पिछला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 3
रूबी अपनी चुदाई के किस्से सुना रही थी
आगे रूबी बोली, “जज, बड़े बड़े सरकारी आते हैं – रिश्वतखोरी से कमाए नोटों के बंडलों के साथ।और मध्यम साइज़ की – चार सौ , छः सौ करोड़ वाली कंपनियों के मालिक जो अपने खड़ूस मोटी खर्चालू बीवियों से दूर सकून ढूढ़ते हैं, इन क्लबों के मेंबर हैं। मगर मुझे उनके पैसे में कोइ दिलचस्पी नहीं होती। इस पैसे से होटल या क्लब में बढ़िया सेवा मिलती और साथ पूरी गोपनीयता भी I सब कुछ पूरी तरह गुप्त रहता है – एकदम सीक्रेट “I
“कुछ बड़ी बड़ी कंपनियों के बड़े बड़े मैनेजर जिनको ट्रेनिंग के लिए दूर दराज़ के शहरों में भेजा जाताहै । लाखों खर्च कर बड़े होटलों में ठहराया जाता है। उन्होंने शिमला में बड़ी बड़ी कोठियां ले रक्खी हैं जिनमे हर सुविधा होती है और जिन्हें गेस्ट हाउस की तरह इस्तेमाल किया जाता है I ये भी मौज मस्ती और चुदाई के शौक़ीन होते हैं। चार छः दिनों के लिए ट्रेनिंग पर आते हैं और चले जाते हैं। कोइ झंझट नहीं। “।
“कभी कभी अरबपतियों के बिगड़ैल बेटे भी आ जाते हैं जो केवल मौज मस्ती के लिए ही शिमला आते हैं – पैसा उड़ाने। इन बीस बीस बाईस बाईस साल के लड़कों को मेरी उम्र की औरतों को ही चोदने में मजा आता है I ये साले पैरों के तलवे भी चाटते हैं – पेशाब तक पीने को तैयार रहते हैं अगर मैं बोल दूं तो। पागल होते हैं चुदाई के पीछे – पागलों की तरह ही चोदते भी हैं” ।
रूबी ने बात जारी रखी, ” इनमे से अगर किसी के साथ तालमेल और सहमति बन गयी तो उससे चुदाई करवा लेती हूं। कोई जज या अफसर दो साल के लिये आता है कोइ तीन साल के लिए। पूरी जिंदगी का कोइ झंझट नहीं”।
“और इन क्लबों या मेंहगे होटलों में अगर कोइ जानकार मिल भी जाये या देख ले तो यही समझता है एक वकील अपने किसी मुवक्किल से बात कर रहा है”।
रूबी ने आगे बताया, “मेरी एक साथी वकील है – सपना। 26 साल की सपना निहायत ही खूबसूरत औरत है। सपना का पति अधिकतर काम से बाहर रहता है इस लिये सपना भी मेरी तरह चुदाई के लिए साथी ढूंढती रहती है। दोनों पति पत्नी सेक्स में कुछ ना कुछ नया करते रहते हैं I दोनों, ग्रुप सेक्स के बड़े शौक़ीन हैं”
‘कभी कभी अपने ग्रुप में वो भी मुझे बुला लेते हैं बढ़िया चुदाई होती है वहां। लेकिन एक तो मैं दो – या ज़्यादा से ज़्यदा तीन पति पत्नियों के जोड़े हों तभी वहां जाती हूं और मैं उन्हीं तीन पति पत्नी के जोड़ों के साथ सेक्स करती हूं। तीनों पति पत्नी के जोड़े 25 से 35 के बीच के हैं”।
“दो तीन पति और “दो तीन उनकी पत्नियां और एक मैं अकेली। एक दुसरे की बीवियों को चोदते हैं दो दो, तीन तीन, चार चार बार। इस ग्रुप चुदाई में मर्द विआग्रा की गोली खा कर चुदाई करते हैं – झड़ने का नाम ही नहीं लेते। औरतें तीन तीन बार झड़ जाती हैं और ये मर्द बदल बदल कर औरतों को चोदते रहते हैं”।
मैं ही अकेली होती हूं जिसका पति इस ग्रुप में नहीं होता। लेकिन उनको इससे कोइ परेशानी नहीं है । तरह तरह के लंड – तरह तरह की चुदाई। रितु को वहां नहीं ले कर जाती। कहीं लड़की को चुदाई का चस्का ही ना पड़ जाए”।
मैंने पूछा, “और राघव ? उसकी चुदाई “?
