पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-2
आगरा की नसरीन अंसारी की फ़ाइल जो रौशनी नाम की NGO ने भेजी थी, उसके अनुसार नसरीन के पति का इंतकाल हुए पांच साल गुजर चुके थे। मगर नसरीन को देख कर मुझे ऐसा नहीं लगा कि नसरीन एक विधवा का जीवन जी रही थी, बिना चूत चुदाई वाला जीवन।
नसरीन के चेहरे का नूर बता रहा था कि नसरीन की मस्त चुदाई होती थी। वो भी बिना रोक-टोक के। जब मैंने अपने मन की ये बात नसरीन को बताई, तो नसरीन फूट-फूट कर रोने लगी। मैंने नसरीन को रोने दिया। जब नसरीन का मन कुछ हल्का हुआ, तो चुप होने के बाद नसरीन अपनी कहानी सुनाने के लिए तैयार हो गयी।
मैंने टेप रिकार्डर में टेप डाली, रिमोर्ट अपने हाथ में ले लिया और नसरीन को कहा, “हां तो नसरीन शुरू हो जाओ।”
क्लिक की आवाज के साथ मैंने टेप रिकार्डर चालू कर दिया।
नसरीन एक बार बोलना शुरू हुई तो बोलती ही गयी। उसकी सारी बातें रिकार्ड हो रही थी। नसरीन की लगभग पचास-पचपन मिनट की आप-बीती ने काफी चीजें मेरे सामने साफ़ कर दी।
— नसरीन अंसारी की कहानी
नसरीन की आवाज थी, “मैं हूं 42 साल की नसरीन अंसारी, आगरा की रहने वाली। हम लोग पुश्तों से आगरा में रहते हैं। 24 साल पहले मेरी शादी हुई थी बशीर अंसारी के साथ जब मैं 18 साल कि थी। बशीर ने भी 22 ही पार किये होंगे। बशीर खिलाडियों की तरह का दिखने वाला तंदरुस्त मर्द था। ऐसा दिलकश मर्द, जैसे मर्द को हर लड़की अपने शौहर के रूप में पाना चाहती है।”
“मेरे पिता आगरा में हकीम थे, और हमारे घर का माहौल कुछ पुराने किस्म का था। लड़कियों की पढ़ाई लिखाई जरूरी नहीं समझी जाती थी। माहवारी आते ही लड़की की शादी के बारे में सोचना शुरू कर दिया जाता था। यही कारण था कि मैंने अभी कालेज जाना शुरू ही किया था कि बशीर के साथ मेरी शादी तय हो गयी।”
“उधर बशीर का परिवार खुले विचारों वाला था। मेरी सास फातिमा बेगम बड़ी ही हंसमुख औरत थी। मेरी सास ने मेरा खुल कर स्वागत किया और पहली चुदाई की रात के लिए अपने हाथों से कमरा सजाया।
“अठारह की मैं और तकरीबन तेईस-चौबीस का बशीर – चुदाई की असली और बढ़िया उम्र यही होती है।”
“पहली रात को बिस्तर पर बैठी मैं बशीर का इंतजार कर रही थी। मुझे तो इतना ही पता था कि पहली रात मर्द औरत की चूत में लंड डाल कर उसे अंदर-बाहर करता है जिसे चुदाई कहते हैं, और इस चुदाई में लड़की को जन्नत का मजा आता है।”
“मेरी भाभी ने मेरी चूत पर उगे झांटों के छोटे-छोटे बाल साफ कर दिए थे। मेरी चूत एक-दम चिकनी हुई पड़ी थी।”
“बशीर आया और मेरे पास बैठ गया। पहले मेरे हाथ को अपने हाथ में लिया और चूमने लगा। फिर मेरी चूचियों पर हाथ फेरे। इतने में ही मेरी चूत में झनझनाहट होने लगी। मेरी पहली बार चुदाई होनी थी। अब तक मैंने किसी मर्द का खड़ा लंड भी नहीं देखा था। मैं तो बस यही सोच रही थी कि बशीर का लंड कैसा होगा, जब बशीर का लंड मेरी चूत में जाएगा तो मुझे कैसा लगेगा।”
“बशीर ने कमरे की लाइट बंद कर दी, बस एक छोटा रात वाला बल्ब जल रहा था। बशीर ने धीरे-धीरे मेरे सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया। बशीर मेरी चूचियां चूस रहा था। मुझे मजा सा आने लग गया।”
“तभी बशीर उठा और मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर मेरे चूतड़ उठा दिए। मैंने सोचा क्या अब बशीर क्या करेगा? चूत में लंड डालेगा?”
