रजनी की चुदाई उसी की जुबानी भाग-23 – करनाल के आख़री दो दिन

करनाल में पांचवें दिन की मस्त रात और छटा दिन

सरोज बेड के किनारे पर घुटनों और कुहनियों के बल उकडू हो कर बैठ गयी और चूतड़ पीछे की तरफ कर के उठा दिए। “चूत का गुलाबी छेद सामने दिखाई दे रहा था”। सरोज की देखादेखी हम भी वैसे ही बैठ गयीं – उकडू – चूतड़ पीछे कर के चूतड़ ऊपर उठा के ।

“हमारी चूतों के गुलाबी छेद भी दिखाई दे रहे होंगे”।

संतोष आया और सब की चूत में बारी बारी से लंड डाला, मगर धक्के नहीं लगाए। पहले एक एक बार लंड हमारी चूतों में डाला, फिर दो दो बार फिर शायद पांच पांच बार और ऐसे ही बढ़ते बढ़ते चुदाई शुरू हो गयी।

तीनों की चुदाई एक साथ चल रही थी। दीपक ने भी तो ऐसे ही चोदा था हमें।

धुआंधार चुदाई के बाद हमारी चूतें पानी छोड़ने लगी। हम तीनो के मुंह से सिसकारियां निकल रही थी “आआआआह अहहहहह”। जब एक की चुदाई हो रही होती थी तो बाकि दो अपनी फुद्दी का दाना रगड़ के मजे ले रही होती थीं।

इस बार जब संतोष मुझे चोद रहा था तो बोला, “आभा अब से तुम्हारी चूत में कम धक्के लगाऊंगा। सरोज और रजनी का पानी छुड़ा कर फिर तुम्हारी चूत को रगडूंगा – लाल करना है तुम्हरी चूत को। यही सरोज का हुकुम है “। और सरोज के चूतड़ों पर एक धप्प मार कर बोला, “क्यों सरोज “?

सरोज हंस दी।

चोद चोद कर संतोष ने सरोज और रजनी का पानी छुड़ा दिया। दोनों बेड पर निढाल पड़ी थी। अब संतोष मुझे चोद रहा था।

लगातार की चुदाई ने मेरी चूत पानी से भर दी थी। पानी जरूर चूत में से बाहर तक टपक रहा होगा।

”मगर संतोष नहीं रुका। चोदता रहा चोदता रहा , हुंह…..हुंह……हुंह…..हुंह…. की आवाज़ों के साथ

मुझे लगने लगा की मैं अब झड़ जाऊंगी। मेरे चूतड़ आगे पीछे और गोल गोल घूमने लगे। संतोष ने धक्कों के रफ्तार बढ़ा दी …. धप्प धप्प धप्प छप्प छप्प छप्प ….. फच्च फच्च फच्च …. और फिर ऊंची आवाज की सिसकारियों – “आआआआह आआआआह उईईई उईईई आआ आआआआह ओह् आआआआह ” के साथ मैं झड़ गयी। पानी निकल गया मेरा।

“फुद्दी भर गयी मेरी – मेरे अपने गरम नमकीन पानी के साथ। मगर संतोष चोदता ही रहा। चोदने से नहीं रुका”।

संतोष के धक्के लगते गए चलते गए। मेरी चूत तो गीली थी ही, गांड भी गीली हो गयी। जब संतोष के लंड का आखरी हिस्सा मेरी चूत और गांड पर टकराता था तो आवाज़ होती थी ठप्प ठप्प..फच्च फच्च..ठप्प ठप्प.. फच्च फच्च। संतोष चुदाई से रुक ही नहीं रहा था।

सरोज उठी और अपनी फुद्दी मेरे मुंह के आगे करके लेट गयी। मैंने उसकी चूत चूसनी शुरू करदी।चूत में से निकला नमकीन पानी। मजा आ गया चाट कर।

