गोकुलधाम सोसाइटी की नई दास्तां-3

पिछला भाग पढ़े:- गोकुलधाम सोसाइटी की नई दास्तां-2

(रात का समय है, गोकुलधाम सोसाइटी में खामोशी छाई हुई है। तप्पू और उसके दादा जी भी सो गए हैं। तप्पू जो अपने रूम में सो रहा था, उसे अचानक थोड़ी बेचैनी होती है और वो उठ जाता है। बेचैनी के कारण उसका गला सूख रहा है। वो उठ कर पास में रखे जग के पास जाता है। पर जग में पानी नहीं होता तो वो हॉल की ओर जाता है।

वो पानी पीकर अपने रूम की तरफ जाने वाला होता है कि तभी हल्की सिसकियों की आवाज आती है, जो धीरे-धीरे तेज होती जाती है। वो आवाजें जेठालाल (तप्पू के पापा) के रूम से आ रही थी। तप्पू कुछ समझ नहीं पाता और दरवाजे के की होल से थोड़ा देखने की कोशिश करता है। तप्पू को जेठालाल की नंगी पीठ दिखती है और दया का थोड़ा सा मुंह जो सिसकारियां निकाल रहा था।

तप्पू थोड़ा समझ जाता है कि उसके मम्मी-पापा सेक्स कर रहे थे। वो उन्हें देख ही रहा होता है पर उसे ज्यादा कुछ दिखता नहीं है। अंदर का सीन ऐसा है कि जेठालाल अपनी दोनों टांगें फैलाए हुए है और बैठा हुआ है जिससे उसकी पीठ दरवाजे की तरफ है। दया जेठा के लंड पर बैठी हुई है और उछल रही है। वो जेठा से बिल्कुल चिपकी हुई है।

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