“मगर बशीर ने मेरी टांगें खोली और मेरी चूत चाटने लगा। ये मेरे लिए नई बात थी। बशीर मेरी चूत के दाने को चूस रहा था और मुझे बड़ा मजा आ रहा था। चूत गीली होती जा रही थी। मुझे किसी ने नहीं बताया था कि मर्द औरत की चूत चाटते भी हैं। जैसे जोर-जोर से बशीर मेरी चूत को चूस रहा था।”
“जिस तरह से बशीर मेरी चूत चाट रहा था, लग रहा था उसे इसमें बड़ा मजा आ रहा था। उधर मैं सोच रही थी, चूत चूसने चाटने में भी भला क्या मजा?”
“अभी मैं सोच ही रही थी कि अब बशीर क्या करेगा – बशीर ने मेरे चूतड़ उठा कर खोल दिए और अपनी ज़ुबान मेरी गांड के छेद पर फेरने लगा।”
“कहां तो मैं सोच रही थी कि क्या मर्द औरत की चूत भी चूसते चाटते हैं, और यहां तो बशीर मेरी गांड के छेद पर जुबान फेर रहा था। जो भी था, मुझे इन सब में मजा बड़ा आ रहा था।”
“अब तक तो मैं यही समझती थी कि चूत चुदवाने के लिए होती है और लंड चोदने के लिए – और फिर इन चुदाईयों के दौरान ही औरत को बच्चा ठहर जाता है और फिर इस चूत में से औलाद पैदा होती है।”
“तभी बशीर उठा और लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया। बशीर का खड़ा मोटा गरम लंड – मेरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गयी। मैं लंड को हल्का-हल्का दबा रही थी कि बशीर ने लंड मेरे होंठों से लगा लिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करना है।”
“बशीर ने बड़े ही धीरे से कहा, “नसरीन मुंह में लो।”
लंड? मुंह में? ऐसा भी करते हैं लोग? मगर हमें तो बचपन से ही सिखाया गया था कि शौहर जो भी कहे उसे मानना ही है।”
“बशीर ने जैसे ही कहा नसरीन मुंह में लो – मैंने लंड मुंह में ले लया। बशीर के मोटे लंड से मेरा मुंह भर गया। जाने क्या हुआ, मैंने बशीर का लंड चूसना शुरू कर दिया। बशीर के लंड में कुछ खट्टा नमकीन लेसदार सा कुछ निकल रहा था, जिसे मैं चाटती जा रही थी।”
“उधर मेरी चूत फर्रर-फर्रर करके पानी छोड़ रही थी। बशीर का लंड बांस की तरह सख्त हो चुका था।”
“बशीर ने लंड मुंह में से निकाला और मेरी चूत की तरफ चला गया। बशीर ने मेरी टांगें चौड़ी की और अपना अंगूठा मेरी चूत के दाने पर फेरा। मेरे चूतड़ अपने आप ही थोड़े से हिले।”
“बशीर ने मेरी चूत के पानी से चिकनी हुई चूत में थोड़ी थूक डाली, लंड मेरी चूत के छेद पर रख दिया। मेरी जिंदगी का वो पल आने वाला था जिसका हर लड़की बेसब्री से इंतजार करती है। मेरे शौहर का लंड मेरी चूत में जाने वाला था। मैं चुदने वाली थी। मेरी चुदाई होने वाली थी। मेरे जिंदगी की पहली चुदाई।”
