मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 14 – रविवार की आखरी रात

पिछला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 13

रविवार

चुदाई की इतनी बातें सुन सुन कर रितु की चूत लंड मांगने लग गयी थी।

रितु कुर्सी पर थोड़ा कसमसाई और चूत पर हाथ फेरा। रूबी बोली, “क्या हुआ रितु गीली हो गई क्या”।

रितु धीरे से बोली, “जी मैडम”।

रूबी ने कहा, “अभी थोड़ी देर में चलते हैं रितु, मेरी भी पानी छोड़ रही है। थोड़ा कर पानी छोड़ने दे, चूसने में मजा आएगा “। फिर मेरी और मुड़ कर बोली, “विक्की अभी क्या कह रहा था ? क्या तरीका बदलना है”?

“कुछ ख़ास नहीं बस कल जैसे घुटनों और कुहनियों के बल उकडू हो कर लेटीं थीं, आज सीधा ही लेटना है। कल मुझे लगा था ज़्यादा देर वैसे लेटने से तुम दोनों तक गयी थी। आज चूतड़ों तक बेड पर लेटना हैं । चूतड़ों के नीचे मोटे तकिये, जिससे गांड ऊपर उठ जाए और गांड के छेद लंड के बिलकुल लंड के सामने आ जाएं “।

सुनते ही रूबी बोली, “चलो बार में बैठ कर पीते हैं। चल रितु “।

बार में पहुंचते ही रूबी ने नाईटी उतार कर फेंक दी। रूबी को देख रितु ने भी नाईटी उतार दी। रितु ने मेरी देखा। मतलब साफ़ था, “मैं कपड़े पहन कर खड़ा हूं “?

मैं आगे बढ़ा और रूबी की चूचियां चूसने लगा। रूबी ने मेरा सर अपनी चूचियों पर दबा दिया। कुछ देर में मैं हटा सारे कपड़े उतार दिए और रितु को बाहों में ले कर भींच लिया।

रितु के सख्त चूचियां मेरे सीने चिपक गयीं। मैंने इन एक हाथ पीछे कर के रितु के चूतड़ पकड़ लिए। रितु नाजुक चूतड़ों ने मेरे जिस्म में बिजली दौड़ा दी।

मैंने रितु को घुमा दिया और घुटनो के बल बैठ कर रितु के चूतड़ चाटने लगा। रितु ने पीछे हाथ कर के मेरा सर चूतड़ों पर दबा दिया। रूबी उठ कर आयी और उसने रितु की चूचियों को अपने मुंह में ले लिया। रितु की तो मस्ती के मारे सिसकारियां निकंलने लगीं।

थोड़े देर की इस चूमा चाटी के बाद हम अलग हुए बैठ कर गिलास हाथ में ले कर सिप लेने लगे।

रितु का रंग मस्ती के मारे गुलाबी हुआ पड़ा था। गोरी तो वो थी ही, चुदाई के ख्याल की मस्ती और वोडका ने उसे और भी खूबसूरत बना दिया था।

“विक्की, आज की, इस बार आख़री चुदाई को यादगार बना दे। आज रितु बताएगी कैसी चुदाई होनी है। बता रितु “, रूबी ने रितु से पूछा।

चुदाई के ख्याल से और वोदका के सुरूर ने रितु को मस्त कर दिया था। वो बोली, “मैडम चोदना कैसे है ये तो सर बता ही चुके हैं। शुरू करंगे मैं और आप एक दूसरी की गांड चाटने से। फिर कल के तरह सर हमारी गांड के छेद में लंड डाल देंगे और कस कस कर धक्के लगाएंगे”।

फिर मेरी तरफ देख कर बोली, “सर इतनी जोर जोर से चोदना की चोद चोद कर हमारी चूत की झाग निकाल देना। सर जैसा चाहे चोदना आज आप। आगे से, पीछे से। चूत – फुद्दी, गांड में, जहां मर्ज़ी डालना सर । पूरा अंदर तक। गांड फाड़ देना सर हमारी Iअपने लंड का गर्म गाढ़ा पानी हमे पिलाना सर”।

