अजब गांडू की गजब कहानी-28

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अगले दिन युग जब फार्म से वापस आया तो बहुत खुश था शायद इसलिए कि बीती रात पहली बार ढंग से चित्रा की चुदाई कर पाया था। जब राज और युग शाम को पीने बैठे तो युग बहुत जल्दी-जल्दी व्हिस्की के घूंट लगा रहा था। चित्र और राज दोनों ने युग को आराम-आराम से पीने के लिए कह रहे थे, मगर युग था कि खुशी के मारे किसी की सुन ही नहीं रहा था। अब आगे-

जब युग ने किसी की नहीं सुनी और गिलास खाली कर दिया तो चित्रा बोली, “खुशी के मारे पागल हो गया है।”

मैंने पूछा, “किस बात की खुशी?”