रूबी हंस कर बोली, “उसकी तो बात ही छोड़ दे विक्की पांच पांच छः छः महीने के बाद आता है पंद्रह बीस दिनों के लिए। उसमें भी मेरे हिस्से में एक हफ्ता या दस दिन आते हैं “।
“पहले दो दिन तो वहशियों की तरह चोदता है”। दिन में चार चार पांच पांच बार चोदता है। निचोड़ कर रख देता है। गाल, होंठ, चूचियां, चूत, चूतड़ चूस चूस कर लाल कर देता है – सब जगह दांत मारता है – काटता है”।
“गांड तो मैं उससे नहीं चुदवाती, मगर उंगली घुसेड़ देता है गांड के अंदर, बिना क्रीम के या थूक लगाए”।
“चूत की चुदाई से पहले चूत के पानी छोड़ने का भी इंतज़ार नहीं करता, सूखी चूत में ही झटके से लंड घुसेड़ देता है। कई बार तो डर ही लगता है चूत अंदर से छिल ही ना गयी हो”।
“रितु को तो उन दिनों में मैं इसके घर ही भेज देती हूं की कही राघव का मन इस पर आ गया तो बिन ब्याही चूत का कचरा ही ना कर दे “?
मैंने पूछा, “रूबी तू राघव को मना नहीं करती ऐसे जंगली चुदाई से “?
रूबी बोली, “मेरे मना करने से वो मान जाएगा क्या ? इस लिए मैं उस जंगली चुदाई में भी मजा ढूढ़ती हूं। दो दिन की इस वहशी चुदाई के बाद जब राघव के सर से चुदाई का भूत उतर जाता है तो फिर वो भी प्यार से चोदता है “।
फिर हंस कर बोली ,”तू चाहे तो एक दिन तू भी कर ले ऐसी जंगली चुदाई “।
मैंने कहा, ” मेरे बस में ऐसी चुदाई नहीं रूबी “।
रूबी ने मेरा लंड छू कर कहा, ” मैं जानती हूं विक्की, मैं मजाक कर रही हूं “।
“चुदाई प्यार से होनी चाहिए, मजे के लिए होनी चाहिए। अपनी ताकत या मर्दानगी दिखाने के लिए नहीं।
फिर आगे की तरफ झुक कर बोली, “और आगे पीछे अगर चुदाई का मन करे और चुदाई के लिए कोइ सही मर्द ना हो तो तो तेरी ये ‘सुन्दर कन्या रितू’ मेरा काम का देती है”।
“तेरा काम मतलब”? मुझे सच में ही समझ नहीं आया की रितु रूबी का ऐसा कौन सा काम के देती होगी। ” कैसा काम रूबी – तेरा मतलब”, मैंने रूबी की फुद्दी की तरफ हाथ कर के बोला, “ये काम “?
रूबी ने छोटा सा जवाब दिया ,”हां”।
ये मेरे लिए एक हैरानी वाली बात थी।
“तो क्या तू”, मै हिचकिचाया, “मेरा मतलब लेस्बियन – समलिंगी है “?
