पिछला भाग पढ़े:- गांव की जवान कुंवारी चूत-3
तो दोस्तों आपने पिछले पार्टस में जाना कि कैसे साईट पर एक लड़की से मुलाकात हुई, और फिर पटा कर उसकी खेत, घर, और अपने रूम में चुदाई करता था। इसी बीच एक और लड़की मेरी गर्लफ्रेंड बनी थी, जो दूसरे गांव में हमारे गेस्ट हाउस से 10 किमी दूर की थी। जिसका नाम मुस्कान था, और खूबसूरती तो ऐसी कि उस 15 किमी के रोड में पड़ने वाले गांव में वैसा किसी को नहीं देखा था। उसका फिगर 34-28-36 था।
मेरे रूममेट की गर्लफ्रेंड थी जो हमारी ही साइट पर एक गांव की रहने वाली थी। उसी समय मेरी ड्यूटी उसी के गांव से सटे कलवर्ट पर लग गई। क्योंकि पहले वाले कलवर्ट बन चुके थे। तो मेरा आना-जाना उसके घर के सामने से होता था। पहले दिन से वो मुझे पसंद आ गई थी। मुझे उस समय पता नहीं था कि यही लड़की थी जो मेरे रूममेट की गर्लफ्रेंड थी। क्योंकि उसने कभी फोटो दिखाया नहीं था।
मैं अपने रूममेट को उस लड़की का फोटो भी दिखाया था, कि यह लड़की मुझे लाइन दे रही थी कहीं उसकी गर्लफ्रेंड तो नहीं थी। मैंने ऐसा इसलिए पूछा था, क्योंकि जैसा उसने हुलिया बताया था, वैसी उस गांव में सिर्फ वही थी।
मैं अपने फीमेल स्टाफ की मदद से उसका फोटो निकलवाया था। धीरे-धीरे हमारी आंखें चार होने लगी। अपने रूममेट से बोला भी-
मैं: अगर यही लड़की है तो बता दो, मैं उसे नहीं पटाऊंगा।
लेकिन मेरा रूममेट इसे हल्के में ले लिया। वो सोच रहा था कि मैं फेंक रहा था। कुछ दिन बाद उसी फीमेल स्टाफ से उसका नंबर मंगवाया, और फिर धीरे-धीरे बातें होने लगी। वो लड़की हम दोनों से अलग-अलग समय पर बात करती थी। तब तक मुझे पता नहीं चला कि वो मेरे रूममेट की गर्लफ्रेंड थी। एक दो हफ्ते तक बात-चीत चलती रही। फिर मेरे रूम मेट को शक होने लगा कि मैं भी उससे बातें कर रहा था। तो वह मुझसे बहुत नाराज़ हुआ।
तो मैं उसको बोला: सारी गलती तुम्हारी ही है। अगर तुम उसी वक्त बता दिए होते तो ये नौबत ना आती।
अब जब दिल लग गया था, तो कहां हटने वाले थे? मेरा रूममेट उसको बहुत डांटा लेकिन वो नहीं मानी और बोली-
मुस्कान: तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं, इसका मतलब ये नहीं कि तुम्हारी गुलाम हूं। मैं जिससे चाहूं उससे बात करूं।
हमारी बात-चीत चलती रही। लंच के वक्त जब मैं रुम के लिए आता था, तो उसको घर से थोड़ी दूरी पर बुला कर फ़्रेंच किस कर लेते थे।
मेरा रूममेट उसके साथ अभी तक कुछ नहीं कर पाया था। मुझसे पटने से पहले एक बार रात के 9 बजे वो मिलने के लिए बुलाई थी, चूंकि रुम से 10 किमी दूर था, तो वहां जाने के लिए बाइक की जरूरत थी। लेकिन हमारे पास बाइक नहीं थी।
हमारे पास एक साईट से दूसरे साईट पर जाने के लिए कंपनी की गाड़ी थी, जो कि सुबह में छोड़ते और दोपहर और शाम में उठा लेते थे। वो जैसे-तैसे करके एक लोग से बाइक मांग ली, लेकिन कोई साथ में चाहिए था, जो उसको उस गांव के पास छोड़ कर वहीं आस-पास रहे, और फिर काम होने के बाद उठा ले।
