पिछला भाग पढ़े:- मां को चोदने के लिए लोगों ने उकसाया-44
गार्गी: रेखा ने बताया कि तुम्हारी मां ने तुमसे मिलने से मना कर दिया है। रात में अरविंद ने तुम्हारी मां को चोदा।
अमित: मेरी कुतिया मां मेरा लंड देख कर इतना डर गई है, कि मुझे सामने आने से मना कर दिया है। साली अरविंद से चुदवाए या असलम से, उसकी बूर है जिसका लंड चाहे अपने अंदर ले। मुझे उस घिसी-पिटी बूर में लंड पेलने में कोई इंटेरेस्ट नहीं है। मुझे तुम्हारी इस मर्द रचना की प्यारी बूर में लंड पेलना है।
रचना आंख झुकाये पैर की अंगुलियों से फर्श को कुरेद रही थी।
रचना: जैसा मैंने सुना है तुम सिर्फ़ देखने में आदमी लगते हो लेकिन असल में हो गधे। मुझे गधे के साथ प्यार नहीं करना।
अमित: कुतिया, भाव क्यों मार रही है? कल तो हल्ला कर रही थी कि जब मैं गार्गी को चोद सकता हूं, संगीता को चोद सकता हूं, तो फिर तुम्हें क्यों नहीं। रचना नखरा मत करो, प्यार करने दो।
गार्गी मुस्कुराती रही लेकिन रचना छटपटाती रही। अमित ने उसे छोड़ा नहीं। बांहों पर उठा कर बेडरूम में लाया और बेड पर लिटा दिया। रचना लगातार ना-नहीं करती रही, लेकिन अमित ने उसे नंगा कर दिया। रचना कुछ समझती अमित ने वो काम करना शुरू किया जिसके बाद ठंडी से ठंडी औरत भी चुदाई के लिए मचलने लगती है।
रचना की दोनों चूचियों को दबोचे हुए अमित ने बूर की क्लिट को चूसना शुरू किया। गार्गी अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी ही रचना के चेहरे के सामने जांघों को फैला कर बैठ गई। रचना को अपनी प्यारी औरत गार्गी की बूर दिखी, और अपनी मस्ती भूल कर वो गार्गी की बूर का मज़ा लेने लगी। बूर को कुछ देर चूसने और चाटने के बाद रचना ने अमित की ओर देखा। अमित ने चूचियों को छोड़ दिया था। अपने हाथों से रचना की बूर की पत्तियों को फैला कर अंदर का स्वाद ले रहा था।
रचना: गार्गी जब यहां आई उसके तीसरे ही दिन मैंने उसे नंगा कर दिया था। इसके नंगे बदन और बूर का स्वाद मुझे बहुत ही पसंद था, लेकिन तीन दिन पहले तुमने लंड मेरी प्यारी बूर, गार्गी की बूर में घुसाया उसके बाद से बूर का स्वाद और भी बढ़िया हो गया है। अमित, मैंने मज़ाक में कहा था। अगर मुझे चुदवाना ही होता तो एक साल पहले ही शहर के होटल में होटल के मालिक राजेंद्र और उसके दोस्त लाला से चुदवा लिया होता। दोनों मिल कर मुझे 11 लाख दे रहे थे। लेकिन मैंने राजेंद्र की बहु समिरा और उसके भाई की बेटी को चोद-चोद कर उन्हें पागल कर दिया था। राजेंद्र तो नहीं लेकिन लाला हर दो-तीन दिन पर मुझे फ़ोन करता रहता है।
अमित ने बूर को चूसना बंद किया और उसके उपर आ गया। अमित ने लंड को रचना की बूर पर दबाया।
अमित: मैं नहीं चाहता कि मेरी प्यारी दोस्त रचना किसी होटल की रंडी बने। एक बार होटल में रंडी-पना करोगी और उसके बाद तुम होटल वालों के लिए बॉल हो जाओगी। वे जैसा चाहेंगे तुम्हें वैसा ही करना पड़ेगा। तुम्हारे जैसी बढ़िया लड़की को ज़रूर बहुत ही बढ़िया क़ीमत मिलेगी। लेकिन तुम भी अपने को एक घटिया रंडी ही समझोगी।
अमित ने अपना चूत्तड़ उचकाया और पूरी ताक़त से पेला। “बाप रे, मर गई, अमित, नहीं निकाल लो, बहुत मोटा है।” गार्गी ने रचना के गालों को सहलाया।
गार्गी: अब सुपारी अंदर घुस ही गया है तो तेरी चूत को पूरा खोद कर ही निकलेगा। तीन दिन पहले ही मेरी भी बूर में ऐसे ही घुसा था। लगा था कि जान ही निकल जायेगी। लेकिन रचना, जैसे ही पूरा लंड अंदर घुसा तो पूछ मत। उसके बाद इतना मज़ा आया कि बता नहीं सकती।
