पिछला भाग पढ़े:- जवान बॉस के साथ सेक्स-7
बातों ही बातों में हम भूल ही गए कि हम नंगे थे, और हमें अपने कपड़े पहन कर तैयार भी होना था। होश आने पर मैंने जल्दी-जल्दी टॉयलेट पेपर से सब कुछ पोंछा, हैंड शावर से योनि में पानी मारा, ताकि जितना हो सके अजय का वीर्य बाहर बहा सकूं। अजय भी टिशू पेपर से अपना सिकुड़ा हुआ लिंग साफ़ करने लगा।
मैं अपनी ब्रा और पैंटी उठा कर सामने आईने में देखने लगी। अजय के काटने और चूंटी काटने के निशान मेरी गर्दन, बूब्स और हिप्स पर साफ़ दिख रहे थे। पर सबसे ज्यादा मेरे निचले होंठ पर उसके काटने का निशान दिख रहा था, जिसको मैंने अपनी लिपस्टिक से छुपाने की कोशिश की। पर हल्की सूजन के कारण वह पूरी तरह छुप नहीं पा रहा था।
मैंने अजय से कहा: देखिये सर, क्या हालत बना देते हो आप? कोई पूछेगा कि क्या हुआ, तो क्या बताऊंगी?
अजय ने धीरे से मेरी कमर में हाथ डालते हुए कहा: डोंट वरी, मैं हूं ना।
और प्यार से एक चुम्बन मेरे माथे पर दिया। इस बात से मैं कुछ नार्मल हुई। मैंने अपने कपड़े पहने, और अच्छे से मेकअप किया, तांकि बाहर निकलने पर नार्मल दिखूं।
मैं और अजय रेडी होकर वाशरूम से बाहर आ गए। हमारा प्यार भरा सेशन करीब एक घंटे चला था। शाम के चार बज रहे थे। सेंटर का टाइम ओवर होने में अभी दो घंटे थे।
सो मैंने अजय से कहा: मैं ऊपर सेंटर जा रही हूं।
अजय ने शरारत भरे लहजे में कहा: अब कब मुलाकात होगी?
तो मैंने कहा: अब बस, बहुत हो गया। आपका शौंक पूरा हो गया होगा। कर लिया ना सब कुछ?
उसने आश्चर्यपूर्वक कहा: क्यों?
मैंने कहा: मैं क्या आपकी बीवी हूं, जो हर समय अवेलेबल होती है? मैं आपकी फ्रेंड हूं? थोड़ी बहुत मस्ती कर ली? अब हो गया?
वह बोला: अच्छा? रह लेंगी मेरे बिना?
मैंने कहा: देखते हैं? जब मन करेगा तो बताती हूं।
यह सुन कर उसने कहा: चल ना एक बार और हो जाये? अभी काफी टाइम है।
मैंने कहा: नहीं, अभी नहीं। पर जल्दी ही फिर मिलेंगे ना?
मेरी कमरे से निकलते वक़्त अजय बोले: शुक्रिया इस सब के लिए। अब कब मिलोगी?
मैं: अभी तो बिल्कुल नहीं मिल सकती।
अजय: क्यों?
मैं: डिअर सर, मैं एक दिन में दो ड्यूटी बिल्कुल नहीं कर सकती। एक यहां, और एक घर पर। दो लोगों को अलग-अलग दिन ही झेल सकती हूं। वो भी ब्रेक ले ले कर। समझे आप? बाय।
ऊपर पहुंचने पर शालिनी मुझे देखते ही बोली: बहुत देर लग गयी मैडम? ज्यादा काम था क्या?
मैंने कहा: हां। रुकने के लिए बोल रहे थे। पर मैंने कहा शाम को पॉसिबल नहीं है। जो काम हो अभी करा लो। तो बस वहीं निपटा कर आयी हूं?
अचानक उसकी नज़र मेरे होंठ पर चली गयी।
शालिनी: अरे यह क्या हो गया मैडम? क्या लग गया?
मैंने कहा: कुछ नहीं, ऐसे ही।
शालिनी: मैडम सच बताओ ना क्या कहानी है? कुछ इंटरेस्टिंग? फ़ोन पर सर से बात कर रही थी, तो ऐसा लगा आपकी सिसकियों की आवाज़े आ रही थी? सर फ़िदा हो गए हैं क्या आप पे? सच-सच बताओ ना?
मैंने कहा: नहीं रे। ऐसी कोई बात नहीं? लैपटॉप में कुछ गलत कर दिया होगा तो मैं सी सी कर रही थी?
वह बोली: ओके। तो फिर ये होंठ पर निशान सुबह तो नहीं था? कहां से आया? कहीं लब्बी-डब्बी तो नहीं चल रहा है आप दोनों के बीच?
