पिछला भाग पढ़े:- मेरी खूबसूरत पत्नी को अकेले रहना पसंद नहीं-13
अंजली ने अपने पति से कहा कि वो सलमान दर्ज़ी को लेकर अंदर रुम में ट्रायल देने जा रही थी।
अंजली: हमें तंग करने की, रुम में आकर तांक-झांक करने की ज़रूरत नहीं है।
आनंद देखता रहा और उसकी पत्नी दर्ज़ी का हाथ पकड़ कर दूसरे बेडरूम में ले गई, और दरवाज़े को अंदर से बंद कर दिया। यह देख कर आनंद को विश्वास हो गया कि अंजली ने पिछले ही दिन ज़रूर ही दर्ज़ी से चुदवा लिया था। ग़ुस्सा आने के बदले वो अपनी घरवाली की किसी दूसरे आदमी के साथ की चुदाई देखने के लिए तरस उठा।
उसने क़रीब 10 मिनट इंतज़ार किया। आनंद यही सोचता रहा कि अंजली और दर्ज़ी की चूदाई कैसे देखें, और सुबह जैसा कैसे दर्ज़ी के सामने भी घरवाली को चोदे। दूसरे के सामने अपनी घरवाली की चुदाई की बात सोच कर आनंद बहुत एक्साइट हो गया। जैसा उसने सुबह में केडिया, बल्लू और माया के सामने अंजली को चोदा था, वो अब दर्ज़ी के सामने भी अपनी घरवाली को चोदना चाहता था। फिर उसने उसी रुम के दरवाज़े पर नॉक किया, जिसमें दर्ज़ी को लेकर अंजली गई थी।
अंजली: चाचा, मुझे तुम्हारा लंड भी बहुत पसंद आया था, और तुम्हारा बदन भी। तुम सिर्फ़ बूर में लंड पेलना जानते हो, लेकिन तुम्हें औरत को खुश करना नहीं आता है। दिखाओ मेरे लिए क्या ड्रेस लाये हो।
अंजली ने कहा तो दर्ज़ी ने अंजली को नंगा कर दिया, और एक हाथ से बूर को मसलते हुए एक चूची के निप्पल को चूसने लगा। दर्ज़ी अपना काम कर रहा था, और अंजली ने पजामे का नाड़ा खोला तो पजामा नीचे चला गया।
अंजली: लगता है कि दुकान में जितनी भी माल आती है, सभी को अपना ये घंटा दिखाते हो।
दर्ज़ी ने चूची को चूसना बंद कर अंजली को अपनी बांहों में कस कर बांधा।
दर्ज़ी: मैडम, आपने अपनी मस्त और खूबसूरत जवानी दिखा कर मुझे बर्बाद कर दिया है। पिछले दिन आपको चोद कर गया तो देखा कि दुकान में बहुत भीड़ थी। फिर भी मैंने किसी की ओर नहीं देखा। अपने भाई से कहा कि मेरी तबियत सुस्त है, वहीं सब का नाप लेले। और मैंने डिज़ाइन देख कर आप के लिए ये दो ड्रेस बनायी। पहन कर दिखाओ कि कैसा बना है।
अंजली: दिखाऊंगी, लेकिन पहले मुझे मेरा प्यारा आईसक्रीम खाने दो।
अंजली ने दर्ज़ी को भी नंगा किया, और अपने घुटने का सपोर्ट लेकर बैठी। अंजली ने दर्ज़ी के घुटना से शुरु कर उपर लंड तक चाटना शुरु किया। लंड को सहलाते हुए उसके अंदरूनी जांघों को चाटने लगी।
दर्ज़ी: मैडम ये ग़लत है। बहुत गंदा है। औरत और मर्द को सिर्फ़ चुदाई ही करनी चाहिए। बूर में लंड पेलना ही प्यार है।
अंजली दोनों हाथों से लंड को पकड़ कर मसलने लगी।
अंजली: चाचा, ये सब बेकार की बात है। औरत और मर्द के बीच असल मज़ा तब ही आता है, जब औरत किसी घटिया से घटिया रंडी जैसा व्यवहार करें, और आदमी असल कुत्ते जैसा बूर को चूसे चाटे और घोड़ा जैसा चोदे। एक काम करो, आज तुम मेरे साथ जो जैसा करते हो करो, और परसों अपनी किसी बेटी या बेगम को लेकर यहां आओ। मैं विश्वास से कह सकती हूं कि तुम कितना भी बढ़िया चोदते हो, फिर भी तुम्हारी सभी घरवालियां भी और तुम्हारी बेटियां भी दूसरों से चुदवाती होंगी।