“यही सोच रही थी कि कैसी होगी ये चुदाई कि बशीर ने एक झटके से लंड चूत में डाल दिया। मेरे मुंह से जो की चीख निकली “आह मर गयी मां।” मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी चूत में गरम-गरम लोहा डाल दिया हो। मुझे बड़ी दर्द हो रही थी।”
“बशीर ने मुझे पकड़ लिया और मेरी चुदाई करने लगा। मैंने तो सुना था कि चुदाई में बड़ा मजा आता है। मगर यहां तो मजे नाम की चीज ही नहीं थी, बस चूत के अंदर जलन ही जलन हो रही थी।”
“मैं मुंह दबा कर दर्द के कारण चीख रही थी, मगर इन सब से बेखबर बशीर मुझे ऐसे चोद रहा था जैसे पहली बार चूत चोदने को मिली हो। ऐसा हो भी सकता था। जब मेरी पहली चुदाई हो रही थी, तो हो सकता है बशीर की भी पहली चुदाई हो।”
“पता नहीं कितनी देर चोदा मुझे बशीर ने। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल था। बशीर अब कुछ श-कुछ बोल रहा था, “आह मेरी जान नसरीन, मजा आ रहा है, क्या टाइट चूत है। लगता है नसरीन चूत का पर्दा फट गया है। आआह… आअह… और फिर एक जोरदार आअह… “निकल गया मेरे लंड का पानी नसरीन… निकल गया तेरी चूत में” के साथ बशीर के लंड में से कुछ गरम-गरम निकला और मेरी चूत उससे भर गयी।”
“बशीर कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा और फिर उठ कर बाहर चला गया। शायद गुसलखाने चला गया। तब कमरों के साथ जुड़े बाथरूम तो होते नहीं थे। मैं उठी, मेरी चूत में बड़ा दर्द और जलन हो रही थी। मैंने कपड़े पहने और बिस्तर पर ही बैठ गयी – लाइट भी नहीं जलाई।”
“तभी मेरी सास, फातिमा बेगम, अंदर आयी और लाइट जला कर मेरे पास बैठ गयी और मेरे सर पर हाथ फेरने लगी। फिर मेरी सास ने मुझे उठाया और बिस्तर की चद्दर देखी। चूत वाली जगह पर बहुत बड़ा खून का धब्बा था।”
“मेरी चूत का पर्दा फट गया था। अब मैं कुंवारी नहीं थी।”
“मेरी सास ने मुझे बाहों में ले लिया, जैसे कह रही हो, “बड़ा किस्मत वाला है बशीर जिसे ऐसी बिना चुदी चूत मिली।”
“मेरी सास ने मुझे कहा, “नसरीन जाओ कपड़े बदल लो मैं गरम पानी की बोतल लाती हूं – सिकाई के लिए। ये कहते हुए मेरी सास ने बिस्तर की चद्दर उठा ली और दूसरी चद्दर बिछा दी। मेरी सास गयी और तब बशीर भी आ गया।
बिस्तर पर बिछी दूसरी चद्दर देख कर मुझसे पूछा, “नसरीन ज्यादा दुःख रहा है?”