एक लोग को तैयार किया और चला गया, लेकिन KLPD हो गया। क्योंकि लड़की के जीजा उसी दिन आ गये थे, तो वो मेहमान नवाजी में लग गई थी। लौटते समय उसका एक्सीडेंट भी हो गया था, लेकिन ज्यादा चोट नहीं लगी थी, इसलिए फिर दुबारा उसकी हिम्मत नहीं हुई।
अब वो धीरे-धीरे मुझसे ज्यादा बात करने लगी। हम मिलने का प्लान बनाने लगे। मेरे ही साइट पर क्लाइंट के सुपरवाइजर भी रहते थे, तो उसका घर मुस्कान के गांव से सिर्फ 2 किमी की दूरी पर था। मेरी उससे बहुत अच्छी दोस्ती थी, तो मैं उससे मदद मांगा कि अपने घर एक रात रूकने दे और रात के करीब 11:30-12:00 के बीच में मुस्कान के घर के पास छोड़ दें। वो मान गया।
हम उसके रूम में बैठ कर गप्पे लड़ाते रहे, और 11-12 बजने का इंतजार करते रहे। जैसे ही 11:30 हुए, अचानक बहुत भयंकर आंधी तूफ़ान आ गया। उस समय आम का सीजन था तो गांव वाले आंधी-तूफ़ान में आम बचाने के लिए बागीचे की तरफ भागने लगते हैं।
हमने जहां मिलने का प्रोग्राम बनाया था, उसी बागीचे के करीब उसके चाचा का नया घर बन रहा था। घर अभी 2 फ्लोर तक ही बना था, और प्लास्टर, पेंट का काम बाकी था।
मुझे लगा मेरे साथ भी KLPD हो गया। हल्की-हल्की बारिश भी हो रही थी। अब मन मार कर दोनों सोने लगे। मुझे नींद कहां लगने वाली थी? मैं वायग्रा भी खाया था। फिर कुछ देर मोबाइल चलाने के सो गया। मेरी आंख 3 बजे के करीब खुली तो मैं बाहर निकल कर मौसम देखने लगा।
पानी और आंधी तूफ़ान सब बंद हो गये थे। मैं तुरंत मुस्कान को फोन किया लेकिन वो फोन नहीं उठायी। 2-3 बार फिर से कोशिश की। वो फोन उठायी और कहा वो सो गई थी। मैं उसको उसी जगह पर मिलने के लिए बोला तो तैयार हो गई। मैं भी पैदल ही दोस्त के घर से निकल गया।
25 मिनट बाद मैं वहां पहुंच गया, तो उसको फोन किया। वो तुरंत ही आ गई। हम उसी मकान की सीढ़ी पर चढ़ गये, और दूसरे फ्लोर चले गए। वो तुरंत मुझसे लिपट गई।
काफी देर तक गले लगने के बाद उसने पीछे से मेरी टी-शर्ट में हाथ डाल कर मेरी पीठ सहलानी शुरू कर दी। इधर मेरे लंड का बुरा हाल था, लेकिन मैंने कंट्रोल करके धीरे से उसके होठों को अपने होठों में ले लिया, और जबरदस्त किस कर करने लगा।
उसको भी मज़ा आने लगा, तो वह मेरे होठों को चूसने लगी। मैं किस करते-करते धीरे से उसके सूट के अंदर हाथ डाल कर उसके बड़े-बड़े चूचे दबाने लगा। इससे वह और गर्म होने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी। इधर मैं जोर-जोर से उसकी चूचियां दबाने में लगा हुआ था।
मैं उसका सूट और ब्रा दोनों को ऊपर किया तो बड़े-बड़े चूचे मेरे सामने आ गए, जिन्हें देख मैं कन्ट्रोल नहीं कर पाया। झट से मैं उसकी एक चूची को दबाने लगा, दूसरी को मुंह में भर लिया। इससे उसकी सिसकारी निकल गयी।
वह बोल रही थी: कब से मैं इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
जैसे ही उसने मेरी पैंट उतारी, तो उसकी आंखों में चमक आ गई। वो झट से मेरे 6″ लौड़े को हाथ से पकड़ ली, और हिलाने लगी। मैंने झट से उसकी सलवार उतारी। तो मैंने देखा कि वो पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी बुर एक-दम साफ और चिकनी थी। लगता था पूरी तैयारी के साथ आई थी, और बुर पूरी गीली हो चुकी थी।