मैं और रूबी दोनों हैरान थे की ये रितु क्या और कैसे बोल रही है। रितु बोलती जा रही थी,सर आज आप हमारे होंठ चूसना, हमारी चूत चूसना हमारी गांड चूसना। सर गांड का छेद चूसना,चाटना। सर हमारे गालों, चूचियों, चूतड़ों, जांघों को दांतों से काटना। सर चोद चोद कर हमारी जान निकाल देना “।

बोलते बोलते रितु उठी और आगे बैठ कर मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी।

रूबी को लगा लड़की चुदाई के ख्याल से ज्यादा ही दिवानी हो गयी है, कहीं मेरे लंड पर दांत ही ना मार दे।

वो उठी, रितु को उठा कर अपने सीने से लगा लिया और बोली। “आराम से रितु आराम से, तू बहुत अच्छे से चुदेगी आज। सर तेरे साथ सब कुछ करेंगे जो तूने कहा है”। रितु रूबी को लिपट गयी थी।

रूबी ने रितु को थोड़ा सहज करने के लिए कहा ,”अच्छा रितु आज कल की तरह सर के लंड में से गाढ़ी गाढ़ी गर्म गर्म मलाई भी तो निकाल कर पीनी है “।

रितु का जूनून थोड़ा कम हुआ। वो रूबी से अलग हुई, और मेरी तरफ देख कर बोले, “सॉरी सर, मैं आप से चुदाई के ख्याल से पागल हो गयी थी”।

मैंने बाहें फैला कर उसे बुला। रितु मेरे पास आ गयी। मैंने अपना खड़ा हुआ लंड ऊपर की तरफ किया और रितु को उस पर बिठा दिया। रितु की पीठ मेरी तरफ थी। मेरा पूरा लंड जड़ तक रितु की चूत में था। मैंने रितु के हाथ में उसका गिलास पकड़ा दिया।

सब लोग सिप लेने लगे। रितु चूत को ढीला छोड़ रही थी बंद कर रहे थी। रितु ने एक हाथ से अपनी चूत का दाना रगड़ना शुरू कर दिया।

रितु लगता था गर्म हो रही थी। गिलास उसके हाथ में हिल रहा था। मैंने रितु के हाथ से गिलास लेकर मेज पर रख दिया। मैंने एक हाथ से रितु की चूची पकड़ ली और निप्पल को मसलने लगा।

जल्दी ही रितु जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी। वो सिसकारियां ले रही थी आअह आअह आह। मुझे लगा ये झड़ जाएगी। मैने इशारे से ही रूबी से पूछा, “क्या करना है ? रूबी ने भी इशारे से ही कहा चुदने दो झड़ने दो “।

मैंने अपना गिलास भी मेज पर रख दिया और पीछे से रितु की दोनों चूचियों के निप्पल मसलने शुरू कर दिए। रितु ने जोर जोर अपनी चूत का दाना अपनी उंगली से मलना शुरू कर दिया ।

तभी रूबी उठी और दुसरे कमरे से वाइब्रेटर ले आई। रूबी ने घुटनों के बल आगे बैठ कर धीरे रितु की उगली चूत से हटाई और सेल वाला वाइब्रेटर चालू कर के रितु के हाथ में दे दिया। ऐसा लगा की रितु को इस का पता ही नहीं चला। रितु अब अपनी चूत के दाने पर वाइब्रेटर चला रही थी।

रितु जोर जोर से मेरा लंड अंदर बाहर करने लगी। उसके सिसकारियां तेज हो गयी आआह आआह आअह उउह …….और एक चीख …….आआआई ईईई के साथ ही वो एक लंड से ऊपर उठी और ढीली हो कर बैठ गयी। रितु को मजा आ गया था। झड़ गयी थी वो। पानी निकल गया था उसका।