“दर्द तो मुझे हो ही रहा था। लेकिन मैं क्या बोलती? मैं चुप रही।”
“तभी मेरी सास गरम पानी की बोतल लाई और मेरे हाथ में दे कर बिना बशीर की तरफ देखे बशीर से बस इतना ही कहा, “ध्यान से बशीर।” इतना कह कर मेरी सास अपने कमरे में चली गयी।”
“अगले चार-पांच दिन बशीर ने बस मुझे चूमा, चाटा, मेरी चूत चूसी, गांड चाटी, लंड चुसवाया, मगर चुदाई नहीं की। पांच दिन बाद मेरी चूत अब ठीक थी, और बशीर का लंड मांग रही थी।”
“उस रात जब बशीर ने लंड मेरी मुंह में डाला तो मैंने लंड जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया और साथ ही नीचे चूतड़ हिलाने लगी। बशीर समझ गया मेरा चुदने का मन हो रहा है।”
“कुछ देर की चुम्मा चाटी के बाद जब बशीर ने मेरी चूतड़ों के नीचे तकिया रखा, तो मैंने खुद ही टांगें चौड़ी कर दी। बशीर ने फिर से मेरी चूत चूसी अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के दाने पर रगड़ा, और मेरी चूत ने फिर से फर्र-फर्र कर पानी छोड़ दिया। मुझे अब लंड चाहिए था। शर्म का पर्दा तो पहली चुदाई के बाद से ही हट गया था।”
“मैंने बस इतना ही कहा, “बशीर।”
“बशीर समझ गया मैं लंड मांग रही थी।”
“नई-नई बीवी को बशीर ने पांच दिनों से नहीं चोदा था। मेरे बशीर कहते ही बशीर ने लंड चूत पर रक्खा और एक झटका लगाया। चिकने पानी से भरी चूत में लंड रगड़ खाता हुआ अंदर बैठ गया। मुझे थोड़ी दर्द हुई, मगर दर्द से ज्यादा मजा आया।”
बशीर ने मुझे बाहों में ले किया और चुदाई चालू कर दी। दस मिनट की चुदाई के बाद मेरी चूत पूरी तरह गरम हो गयी और पानी छोड़ने को तैयार हो गयी।”
चुदाई करते-करते बोल रहा था, “मेरी नसरीन मेरी जान आआह आअह मजा आ गया। मेरी मुंह से भी हल्की मजे के सिसकारियां निकल रहीं थी आह…. बशीर… आअह… बशीर.. आआह… और तभी अपने आप मेरे चूतड़ जोर से घूमे और मेरा पानी छूट गया।”
“चुदाई का पहला असली मजा आ गया। मजा क्या था जन्नत थी। बशीर वैसे ही मेरी ऊपर लेटा रहा।”
“तभी मुझे लगा, मेरी चूत अभी भी किसी चीज से भरी हुई है। फिर मुझे समझ आया बशीर का लंड अभी भी खड़ा ही है और मेरी चूत के अंदर ही है”।
“बशीर कुछ देर लंड को चूत में हिलाता रहा। मुझे लगा मेरी चूत में फिर से कुछ हो रहा है। मेरी चूत फिर झनझनाने लगी। मेरा मन करने लगा की बशीर फिर से पहले की तरह लंड अंदर बाहर करे – मेरी चुदाई करे। मजे के मारे मैं फिर चूतड़ हिलाने लगी।”
बशीर ने मेरी कान में धीरे से कहा, “नसरीन एक बार और करूं?”
