पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-3
हिंदी चुदाई की कहानी अब आगे से-
तभी मुझे ख्याल आया कि नसरीन भी तो दूसरी गाये बन सकती थी। अगर छह महीने में भी उसकी चूत और गांड की मोटे लंड से एक बार बढ़िया रगड़ाई हो जाए, तो उसकी भी तसल्ली हो जाएगी और तो बाकी का काम तो रबड़ के लंड करते ही हैं।
मैंने सोचा कल कि दो गायें और दो सांड वाली चुदाई हो जाये तो उसके बाद असलम से बात करती हूं। संदीप का मोटा लंड लेकर तो नसरीन की तसल्ली हो जाएगी।
मैंने कहां, “असलम तुम चिंता मत करो। इस बारे में तुमसे बाद में बात करूंगी। जाने से पहले मुझसे एक बार मिलते हुए जाना। कल सुबह तैयार रहना। मैं और रागिनी तुम्हें होटल से ले लेंगे। बाकी सारी बातें तूने सुन ही ली है।”
अगले दिन ठीक साढ़े दस बजे रागिनी मेरी क्लिनिक में आ गयी। गाड़ी में बैठते हुए हंसी-हंसी में पूछा, “रागिनी बिकुल सही वक़्त पर आ गयी हो, क्या हुआ, चूत में संदीप के लंड के ख्यालों खुजली मची हुई है क्या?”
रागिनी बोली, “मालिनी जी खुजली तो मची हुई है लेकिन संदीप के नहीं, इस दूसरे सांड के लंड के ख्यालों से खुजली मची हुई है, देखें तो सही, कैसी चुदाई करता है आपका ये दूसरा सांड।”
मैंने कहा, “रागिनी मस्त चुदेगी आज तू। चुदाई के लिए लंड का मेरा चुनाव गलत कभी नहीं होता।”
ऐसे ही बातों-बातों में हम होटल पहुंच गए। कार में बैठे-बैठे ही मैंने असलम को फोन लगाया, “असलम आ जाओ, मैं और रागिनी बाहर कार में तुम्हारा इन्तजार कर रहे हैं।”
पांच मिनट में ही असलम आ गया। सफ़ेद टी-शर्ट और जींस में मस्त लग रहा था, बिल्कुल कालेज के स्टूडेंट की तरह। पीछे की सीट पर असलम बैठा ही था कि रागिनी बोली, “मालिनी जी संदीप के घर तक कार आप चला लीजिये मैं भी पीछे असलम के साथ बैठ जाती हूं?”
मैं समझ गयी रागिनी से रहा नहीं जा रहा और उसका मन असलम के लंड के साथ खिलवाड़ करने का हो रहा था। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “जरा आराम से रागिनी। जाओ पीछे बैठ जाओ।” और मैंने एक आँख दबा दी।
रागिनी कार से उतरी और पीछे जा कर असलम के पास बैठ गयी। कार चलते-चलाते मैंने पीछे देखने वाले शीशे से देखा तो वही हो रहा था। रागिनी ने असलम का लंड पैंट में निकाल लिया था, और हाथ मैं पकड़ा हुआ था। तभी मैंने शीशे में देखा की रागिनी झुकी और असलम का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।
दस मिनट ऐसे ही रागिनी असलम का लंड चूसती रही। हम संदीप के ऑफिस में पहुंचने ही वाले थे। मैंने रागिनी से कहा, “बस करो रागिनी, संदीप का ऑफिस आने वाला है। बाकी की चुसाई वहां जा कर कर लेना।”
रागिनी ने असलम का लंड मुंह में से निकाल दिया और बोली, “क्या मस्त लंड है।”
मैं जोर से हंस पडी। अगले पांच मिनट में हम संदीप के ऑफिस में थे। पहुंच कर मैंने संदीप और असलम की परिचय करवाया, “संदीप ये है आज के खेल का दूसरा सांड – असलम। और असलम है ये है संदीप। सारे रबड़ के चुदाई वाले खिलौने इन्हीं के यहां से जाते है।”
ऐसे साफ़-साफ़ परिचय से हम चारों ही हंस दिए। ऑफिस आगे के हिस्से में बैठ कर संदीप ने पूछा, “क्या लोगे असलम, जिन या विह्स्की?”