धीरे से रितु ने मेरा लंड अपनी चूत में से निकाला। रूबी आ कर रितु को चूमने लगी। थोड़ी देर में रितु सामन्य हुई और मेरे तने हुए लंड से ऊपर उठी। एक बार उसने मेरे लंड को देखा, मुझे देखा, रूबी को देखा और बिना कुछ बोले बाथ रूम की तरफ चली गयी।

रूबी ने धीमी आवाज़ में मुझे कहा। “इसका इस वक़्त झड़ना बड़ा जरूरी था। चुदाई के ख्याल से पागल सी हो गई थी। अब मजे ले कर आगे की चुदाई करवाएगी”।

मैं देख कर आती हूं इसे। और रूबी बाथ रूम में चली गयी। पंद्रह मिनट के बाद वो रितु को नहला कर लाई। रितु अब बिलकुल सामान्य हो गयी थी।

रूबी ने माहौल को ठीक किया और बोली, “विक्की, क़्या मजा दिया यार तूने रितु को। ये कह रही है इसको कल तेरे साथ ही जाना है “।

रितु एकदम बोली, “नहीं मैडम”।

रूबी बोली, “अरे मैं तो मजाक कर रही हूं, यहां से तू एक बार ही जाएगी – शादी करवा के”।

रितु रूबी गले लग गयी।

मैं सोच रहा था की शादी के बाद भी अगर रितु गयी तो रूबी का दिल इसके बिना कैसे लगेगा।

मगर फिर सोचा, रूबी एक सुलझी हुई औरत है – कामयाब वकील। उसकी सोच बड़ी व्यावहारिक है।

एक एक ड्रिंक हमने और लिया। रितु ने दो हल्के लिए थे और उसके बाद उसने ड्रिंक नहीं लिया।

रूबी बोली, “चलो विक्की, चलो रितु “।

सब दुसरे कमरे की तरफ चल पड़। ड्रिंक के गिलास हमारे हाथों में ही थे। रूबी बोली,”रितु जा सारा सामान ले आ”।

मतलब रबड़ के लंड Iऔर वाइब्रेटर तो रूबी के हाथ में ही था।

रितु गयी और दोनों बॉक्स ले आयी। रितु को रूबी ने मेरे और अपने बीच बिठा दिया। आज जिस तरह से चुदाई के लिए रितु पागल सी हो गयी थी, रूबी रितु का ख़ास ध्यान रख रही थी।

हमारे ड्रिंक्स खत्म हो गए थे। रूबी ने मेरा लंड रितु के हाथ में पकड़ा दिया। लंड थोड़ा ढीला हो चुका था। रितु लंड को हल्के हल्के दबाने लगी। लंड खड़ा होने लगा।

रितु मुझ से बोली, “सर थोड़ा चूस लूं “?

मैंने कहा, “रितु, मैं तो खुद तुझ से कहने वाला था”। मैंने रितु को उठाया और बेड के किनारे पर बिठा दिया और लंड उसके आगे कर दिया।

रितु ने लंड मुंह में लिया और चूसने लगी। रितु की चुसाई में वाकई जादू ही था। ऐसा चूसती थी की लंड एकदम फनफनाने लगता था।

मैंने रितु को बेड पर लिटा दिया। चूतड़ों तक शरीर बेड पर था। मैंने रितु की टांगें उठा कर चौड़ी की और चूत की फांकें खोल कर चूत के छेद पर जुबान फेरनी शुरू कर दी। रितु सिसकारियां लेने लगी। मैंने रितु की टांगें थोड़ी और ऊपर की और चूतड़ खोल दिए। गांड का छेद मेरे सामने था। मैंने छेद पर जैसे ही जुबान फेरी रितु के मुंह से सिसकारी निकली “आअह मजा आ गया सर”।

दस मिनट रितु की गांड का छेद चाटने के बाद मैं उठा और रूबी के सामने खड़ा हो गया जो वाइब्रेटर से अपनी चूत सहला रही थी I