रूबी बोली, “मैं कोइ समलिंगी या लेस्बियन नहीं हूं और ना ही ये रितु ही समलिंगी या लेस्बियन है।
“मैंने बहुत ही उम्दा किस्म के महंगे रबड़ के विदेशी लंडों का एक सेट और वाइब्रेटर मंगवाया हुआ है। इन रबड़ के लंडों को कई तरीके से अपनी गांड और चूत में मजे के लिए अंदर डाल कर एक दुसरे का पानी छुड़ा देती हैं”।
“वाइब्रेटर को एक दुसरे की फुद्दी के दाने पर रगड़ती हैं – या अपनी फुद्दी पर खुद भी रगड़ा जा सकता है। ये वाइब्रेटर मस्त मजा देता है। वाइब्रेटर का अगला हिस्सा लंड के सुपाड़े जैसी शक्ल का है । इस अगले हिस्से को चूत में डाल कर चलाओ तो भी बड़ा मजा आता है”।
मैंने पूछा, “रूबी अगर इस से मजा मिल जाता है तो फिर बाहर की चुदाई क्यों “।
वो बोली,”विक्की ये रबड़ के लंड मजा तो देते हैं मगर मर्द के असली लंड नहीं हैं। चुदाई के वक़्त जब मर्द ऊपर लेटता है या जब बाहों में भींचता है, कमर को पकड़ कर धक्के लगाता है उसका भी तो अपना मजा है”।
“और चुदाई के वक़्त मर्द टट्टे चूत से टकराते है फट्ट फट्ट की आवाज के साथ वो ? फिर मर्द के जिस्म की खुश्बू !! लंड के अंदरसे निकली ,गर्म गर्म मलाई जो चूत के अंदर गिरती है वो सब इनमें नहीं है। ये तो यूं समझ लो चूत की आग बुझाने का जरिया है – चूत का पानी पानी निकलने का “।
“जब चुदाई के मजे लेने का मन हो और लंड ना हो तो मैं या रितु ये लंड अपनी कमर के साथ बांध लेती हैं और एक दूसरी की चुदाई करती हैं। बिलकुल असली चुदाई के तरह”
“विक्की तू बता जैसी मेरी जिंदगी है, जैसे साल में आठ आठ नौं नौं महीने मैं अकेली रहती हूं अगर मैं अपनी आदतें ना बदलूं तो क्या करूं”।
“कुछ भी गलत तो कह रही थी कह रही थी रूबी”।
मेरे मुंह से बस इतना ही निकला “कमाल है”।
रूबी बोली, “अब छः दिन तू यहां है तो इनकी ज़रूरत नहीं पड़ने वाली” I
मैंने कहा, “रूबी, मेरे सामने भी करना एक दिन”।
रूबी ने कहा, “कर देंगीं ,मगर तुझे भी और हमें भी, मजा तभी आएगा अगर तू – असली मर्द भी हमारे साथ इस चुदाई में हिस्सा लेगा I तब तेरा मन आ जाये तो मुझे या रितु को जिसको चाहे चोद देना I
रितु की फुद्दी बड़ी टाइट है। एक बॉय फ्रेंड है, इसीके गांव का। महीने दो महीने में यहीं आ कर चोद जाता है इसे। समझता है मुझे कुछ मालूम नहीं “।
मैंने कहा, “ठीक है, एक दिन ये भी करेंगे I तुम, तुम्हारे ये रबड़ के लंड और मैं, सब साथ साथ “।
रूबी बात भी करते जा रही थी और गिलास में से वोडका के सिप भी लेती जा रही थी। हम दोनों के गिलास खाली हो चुके थे।
रूबी ने रितु को आवाज़ लगगयी, “रितु जरा ड्रिंक तो बना दे “।
रितु आयी और मेरे गिलास में स्कॉच और रूबी के गिलास में वोडका डालने लगी।
रूबी ने बात जारी रखी। “जैसे ये रबड़ के लंड मर्द के असली लंड की जगह नहीं ले सकते ऐसे ही असली फुद्दी के छेद जैसी दिखने वाली रबड़ की फुद्दी और असली गांड के छेद जैसे दिखने वाले रबड़ के छेद असली चूत और गांड की जगह कीजगह नहीं ले सकते”।
रितु ड्रिंक्स बना रही थी और रूबी की बातें सुन भी रही थी।
“रूबी सुरूर में आ चुकी थी” I
रूबी ने एक शरारती मुस्कान के साथ रितु को देखते हुए कहा, ” अच्छा विक्की चल एक बात बता I अगर तेरे सामने एक तरफ टाइट रबड़ की चूत या गांड का छेद हो और दूसरी तरफ तनी हुई चूचियों और सख्त चूतड़ों वाली इस रितु की चूत और गांड हों तो तू बता तू किसको चोदेगा – रबड़ की चूत और गांड को या इस सुन्दर लड़की रितु की असली चूत और गांड को – साथ ही रितु की चूचियों और चूतड़ों को दबाएगा ” .