मैं समझ गयी कि उसे पूरा शक हो चुका था, सो मैंने बात संभालने की कोशिश करी।
मैंने कहा: सर थोड़ा फ्लिर्टिंग-वर्टिंग करना चाहते थे। पर मैंने मना कर दिया कि मुझे इंटरेस्ट नहीं है। और वैसे भी कितना ऐज डिफरेंस है हम दोनों में? तोह वहीं सर लगे हुए थे कि मैं मान जाऊं। उनको ऐज से कोई प्रॉब्लम नहीं है।
शालिनी: ऐसा उन्होंने कहा? फिर क्या हुआ?
मैंने कहा: कुछ नहीं?
शालिनी: तो यह “बाईट मार्क” (उसने मुस्कुराते हुए कहा)। और सर का हांफते हुए फ़ोन पे बात करना, और आपकी वह सेक्सी सिसकारियां?
अब शालिनी को फुसलाना कठिन हो गया था। वह सेंटर में मेरी सच्ची सहेली थी। मुझे उससे झूठ नहीं बोला जा रहा था। पर बात बहुत सीरियस थी। इसलिए मैं बात टालना चाह रही थी। पर वह बातें कुरेदती जा रही थी।
फिर मैंने बता दिया: हम दोनों लैपटॉप पर काम कर रहे थे, और सर ने मुझे स्मूच किया, और उनके जोश के कारण होंठ पर लग गयी।
शालिनी ने शरारत भरी नज़र से मुझे देखा और बोली: सिर्फ सर ने स्मूच किया? मैडम मैं भी शादी शुदा हूं। ऐसा लव बाईट बहुत पैशनेट लव के दौरान ही बनता है। है ना?
मैं: हाँ भई, मैंने भी उनको स्मूच किया। कोई इतना एक्साइट करेगा तो थोड़ा बहुत तो अपने से भी रिस्पांस हो जाता है ना।
उसने बेशर्मी से पूछा: और वो सिसकियां?
मैंने कहा: वो तुमसे फोन पर बात करते हुए यहां वहां दबाने लग गए थे। अब दर्द में सिसकी निकल गयी होगी।
शालिनी: और क्या-क्या किया?
मैं: कुछ नहीं यार, बस ऊपर-ऊपर से दबाना मसलना, और क्या।
शालिनी: फिर सर हांफ क्यों रहे थे फोन पर बात करते समय?
मैं: मुझे क्या मालूम, तू क्या सुन रही थी।
वह मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं थी। वह इसके आगे कुछ चटपटा सुनना चाह रही थी। लेकिन में इसके आगे कुछ भी नहीं बताना चाहती थी।
शालिनी: हूं वॉव मैडम। आप लोग तो बड़े छुपे रुस्तम निकले। लगता है सब पहले से ही फिक्स्ड था। तभी तो आप आज इतने सेक्सी ऑउटफिट में आयी हो? है ना? आपकी स्टाइल और ब्यूटी कमाल की है कि आज भी लोग आप पर ही फ़िदा हैं। मैडम आगे कुछ नहीं हुआ?
मैंने कहा: नहीं, और कुछ नहीं हुआ। मैंने आगे कुछ नहीं करने दिया। वर्ना वो तो चढ़े जा रहे थे।
शालिनी: हाय मैडम क्या रोमांस है। कर लेती ना थोड़ी मस्ती। क्या फर्क पड़ता है? वैसे मैं नहीं मानती कि उन्होंने ऐसे ही आपको छोड़ दिया होगा? मत बताओ, मुझे क्या? काश उन्होंने मुझे ये किया होता, तो मैं तो यह मौका कभी ना छोड़ती। वो कितने हैंडसम एंड सेक्सी हैं। आजकल तुम साहब की ज्यादा पसंदीदा हो। थोड़ा ख्याल रखना अपना। सर औरतखोर मर्द हैं। और यहां सबका कहना है कि उनकी नज़र अब तुझ पर है। शादीशुदा से संबंध बनाने में फायदा ये होता है कि पुरुष पर शादी का दबाव नहीं पड़ता। शादीशुदा का लेबिल होने से कोई शक नहीं करता जल्दी। औरत की अपनी सुरक्षा है, और मर्द पर कोई दबाव नहीं।
मैं: अरे शालिनी ‘अफवाह है। बकवास है। झूठ है। मेरा उनका संबंध आफिशियल है। वे अच्छे आदमी हैं। लोग जलते हैं हमारी मित्रता से। दोस्ती से ज्यादा कुछ नहीं है हमारे बीच। तुम मुझ पर शक कर रही हो। भरोसा नहीं मुझ पर?
