रजनी की चुदाई उसी की जुबानी – अंतिम भाग – करनाल का कामयाब ट्रिप

बाए बाए मस्त करनाल I फिर बुलाना – ज़रूर आएंगे I

“एक घोड़ी खाली हुई थी, घोड़ी का सवार अभी अभी नीचे उतरा था”।

सन्नी मुझे चोद कर मेरी चूत में अपनी मलाई डाल कर हट चुका था। एक घोड़ी खाली थी। “दूसरा सवार दीपक सवारी के लिए खड़े लंड के साथ तैयार था”।

दीपक ने मुझे कमर से पकड़ा और धक्के लगाने शुरू कर दिए। अभी दीपक ने मुझे दस मिनट ही चोदा होगा की सन्नी फिर से आ गया, खड़ा लंड ले कर। दीपक ने लंड मेरी चूत में से निकाल लिया और सोफे पर बैठ गया – “इस इंतज़ार में की कोई और घोड़ी खाली हो और वो उसकी सवारी करे”।

इस बार जो सन्नी ने मेरी ऐसी चुदाई की कि मजा ही आ गया। नया लड़का था, इतनी तेज़ तेज़ धक्के लगा रहा था मेरी तबियत हरी हो रही थी।

उधर मोनू रजनी की चुदाई कर रहा था पूरे जोर शोर से। मोनू लगता था चुदाई करता रहता था ।

बंटी क्रीम लगा कर सरोज की चूत में लंड डाल चुका था।

आधा घंटा हम लोगों की चुदाई हुई। रजनी और सरोज का तो पता नहीं, मैं इस एक आधे घंटे में एक बार झड़ चुकी थी।

उधर सरोज के पीछे वाले बंटी ने एक दम धक्कों की स्पीड बढ़ा दी – लगता था झड़ने वाला है। सरोज चूत का दाना रगड़ रही थी। एक सिसकारी आआआआईईईईईई के साथ वो झड़ गयी मगर बंटी नहीं झड़ा। सरोज ने सर मोड़ कर कहा बंटी क्रीम लगा कर लंड गांड में डाल।

बंटी ने क्रीम लगाई और लंड को सरोज की गांड में डालने की कोशिश करने लगा, मगर लंड गया नहीं।

सरोज ने सोचा कहीं लंड के सुपाड़े की नस ही ना कटवा ले, उसने कहा, “तू नीचे लेट “। बंटी लेट गया।

बंटी का लंड बड़ा लम्बा था। सरोज ने अपनी गांड के छेद पर क्रीम लगाई और बंटी के लंड पर बैठने लगी। थोड़ा लंड गांड के अंदर लिया – फिर थोड़ा और। जैसे जैसे लंड गांड में जगह बना रहा था वैसे वैसे सरोज लंड गांड के अंदर ले रही थी। पांच सात बार कोशिश करने पर बंटी का लंड पूरा अंदर बैठ गया। सरोज घुटनो के बल बंटी ऊपर बैठ गयी और बोली, “लगा धक्के नीच से I डाल अपना लम्बा लंड मेरी गांड में अंदर तक – किस दिन काम आएगा ये”?

बंटी का पूरा लंड सरोज की गांड के अंदर जड़ तक घुसा हुआ था और वो नीचे से धड़ा धड़ धक्के लगा रहा था। जब सरोज की गांड का छेद मुलायम हो गया तो सरोज ऊपर से उठ गयी और बंटी से बोली, “चल अब पीछे से गांड मार, अब चला जाएगा अंदर “। और वो उकड़ू हो कर बेड के किनारे पर गांड पीछे कर के बैठ गयी।

“क्रीम लगा ले बंटी थोड़ी और”। बंटी ने क्रीम लगाई और लंड पूरा जड़ तक अंदर डाल दिया। सरोज ने एक सिसकारी ली, आआआआआह ……. और बोली, “बढ़िया – चल चोद अब मेरी गांड को लगा लम्बे लम्बे धक्के “। बंटी ने फिर तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए।

तीनो लड़के लगे पड़े थे। रजनी के पीछे वाला मोनू झड़ गया और जा कर सोफे पर बैठ गया। रजनी भी झड़ गयी थी। बेड पर ही लेट गयी। उधर सरोज कि गांड में बंटी ने पूरी मलाई की धार छोड दी। जैसे लंड बाहर निकला की सफ़ेद सफ़ेद मलाई बाहर गिरने लगी। ये सीन देख कर मोनू का लगता था फिर खड़ा हो गया। जैसे ही बंटी हटा, मोनू ने सरोज की गांड में लंड डाल दिया और चोदने लगा। सरोज ने एक बार मुड़ कर देखा और सर नीचे करके गांड चुदाई का मजा लेने लगी।

