पिछला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 11
रविवार की सुबह शिमला में आखरी दिन
पहले रितु उठी। जवान फुद्दी ज्यादा प्यासी थी। रितु सोफे पर मेरे पास बैठ कर मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी। थोड़ी देर बाद ही रूबी ने लंड मुंह से बाहर निकाला और बोली, विक्की, कैसे करोगे “?
मैंने कहा जैसे तुमने इक्क्ठे लंड चूसा है ऐसे ही इक्क्ठे चुदाई करवा लो। एक दूसरी की चुदाई देख कर तरसना नहीं पडेगा। आज दोनों के दोनों दोनों छेद – चूत और गांड चोदूंगा वो भी इक्क्ठे।
रूबी और रितु ने एक दूसरी की तरफ देखा जैसे विश्वास ना हो रहा हो।
रूबी ने कहा, “वाह विक्की, क्या बात है। बोलो फिर, कैसे करनी है चुदाई”।
मैंने कहा, “गांड चोदने वाली पोज़िशन से। दोनों बेड के किनारे पर उकड़ू हो कर चूतड़ पीछे कर के कुहनियों और घुटनों के बल उलटा लेट जाओ”।
वो दोनों लेटने ही लगी थी की मैंने रितु से कह, ” रितु वो बेल्ट वाला लंड, और वो दूसरा वाला लंड जिसके ऊपर की रबड़ पीछे हो जाती है, वो मुझे दे दो और जैल भी दे दो।
शनिवार की रात – सेक्स टॉयज का नया काम नया कमाल I
मेरे रबड़ के लंड मांगने पर रितु और रूबी दोनों हैरान हो गयीं।
रितु हैरानी से मुझे देखने लगी, रूबी ने पुछा “क्या करने वाले हो विक्की “?
तुम दोनों को ऐसा आज मजा दूंगा जैसा आज तक तुम दोनों को नहीं मिला होगा।
रूबी और रितु ने एक दुसरे की ओर देखा। रूबी बेड के किनारे पर पीछे गांड कर के उकडू हो गयी और चूतड़ उठा दिए।
रितु ने दोनों लंड मुझे दिए और वो भी रूबी की तरह चूतड़ उठा कर उलटा लेट गयी।
दोनों के चूतड़ आपस में सटे हुए थे।
मैंने रूबी की गांड में जैल लगाई और उभरे सुपाड़े वाला लंड धीरे धीरे अंदर डालना शुरू किया। दस मिनट की कोशिशों के बाद रबड़ का उभरे सुपाड़े वाला लंड रूबी की गांड में था, अंदर तक।
दूसरा लंड जैल लगा कर धीरे धीरे रितु की गांड में डाल दिया।
क्या सीन था दोनों चूतड़ उठा कर लेटी हुई थी और दोनों की गांड के छेदों में लंडों के अंतिम छोर दिखाई दे रहे थे। मैंने पीछे खड़े हो कर दोनों की गांड में से लंड बाहर अंदर किये और पांच मिनट तक ऐसा ही करता रहा। लंडों ने अब दोनों की गांड में अपनी जगह बना ली थी और अब लंड बाहर निकाल कर अंदर डालने में रूबी और रितु को कोइ तकलीफ नहीं हो रही थी – उलटा मजा ही आ रहा था।
मैं रूबी के पीछे खड़ा हो गया और उभरे सुपाड़े वाला लंड बाहर निकाल लिया और सुपाड़ा रूबी की गांड के छेद पर रख दिया – अंदर डालने लिए तैयार।
फिर मैंने अपना लंड रूबी की चूत पर रखा। अगले ही मिनट मैंने दोनों लंड अंदर डाल दिए। मेरा लंड रूबी की चूत में और रबड़ का लंड उसकी गांड में। रूबी ने एक सिसकारी ली, पीछे सर कर के बोली ,” आआआह विक्की सच में ये तो कमाल का मजा है”।
मैं धक्के लगा रहा था चूत में से जब मैं लंड बाहर निकालता तो साथ ही गांड वाला लंड भी बाहर निकाल लेता था। जब चूत में लंड झटके के साथ डालता था तो गांड वाला लंड भी झटके के साथ अंदर डाल देता था।
पचास साथ साठ धक्कों के बाद मैं रितु के पीछे चला गया। साथ ही रूबी की गांड वाला उभरे सुपाड़े वाला लंड निकाल कर रितु के गांड में डाल दिया और रितु की गांड वाला, रबड़ की चमड़ी पीछे होने वाला लंड रूबी की गांड में डाल दिया।
अब धक्के रितु को लग रहे थे चूत में भी और गांड में भी।
आठ दस बार एक दूसरी को ऐसे ही चूत और गांड में चोदने के बाद मैंने रबड़ के लंडों की जगह बदल दी। अब रबड़ के लंड चूत में थे और मैं दोनों की गांडें चोद रहा था। अब तो हालत ये हो गयी थी की दोनों अपनी चूत के लंड खुद ही अंदर बाहर कर रहा थी। गांड चुदाई की ज़िम्मेदारी मेरी थी।
