाड़ी मंदिर चलते हैं लोअर बाजार से होते हुए।
रूबी बोली, “विक्की लोअर बाजार तो मैं नहीं जाती। बहुत भीड़ होने लग गयी है। लोग जान बूझ कर कंधे मार मार कर चलते है। काली बाड़ी चलूंगी। ऐसा करते हैं माल रोड से होते हुए काली बाड़ी मंदिर चलते हैं। वापसी में तू लोअर बाजार होते हुए आ जाना, मैं सीधे रिज पर तेरा इंतज़ार करूंगी”।
और फिर बोली, “और रात का कुछ स्पेशल तो नहीं है “?
“मतलब “? मैंने पूछा, “मैं समझा नहीं, स्पेशल मतलब “?
रूबी हंसी, “मतलब खाने में स्पेशल, चुदाई में स्पेशल “?
मुझे सच में शर्म आ गयी, “रूबी तू भी यार …… रात की रात को देखेंगे। खाने में फिश फ्राई ही अच्छी रहेगी। बहुत मजेदार लगती है”।
रूबी बोली , “ठीक है, अभी आठ बजे हैं, दस बजे तक नाश्ता कर के चलते हैं। एक बजे तक वापसी हो जाएगी। चल मैं नहाने जा रही हूं, चलना है तूने भी मेरे साथ “? रूबी फिर हंसी।
रूबी बिना मेरे जवाब का इंतज़ार कर के चली गयी। मैंने भी चाय खत्म की और मैं भी नहाने चला गया।
तैयार हो कर हम दोनों फिर बालकनी में आ गयी। बाहर पहाड़ों का नज़ारा बहुत अच्छा लगता है। नौ बज चुके थे। रितु अंडे उबाल रही थी। आज विलायती नाश्ता करना था – हल्का फुल्का। उबले अंडे, डबल रोटी, फल फ्रूट और कॉफ़ी।
“शिमला में में घूमने का मजा लेना हो तो नाश्ता हल्का ही होना चहिये “।
हम डाइनिंग टेबल पर बैठे नाश्ते का आनंद ले रहे थे की रूबी का फोन बजा। रितु ने फोन ला कर रूबी को दिया।
फोन पर बात करते रूबी ने कहा, “दीवान, आपको मैंने कहा था न मैं तीन दिन ऑफिस नहीं आऊंगी, फिर ये अचानक “?
कुछ बात सुनने के बाद बोली “ठीक है बुला लो और फाइल तैयार रखना ”।
मेरी तरफ देख कर बोली, “विक्की एक मुवक्किल है उसको एकदम अमेरिका जाना पड़ रहा है। उसका एक केस है मेरे पास। कुछ फाइलें पढ़ कर तैयार कर के उसके दस्तखत लेने हैं। या तो तू भी मेरे साथ मेरे ऑफिस चल। वहां से फारिग हो के काली बाड़ी चलेंगे। या फिर तू चला जा, और मंदिर हो कर लोअर बहार घूम कर घर आ जा – फिर देखते हैं”।
“मैंने कहा,”चिंता ना कर रूबी तू जा, ऑफिस भी ज़रूरी है। मैं चला जाऊंगा और बारह एक बजे तक वापस आ जाऊंगा। शिमला मेरे लिए कोइ नया नहीं है “।
नाश्ता कर के दस बजे हम इक्क्ठे ही निकले। रूबी कार से ऑफिस की तरफ चल पड़ी और मैं पैदल लोअर बाजार और काली बाड़ी मंदिर की तरफ।
लोअर बाजार में सच ही बहुत भीड़ थी। लेकिन ये कोइ नई बात नहीं है। मैंने तो लोअर बाजार में हमेशा से ही भीड़ देखी है।
लोअर बाज़ार से सीधा रास्ता काली बाड़ी जाता है। वापसी मैंने रिज की तरफ से की। बारह बजे मैं घर वापस आ गया।
रूबी अभी नहीं आयी थी। मैंने रितु से पूछा ,”रितु रूबी नहीं आयी अभी “?
रितु ने कहा ,”सर मैडम का फोन आया था। बोल रही थी की ऑफिस में एक दो फाइलें और निबटानी है। तीन बजे तक वापस आएंगी”।
मैंने कहा, “चल ठीक है। तू कॉफी बना दे। मैं बालकनी में बैठा हूं। तू कॉफी बहुत बढ़िया बनाती है”
रितु बालकनी में कॉफी ले आयी। कप मेरे हाथ में दे कर बोली, “मैडम ने स्पेशल कहा है की आप से पूछ लूं कुछ चाहिए तो नहीं और आपका ध्यान भी रखूं “।
अगला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 9