“आगे चूत और पीछे लंड”।

लगातार की चुदाई ने मेरी चूत में फिर गर्मी भर दी। मैंने सरोज की चूत जोर जोर से चटनी शुरू कर दी। अब मैं चूतड़ भी आगे पीछे कर रही थी। सरोज उठ गयी और उसकी जगह ले ली रजनी ने। अब मैं रजनी की फुद्दी चाट रही थी। संतोष हुंह हुंह हुंह उन्ह उन्ह हुंह हुंह …ओह ओह…उन्ह उन्ह…हुंह हुंह आह आह…उन्ह हुंह हुंह की आवाजों के साथ चुदाई जारी रखे हुए था।

“ठप्प ठप्प…फच्च फच्च…ठप्प ठप्प…फच्च फच्च…उन्ह उन्ह…हुंह हुंह ओह..उन्ह उन्ह…आह आहआह…हुंह हुंह ओह…आह “, ये आवाजें मेरी मस्ती को दुगना कर रही थी।

मैंने दबी आवाज में कहा, “संतोष मैं झड़ने वाली हूं – -रगड़ो मुझे दबा कर – -और जोर से –संतोष रोक कर रखना अपनी गर्म मलाई को — इक्क्ठे पानी छोड़ेंगे — आह….आह….आह…आह — सतोष गयी मैं — संतोष फाड़ दो आज मेरी चूत आआह…..आह…आ गया…..ओह मेरी मां…सरोज…संतोष…चोदो…चोदो और जोर से चोदो…आ चोदो संतोष चोदो , और जोर से चोदो आअह्गया… संतोष…..गयी मैं सरोज मर गयी मैं आज…..रजनी…..आआआआह…आआआआह… उईईई…उईईई…आआ…संतोष,,,, क्या कर दिया संतोष आआआआह… ओह्आ… आआआह। और मैं झड़ गयी।

तभी संतोष ने भी एक आवाज निकली -आआआआह…ओओओहहहह …आआआआह…ओओओहहहह …आआआआह …ओओओहहहह और संतोष ने मेरी चूत अपनी गर्मागर्म रबड़ी से भर दी।

संतोष अब रुक गया। थोड़ा दम ले कर बड़े ही प्यार से लंड मेरी फुद्दी से बाहर निकला। लेसदार मलाई से भरी चूत में से लंड फिसल कर बाहर निकल गया और आवाज आयी — बलप्प।

संतोष सीधा बाथ रूम चला गया। मैं भी सीधी लेट गयी। रजनी ने मेरी चूत में से संतोष का सारा लेसदार पानी चाट लिया। सरोज मेरी चूचियां चूस रही थी।

मैंने सरोज से पूछा। “सरोज एक बात बताओ, संतोष तो बड़ी ज़बरदस्त चुदाई करता है। उसने जब तुम्हारी पहली बार चुदाई की थी सुहागरात वाले दिन, तो कैसे झेल गयी थे ऐसे ताबड़तोड़ चुदाई “।

सरोज ने कहा, “जीजी, संतोष जितना तगड़ी चुदाई करने वाला तो है जी, उतना ही समझदार चुदाई करने वाला भी है”।

सरोज ने अपनी संतोष के साथ पहली चुदाई की कहानी सुनाई, “जीजी जब पहली रात संतोष मेरे पास आया, मैं तब तक चुदी नहीं थी। मेरी चूत की सील नहीं टूटी थी। संतोष लंड रखते ही समझ गया की लड़की की पहली चुदाई है। संतोष ने चार दिनों तक केवल लंड का सुपाड़ा ही अंदर किया। तब चार दिनों के बाद मेरा डर खत्म होता गया और मैं पूरी चुदाई की इच्छा करने लगी”।

संतोष ने अपनी बात जारी रक्खी, “पांचवें दिन जब संतोष ने सुपाड़ा अंदर डाला तो मैंने नीचे से थोड़े चूतड़ हिलाये। संतोष समझ गया की लड़की लेना चाहती है। संतोष ने थोड़ा लंड और अंदर किया और रुक गया। जब संतोष रुका रहा तो मैं नीचे से फिर थोड़ा हिली और चूतड़ ऊपर नीचे किये” I

