सड़क पर हुई पत्नी की अदला बदली-1

विनोद और तमन्ना बचपन के दोस्त थे। उम्र बढ़ती गई और दोस्ती प्यार में बदल गई। कॉलेज में आये तो दोनों ने चुदाई भी शुरु कर दी। दोनों ने एक ही कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, और साथ ही एक ही कम्पनी में नौकरी भी शुरु की।

दोनों बिना शादी किए साथ रहने लगे, और किसी भी दूसरी ब्याहता जोड़े की तरह ज़िंदगी गुज़ारने लगे। बेचारे घर वाले क्या करते? दोनों की शादी कर दी। एक साल गुज़रते-गुज़रते दोनों के परिवार वालों ने भी इन्हें अपना लिया। विनोद और तमन्ना खुद बढ़िया कमाते ही थे, दोनों का परिवार बहुत अमीर भी था। दोनों गुड़गांव के एक बहुत ही रेप्युटेड कंपनी में सॉफ़टवेयर इन्जीनियर थे।

एक तरफ़ विनोद के बाबू जी तमन्ना को लाईन मारते थे। उन्होंने दो-तीन बार खुल कर बहु से कहा भी था कि वो उसे चोदना चाहते थे। लेकिन बहु ने मुस्कुरा कर टाल दिया था। दूसरी तरफ़ विनोद की सास और दोनो सालियां भी घर के दामाद से चुदवाने के लिए बेताब थी। लेकिन पति और पत्नी में से किसी ने एक दूसरे को चीट नहीं किया। शादी का दो साल ख़ुशी-ख़ुशी गुजर गया।

तमन्ना तो तमन्ना, विनोद भी बहुत ही खूबसूरत नौजवान था। विनोद का बदन कसरती था। बचपन से ही उसे खेल-कूद और तैराकी का बहुत शौक़ था। उपर से ईश्वर की कृपा भी थी। 5 फ़ीट 10 इंच लंबा था। गोरा चमकता रंग, मुस्कुराहट से भरा हुआ चेहरा और आंखें उसे और भी खूबसूरत बनाती थी। सिर्फ़ लड़कियां ही नहीं, सैकड़ों शादी-शुदा औरतें उसके साथ चुदवाने के लिए बेताब रहती थी। लेकिन एक तमन्ना के अलावा विनोद ने किसी और की ओर देखा भी नहीं।

तमन्ना भी ग़ज़ब की खूबसूरत थी। 5 फ़ीट 6 इंच लम्बी, गुलाबी-पन लिए हुए गोरा रंग, बड़ी-बड़ी काली आंखें, गोलाई लिए हुए कंधे, लंबी गर्दन, कसी हुई आकर्षक ऊपरी बाहें और मांसल 34 इंच की चूचियों के साथ आकर्षक चेहरा हर एक मर्द को दिल का दर्द देता था। ऐसा कोई मर्द, चाहे उसका अपना सगा भाई हो या बाप, हर कोई तमन्ना को चोदना चाहता था। लेकिन तमन्ना ने किसी और को कभी लिफ़्ट नहीं दिया।

अपनी 19 वीं जन्म दिवस की रात उसने विनोद से अपनी चूत का उद्घाटन करवाया और फिर दोनों लगातार चुदाई करने लगे। विनोद का सिर्फ़ बाहरी शरीर ही खूबसूरत नहीं था, सात इंच से ज़्यादा लंबा और मोटा लंड भी बहुत बढ़िया काम करता था। हर चूदाई में तमन्ना को पूर्ण संतुष्टि प्रदान करता था। लेकिन एक रात में ही दोनों के बीच का 20-21 साल का पुराना प्यार बिल्कुल ख़त्म हो गया।

फ़रवरी का महिना था। विनोद अपनी पत्नी को लेकर एक कॉमन दोस्त की शादी में मेरठ गया था। शुक्रवार की रात में शादी हुई और दोस्तों के संग हुड़दंग में तीन दिन गुजर गये। मेरठ से गुड़गांव की दूरी 175 किलोमीटर है और कार से आराम से ड्राईव कर साढ़े तीन-चार घंटा में पहुंचा जा सकता है। उपर से उस रास्ते में हमेशा बढ़िया ट्रैफ़िक रहती है। इसलिए डर की भी बात नहीं थी।

रात का खाना खाने के बाद दोनों अपनी कार से रात क़रीब 11 बजे मेरठ से निकले। ढाई घंटे की ड्राइव में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई। क़रीब चालीस किलोमीटर और जाना था। अचानक कार में एक अजीब तरह की आवाज़ आने लगी।