मुझे लगा इस तरीके से दोनों को ज्यादा मजा मिल रहा था। जब मैं रितु की गांड के पीछे उसकी गांड चोद रहा था तो एकदम उसकी सिसकारियां बढ़ गयी आह आआआह आआआह। लग रहा था झड़ने वाली है। मैंने गांड में धक्कों की स्पीड बढ़ा थी थच्च थच्च थच्च की आवाजें आ रहीं थीं जब टट्टे गांड पर टकराते थे । रितु चूत में लंड को जोर जोर से अंदर बाहर कर रही थी – इतना जोर जोर से की उसका पूरा शरीर ही हिल रहा था।
फिर एक लम्बी सिसकारी आआइइहह के साथ रितु ने चूत में लंड के धक्के रोक लिए। झड़ गयी थी वो।
अब रूबी जोर जोर से अपनी चूत में लंड अंदर बाहर कर रही थी। मैं रूबी के पीछे गया और एक ही बार में लंड गांड में बिठा कर गांड में जोरदार धक्के लगाने हुरू कर दिए। रूबी बड़ी ऊंची आवाज में सिसकारियां ले रही थी आआह ये है चुदाई आअह आअह मजा आ गया आअह आह आह और दस मिनट की गांड चुदाई के बाद वो भी झड़ गयी।
मैं अभी भी नहीं झडा था। खड़े लंड के साथ सोफे पर बैठ गया और स्कॉच के सिप लेने लगा।
कुछ देर में रितु उठी और मेरी तरफ देख कर बोली, “सर ये क्या, ये क्या आपका लंड तो फिर कुछ मांग रहा है। मैडम को बोलूं क्या ? मेरी तो हिम्मत नहीं आज और चुदाई करवाने की”।
बातें करने की आवाज सुन कर रूबी भी उठ गयी और रितु से बोली, “क्या हुआ रितु क्या बात कर रही है “।
रितु बोली ,”मैडम, सर का लंड तो अभी भी वैसा का वैसा ही है। मैं कह रही थी की मेरी तो हिम्मत नहीं आज और चुदने की मैडम को एक बार और चोद लीजिये “।
रूबी ने सर घुमा कर मेरे लंड की ओर देखा और बोली, “क्या हुया विक्की ये तेरा लंड फिर खड़ा हो गया “?
मैंने हंस कर कहा ,”रूबी ये बैठा ही नहीं, खड़ा ही है इसका माल नहीं निकला अभी तक “।
रूबी ने पुछा, “तो क्या फिर चोदना है “?
मैंने कहा ,”रूबी, रितु तो थक गयी है। तू भी थक गयी होगी। ऐसे करो, दोनों बेड पर बैठ जाओ, मैं हाथ से कर के तुम्हारे सामने सफ़ेद गाढा पानी निकाल लेता हूं। बिना तुम्हें देखे तो लगता है ये आज मेरा ये लंड झड़ेगा भी नहीं “।
रूबी बोली, “थक तो मैं भी गयी हूं विक्की। पता नहीं कितनी बार झड़ी हूं। चूत में अभी भी मजा सा आ रहा है। गांड भी सनसना रही है। मगर तुम हमारे सामने खड़े हो जाओ हम निकालेंगी तुम्हारा पानी”।
मैं दोनों के सामने तने लंड के साथ खड़ा हो गया। दोनों रूबी और रितु मेरे लंड को बारी बारी चूस भी रहीं थीं और अपने नाजुक नाजुक हाथों से मुट्ठ भी मार रही थीं।
पता नहीं कितनी देर यही चलता रहा। रितु बार बार मेरे चूतड़ पकड़ रही थी। थोड़ी देर बाद मुझे लगा की अब निकल ही जायेगा। मैंने कहा रूबी बस अब कभी भी निकल सकता है। रूबी ने मुंह खोल दिया और मुंह के सामने लंड की मुट्ठ मरने लगी। रूबी की देखा देखी रितु ने भी मुंह खोल दिया।
जल्दी ही मेरे मुंह से एक आवाज निकली आआह रूबी आआह रितु आअह, और मेरे लंड से सफ़ेद मलाई निकलने लगी। दोनों ने मेरा वीर्य चाट लिया। एक बूंद भी बर्बाद नहीं जाने दी । दोनों सारी गाढ़ी मलाई चाट गयीं। जब मेरा लंड ढीला हो कर बैठ गया तो दोनों ही बिस्तर पर अगल बगल में ही लेट गयीं।
मैं बाथ रूम गया। पेशाब किया और बाहर आ कर कपड़े पहन लिए ।
रूबी रितु अभी भी इक्क्ठी ही लेटी हुए थीं – आंखें बंद करके। शायद बहुत ज़्यादा थक चुकी थीं।
मैंने उन्हें जगाना और डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और लाइट बंद करके सोने चला गया। मुझे भी बहुत नींद आ रहे थी।
