पिछला भाग पढ़े:- सड़क पर हुई पत्नी की अदला बदली-1
आदमी: उसकी दुकान तो थोड़ी दूर पर है, लेकिन वो घर में भी काम करता है। अगर आपकी क़िस्मत बढ़िया होगी तो वो आपका काम कर देगा।
विनोद ने उसे 500 का एक नोट निकाल कर दिया।
विनोद: धन्यवाद भाई। ये लो 500, मेरी तरफ़ से तुम्हीं एक बार उसे और चोद लो।
आदमी: हम मज़दूर लोग हैं। घरवाली से मिले चार महीना हो गया है। कभी-कभी रंडियों को चोद कर दिल बहला लेते हैं। लेकिन ये साली बेकार है, बहुत ही घिसी पिटी रंडी है।
रुपया लेकर वो आदमी चला गया। उस आदमी ने जिस घर की ओर इशारा किया था, विनोद वहां पहुंच गया। बाहर में गाड़ी के कुछ टायर, टूटा-फूटा पार्ट्स देख कर विनोद को संतोष हुआ कि वो सही जगह पर आया था। घर के अंदर से औरत और मर्द की बातें सुनाई पर रही थी।
औरत: कल हमारा निकाह हुआ। सुबह-सुबह तुम मुझे यहां लेकर आ गये। सभी क्या बोलते होंगे कि आसिफ़ को एक नई माल दिखी और उसे लेकर भाग गया। तेरी ही बेगम हूं यार, कहीं भाग नहीं रही। कितना रगड़ोगे? सुबह से 7 बार लगा चुके हो। मेरे बदन को थोड़ा आराम दो।
औरत की मीठी आवाज़ सुन कर ही विनोद का दिल अनदेखी औरत पर आ गया। उसने इधर-उधर देखा। एक खिड़की से रोशनी आती हुई दिखाई दी। विनोद खिड़की के पास गया और खिड़की के एक पल्ले को धीरे से खींचा। अंदर का नजारा देखते ही कपड़े के नीचे विनोद का लंड फड़क उठा।
खिड़की के ठीक सामने एक चौकी पर दोनों औरत और मर्द बिल्कुल नंगे थे। बूर से रस की बूंदे निकल रही थी। बूर के रस से लंड भी चमक रहा था। लंड ने ज़रूर बूर में पानी छोड़ा होगा। लंड ढीला हो गया था। लंड ढीला था फिर भी देखने में बढ़िया लग रहा था। जैसा रंडी ने कहा था मर्द क़रीब 50 साल का था और औरत बहुत ही कमसिन और जवान थी।
मर्द नाटा था, 5 फ़ीट 5 इंच लंबा होगा, लेकिन गठीला बदन था। जांघें मोटी और सख़्त दिख रही थी, लेकिन लड़की की चिकनी और मस्त जांघें और 32 इंच की कमसिन चूचियों को देख कर विनोद इस औरत को चोदने के लिए तड़प उठा। रंडी ने ठीक ही कहा था कि आसिफ़ की नई बेगम ग़ज़ब की खूबसूरत थी।
विनोद ने दरवाज़े पर नॉक किया और 2 बार ज़ोर-ज़ोर से आसिफ़-आसिफ़ बोला। तुरंत ही दरवाज़ा खुला। आसिफ़ ने कमर में एक लुंगी लपेट लिया था, और उसकी बेगम ने गर्दन तक अपने को एक चादर से ढक लिया था।
विनोद: मुझे माफ़ कीजिएगा, इतनी रात में आप लोगों को तकलीफ़ दे रहा हूं। थोड़ी ही दूर पर मेरी कार ख़राब हो गई है। प्लीज़ ठीक कर दीजिए।
आसिफ़ ने बार-बार मना किया। यहां तक कहा कि विनोद सुबह तक उसके घर में ही रहे।
विनोद: आसिफ़, अगर मुसीबत में नहीं होता तो तुम्हें इतनी रात को तकलीफ़ नहीं देता। कार में मेरी पत्नी है।