असलम बोला, “मैं बहुत कम पीता हूं। अगर है तो बियर दे दो।”
संदीप बोला, “सब कुछ है।” फिर हमारी और देखते हुए संदीप ने पूछा और आप तो जिन ही लेंगी?” फिर उठते हुए बोला, “चलिए पीछे के कमरे में बैठ कर आराम बातें करते हैं।”
हम चारों उठ गए और के कमरे में जो कमरा कम ऐशगाह ज्यादा था आ गए। मैं असलम और रागिनी सोफे पर बैठ गए और संदीप ने अलमारी में से जिन की बोतल निकाली और फ्रिज खोल कर जर्मनी के बनी हैनिकिन बियर का केन निकाल कर असलम के हाथ में दे दी।
चारों अपने अपने गिलासों में से हल्के-हल्के घूंट भरने लगे। असलम का बियर का केन आधा खाली हो चुका था। मैंने ही बात अपने हाथ में ली और असलम से कहा, “असलम जाओ रागिनी शायद तुम्हारा इंतजार कर रही हैं।”
असलम उठा और बियर का केन मेज पर रखते हुए रागिनी के सामने जा कर खड़ा हो गया और अपने पैंट की ज़िप खोल लंड रागिनी के सामने कर दिया। रागिनी ने एक हाथ से असलम का लंड पकड़ा और मुंह में डाल लिया। मैंने रागिनी के हाथ से जिन का गिलास लिया और बोली, “आराम से चूसो रागिनी।”
पांच ही मिनट में संदीप भी उठ खड़ा हुआ और मेरे हाथ से रागिनी और मेरा दोनों के गिलास लेकर मेज पर रखे और अपने पूरे कपड़े उतार दिए और बोले, “मैडम आप भी चुसाई का मजा ले लो।” ये कह कर संदीप ने लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
कुछ देर मुझसे लंड चुसवाने के बाद संदीप बोला, “आईये मैडम, अब कुछ आगे का काम करते हैं।”
सब ने अपने-अपने कपड़े उतर दिए और लंड चुसाई एक बार फिर शुरू हो गयी। संदीप का मोटा लंड मेरे मुंह में था और असलम का रागिनी के मुंह में था।
रागिनी ने लंड मुंह में से निकाल लिया और बोली, “बस असलम और नहीं। मेरी चूत में बाढ़ आ चुकी है। लंड मांग रही है। डालो ये लंड उसमे।”
उधर मेरी चूत भी तैयार थी। मैंने भी संदीप का लंड मुंह में से निकाला और बोली, “चलो संदीप बताओ कैसे चोदनी है? पीछे से या ऊपर लेट कर टांगें उठा कर?”
संदीप बोला, “मैंडम जैसे पहले की थी। पहली चुदाई सीधे-सादे तरीके से – ऊपर नीचे से।”
मैं लेट गयी और चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर टांगें चौड़ी कर दी। संदीप आया और मेरे ऊपर उलटा लेट गया। संदीप लंड मेरे मुंह में था और संदीप मेरी चूत चाट रहा था। एक मिनट के बाद रागिनी और असलम भी आ गए। वो भी हमारी तरह ही चुसाई-चटाई करने लगे। मेरी चूत गरम हो गयी और मेरे चूतड़ अपने आप ही हिलने लगे। संदीप उठा, एक तकिया संदीप ने मेरे चूतड़ों के नीचे लगाया, टांगें उठा कर फैला दीं और अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल कर चुदाई शुरू कर दी।
उधर असलम भी रागिनी के ऊपर से उतरा और हमारी तरह ही रागिनी के चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर टांगें चौड़ी की, और एक झटके से रागिनी की चूत में लंड घुसेड़ दिया।”
रगिनी बस इतना ही बोली, “आअह क्या रगड़ कर गया है।”
दो गायें और दो सांड, खेल शुरू हो चुका था।
तभी संदीप ने असलम से पूछा, “असलम तुम्हारा लंड जल्दी पानी तो नहीं छोड़ता?”
मुझे संदीप की इस बात पर हैरानी सी हुई, शायद रागिनी की को भी हुई होगी।
असलम ने कहा “नहीं , क्यों?”
संदीप बोला, “नहीं ऐसे ही।”
दोनों सांड दोनों गायों की चुदाई में मस्त हो गए। तभी असलम वही बातें बोलने लगा जो उसने मेरी चुदाई के वक़्त बोली थी। शायद उन बातों से आने वाला मजा याद आ गया होगा।
असलम बोल रहा था, “क्या मस्त फुद्दी है रागिनी जी। पूरा लंड जकड़ा पड़ा है फुद्दी में। आज रगडूंगा रागिनी जी आपको मस्त चूत फुला दूंगा आपकी। क्या मस्त चूतड़ झटका रही हैं आप, क्या टट्टे भी लेने हैं अपनी फुद्दी में?