रजनी लेटी हुई थी और मैं और सरोज चुद रहीं थी। बंटी सोफे पर बैठा लंड सहला रहा था। रजनी उठी और फर्श पर बैठ कर बंटी का लंड मुंह में ले लिया। जल्दी ही बंटी का लंड फनफनाने लगा। रजनी ने हमे चुदाई करवाते देखा और बंटी को ले कर दूसरे कमरे में चली गयी – क्रीम साथ ले गयी ।

बेड पर हम दोनों किनारे पर पीछे से चुदवा रही थी। रजनी शायद लेट कर चुदाई करवाना चाहती थी, और जैसे हम चुद रही थी ऐसे तीसरी के लिए लेट कर चुदाई मुश्किल थी।

मानना पडेगा की लड़के बढ़िया चोद रहे थे। आधा घंटा चोदने के बाद सन्नी और मोनू झड़ गए। चोदा भी अच्छा था, गर्म रबड़ी भी खूब गिराई थी हमारे छेदों में।

सन्नी और मोनू सोफे पर बैठ गए, मैं और सरोज एक दूसरी के ऊपर लेट कर एक दूसरी की गांड और चूत चाटने लगी।

अभी हम एक दूसरी की चाट ही रही थीं की वो फिर से आ गए – खड़े लंडों के साथ। हम हैरान हो गयीं, “इतने पागल हैं ये चुदाई के पीछे” !!

अब हम बेड के किनारे पर सीधी लेट गयी तकिये हम ने अपनी गांड के नीचे रख लिए और चूतड़ उठा दिए – टांगें चौड़ी कर दी। लड़के कद के थोड़े छोटे थे इसलिए चूत और गांड दोनों चोद सकते थे।

सरोज ने कहा चलो हो जाओ शुरू, गांड और चूत दोनों छेद रगड़ना – और अदला बदली भी करना।दो दो चूतों और दो दो गांड के छेदों का मजा लो। दोनों ने चुदाई शुरू कर दी। मस्त चोद रहे थे। कभी गांड में कभी चूत में। कभी सन्नी मुझे कभी मोनू मुझे।

तभी बंटी आ गया। झड़ गया होगा। रजनी नहीं आयी थी। बंटी आ कर दीपक से बोला,”आपको बुला रही हैं “।

दीपक खड़े खूंटे के साथ उठा और रजनी के पास चला गया।

बंटी सोफे पर बैठ गया। हमारी चुदाई देख उसका फिर खड़ा हो गया। वो आ कर हमारे पास खड़ा हो गया। मैंने पूछा, “क्या हुआ, फिर चोदना है क्या ” ? उसने हां में सर हिला दिया।

सरोज बोली “ठीक है एक लाइन बना लो। मुझे सन्नी चोद रहा है और मोनू आभा जीजी को चोद रहा है। मोनू तू हट जा सन्नी तू जा आभा जीजी को चोद और बंटी तू मेरे ऊपर आ जा। फिर सन्नी हट जाएगा और बंटी आभा जीजी को चोदेगा और मोनू मुझे। समझ गए ” ?

तीनों खुश हो गए और बारी बारी से हम दोनों को चोदने लगे। बंटी को लगता है गांड चुदाई ज्यादा अच्छी लगी। वो गांड ही चोद रहा था, बाकी के दोनों चूत रगड़ रहे थे।

कहां तो हमने सोचा था की ये नए लौंडे हैं क्या चूत गांड चुदाई करेंगे और कहां ये एक बार शुरू हुए और अब इनके लंड थक ही नहीं रहे थे। एक झड़ता भी था तो दुसरे को चुदाई करते देख फिर उसका खड़ा हो जाता था।

तभी दीपक आ गया। आते ही बंटी को बोला, “बंटी तू गांड चोद रहा था उधर ” ?