मैं घर वापस आने के लिए व्यस्त सड़कों पर चली जा रही थी। सड़कों पर यातायात बहुत भारी था। भले ही शाम के 7 बजे थे । आज हुई घटनाओं के साथ मेरा मन अभी भी व्याकुल था। मेरे लिए यह विश्वास करना कठिन था कि मैंने अभी क्या किया। मैं वास्तव में अपने बॉस को अपनी मर्ज़ी से खुद को चोदने दिया।
एक्टिवा स्कूटर भरी ट्रैफिक के माध्यम से धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। मैंने हैंडल के दर्पण में अपने प्रतिबिंब को देखा और रोमांचित और मुक्त महसूस किया।
सौभाग्य से घर पर पति ने मेरे देर से आने के बारे में कुछ नहीं पूछा। जब मैं उस रात बिस्तर पर गयी तो पूरी शाम का एपिसोड मेरी आँखों के सामने चमक गया, और मुझे एहसास हुआ कि मुझे क्या मज़ा आ रहा था और डर भी लग रहा था।
उस दिन के बाद तो अजय मेंरा भक्त हो गया पूरी सेवा करता। जैसा मैं कहती वो बिल्कुल वैसे ही करता? दूसरों के सामने वो मेरे साथ बहुत शराफत और इज़्ज़त से रहता था। पर बिस्तर पर वो सब इज़्ज़त विज़्ज़त भूल जाता?
फिर कुछ दिनों तक के साथ सब ठीक से गुजरा। मेरे लिए यह एक रुटीन बन गई थी। रात को अपने हस्बैंड के बिस्तर को गरम करने का और अजय के साथ भी अडल्टरी रिश्ते रखने की आदत हो गई थी। और लगभग हर रोज यह सब होता था। और दिन-बा-दिन मैं और भी और कामुक और एन्वियस होती जा रही थी।
बेहतरीन सेक्स आनंद से मेरा जिस्म हर दिन इतना बेहतरीन होता जा रहा था।लगभग 24 महीने तक अजय भरपूर शारीरिक सुख दिया। नौकरी तो अब टाइमपास के लिए थी। सेंटर में तनख्वाह काम करने से काफी कम थी। पर अजय की सेवा के कारन ठीक ठाक सैलरी हो जाती थी? पर क्या किया जा सकता था? मन में और ज्यादा कमाने का लालच आ गया था। मुझ जैसी सामान्यत-मध्यम वर्ग की पत्नियों पर बोझ ज्यादा रहता है। इस कारण वह शाम होते-होते शारीरिक एवं मानसिक रूप से थक जाती है।
वह अपने पति के क्रीड़ा आलाप की ठीक ठाक प्रतिक्रया देने में अपने को असमर्थ पाती है। उस समय पारस्परिक आकर्षण कम हो जाता है। मैं अक्सर थक जाने की शिकायत करती, और जल्दी सो जाती। हस्बैंड को भी मन मसोस कर सो जाना पड़ता था?
इन दिनों मुझे गर्भनिरोधक टेबलेट्स इस्तेमाल करनी पड़ती थी। जिसके प्रभाव से इन दिनों मैं और भी मोटी हो गई थी। मेरे स्तन तो तब भी इतने ही थे और कमर भी। बस मेरे कूल्हे जरा बड़े हो गए थे। इससे बाकी शरीर पर तो असर नहीं हुआ। पर जांघें और कूल्हे थोड़े और बड़े हो गए। करीब 40 के हो गए थे।
मेरी नाभी के नीचे के हिस्से से लेकर योनि तक चर्बी ज्यादा हो गई थी। जिसके कारण मेरी योनि पावरोटी की तरह फूली दिखती थी। योनि के दोनों तरफ की पंखुड़ियां काफी मोटी हो गई थीं। अजय के साथ संभोग करके मेरी योनि के अंदर की चमड़ी भी बाहर निकल गई थी, जो किसी उडूल के फूल की तरह दिखने लगी थी। साथ ही चूचों के चारों तरफ बड़ा सा दाग हो गया था, जो हलके भूरे रंग का था और चूचे भी काफी लम्बे और मोटे हो गए थे।
अजय के साथ सेक्स के बाद मुझको हस्बैंड से सेक्स मैं ज्यादा रस नहीं रहा था। जब वे सेक्स के लिए ज्यादा तड़पते थे और आग्रह करते थे, तो मैं अपनी पैंटी निकाल कर, अपना गाउन ऊपर करके, अपनी टांगे खोल कर निष्क्रिय पड़ी रहती थी जब वे चोद रहे होते थे। मेरे पति मुझे अच्छे से जानते थे कि मैं उन्हें कभी धोखा नहीं दे सकती थी।