रागिनी चुप थी, संदीप भी चुप था, सोच रहे होंगे ये क्या हो रहा था? पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद रागिनी की चूत का पानी छूट गया। रागिनी ने एक जोरदार सिसकारी ली, “आह असलम मजा ही आ गया।” और रागिनी ढीली हो गयी।
असलम ने गधे के लंड जैसा लंड रागिनी की चूत में से निकाला और जा कर सोफे पर बैठ गया। जाते-जाते असलम रागिनी से बोला, “रागिनी जी अभी आता हूं। रागिनी ने अधखुली आखों से असलम को देखा और “हां” में सर हिला दिया।
असलम ने बियर का केन उठा और एक ही घूंट में खाली कर दिया। असलम उठा और फ्रिज में से बियर का दूसरा केन ले आया। तभी मेरी चूत भी पानी छोड़ गई। मेरे मुंह से भी निकला, “संदीप आ गया मजा मुझे।”
संदीप ने भी अपना मोटा खड़ा लंड मेरी चूत में से निकाला कुर्सी पर बैठ कर अपने गिलास में से जिन की चुस्कियां लेने लगा और असलम से बोला, “यार असलम तुमने तो कमाल कर दिया चुदाई में।” शायद उसका इशारा असलम की की हुई बातों से था।
रागिनी को तो असलम ही कह गया था, “रागिनी जी अभी आता हूं।” मुझे भी पता था संदीप फिर चढ़ेगा मेरे ऊपर।
चार-पांच घूंट भरने के बाद संदीप उठ गया और असलम से बोला, “असलम अब की चुदाई में सवारी की अदल-बदल भी करेंगे। अभी तू मैडम की चुदाई कर। मैं रागिनी जी को रगड़ता हूं।”
मैंने जब संदीप से कही बात ये सुनी, “असलम अब की चुदाई में सवारी की अदल-बदल भी करेंगे” तो मुझे समझ आया क्यों संदीप ने असलम से पूछा था कि “असलम तुम्हारा लंड जल्दी पानी तो नहीं छोड़ता।” रागिनी ने भी मेरे तरफ देखा और मुस्कुरा दी – शायद कहना चाह रही हो, “मालिनी जी आज आने वाला है असली चुदाई का मजा।”
संदीप रागिनी के ऊपर चढ गया और असलम मेरे ऊपर आ गया। असलम ने मुझे बाहों में जकड़ लिया, और चूत में धक्के लगाते-लगाते बोलने लगा ,”मैडम क्या मस्त चूत है। जरा जोर से चूतड़ झटकाओ।”
मैंने ये सुना तो मैंने भी चूतड़ घुमाते हुए बोल दिया, “मस्त लंड तो जा रहा है असलम मेरी चूत में अब क्या खुद भी घुसेगा इसमें?” इतना सुनना था कि असलम बोला, “मैडम आज फुद्दी में ना भी घुसा तो भी टट्टे तो फुद्दी में डाल ही दूंगा।” ये कह कर असलम ने जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
लगता है अब संदीप से नहीं रहा गया। वो भी रागिनी से बोला, “रागिनी जी आप भी तो चूतड़ घुमाईये।” रागिनी भी उसी लय में बोली, “क्यों संदीप क्या तुमने भी अपनी टट्टे मेरी फुद्दी में घुसेड़ने है?”
माहौल अब चुदाईमय हो चुका था और सब चुदाई वाली भाषा बोलने भी लग गए थे। इस दूसरे दौर की चुदाई में तो हमारे चूतड़ ऐसे ऊपर-नीचे हो रहे थे, जैसे चुदाई असलम और संदीप नहीं, हम कर रही हो। जल्दी ही असलम उठ गया और संदीप से बोला, “संदीप अब मुझे रागिनी को चोदने दो।”
संदीप रागिनी के ऊपर से उतरा और मेरे ऊपर आ गया। असलम रागिनी के ऊपर चला गया। मैंने संदीप की झिझक उतारने के लिए कहा, “संदीप तुझे भी टट्टे फुद्दी में घुसेड़ने हैं क्या?”
संदीप बोला, “मैडम आप कहेंगी तो टट्टे तो क्या मैं खुद भी आपकी चूत में घुस जाऊंगा।
ये चुदाई भी दस बारह मिनट ही चली, और असलम, संदीप रागिनी और मैंने हल्की फुल्की बातें भी शुरू कर दी। लेकिन हम अभी रंडी रांड तक नही पहुंचे थे। हम दोनों फिर झड़ गयी। दोनों संदीप और असलम ने लंड हमारी चूतों में से निकाल लिए और हमारे ऊपर से उठ गए। हैरानी की बात थी की दोनों सांड अभी भी खड़े लंड लिए घूम रहे थे।
दोनों चूतिये हमारे ऊपर से उतरे और जा कर अपना अपना ड्रिंक उठा कर बैठ गए। संदीप कुर्सी पर बैठ गया और असलम सोफे पर बैठ गया। हम भी कुछ देर के बाद उठे और जा कर अपना अपना गिलास उठा लिया।
संदीप असलम से बोला, “असलम दोनों गायें मस्त चुदाई करवाती हैं। जन्नत का मजा आने वाला है आज। अब अगला दौर अब पीछे से चोदने का चलेगा। चूत और गांड दोनों। ठीक है?”
असलम हंसते हुए बोला, “बिलकुल ठीक संदीप जी।”
संदीप बोला, “यार असलम अब ये संदीप जी संदीप जी मत बोलो, यहां हम दोनों एक जैसे चूतिये हैं।” ये कह कर संदीप अपनी ही बात पर हंस पड़ा। हंसी तो असलम, रागिनी की और मेरी भी छूट गयी – क्या बोला ये संदीप “चूतिये।”
और फिर संदीप बोला, “और असलम वो सवार के अदल-बदल मत भूलना। दोनों चूतों को दोनों गांडो को दोनों लंडों का मजा आना चाहिए।”
ये सुन कर मैंने हंसते हुए कहा, “और ये भी तो कहो सालो दोनों लंडों को दोनों चूतों का और दोनों गांडो का मजा आना भी आना चाहिए। हमे मजा आएगा तो क्या तुम सूखे ही रहोगे?”
एक बार फिर सब की हंसी छूट गयी।
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