सुबह सात बजे नींद खुली तो देखा आज रितु नहीं जगी हुई थी। वो हमेशा सब से पहले उठती थी।
रूबी के कमरे में देखा तो दोनों एक दुसरे की बाहों में अभी भी सोई हुए थीं – नंगी।
मैंने सोचा सब के लिए चाय आज मैं ही बना लेता हूं।
चाय बना कर ट्रे लेकर मैं रूबी के कमरे में पहुंचा और ट्रे टेबल पर रख कर खिड़की से परदे हटा दिए। दोनों ही जाग गयीं। जब देखा की दोनों ही नंगीं हैं तो रितु अपने हाथों से ही आने आप को ढंकने की कोशिश करने लगी और बोली, “सॉरी सर , सॉरी मैडम”।
रूबी बोली , “किस बात की सॉरी, मैं तो खुद ही नंगी हूं “। और वो उठी और बाथ रूम में चली गयी। रितु भी भाग कर दुसरे बाथ रूम में चले गयी।
थोड़ी देर में दोनों नहा कर फ्रेश हो कर आई। रितु बोली, “चाय तो ठंडी हो गयी होगी, मैं दूसरी चाय बना कर लाती हूं। ” और वो ट्रे ले कर चली गयी।
दूसरी चाय आ गई। बालकनी में चाय पीते पीते रूबी बोली। मंगल को तू आया था आज रविवार हो गय। कल तूने जाना है। वक़्त का पता ही नहीं चला। “कितने बजे की ट्रेन है तेरी “? रूबी ने पूछा।
“सवा बारह की शताब्दी चंडीगढ़ से”। मैंने जवाब दिया
“तब तो आठ बजे निकलना पड़ेगा तुझे सुबह। मैं कस्तूरी को बोल दूंगी सुबह सुबह आ जाएगा और चंडीगढ़ स्टेशन छोड़ आएगा। सुबह ज्यादा रश भी नहीं होता”। फिर बोली अब कब आएगा शिमला “?
मैंने कह कुछ यह नहीं सकता। इस साल का ट्रिप तो हो गया”।
रूबी हंस कर बोली, “क्यों क्या दो बार आना गुनाह है ? सर्दियों में फिर आजा पांच छः दिनों के लिए “।
मैंने जवाब दिया, “वो बात नहीं। अभी यहां से वापस जा कर हमारा कुल्लू का प्रोग्राम है। अगले महीने बीस दिन का यूरोप का टूर है। वापस आ कर एक हफ्ते के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना है”।
रूबी ने पूछा, “बाहर घूमता है तू कितना बड़ा काम है तेरा”। रूबी ने पहली बार काम के बारे में पूछा था। उसकी असली दिलचस्पी तो मुझ में ही थी।
“बताया था ना एक्सपोर्ट इम्पोर्ट काम है। इधर का माल उधर उधर का माल इधर ” मैं हंसा। ” गुड़गांव में ऑफिस है। 22 लोग काम करते हैं “।
रूबी ने भी हंस कर पूछा ,”क्या इधर उधर करता है “?
“इम्पोर्टेड कारों के पार्ट इधर, मंहगी मशीनों के पार्ट उधर। ये तो हैं यूरोप का काम। दोनों हंस दिए। ” ऑस्ट्रेलिया को बासमती चावल की सप्लाई होती है “।
“चलो बढ़िया है “। रूबी फिर चुप हो गयी। लग रहा था कुछ उदास हो गयी है।
मैंने ही बात चालू की, ” रूबी तू भी तो आती रहती होगी दिल्ली “।
“आती तो हूं, मगर काम से। घूमने अकेली कहां घूमने जाऊं बता विक्की। जब कोर्ट की छुट्टियां होती हैं, मैं हमीर पुर चली जाती हूं। बेटा हॉस्टल में ही रहता है। हमीर पुर उसको पसंद नहीं। शिमला कभी कभी आ जाता है। जब मैं हमीरपुर जाती हूं तो रितु अपने गांव चली जाती है।
सच बताऊं विक्की, जितनी खुशी इन छः दिनों में मिली है ऐसी खुशी कभी नहीं मिली”।
मुझे लग रहा था वो उदास हो रही है। मैंने कहा, “रूबी अच्छा आज का क्या प्रोग्राम है “।
“तू बता विक्की” रूबी ने पूछा।
मैंने कहा, ” माल पर चलते हैं, वहीं कुछ खा पी लेंगे। प्रेम चाट वाले के छोले भठूरे “।
“ठीक है, मगर प्रेम वाला मेरे से तो पैसे भी नहीं लेता, बड़ी मुश्किल से देने पड़ते हैं ” रूबी बोली और साथ ही उसने रितु को भी आवाज़ लगाई, “रितु “।
जी मैडम, रितु फौरन आ गई “सुन, अभी माल रोड चलना है। तू भी तैयार हो जा ………” और बीच में ही बात छोड़ कर मुझ से पूछा, “और फिर घर आके क्या करना है “?