“हां भैया “। बंटी ने जवाब दिया।

दीपक बोला, “जा दुबारा। गांड चुदाई करवानी है रजनी को”।

बंटी चला गया। अब दो खलीफे हमे बारी बारी चोद रहे थे। बंटीकी गांड चुदाई की बात सुन कर हमारी भी गांड चुदवाने की इच्छा हो आई। हम ने भी सन्नी और मोनू को गांड चोदने के लिए कहा। उनको भी टाइट छेद रगड़ने में मजा आ रहा था। नए लौंडे थे, बिकुल राकेश की तरह गांड चोद रहे थे।

सुबह ग्यारह के करीब शुरू हुई ये चुदाई चुसाई की कवायद दोपहर बाद चार बजे तक चली।

जब सब थक कर चूर हो गए और लड़कों के लौंड़ों में भी दम नहीं बचा तो दीपक ने कहा, “इनका काम तो हो गया मैं इनको शहर छोड़ कर आता हूं “।

लड़कों ने कपड़े पहन लिए। जब चलने लगे तो बंटी ने दीपक से बोला, “फिर कब आएंगे भैया” पूछ वो दीपक से रहा था मगर सरोज की तरफ रहा था।

सब हंस पड़े, जवाब किसी ने नहीं दिया। दीपक लड़कों को छोड़ने चला गया। हम भी उठी अगले दिन सुबह हमने भी निकलना था। सारी पैकिंग करनी थी। .

छः दिन की चूत गांड की चुदाई और इन लौंडों साथ मजे ने तबीयत प्रसन्न कर दी थी।

“हमने सोचा नहीं था कि ये नए लड़के एक बार शर्म उतार कर चोदना शुरू करेंगे तो इतनी मस्त चुदाई कर देंगे। चूत तो मस्त चोदते ही थे गांड चुदाई भी मस्त करते थे। और साले चूत को चाटते तो ऐसे थे जैसे बच्चा जल्दी जल्दी इसक्रीम खाता है – इस डर से कि कोइ और ना ले ले”।

सरोज बोली, “पहले पता होता ये भोसड़ी वाले चुदाई के ऐसे भूखे हैं और ऐसे चोदते हैं और इतना पानी छोड़ते हैं कि मुंह में छुड़वाओ तो मुंह भर जाता है और चूत में छुड़वाओ तो चूत भर जाती है, तो हम तो इनको एक बार पहले भी बुला लेते”।

“चलो जो होना था हो गया जो नहीं होना था नहीं हुआ। अब आज की बाकी रात का सोचो I आज की आखरी रात अभी बाकी है “।

तीन गायें और एक सांड जो दिन भर उन लौंडों के कारण ढंग से चुदाई भी नहीं कर सका था। बस एक रजनी ही चुदी थी उससे – वो भी सिर्फ एक बार। अब वह चढ़ेगा तीनो पर – आगे भी और पीछे भी I

वो रात भी वैसे ही निकल गयी। दीपक ने बारी बारी हम तीनो की चुदाई की और हमे निहाल कर दिया। जिस तरह की धुआंधार दीपक ने चुदाई उस दिन की थी और जैसा सख्त उसका लंड था , मुझे लग रहा था की उस दिन भी दीपक ने विआग्रा खाई होगी – या फिर दीपक था ही ऐसा मस्त चोदने वाला।

दीपक ने दो दो बार हमारी चूतों पानी छुड़वा दिया। गांड ऐसे चोदी कि चोद चोद सुजा दी। चलते समय पता लग रहा था छेद कुछ फूला फूला सा है – लाल तो कर ही दी होगी।

मैंने रजनी से कहा ,”रजनी मैं सोच रही थी दीपक ने पक्का वियाग्रा खाई है। ऐसा कमाल हम पंकज और कुणाल से चुदाई में देख ही चुके थे। और अगर दीपक बिना वियाग्रा के ही इतनी चुदाई कि है तो बड़ी खुशकिस्मत होगी वो लड़की जिस के साथ दीपक कि शादी होगी और वो ऐसी चूत और गांड चुदाई करवाएगी “।

रजनी बोली, “फिलहाल अगर आज कि बात करें तो ऐसी खुशकिस्मत तो मेरी चुदक्क्ड़ मां ही है। मैं अपनी आँखों से देख चुकी हूं दीपक को मेरी मां को चोदते हुए – ऐसे ही रगड़ रगड़ कर चोदता है मां की चूत और गांड भी, जैसे हमारी चोदी है। चूत और गांड लाल कर देता है I और फिर संतोष का लंड मां की चूत में और राकेश का मां की गांड में – और सरोज तेरी चुसाई चटाई अलग। और एक औरत को इससे ज़्यादा क्या चाहिए ? घंटा”?