इन रातों में जब उन्हें तलब लगती पति देव मेरे बगल में लेट जाते और धीरे से मेरे कंधे रगड़ने लगते। उन्हें नहीं पता था कि मैं जिस सेक्सी ब्रा पेंटी को पहने हूं। वह किसी दूसरे आदमी से उपहार था, जिससे मैं चुद रही थी।
मेरे पति ने अपने कंडोम को लगाते और मुझे प्यार करना शुरू कर देते, जो अब मुझे एक छोटे लड़के के लिंग की याद दिलाता था। मैंने पहचाना कि अजय के तने बड़े और मजबूत लिंग होने की कितनी कमी थी। पेनिस का आकार मेरे लिए महत्वपूर्ण हो गया था। मेरे पति के पास बस वह नहीं था जिसकी मुझे आवश्यकता थी।
अजय की वजह से मैंने बड़े लिंग के लिए एक शौक पाल लिया था। मैं अजय की मांसपेशियों को याद करती थी। जिस तरीके से वह मुझे दबोचता, मुझे चूमता, मुझे छुता। उसके बड़े लिंग की सनसनी। उसकी गहरी पैठ। एकता और इन चीजों के संयोजन से उसे निकटता। और मैं निराश हो गयी मेरे पति के साथ।
मैं ओर्गास्म नहीं सकती थी, लेकिन मैंने अपनी निराशा को छिपाने के लिए उनके साथ संभोग करती और लास्ट में कहना पड़ता “ओह, तुम मेरे अंदर बहुत अच्छा महसूस कराते हो। मैं तुमसे प्यार करती हूं।”
जब आज कल वे प्यार करते थे। मेरे पति ये सोचते थे कि मैं के कुछ अजीब व्यवहार करती थी, जैसे मेरा मन कहीं और होता था। मैं शुरू से ही जॉब करती थी और शादी के बाद भी इसे कंटिन्यू किया। डिलीवरी होने के बाद मैंने बच्चे को संभालने के लिए अपना कंप्यूटर फैकल्टी का जॉब छोड़ दी। एक अच्छी आया देखभाल के लिए मिल गयी, तब मैंने दूसरी जॉब ज्वाइन करने का फैसला किया।
इस बार कंप्यूटर सेंटर में वेकन्सी निकली और मैंने एप्लीकेशन डाला। बल्कि कई बार मैंने कुछ लोगों से यह भी सूना था कि अजय जब भी किसी महिला के पीछे हाथ धो कर पड़ जाता था, तो अक्सर उसे अपनी शैया-भागिनी बना ही लेता था।
मतलब उसे चोदे बगैर चैन नहीं लेता था। कुछ महिलायें और पुरुष उसे चुदक्कड़ भी कह डालते थे। मेरे पति ने पिछले कई सालों से मेरी चुदाई की थी। लेकिन यह बहुत अलग था। इतना अच्छा इतना संतोषजनक। दूसरे आदमी के सामने पूरी तरह से नग्न होने के बारे में उत्तेजना। उसका आपको निर्वस्त्र करने में मजा। एक और नग्न आदमी का आप को चोदने के लिए तड़पना। पुरानी वासना को आप से बाहर निकाल कर पूरी तरह संतुष्ट करना।
वह आदमी अलग था। उसकी शैली अलग थी। उसका शरीर, उसकी गर्मी अलग थी। उसके स्पर्श अलग। अपने जुनून अलग है। जिस तरह से वह सहलाता है, मेरे स्तन चूसता है वह अलग है।
उसके लंड का आकार अलग है। जिस तरह से वह मुझसे प्यार किया, वह अलग था। वासना अलग थी। जिस तरह से उसने मेरी योनी को आज खाया है, वह अलग था। जिस तरह से मैंने उसका लंड चूसा वो अलग है। जिस तरह से उसने मुझे चोदा है वो अलग कामोन्माद अलग हैं। और जो संतुष्टि मुझे आज मिली है वह भी बहुत अलग है। सब कुछ इतना अलग, इतना रोमांचक, इतना साहसिक था, कि इसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।
मेरे पति और मैं अभी भी बहुत सेक्स कर रहे थे। लेकिन अभी भी मेरी ज़रूरतें पूरी नहीं हुईं। मैंने उस पर ओरल सेक्स करने का फैसला किया। जो मैंने अपने पति के साथ कभी नहीं किया। उसने मेरी गांड के साथ खेलते हुए मुझे अपनी पैंटी में जोर जोर से काटा था। ये मेरे साथ कभी नहीं हुआ। सब कुछ इतना अलग। इतना रोमांचक। इतना साहसिक है, कि इसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।