अंजली: चलो, तुम्हें लंड चुसवाना पसंद नहीं है तो नहीं चूसूंगी, लेकिन तुम मुझे तब ही चोद पाओगे जब तुम अपनी किसी बेगम या बेटी को मेरे पति से चुदवाओगे। मुझे ड्रेस ट्रायल करवाओ और वापस जाओ।
तभी दरवाज़ा पर नॉक हुआ। अंजली ने तुरंत दरवाज़ा खोल दिया। टॉवेल पहने हुए आनंद अंदर घुसा। आनंद को दर्ज़ी का फनफनाया हुआ लंड देख कर बहुत ख़ुशी हुई।
आनंद: चाचा, वाह बहुत ही बढ़िया लंड है। ज़रूर कॉलेज की सभी लड़कियों ने तुमसे चुदवाया होगा, चुदवाती होंगी।
आनंद को रुम के अंदर देख कर दर्ज़ी घबरा गया, और उसका लंड ढीला होने लगा। अंजली ने तब भी लंड पकड़ा ही हुआ था।
अंजली: क्या आनंद, तुम को अंदर आने से, डिस्टर्ब करने से मना किया था। तुम्हें देख कर मेरा ये प्यारा लंड ढीला हो गया है। अब तुम्हें ही मेरी गर्मी ठंडी करनी होगी।
बोलते हुए अंजली ने आनंद के टॉवेल को खींच कर दूर फेंक दिया। अपने पति का लंड देख कर अंजली उछल कर खड़ी हो गई। उसे यह देख कर ख़ुद ही आश्चर्य हुआ कि जिस आदमी के चुदाई से वह कभी खुश नहीं हुई थी, उसका लंड दूसरे आदमी के सामने चोदने के लिए पूरा तैयार था। अंजली ने दर्ज़ी के लंड को एक बार चूस कर छोड़ दिया।
अंजली: चाचा, तुम वह सब नहीं करना चाहते हो जो मुझे पसंद है तो बैठ कर देखो कि आज-कल की औरतों को कैसे खुश किया जाता है। आनंद, मुझे वैसा ही प्यार करो जैसे सुबह में माया और मुझे किया था। तुम्हें मालूम है कि तुम्हारी इस कुतिया को क्या पसंद है क्या नहीं।
अंजली बोल रही थी और दर्ज़ी का लंड बिल्कुल ही ढीला हो गया था। आंखो से देख कर भी उसे विस्वास नहीं हो रहा था कि कोई औरत इस तरह अपने पति और दूसरे के सामने इस तरह नंगी रह सकती थी। दूसरे आदमी के सामने पति को चोदने के लिए बोल रही थी।
आनंद यही तो चाहता था। सुबह उसने देख लिया था कि दूसरे के सामने उसकी चोदने की शक्ति और स्टैमिना दोनों बहुत बढ़ जाता है। माया को तीन बार चोद कर खुश किया ही था, दो दूसरे आदमियों के सामने आनंद ने घरवाली को लगातार एक घंटा से ज़्यादा चोदा था। जबकि बल्लू 10 मिनट भी नहीं चोद पाया था।
अंजली बेड पर लेट गई और उसने दर्ज़ी के ढीले लंड को पकड़ कर अपनी ओर खींचा। दर्ज़ी को समझ नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे! ना तो वह इतनी ख़ूबसूरत औरत से दूर होना चाहता था, ना ही उसे यह पसंद आ रहा था कि चुदवाने के बदले अंजली उसे लंड चुसवाने और बूर चटवाने की बात कर रही थी।
35 साल से चूदाई कर रहा था। लेकिन ना कभी किसी ने बूर ही चाटने कहा था, ना ही किसी ने लंड ही चूसा था। उसे तो यह भी याद नहीं था कि अंजली से पहले कोई दूसरी औरत इस तरह पूरी तरह से नंगी हुई हो।
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