गार्गी अपनी चुदाई का अनुभव सुनाती रही और अमित लगातार पेलता रहा। क़रीब-क़रीब पूरे लंड की लंबाई पर बूर का खून फैल गया था। रचना के जांघों पर, प्यूबिक एरिया पर भी खून की बूंदें थी। लंड की पूरी लंबाई बूर के अंदर जा चुकी थी। मैंने धक्का मारना बंद किया। लंड को बूर में दबाये रख मैं रचना के होंठ और गालों को चूमते हुए दोनों हाथों से रचना के चिकने बदन को सहलाता रहा।
अमित का लंड रचना की बूर में अंदर तक घुस गया था। अमित ने धक्का मारना बंद कर दिया था। सिर्फ़ अमित के दोनों हाथ नहीं गार्गी के दोनों हाथ भी रचना के चिकने बदन को सहला रहे थे। रचना के चेहरे पर दर्द था, फिर भी वो गार्गी की बूर के साथ खेल रही थी।
रचना एक बड़े दुकानदार की बेटी थी। कॉलोनी के शौपिंग सेंटर में उसकी दुकान थी। टीचर्स कॉलोनी से थोड़ी दूरी पर असलम के घर के नज़दीक उनका घर था। बहुत बड़ा मकान था तो घर में रहने वाले भी बहुत थे। कई चचेरे भाई थे। अपना भी एक बड़ा भाई था। और क़रीब दो साल पहले तीन भाभियों ने अपनी जवान ननद को लूट लिया। चारों पूरी रात लेस्बियन सेक्स करते रहे। रचना को लेस्बियन सेक्स इतना बढ़िया लगा कि उसने घर की सभी जवान औरतों और लड़कियों को अपना पार्टनर बना लिया।
जैसे नशा करने वाले दूसरे नशा करने वाले को तुरंत पहचान लेते हैं, वैसे ही एक लेस्बियन दूसरी लेस्बियन को तुरंत पहचान लेती है। एक साल गुजरते-गुजरते 17 लड़कियां और 7 लेडी टीचर्स रचना की घरवाली ले गई। वैसी ही एक लेस्बियन टीचर उसे राजेंद्र के होटल ले गई। दोनों राजेंद्र और लाला के सामने दोनों ने लेस्बियन का परफ़ॉर्मेंस दिया। दोनों ने रचना को बहुत लालच दिया, लेकिन उसने चुदवाने से मना कर दिया।
लेकिन पिछले एक साल से अलग-अलग माल को लेकर होटल जाती है, और वहां बूढ़े अमीर लोगों के सामने लेस्बियन का तमाशा दिखा कर बहुत कमाई करती है। लेकिन अमित की चुदाई के चर्चे को सुन कर अमित को चोदने का चैलेंज दिया और दूसरे ही दिन अमित ने चोद भी लिया। लंड घुसाये हुए क़रीब 15 मिनट से ज़्यादा हो गये थे। रचना का सारा दर्द ख़त्म हो गया था। रचना ने अमित को किस किया।
रचना: धक्का मारना है तो मारो, नहीं तो मेरे उपर से उतर जाओ। बहुत भारी लग रहे हो।
इतने प्यार से कोई बोले तो मर्द क्या करे? अमित जमा-जमा कर रचना को चोदने लगा। थोड़ी देर करारा धक्का मारने के बाद आराम से रगड़ते हुए चोदने लगा।
रचना: अब बहुत बढ़िया लग रहा है। लेकिन तुमने मेरा 11 लाख का नुक़सान कर दिया और इस नुक़सान की भरपाई भी तुम्हें ही करनी पड़ेगी।
अमित: जिन रंडियों को गार्ड मेरे रुम में लायेगा, उसे 2-3 हज़ार दे दूंगा, उससे ज़्यादा नहीं।
रचना ने ज़ोर से चूत्तड़ उचकाया।
रचना: मादरचोद मुझे तुमसे पैसा नहीं सिर्फ़ तेरा लंड ही चाहिए। जिन बूढ़े लोगों के सामने लेस्बियन शो करती हूं, वे हमेशा चूदाई दिखाने की बात भी करते हैं। अगले संडे मुझे फिर होटल जाना है। मेरे साथ एक दूसरी टीचर जा ही रही है, तुम भी चलो। लेस्बियन शो के साथ-साथ हम चूदाई का शो भी देंगे। तुम हम दोनों को चोदना। जो भी कमाई होगी हम तीनों आपस में बांट लेंगे। विश्वास रखो, बहुत कमाई होती है।
अमित को याद आया कि राजेंद्र ने भी ऐसा ही ऑफ़र दिया था।
अमित: किस होटल में जाना है?