मैंने पूछा, ” क्या करना है, मतलब ‘वो वाला’ क्या करना है”?
रूबी हंस कर बोली।,”हां वो वाला “। और साथ ही हंस दी। इतना सुनना था की रितु भाग गयी।
रूबी ने कहा, “विक्की तूने हमारी हर तरह से तस्सल्ली करवा दी, अब क्या रह गया, जो मर्ज़ी कर ले जैसे मर्ज़ी कर ले”।
मैंने भी माहौल को हल्का करने के लिये कहा, “मेरी जान रूबी, बात तो यही हुई थी ना की शिमले में मेरे आख़री दिन तुम्हारी मर्ज़ी चलेगी “।
रूबी बोली, “सच पूछो विक्की तो असली चुदाई एक ही तरीके से होती है। औरत नीचे, चूतड़ों के नीचे तकिया, चूत को ऊपर उठाने के लिए, जिससे लंड चूत की गहराई तक पूरा अंदर बैठ जाए। मर्द औरत को पीछे बाहें डाल कर जकड़ ले – भींच ले – दबा दे – और औरत, नीचे से मर्द को बाहों में जकड़ ले। फिर नीचे से अपनी टांगों से औरत ऊपर से चुदाई करते मर्द को कमर से जकड़ ले – इस लिए कि कहीं ये साला मर्द चुदाई बीच में ही छोड़ कर ना भाग जाए”।
और वो इतनी जोर से हंसी की तबीयत खुश हो गयी।
मैंने कहा , “ठीक है शिमले कि रानी”।
रूबी बोली , “चलो एक बार टाइट फुद्दी से भी पूछ लेते हैं। असली मजा तो उसीको आना है। सही पूछो विक्की तो चुदाई का सही टाइम भी उसका ही है – जवान कड़क। हम तो टाइम पास हैं “।
मेरी हंसी छूट गयी। “टाइट फुद्दी से भी पूछ लेते हैं ? रूबी की टाइम पास वाली बात पर मैं बोला , “ऐसा भी नहीं है रूबी ”
जब रूबी ने कहा की चलो टाइट फुद्दी से भी पूछ लेते हैं तो मेरी हंसी छूट गयी।
रूबी ने रितु को आवाज लगाई। रितु को आने में थोड़ा समय लग गया। आई तो हमारे साथ चलने के लिए तैयार हो कर आयी थी। हल्के नीले रंग का सलवार सूट – गज़ब ही लग रही थी। लम्बी, गोरी, जवान – ऊपर से चूचियों, और चूतड़ों के उभार – कपड़ा फबता भी बहुत था उसके ऊपर। मैं तो देखता ही रह गया। इतनी सुन्दर है ये जिसको इन दिनों में मैंने चोदा है – और आज फिर चोदना यही ? वह री किस्मत।
रूबी की आवाज से मेरा ध्यान टूटा ,”विक्की क्या हुआ ? मॉल जाने का इरादा तो नहीं बदल दिया रितु को देख कर “।
मैंने हड़बड़ा कर कहा, “नहीं नहीं “।
रूबी ने रितु से पूछा, रितु सर पूछ रहे थे आज कैसे करवाना है। मैंने कह दिया आज रितु की मर्ज़ी चलेगी”।
रितु शायद ऐसे सवाल की तैयार नहीं थी। उसे पूछा, “जी मैडम “?
रूबी ने हल्के से हंसते हुए कहा, “अरे भई सर पूछ रहे हैं आज चुदाई कैसे करवानी है। आज इनका यहां आख़री दिन है। कल सुबह आठ बजे विक्की ने चले जाना है “।
रितु ने रूबी के सवाल का जवाब ना दे कर, पूछा,”कल सुबह? इतनी जल्दी “?
रूबी बोली, “अरे जल्दी !!! छः दिन हो गए विक्की को यहां। रोज हमे चोद रहा है। वापस जा कर अपनी बीवी को भी तो चोदना। वो भी इसके प्यारे लंड का इंतज़ार कर रही होगी “।
रितु ने कोइ जवाब नहीं दिया।
रूबी ने फिर पूछा,” अच्छा रितु बता आज कैसे चुदाई करवानी है। कौन सी चुदाई सब से अच्छी लगी “?
रितु नीचे की तरफ देखते हुए बोली, “सभी अच्छी थी मैडम”।
अगला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 13