मैं हंसा, “रूबी तू भी ना”।
मगर जवाब दिया रितु ने बिना नज़र उठाये, “मैडम ना तो सर रबड़ की चूत या गांड के छेद को चोदेंगे ना मेरी चूत या मेरी गांड का छेद चोदेंगे। सर को जो करना होगा वोआप के साथ करेंगेI पूछ लीजिये सर से “।
रूबी हंसी ,”शरारती इधर आ”। रितु रूबी के पास गयी और रूबी ने उसे पकड़ कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए और बोली, “जा ” I
बात जारी रखते हुए मैंने कहा,”रूबी तूने अभी कहा की रितु सब जानती है, क्या ये बाहर – क्लब या होटल में चुदाई की बात तू रितु से भी कर लेती है “?
रूबी बोली, “नहीं मैं नहीं करती, मैंने उसे कभी नहीं बताया की मैं बाहर चुदाई करवाती हूं या चुद कर आयी हूं। मगर जिस दिन मैं चुदाई करवा कर आती हूं, रितु को समझ आ जाता है की मैं उस दिन चुदी हूं “।
मैं हैरान सा हुआ। मैंने पूछा,”कैसे पता लग जाता होगा उसे”।
मैंने रूबी से ही पूछा, “रूबी रितु को कैसे पता चल जाता है की तू बाहर से चुद कर आई है “?
अब जवाब में जो रूबी ने बताया एक सच्चाई थी I
“देख विक्की, जब तू अपनी बीवी या जिससे तू प्यार करता है, उसे चोदता है तो तेरे दिमाग में ये होता है की तेरी चुदाई से उसे, तेरी बीवी को, चुदाई का मजा मिले, न की कोइ तकलीफ हो। लेकिन अगर तू किसी दुसरी औरत को चोदता है तो तू ऐसा नहीं सोचता और पूरे जोश से बिना कुछ सोचे समझे उसकी चुदाई करता है। कस के पकड़ता है जोर जोर से चूमता है चूसता है – कहने का मतलब निचोड़ लेता है”।
रूबी ने बात जारी रक्खी,” कभी कभी मुझे चोदने वालों में भी ऐसे मिल जाते हैं। पहली बात तो ये कि पराई औरतों को चोदने वाले ये लोग दो बार तो चोदते ही हैं – कई बार तीन बार भी चोद देते हैं। जितनी बार खुद झड़ते हैं उतनी बार मेरा भी पानी छुड़ा देते हैं”। चोद चोद कर थका देते हैं”।
” ऐसे मर्दों से चुदवाई करवा के जब मैं घर आती हूं तो रितु एकदम समझ जाती है की मैं आज चुद कर आयी हूं। उस दिन वो मेरा पूरा ध्यान करती है। सर की मालिश और पूरे शरीर की मालिश करती है”।
रूबी ने बात जारी रखी, “और एक बात और बताऊं विक्की,ये मालिश सिर्फ बहाना होता है – असल में रितु देखती है कि किसी ने कहीं दांत वांत तो नहीं मार दिया “। ये कहते हुए रूबी हंस पडी।
मैंने पूछा, “ऐसा हुआ है क्या कभी “?