सभी नीचे मुंह कर के या इधर उधर देख कर हंस दिए।

करनाल में सातवां और आख़री दिन

अगले दिन सुबह नौ बजे निकलने लगे – दीपक ने टैक्सी बुला ली थी।

सरोज रजनी से बोली ,”जीजी अब कब आओगे। इस बार का आप लोगों के आने से चुदाई का तो तो मजा ही आ गया। जब भी आओ, आभा जीजी को भी ले कर आना। बड़ा मजा रहेगा।

रजनी बोली “अब क्या पता कब मां बाबू जी तीर्थ यात्रा पर जायेंगे। वो तीर्थ यात्रा पर जाएं तभी हमारी चूत और गांड चुदाई का मुहूर्त निकलेगा और इन दोनों छेदों के भाग्य खुलेंगे “।

सब हंस पड़े। हम दोनों टैक्सी में बैठ गयी

सात दिन का हमारा करनाल का ट्रिप सफल रहा

मस्त अंत – The End

25 भागों में चलने वाली ये कहानी “रजनी की चुदाई – उसीकी ज़ुबानी” आप को कैसी लगी कृपया अवश्य बताएं।

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12 भागों की नई कहानी की एक झलक

बचपन का प्यार

भाग – 1 मेरा नाम विक्रम मल्होत्रा है और ये कहानी है 2018 की जब मेरी उम्र 37 साल की थी, लेकिन इस कहानी की शरुआत हो चुकी थी 1985 में जब मैंने चार साल की आयु में हिमाचल प्रदेश के छोटे से शहर में नर्सरी कक्षा में दाखिला लिया था।मेरे साथ ही दाखिला लिया एक सुन्दर गोरी चिट्टी लड़की ने। हमारी नादान दोस्ती कुछ ऐसी थी की वो मेरी लुल्ली पकड़ कर मुझे चिढ़ाती,”ये क्या लटका रक्खा है “। और मैं उसके आगे चूत हाथ लगा कर कहता ,”तो तेरा कहां गया “?
भाग- 2 विक्की तेरा मतलब है मेरा जिस्मानी जरूरत कैसे पूरी होती है। मेरा सेक्स – मेरी चुदाई कैसे होती है – यही ना”।सेक्स – चुदाई हर स्वस्थ आदमी या औरत की जरूरत होती है ी
भाग -3 मैंने फिर रितु की तरफ देखा। “सच में ही सुन्दर थी “। रूबी ने भांप लिया। बोली, “बहुत अच्छी लग रही है क्या विक्की ? चोदेगा ? मैंने भी कहा, “हां सुन्दर तो है, मगर तेरे से ज्यादा नहीं, और अगर तू चोदने की बात पूछे तो मैं उसे नहीं, तुझे चोदना चाहूंगा – अगर तुझे ऐतराज़ ना हो तो”।
भाग – 4 रूबी ने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया और मेरा लंड चूसने लगी – नीचे से पेशाब निकलने की आवाज आ रही थी फररररररररर……..सररररररररर..
भाग – 5 उन्नीस साल की रितु का नंगा जिस्म देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए ,”इतना सुन्दर कड़क जिस्म ? तनी हुई एकदम सख्त चूचियां, छोटे छोटे से निप्पल, भरे भरे चूतड़ – गोर चिट्टे। चूत पर एक बाल नहीं – केवल एक लाइन दिखाई दे रही थी।
भाग – 6 रूबी मेरे लंड पर हाथ फेरती रही। फिर पूछा, “विक्की कभी गांड चोदी है “? मैंने पूछा, “क्यों पूछ रही हो, तुमने नहीं चुदवाई कभी”? “चुदवाई है “, फिर उसने कहा, “आज तुम भी मेरी गांड चोदना “।
भाग – 7 जब गांड में लंड के अंदर जाता था थो गांड के छेद की चमड़ी अंदर की तरफ जाती थी और जब लंड को बाहर की तरफ निकालो तो वही छेद की चमड़ी बाहर की तरफ आती थी। लंड मोटा होने के कारण रूबी की गांड का छेद फैल सा गया था।
भाग – 8 मैंने से पूछा, “रितु क्या चुदवायेगी, चूत या गांड”? मेरा लंड हाथ में ले कर बोली, गांड या चूत – जो चाहे चोद लीजिये सर, आपकी मर्जी है “। फिर बोली, “सर ये इतना मोटा है”, लंड को हल्का दबा कर बोली, “गांड में चला जाएगा “?
भाग – 9 मुझे कहने में कोइ हिचकिचाहट नहीं की मेरी ऐसी ज़बदस्त लंड चुसाई कभी नहीं हुई थी और ना ही मैंने रितु की फुद्दी से अच्छी फुद्दी चूसी थी। रितु की फुद्दी का पानी अजीब ही गंध का था। एक मीठी मीठी गंध और नमकीन मीठा स्वाद। मुझे तो रितु की फुद्दी का पानी चाटने और पीने में हे अजीब तस्सली हो रही थी।
………..आगे भी जारी है

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