रूबी ने मेरा लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। नीचे से वाइब्रेटर उसकी चूत में अपना काम कर रहा था।

जल्दी ही रूबी ने लंड अपने मुंह से निकाला और बेड की तरफ बढ़ गयी। रितु सीधी लेटी हुई अपनी चूत रगड़ रही थी। रूबी बिना कुछ बोले उसके ऊपर लेट गयी। रितु के चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर चूत ऊपर की। रूबी की चूत रितु के मुंह के ठीक ऊपर थी और रूबी रितु की उभरी हुई चूत चाट रही थी। थोड़ी चूत चाटने के बाद रितु ने रूबी को थोड़ा नीचे किया और चूतड़ खोल कर गांड का छेद चाटने लगी।

रूबी की सिसकारी निकल गयी “आआह रितु क्या कर रही है, बड़ा मजा आ रहा है। ऐसे ही चाटो मेरी चूतड़ों का छेद “।

रूबी की चूत में पानी ही पानी था और रितु की चूत में तो बाढ़ आई हुई थी।

पंद्रह बीस मिनट के बाद रूबी उठ गयी और बोली, “आ जाओ विक्की, तुम्हारी दोनों घोड़ियां तुम्हारी सवारी के लिए तैयार हैं। बताओ कैसे चढ़ना है ऊपर”।

मैंने दोनों को बेड के किनारे पर लिटा दिया। चूतड़ों के नीचे मोटे तकिये रख दिए। चूतड़ ऊपर उठ गए थे। एक रबड़ का लंड रितु की चूत में जड़ तक बैठा दिय। दुसरा लंड रूबी की चूत में डाल दिया।

मैं रितु के पीछे गया और उसकी टांगें चौड़ी करके उसके चूतड़ फैला दिए। खूब सारी जेल रितु की गांड के आस पास और उंगली से अंदर लगाई और लंड का सुपाड़ा अंदर बैठा दिया।

दो दिन पहले की गांड चुदाई ने गांड का छेद नरम कर दिया था। रितु को ज़्यादा दर्द नहीं हुई। बस थोड़ा सा कुलबुलाई ऊईआअह। पांच मिनट बाद लंड बाहर निकल कर फिर से जैल लगाई और लंड अंदर करना शुरू किया। मैं लंड अंदर करते समय रितु के चेहरे की तरफ देख रहा था की वो किस तरह के भाव देती है – दर्द के या मजे के।

लंड रितु की गांड के अंदर जाता जा रहा था। रितु धीमी आवाज में आअह आअह कर रही थी। मतलब मजा दर्द पर हावी था।

दो ही मिनट में लंड गांड के पूरा अंदर था। मैंने वही लंड को हिलाया डुलाया और बाहर निकल कर फिर से जैल लगाई और सीधा जड़ तक रितु की गांड में बिठा दिया। रितु ने मजे और दर्द की मिलीजुली सिसकारी ली उइइ उइइ आअह सर……..लगाओ सर ……चोदो अब गांड को अब मजा ही मजा है। और साथ ही उसने रबड़ के लंड को चूत के छेद के ऊपर नीचे आस पास घुमाना चालू कर दिया I

मुझे लगा की लंड गांड के छेद में तो बैठ रहा है, मगर जिस तरह के तेज़ और लम्बे धक्के रितु मांग रही है वैसे नहीं लग रहे। मैंने लंड बाहर निकाल लिया। रितु एकदम बोली क्या हुआ सर निकल क्यों लिया। मजा आ रहा था।

मैंने कहा ,”रितु उस दिन की तरह उल्टी लेटो ज्यादा मजा आएगा। बढ़िया धक्के लगेंगे – जोरदार। रितु ने चूतड़ों के नीचे से तकिया निकाल उल्टी हो कर तकिया कुहनियों नीचे रख लिया और घुटनों और कुहनियों के बल उकडू हो कर चूतड़ ऊंचे कर दिए। मैंने चूतड़ खोले तो गांड का छेद बिलकुल साफ़ दिखाई दे रहा था। मैंने थोड़ा सा छेद चाटा। रितु की आवाज निकली आआह सर, बस एक बार और ।