“ये मेरी फुद्दी के गर्म होने की निशानी थी। संतोष कुछ देर वहीं अपना लंड रगड़ता रहा। शायद मेरी चूत के पानी छोड़ने का इंतज़ार कर रहा था। मेरी चूत अब लंड मांग रही थी। लेसदार पानी से भर गयी थी। जब मैंने चूतड़ लगातार हिलने शुरू किये तो संतोष ने एक झटके से लंड अंदर डाल दिया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी। बाद में पता लगा की चूत की सील फटने से खून भी बहुत निकला। मगर अब संतोष नहीं रुका। ऐसे ही चोदा जैसे अभी आप को चोदा है। थोड़ी देर की चुदाई के बाद तो मैं जन्नत में थी। वो चुदाई मैं कभी नहीं भूल सकती”।

“उस रात की चुदाई के बाद संतोष ने रोज़ मुझे चोदा जब तक मुझे उस महीने की माहवारी नहीं आ गयी ” I सच ही संतोष की सुहागरात वाली चुदाई का जवाब नहीं था।

कुछ देर बाद मैं और रजनी अपने कमरे की तरफ चलीं, सरोज वैसे ही लेटी रही – निढाल । शायद थक गयी थी या फिर उसका एक बार और चुदाई का मन था।

“कसूर सरोज का भी नहीं था, संतोष चोदता ही ऐसा था की मन ही नहीं भरता था “।

हम कमरे में आ गयी और नंगी ही लेट गयी।

मैंने कहा, “रजनी, संतोष बहुत बढ़िया चुदाई करता है। ऐसा ही मोटे लंड वाला, ऐसी ही चुदाई करने वाला पति मिलना चाहिए हमें भी – गांड चोदने का शौकीन हो तो और भी बढ़िया”।

रजनी बोली, “आभा पंकज और कुणाल भी अच्छे लड़के हैं, कमाते भी अच्छा हैं। उनके तो लंड भी अजमाए हुए हैं। चूत भी अच्छी रगड़ते हैं, गांड भी मारते है। अब से उनको उस नज़रिये टटोलना चाहिए”।

मैंने सोचा कोई हर्ज़ तो नहीं अगर ऐसा हो जाए तो, “मगर रजनी पहली बात तो ये कि हम ने उन्हें उस नज़रिये से देखा नहीं। दूसरे उन्हें हमारी चुदाई के बारे में सब पता है, हो सकता है वो इसे ठीक ना समझें और ना मानें “।

रजनी तैश में आ कर बोली, “अगर हम चुद रहीं हैं तो वो भोसड़ी वाले भी तो चुदाई कर रहे हैं। वो क्या दूध के धुले हैं ? अगर उनको हमसे केवल चुदाई ही चाहिए तो फिर भाड़ में जाएं, लंडों की कमी नहीं “।

सही कह रही थी रजनी। “जब तक हमने इस बारे में नहीं सोचा था तो नहीं सोचा था, अब सोच रहीं हैं तो उनको टटोलना चाहिए। इसमें क्या बुराई है “।

“हम चुपचाप आने वाले कल के बारे में सोचने लगीं – बंटी सन्नी मोनू”। ना जाने कब हमारी आँख लग गयी।

करनाल में छटा दिन

सुबह हुई, सरोज हाथ में चाय की ट्रे ले कर आ गयी, मगर नंगी।

रजनी न पूछा,” क्या हुआ सरोज क्या बाद में फिर चुदी थी ? क्या फिर पकड़ लिया था संतोष ने ? सरोज, वैसे बड़ा मस्त चोदता है तुम्हारा संतोष “।

सरोज बोली ,”जीजी हम में अगर एक की चुदाई की मर्ज़ी हो तो दूसरा भी मना नहीं करता। संतोष का मन भी एक बार और चूत मारने का था इस लिए मैंने भी मना नहीं किया। और जीजी ऐसे चुदाई रोज रोज नहीं होती, ये तो आप आये हो तो इतनी चुदाई हो रही है, नहीं तो वही होती हैं हफ्ते में तीन चार दिन – चूत, एक दो बार गांड “।

हफ्ते में तीन चार दिन – चूत, एक दो बार गांड I “कम है क्या” ?