रूबी हंस कर ही बोली बोली, ” हां हुआ है कई बार I कुछ चूतियों ने तो मेरी चूची चूसते चूसते चूची पर ही दांत मार दिया था I कई बार कुछ ने चूतड़ों पर काट लिया सालों को चूतड़ चाटने का बड़ा शौक था। कुछ साले जांघे चाटने के शौक़ीन होते हैं। ऐसे ही कुछ ने जांघों दांत मार दिए
अब तो मेरी भी हंसी छूट गयी,” तो रूबी तू ऐसा करने से ऐसे निक्क्मों को रोकती नहीं “?
रूबी का जवाब बड़ा की ज़बरदस्त और सटीक था, “विक्की उस वक़्त कहां पता चलता है क्या हो रहा है – कहां दांत लग रहा है । उस वक़्त तो सर पर चुदाई का भूत सवार होता है। कहां किसने कितना काट लिया ये तो बाद में पता चलता है। और फिर रितु का काम शुरू हो जाता है दवाई लगाने का”।
मैंने पूछा, “रितु ने कभी पुछा नहीं की मैडम ये क्या हुआ “।
रूबी बोली, “यही तो इस लड़की की खासियत है। मेरे बारे में इतना कुछ जानने के बाद भी इसने मुझे कभी ये एहसास नहीं होने दिया कि वो जानती है की मैं बाहर से चुदाई करवा कि आई हूं – कभी नहीं पूछा कि मैं किससे चुदाई करवा रही हूं “।
रूबी ने बात जारी रखी,” एक बात और विक्की, मैं भी ऐरे गैरे से चुदाई नहीं करवाना चाहती। मगर कभी कभी चुदाई का ऐसा ध्यान आता है की चुदाई करवाए बिना रहा नहीं जाता। इस लिए कई बार मैं और रितु आपस में ही एक दूसरी का पानी छुड़वा देती हैं।
असल में तो समस्या का हल मेरे पति राघव के पास है। अब अगर उसी को फ़िक्र नहीं तो फिर मैं और कर ही क्या सकती हूं “।
“रूबी कि बात सोलह आने सही थी “।
खैर, जाखू ट्रिप बहुत बढ़िया था। पांच घंटे के इस ट्रिप में कई बार मैंने और रूबी ने एक दुसरे का हाथ पकड़ा – एक दूसरे को चूमा। रूबी बहुत रोमांटिक हो रही थी। वापस घर आ कर हम फ्रेश हुए और मॉल की तरफ निकल गए। जाते जाते रूबी ने रितु को कहा, “रितु आज खाना जल्दी बना कर फारिग हो जाना”।
“जी मैडम”। रितु ने जवाब दिया।
ऐसा कयूं कहा रूबी ने? मेरे मन में एक खटका सा आया, “क्या रूबी आज ही मुझे रितु की चुदाई के लिए बोलेगी ” ?
मैंने रूबी से ही पुछा, “रूबी रितु को खाना जल्दी बनाने को क्यों बोला “?
“क्यों, क्या चोदेगा नहीं उसे आज “? मैं जब कुछ नहीं बोला तो रूबी ही बोली, “यार अब शर्माना मत। मैंने बोला था ना की हमारी चुदाई देख कर लड़की पागल ही ना हो जाए I मेरी और तेरी चुदाई देख कर उसी चूत में आग लगी हुई होगी। उसकी चूत की आग ठंडी करना जरूरी है “।
रूबी ने बात जारी रखी “और कल रात जो उसने तेरे लंड के साथ किया, उसके बाद तो मुझे ये बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा कि मैं 36 साल की अधेड़, शादी शुदा एक बच्चे की अम्मा तो चुदाई के मजे लूं और वो उसी घर में रह रही उन्नीस बीस साल की सुन्दर जवान कुंवारी लड़की लंड के लिए तरसती रहे”?
अगला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 5