शीला की जवानी-21

संधू शीला की एक चुदाई कर चुका था, और बाहर आ कर दूसरा पेग लगा कर शीला की दूसरी चुदाई की तैयारी में था। कड़क जवान शीला दूसरी चुदाई के इंतजार में टांगें उठाए अंदर ही लेटी हुई थी।

पांच-सात मिनट के बाद संधू ने अपना पैग खत्म किया, और वापस कमरे में जाने के लिए उठा। शीला टांगें उठाए चूत खोल कर उसका इंतजार जो कर रही थी। जाते-जाते संधू नैंसी से बोला “नैंसी, तुम्हारी आख़री चुदाई है आज की?”

नैंसी हंस कर बोली, “मेरी तो आख़री है”, फिर मेरी तरफ इशारा करके बोली, “इसका मुझे पता नहीं। ये तो एक बार मेरी गांड चोद चुका है, एक बार चूत चोद चुका है। दो बार मेरा पानी छुड़ा चुका है और खुद अभी एक बार भी नहीं झड़ा। अब बताओ जब तक इसका लंड अपना काम पूरा नहीं कर लेता, तब तक कैसे मैं ना बोलूंगी? अब इतनी भी तो खुदगर्ज़ नहीं मैं।” ये कहते हुए नैंसी हंस दी

संधू नैंसी के तरफ इशारा करके मुझसे बोला, “जीत तेरी इन्हीं चुदाईयों के कारण ये जीत-जीत रटती रहती है। तू तो भाई बिना कहे हफ्ते में एक बार इसकी चूत और गांड को ठंडक पहुंचा जाया कर।”

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