रितु की गांड जैल से भरी पड़ी थी। लंड गांड पर रख कर मैंने एक ही बार में जड़ तक बिठा दिया। रितु को हल्का दर्द हुआ वो आआह की साथ जरा सा आगे हुई। मगर मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए ठप्प ठप्प फच्च फच्च ठप्प ठप्प फच्च फच्च। शुरू में तो उसने कहा, “सर जरा धीरे। मगर उसका ये ‘धीरे’ जल्दी ही और जोर से सर लगाओ सर आआह आआआह ये है गांड चुदाई “।

बीस मिनट की धुआंधार चुदाई की बाद रतु का पानी निकलने को था , ” सर अब चूत को चोदो सर, फाड़ो चूत को। झड़ने वाली हूं मैं आअह आअह और और और और आआआह आआह गईईई गईईई और जोड़कर झटकों की बाद एकदम रितु शांत हो गयी। मैंने लंड चूत में से निकाला और झटके से गांड में डाल कर गिनती की बीस धक्के लगाए और लंड बाहर निकाल लिया।

रूबी सोफे पर बैठी हम लोगों की तेज चुदाई देख रही थी।

मैं रूबी के पास जा कर खड़ा हुआ पास खड़ा हुआ तो प्यार से मेरा लंड पकड़ कर बोली, थोड़ा बैठ जाओ विक्की। थोड़ा आराम कर लो फिर करेंगे।

रूबी सच ही मेरा ध्यान रख रही थी। मैं सोफे पर बैठ गया। रूबी खड़े लंड की साथ खेलने लगी। उसने पूछा , विक्की, एक ड्रिंक बना कर लाऊं ?

रितु भी हमारी बातें सुन रही थी। बोली, “मैं लाती हूं मैडम। आप बैठिये “।

रूबी बैठ गयी। रितु ट्रे में तीन ड्रिंक्स लाए एक एक हमारा और बिकुल हल्का उसका अपना।

हम सोफे पर बैठे थे और रितु बेड पर बैठी थी। रूबी ने रितु से पूछा, “रितु जो बाद में पीछे से गांड चुदवाई है उसमें ज़्यादा मजा आया है क्या”?

“हां मैडम लंड तो पहले भी अंदर तक जा रहा था। आराम भी था। मगर जो सर कमर से पकड़ कर चुदाई करते हैं, उसकी बात ही कुछ और है। जब सर का लंड पूरा बैठता है और के लंड के नीचे लटकने वाले टट्टे चूत और गांड से टकराते हैं और जो आवाज आती है ठप्प ठप्प फच्च फच्च ठप्प ठप्प फच्च फच्च उसका जवाब नहीं ऐसी चुदाई का I

आखिर में चूत की रगड़ाई आआआह मजा आ गया – मुझे तो अभी भी मजा आ रहा है ।

रूबी कुछ नहीं बोली बस सिप लेती रही। अचानक गिलास साइड टेबल पर रख कर रितु रूबी की सामने बैठ गयी और वाइब्रेटर से रूबी की चूत सहलाने लगी। रूबी ने टांगें उठा कर सोफे पर रख ली और चूत की फांके खोल दी। चूत का छेद रितु की सामने था। रितु ने चालू वाइब्रेटर आगे वाला गोल हिस्सा रूबी की चूत में डाल दिया।

रूबी की सिसकारियां निकले लग गयी आआह आअह रितु आआह मेरी रितू आआह। दस मिनट बाद रूबी बिलकुल गर्म थी लंड लेने को तैयार।

रूबी की साथ रहते रहते रितु भी समझदार हो गयी थी।

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अगला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 15

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