रजनी और मैं इक्क्ठे बोले, “तुम्हारे तो मजे ही मजे हैं सरोज। दो दो चूत चोदने वाले, एक गांड चोदने वाला”……रजनी ने कहा, “और एक मेरी चुदकड़ मां भी तो है जो चूत और गांड दोनों चुदवाती भी है चुसवाती भी है – सब बैठे बिठाये मिल रहा है “।

“सब हंसने लगे”।

मैंने सरोज से पूछा, “सरोज चूत धो कर आयी हो ” ?

“नहीं जीजी आप लोगों से मिले बिना कैसे धो सकती थी ” ?

“चल आ फिर लेट इधर, तेरी चूत की खुशबू भी लूं और स्वाद भी लूं “। सरोज टांगें चौड़ी करके लेट गयी। मैंने और रजनी ने बारी बारी से चूत चाट चाट कर बिलकुल साफ़ कर दी।

जब सब हो गया तो सरोज उठी और बोली, जीजी आप फ्रेश हो जाओ फिर हल्का नाश्ता कर लेते हैं। दस बजे तक दीपक लौंडों को ले कर आ जाएगा और कॉमेडी फिल्म शुरू हो जाएगी “।

“सरोज तूने कभी इन लौंडों लड़कों से चुदाई करवाई है “?

सरोज बोली, “नहीं जीजी मेरा भी ये पहला मौक़ा है। दीपक कह रहा था बड़ा मजा आएगा। एक बात बोलूं जीजी, दीपक चुदाई पिलाई के मामले में बड़ा सही है। अगर कह रहा है बड़ा मजा आएगा तो जरूर आएगा। कुछ तो अलग जरूर होगा I मेरा तो मन है एक बार चूस चूस कर गरम गरम मलाई अपने मुंह में निकलवाऊं “।

हमे भी ये आडिया जंचा। मैं और रजनी इक्क्ठे बोली “बिलकुल ठीक सरोज, ये भी कर ही लेना चाहिए – कुछ रह ना जाए।

“चूत गांड चुदाई,चटाई, चुसाई, मुताई वो सब तो हो ही चुका है – बस यही रह गया है करना करनाल में – लंड से सीधा मुंह में गरम लेसदार मलाई डलवाना। ये भी कर ही लेते हैं”।

सब हंस पड़े। सब ने हां में हां मिलाई, “तो हो गया फैसला, यही से शुरू से करेंगीं। बाद में पता नहीं गरम गरम गाढ़ी रबड़ी मलाई उनके लंडों में से निकले न निकले – या मुंह भर कर ना निकले “।

रजनी ने पूछा, “लेकिन सरोज लड़के हैं कौन, तूने पूछा था दीपक से” ?

“पूछा था जीजी। दीपक बता रहा था की जिस फ्लैट में दीपक ग्रुप चुदाई के लिया जाता है, उस फ्लैट के सामने वाले फ्लैट में रहते है, अभी पढ़ते है, अमीरज़ादे हैं । दीपक से कह रहे थे, भैया हमे भी चूत दिलवाओ। चूत का नाम लेते ही उनके मुंह पानी टपकने लगता है और आंखे गुलाबी हो जाती है। चुदाई के समय जरूर कुछ अलग कॉमेडी करेंगे ये चूतिये ” ।

मैंने हंसी और सरोज से पूछा, “ये तीन होंगे और हम भी तीन, तो दीपक क्या करेगा ” ?

सरोज बोली, “अरे जीजी कभी ऐसी बस में बैठी हो जिसमे बहुत सारी सीटें खाली हों और बस में एक बच्चा हो “।

हम लोगों को कुछ समझ नहीं आया।

सरोज आगे बोली,” अब बस में वो बच्चा क्या करता है ? जो भी सीट खाली हो जाती है उस पर बैठ जाता है। कोई जब सवारी आती है तो उठ जाता है, जब सीट फिर से खाली होती है तो भाग कर उस पर बैठ जाता है”। फिर हंस कर बोली, “यही आज दीपक करेगा। हम तीनों में से जिस भी घोड़ी के ऊपर सवार नहीं होगा उसी पर चढ़ जाएगा। ये लौंडे दीपक संतोष राकेश की तरह एक एक घंटा थोड़े ही चुदाई कर सकते हैं। नए लौंडे है झड़ेंगे भी जल्दी जल्दी”।

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