“मन तो चूत चुदवाने का मेरा कर ही रहा था। मेरा मैंने भी धीरे से “हूं” कर दिया – मतलब हां करो।”
“फिर बशीर ने मुझे कस कर अपने बाहों में जकड़ लिया और मेरी एक चुदाई शुरू कर दी।”
“इस बार की मस्त चुदाई में हम इक्ट्ठे झड़े और मुझे जो मजा आया वो जन्नत का मजा था।”
“फिर तो अगले कुछ महीने रोज हम दो बार तीन बार चुदाई करते – बस मेरी माहवारी वाले चार दिन ही छूटते थे। उन चार दिनों में भी मैं बशीर का लंड जरूर चूसती थी। बशीर थोड़ी देर की लंड चुसाई के बाद मुझ से लंड की मुट्ठ मरवा कर अपना पानी छुड़ा लेता था। लंड चुसाई में भी मुझे मजा आने लग गया था।”
“एक दिन मुझे माहवारी आई हुई थी और मैं बशीर का लंड चूस रही थी। बशीर का पानी छूटने वाला था, बशीर ने लंड मुंह से निकलना चाहा जिससे वो मुट्ठ मार कर लंड का पानी निकाल ले, मगर ना जाने क्या हुआ, मैंने बशीर को रोक दिया। मुझे लंड चूसने में इतना मजा आ रहा था कि मन कर रहा था की लंड चूसती ही जाऊं चूसती ही जाऊं।”
“तभी बशीर ने एक जोर की हुंकार ली… आआह… नसरीन निकल गया… और बशीर के लंड के पानी से मेरा मुंह भर गया।”
“बशीर ने लंड मुंह में से निकाला। मैंने भी सारा पानी मुंह से निकाल कर कपड़े से मुंह साफ़ किया और बाहर बाथरूम चली गयी।”
“पहली बार बशीर के लंड का पानी मुंह में छूटा था। मैंने बशीर का लेसदार हल्का नमकीन गरम पानी निगला तो नहीं, मगर मुझे उसमें से हल्की-हल्की मस्त कर देने वाली महक जरूर आ रही थी।”
“ये भी शादी के बाद का एक नया तजुर्बा था। पता नहीं ऐसे और कितने तजुर्बे होने बाकी थे।”
अब हम चुदाई करते वक़्त बोलने की बेशर्मी की सब हदें पार कर चुके थे। मुझे चोदते वक़्त बशीर बोला करते थे, “आआआह… मेरी जान नसरीन… ले मेरा लौड़ा… मेरी जान… ले मेरा लंड गया तेरी फुद्दी के अंदर… जड़ तक बैठ गया तेरी चूत में… ले… और ले, और ले, ले… आज तो चोद-चोद कर तेरी चूत में से झाग निकाल दूंगा।”
उधर मैं भी बोलती, “आअह… बशीर… मेरे राजा… और चोदो… और जोर से चोदो… बशीर घुस जाओ मेरी चूत में… और दबा कर चोदो बशीर… डालो पूरा लंड मेरी चूत में… निकाल ही दो आज मेरी फुद्दी में से झाग… और दबा कर चोदो मेरी चूत… आआह।”
“चुदाई ऐसे ही चलती रही और साल बाद असलम पैदा हो गया। चालीस दिन तक तो मेरी सास मेरी साथ सोती थी। चुदाई तो दूर की बार थी, इन चालीस दिनों में बशीर का मेरे पास आना भी मना था।”
“चालीस दिन के बाद मेरी सास अपने कमरे में सोने गयी और बशीर फिर से हमारे कमरे में सोने आ गया। असलम को मैंने अपने बेड के पास ही एक पालने में सुला दिया।”
“चालीस दिनों के बाद उस रात जो हम दोनों में चुदाई हुई वो शानदार मस्त चुदाई थी। चूत चुदाई का प्यासा बशीर, और उतनी ही लंड की प्यासी मैं। उस रात हम दोनों की शानदार चुदाई हुई। एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार। हर बार हम दोनों इकट्ठे झड़े।
“जब असलम एक साल का हुआ तो मेरी सास यानी असलम की दादी असलम को अपने कमरे में अपने साथ सुलाने लगी। इससे तो मेरी और बशीर की चुदाई और भी खुल कर होने लगी।”
“सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था – जिंदगी की गाड़ी हंसी खुशी चल रही थी।”
यहां नसरीन एक पल के लिए चुप हुई और फिर बोली, “मालिनी जी मैं बशीर के काम के बारे में बताना ही भूल गयी। वो भी मैं भी बता दूं। मेरी जिंदगी मैं जो भी हुआ जैसा भी हुआ वो इसी काम के कारण हुआ।”
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया।
अगला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-4