तमन्ना: मुझे लग रहा है कि कार में कोई मेजर प्राब्लम हो गई है। मेन रोड से हटा कर किसी साईड रोड पर ले लो। देख लेते हैं कि क्या प्रॉब्लम है।

विनोद ने पत्नी की बात मानी और धीमी स्पीड में चलाते हुए कार को एक साइड रोड पर ले लिया। साइड रोड पर एक-डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद कार डेड हो गई। कार इगनिशन तो ले रही थी लेकिन आगे नहीं बढ़ रही थी। दोनों ने बहुत कोशिश की लेकिन बेकार। बोनेट खोल कर भी देखा लेकिन प्रॉब्लम समझ नहीं आया।

विनोद: रानी, आधी रात से ज़्यादा हो गया है। चलो पिछली सीट पर मस्ती मारते हैं। दो राउंड चुदाई करेंगे तो सुबह हो जाएगी।

तमन्ना ने कपड़े के उपर से ही लंड को ज़ोर से दबाया।

तमन्ना: शादी करिश्मा की थी, लेकिन बहनचोद तुमने तीन दिन में मुझे 11 बार चोदा। यार कुछ तो इस कमजोर लड़की पर रहम करो। दोपहर में कितना रगड़ा कि बूर अब तक जल रही है। ये बैग ( रुपया से भरा ) लो और रोड पर जा कर देखो कि कोई मेकैनिक हैं कि नहीं। अब घर जा कर आराम करेंगे तभी शांति मिलेगी।

लेकिन विनोद अपनी खूबसूरत पत्नी को अकेले छोड़ कर नहीं जाना चाहता था।

तमन्ना: क्या विनोद! पिछले 10 साल में तुमने कम से कम पांच हज़ार बार अपना लंबा और मोटा लंड मेरी बूर में पेला होगा। तुम्हें डर है कि अनजान जगह पर, सुनसान रात में कोई मुझे चोद लेगा। चोद ही लेगा तो क्या फ़र्क़ पड़ेगा। तुम्हारी प्यारी घरवाली की जवानी में कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। दूसरा चोदेगा उसके बाद भी मेरी बूर तुम्हारे लंड को वैसा ही मज़ा देगी जैसा पहले देती थी।

विनोद: तमन्ना, तू कैसे इतना गंदा बोल सकती है? तू कितना भी चाहेगी किसी दूसरे का लंड तेरी बूर में घुसने के लिए खड़ा ही नहीं होगा। खिड़की, दरवाज़ा बंद कर अंदर ही रहना।

रुपया वाला बैग लेकर विनोद मेन रोड की तरफ़ चला गया। आस-पास की सभी दुकानें बंद थी। इधर-उधर देखने के बाद उसे औरत और मर्द के बातें सुनाई दी। कुछ ही दूर जाने पर देखा कि एक दीवार के पीछे एक आदमी एक औरत को चोद रहा था, और दूसरे दो अपना अपना लंड सहलाते हुए औरत के बदन को सहला रहे थे। औरत ने विनोद को देखा।

औरत: इन दोनों के बाद ही तुम्हारा नंबर आयेगा। तीन सौ रुपया लगेगा।

औरत कोई रंडी थी।

विनोद: तुम बहुत सुंदर हो लेकिन अभी मैं एक परेशानी में हूं। कुछ दूर पर मेरी कार ख़राब हो गई है। आस-पास कोई मैकेनिक है क्या?

काफ़ी अंधेरा था। विनोद को औरत में कोई दिलचस्पी नहीं थी।

एक आदमी: यहां आस-पास कोई वर्कशॉप या गाड़ी ठीक करने की दुकान नहीं है। लेकिन थोड़ी ही दूर पर एक बहुत ही बढ़िया मेकैनिक रहता है।

औरत मस्ती की आवाज़ निकालते हुए चुदवा भी रही थी, और विनोद की बातें भी सुन रही थी।

औरत: आसिफ़ आज सुबह ही अपनी नई बेगम को लेकर आया है। सुना है कि बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत तो है ही आसिफ़ से तीस साल छोटी है। वो अपनी नई बेगम की बूर चाटेगा कि रात में कहीं और जायेगा? साहब, मेरे साथ रहो, 500 दे देना, जो बोलोगे सब करुंगी।

लेकिन विनोद ने उनसे कहा कि वे उसे आसिफ़ का घर दिखा दे। जो चोद रहा था वो झड़ गया। कुछ मिनट बाद खड़ा हुआ तो तुरंत दूसरे आदमी ने बूर में लंड पेल दिया। जिसने चुदाई कर ली थी वो विनोद के साथ थोड़ी दूर आया और उसे एक घर दिखाया।

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