विनोद बात तो आसिफ़ से कर रहा था, लेकिन बार-बार उसकी नज़र थोड़ी ही दूर पर लेटी औरत पर जाती थी। विनोद ने जब यह कहा कि कार में उसकी पत्नी बैठी थी, तो औरत ने झटके से अपने ऊपर से चादर को हटाया। क़रीब आधा मिनट उसने अपनी चूचियों को खुला रखा फिर चादर से ढक दिया।
औरत: इतनी रात में रोड पर किसी औरत को नहीं रहना चाहिए। जाओ साहब के साथ जा कर देख लो कि कार में क्या प्रॉब्लम है।
औरत ने अपने पति को विनोद के साथ जाने कहा। लेकिन विनोद को औरत बहुत पसंद आ गई थी। वो उसे चोदना चाहता था। विनोद ने अपने बैग से एक नोटों का बंडल निकाला।
विनोद: आसिफ़, ये दस हज़ार है रख लो।
आसिफ़: साहब, पहले ये तो देखने दीजिए कि कार में हुआ क्या है।
विनोद ने उसकी बात काटी।
विनोद: ये दस हज़ार कार के काम के लिए नहीं दे रहा हूं। मुझे तुम्हारी बेगम बहुत पसंद आ गई है, मैं उसके साथ कुछ समय अकेले रहना चाहता हूं।
आसिफ़ एक टक विनोद को देखता रहा। आसिफ़ ने सही सोचा कि यह शहरी जवान आदमी उसकी बेगम को चोदना चाहता था। औरत को भी विनोद पहली ही झलक में पसंद आ गया था। जिस तरह के मर्द का सपना वह बचपन से देखती आई थी, विनोद बिल्कुल वैसा ही मर्द था।
विनोद की हिम्मत उसे बहुत ही ज़्यादा पसंद आ गई थी। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई आदमी किसी दूसरे आदमी से इस तरह से सीधा उसकी बीवी को चोदने की बात करेगा। औरत को लगा कि आसिफ़ शायद विनोद का खून कर देगा।
लेकिन आसिफ़ एक बुत जैसा विनोद को देख रहा था। अपने कानों से सुन कर भी उसे विश्वास नहीं हो रही था कि कोई इस तरह सामने से उसकी बीवी को चोदने के लिए रुपया देगा।
उसने भी 200-300 में कई रंडियों के चोदा था, लेकिन एक चुदाई के लिए 10 हज़ार तो बहुत ही ज़्यादा थे। आसिफ़ ने अपनी बेगम की तरफ देखा। औरत ख़ुद इस खूबसूरत नौजवान से चुदवाना चाहती थी।
औरत: 10 हज़ार हमारे लिए बहुत बड़ी रकम है। तुमने इससे कम रकम के बदले मेरे अब्बू से मेरा सौदा किया। तुम कार को ठीक करो। तब तक मैं इस साहब का ध्यान रखती हूं।
औरत भी विनोद के साथ चुदाई के लिए बेताब थी। आसिफ़ ने विनोद के हाथ से रुपया लेकर औरत के हाथ में दिया और औरत ने रुपये को साईड टेबल पर रख दिया। विनोद ने आसिफ़ को कार की चाबी दी, और सब कुछ समझाया कि कार कहां खड़ी की थी, तमन्ना देखने में कैसी थी सब बताया।
विनोद: आसिफ़, मेरी पत्नी तमन्ना भी बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत है, लेकिन तुम्हारी पत्नी से बहुत ही कम।
आसिफ़: विश्वास रखिए साहब। मेरी पत्नी ने आपको पसंद कर लिया है। लेकिन मैं आपकी घरवाली को हाथ भी नहीं लगाऊंगा।
आसिफ़ ने एक कुर्ता पहना और और एक बड़ा सा टूल बॉक्स लेकर अपने घर से बाहर चला गया। औरत बेड पर ही लेटी रही। विनोद ने रुम का दरवाज़ा बंद किया, और चौकी पर लेटी हुई औरत के बग़ल में बैठ गया।
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