रचना: वही राजेंद्र और रेणु वाले होटल में।
रचना की बात सुन कर अमित ने चूदाई की स्पीड बढ़ा दी।
अमित: साला मुझे तो गोली मारेगा ही, तुम दोनों को भी गोली मार देगा।
रचना: तुम उसे कैसे जानते हो?
और रचना को प्यार से, आराम से चोदते हुए होटल की सारी बात, अपनी मां की चूदाई की बात, इंदिरा के नंगे परेड की बात भी बताई।
रचना: बहुत बड़े मादरचोद हो। अपनी कुतिया मां को चोदा ही तुमने, अपने दादा के उम्र के राजेंद्र को लंड चुसाया। ना बाबा तुम्हें लेकर नहीं जा सकती। मेरा पूरा धंधा चौपट हो जायेगा।
ज़्यादा विस्तार में जाने की ज़रूरत नहीं। आप समझ ही सकते हैं कि अमित ने दोनों को चोदा होगा।
रचना: अगर कल मैंने तुम्हें एक गुलाब का फूल दिया तो समझ लेना की मेरी चूत को तुम्हारे लंड की ज़रूरत है।
गार्गी: रचना फूल दे या ना दे, अब से मेरी चूत हर रोज़ चार बजे तेरे लंड का इंतज़ार करेगी। जिस दिन रचना नहीं रहेगी उस दिन तुम्हारे लिए एक नई माल होगी।
रचना: तुम अपने होस्टल जाओ। मैं गार्गी के साथ तुम्हारी कुतिया (मां) से मिलने जाती हूं। अरविंद के सामने तेरी कुतिया से अपनी चूत चटवाऊंगी। चल रानी।
तीनों बाहर निकले। अमित अपने रुम में आया और दोनों रेखा के घर चली गई। रुम में आकर अमित ने अपने दोस्त विनोद को फिर याद दिलाया।
विनोद: मैंने रुपया निकाल लिया है। अगर तुम्हारी मां का बदन भी पसंद आया तो उसे भी चोदूंगा। कितना लेती है वो?
अमित: मुझे भी नहीं मालूम था। संडे हम होटल में रुके थे। मैंने उसे बहुत पटाने की कोशिश की लेकिन तेरी मां की तरह मेरी मां ने भी मुझसे नहीं चुदवाया। लेकिन मेरे ही सामने रंडी ने एक के बाद एक तीन मर्द से चुदवाया। सबसे उसने एक-एक लाख लिया। तीनों ने कहा कि मेरी मां के बदले एक लाख कुछ नहीं है। तीनों ने मां को संडे के लिए फिर बुक कर लिया है। पूरा पैसा एडवांस में दे दिया है। पहले उसे नंगी देख लेना फिर ख़ुद उसका रेट पूछ लेना। कोई ताक़त की दवा है तो खा लेना। रेखा का मालूम नहीं लेकिन मेरी मां तुम्हें पूरा चूस लेगी।
विनोद: कल भी रत्ना ने कहा कि मैं बहुत बढ़िया चोदता हूं। चलो खाना खाने।
दोनों खाना खाकर आये और अपने-अपने रुम में चले गये। अमित पढ़ाई करने लगा। सारा होमवर्क पूरा किया, और रिवाइज करने लगा। अमित को विस्वास नहीं था कि रेखा उसके रुम में आयेगी। अमित पढ़ने में व्यस्त था कि दरवाज़ा पर हल्का-हल्का नॉक हुआ। समय देखा तो सवा ग्यारह बज रहे थे। अमित ने मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोला। ललन गार्ड के साथ काले रंग का बुर्का पहने दो औरतें थी।
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