उसकी बुर को मैंने मसल दिया, जिससे उसके मुंह से आह निकल गयी। फिर मैंने उसे नीचे जाने के लिए इशारा किया तो वो समझ गई कि मैं क्या चाहता था। तो वह मना कर दी और बोली उसे मुंह में लेना पसंद नहीं। तो मैंने भी जबर्दस्ती नहीं की। बिना बालों वाली बुर देखते ही मुझसे रहा नहीं गया, तो झट से मैंने उसकी बुर की दोनों फांकों के बीच अपनी जीभ घुसा दी।
कुछ देर तक ऐसा करता रहा। ऐसा 10 मिनट करने के बाद हम अलग हुए, और बाकी बचे कपड़े भी उतार दिए। वो बहुत गोरी-चिट्टी थी, और उसकी चूंचियां एक-दम गोल-मटोल थी। मैंने फिर चूचियों को मुंह में भर लिया तो उसने कहा-
मुस्कान: बस अब चोद दो, क्योंकि अब सहन नहीं हो रहा, और समय भी कम है।
सुबह के 3:30 बज गये थे, और गांव में लोग 4-5 बजे तक उठ जाते हैं। मैंने भी मौके की नजाकत देखते हुए उसकी बुर की फांकों के बीच लंड को सेट किया, और हल्का सा जोर लगाया, तो आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।
मैंने एक और झटका लगाया, तो पूरा लंड अंदर घुस गया। वो पहले भी चुदाई कर चुकी थी, इसलिए कुछ खास दर्द नहीं हुआ। मैंने धीरे-धीरे धक्के देने शुरू कर दिए। 5 मिनट बाद ही उसका दर्द उसकी मस्ती में बदल गया।
उसने कहा: क्या गजब का लंड है आपका। बहुत मज़ा आ रहा है आह आह आह।
इधर मैं भी लगातार झटके लगाता रहा। कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा, और उसका माल बाहर आ गया। लेकिन मेरा बाकी था। तो वह थोड़ा ऊपर उठी। तब मैंने लंड को सेट किया और वह धीरे से लंड पर बैठ गई। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड फिसलते हुए सीधा चूत के अंदर पहुंच गया। मैंने भी उसकी कमर पकड़ कर उसे नीचे धक्का दिया, जिससे पूरा लंड उसकी चूत को चीर कर अंदर पहुंच गया।
वह जोर से चिल्लाई: आआआ ह्हह्ह… मार डालेगा क्या!
वो अपनी गांड को मेरे लंड पर उछालने लगी। अब मैंने उसकी चूचियां पकड़ कर मसलनी शुरू कर दी। उधर वह मजे से मेरे लंड पर उछल रही थी, और ‘आह आह उफ्फ’ कर रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसको दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। मैंने भी देर ना लगाते हुए उसका एक पैर उठा कर, लंड को चूत पर रगड़ते हुए, अंदर पेल दिया, और जोर से चोदने लगा।
ऐसे ही 15 मिनट चोदने के बाद जब मैं झड़ने वाला था, तब उससे बोला-
मैं: बोल माल कहां निकालूं?
मुस्कान: जहां तेरी मर्जी हो!
यह सुनते ही मैंने जोर-जोर से स्ट्रोक मारे, और पूरा लंड उसकी चूत में घुसा के अंदर ही सारा माल निकाल दिया।
कुछ देर किस करने के बाद वह बोली: चलो अब चलते हैं, सब के जागने का समय हो गया है।
हम दोनों कपड़े पहने और एक-दूसरे से लिपट कर अलग हुए तो पहले वो वहां से निकली। उसके बाद मैं निकला। मैं पैदल ही दोस्त के घर पर पहुंचा, तो सब जाग गये थे। मैं उसको मेरे रूम पर छोड़ने को बोला। फिर मैं नहा धोकर साइट पर चला गया, क्योंकि हमारी ड्यूटी 7 बजे से शुरू होती थी।