पिछला भाग पढ़े:- मेरी खूबसूरत पत्नी को अकेले रहना पसंद नहीं-14
आनंद ने होंठों को चूसा और चूचियों को सहलाते हुए धीरे-धीरे अंजली के अंग-अंग को सहलाया, चाटा। आनंद अपनी घरवाली की जवानी का मज़ा ले रहा था, और अंजली ढीले लंड को अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगी।
अंजली: चाचा, ऐसे क्या देख रहे हो? परसों अपनी किसी बेगम या बेटी को यहां लेकर आओ। आनंद उसके साथ यही सब करेगा जो अभी मेरे साथ कर रहा है। अगर तुम्हारी बेटी को यह सब पसंद नहीं आया, तो मैं पूरे एक महीने तुम्हारे घर में रहूंगी। तुम चोदो या जिससे भी चुदवाओगे रात दिन चुदवाती रहूंगी। आनंद बूर को चूसेगा-चाटेगा, तुम चूचियों को चाटो-चूसो। मैं तुम्हारे घर के औरतों को भी और मर्दों को भी सिखाऊंगी, कि चुदाई का असल मज़ा क्या होता है। कैसे मस्ती मारी जाती है।
इतना बोलने के बाद दर्ज़ी के लंड को पकड़ कर, चुभला-चुभला कर चूसने लगी। लेकिन सलमान दर्ज़ी का ध्यान इस पर नहीं था कि अंजली उसका लंड कैसे चूस रही थी। वो यह देख रहा था कि आनंद कैसे अपनी घरवाली के नंगे बदन को सहलाते हुए बूर को चाट रहा था, अंदर-बाहर चूस रहा था। बीच-बीच में आनंद अपना मुंह उपर उठा कर बूर की फांकों को पूरा फैला कर दर्ज़ी को दिखाता भी था।
आनंद: चाचा देख लो औरत की चूत असल में कैसी होती है। देखो, अंदर का माल कितना रसीला और गुलाबी है। तुम्हारी बेगम ही नहीं तुम्हारी बेटियों की चूत भी ऐसी ही मस्त होगी। मेरी घरवाली तुमसे चुदवायेगी ही, तुम जब चाहो आकर इसे चोदो। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे घर में जितना भी तुम्हारी बेटियां है, भाई की बेटियां हैं, उन सब को तुमसे चुदवा दूंगा।
आनंद: बस एक बार तुम उन्हें यहां ले आओ। एक बात याद रखो, दूसरे की घरवाली को, अंजली जैसी खूबसूरत माल को चोदने में मज़ा आता ही है, अपने घर की औरतों को अपने सामने दूसरों से चुदवाते देखने में उससे ज़्यादा मज़ा आता है।
आनंद प्रैक्टीकल कर दर्ज़ी को दिखाता रहा कि बूर में कहां चाटते हैं, किस हिस्से को चूसते हैं, और किस हिस्से को सहलाते और मसलते हैं। आनंद ने भी वही कहा जो आनंद के रूम में आने के पहले अंजली ने कहा था।
आनंद: चाचा, मेरी घरवाली मेरे बढ़िया चुदाई करने के बाबजूद भी दूसरे से, अपने बाप से बड़ी उम्र के आदमी, तुमसे चुदवाती है। ना-ना मत करो, पिछले दिन तुम इस औरत का नाप लेने आये थे, तभी तुम दोनों ने ज़रूर चुदाई की होगी। ख़ैर डरो मत, मैंने कहा ना तुम जब चाहो आकर इस कुतिया को चोद सकते हो। वैसे ही तुम्हारे घर की सभी औरतें दूसरों से ज़रूर ही चुदवाती होगी।
आनंद अंगुलियों से घरवाली की बूर को कुरेद रहा था।
आनंद: रंडी, रात में तीन बार चोदा, सुबह से अब तक तुम तीन बार चुदवा चुकी हो। फिर भी रंडी तेरी बूर इतनी टाईट कैसे रहती है?
दर्ज़ी ने मान लिया कि उसने पिछले दिन अंजली को चोदा था।
दर्ज़ी: साहब, आपने ठीक ही अनुमान लगाया कि मैंने आपकी घरवाली को कल चोदा था। मेरा चौथा निकाह 2 साल पहले ही हुआ है। साहिना आपकी अंजली से दो-तीन साल छोटी ही होगी। उसकी बूर भी इतनी टाईट नहीं है, जितनी टाईट आपकी घरवाली की बुर है।
आनंद: अब तुम ये भी पता लगाओ कि तुम्हारी चारों बेगम और बेटीयां किससे चुदवाती है। हो सकता है कि सभी एक ही आदमी से, केडिया जैसे आदमी से चुदवाती हो।
आनंद का लंड बहुत देर से फनफना रहा था। उसने अंजली के उपर अपनी पोज़ीशन ली। आनंद के एक कंधे को पकड़ कर लंड को बूर में दबाया और दना-दन पेलने लगा। कुछ देर तीनों चुप रहे। अंजली क़रीब 20 मिनट से दर्ज़ी के लंड को चुभला रही थी। लंड पूरे फार्म में आ गया था। अपनी पूरी लंबाई 8.3 इंच लंबा हो गया था। लंड को मुंह में रख कर चुभलाने में अंजली को दिक्कत हो रही थी।
अंजली ने फिर भी लंड को अपने मुंह में दबाये रखा। अब दर्ज़ी भी आराम से चूचियों को मसल रहा था, सहला रहा था। अंजली को चुदाई का मज़ा मिलने लगा तो उसने लंड को मुंह से बाहर निकाल दिया। आनंद को अपनी बाहों में बांध मस्ती की सिसकारी मारने लगी। यह पहला मौक़ा था जब दर्ज़ी किसी की चुदाई देख रहा था और अचानक उसने एक चूची दबाते हुए दूसरी चूची को चूसने लगा। ऐसे ही उसने दोनों चूचियों को बढ़िया से चूसा।
दर्ज़ी: 35 साल से चोद रहा हूं। पहली निकाह के पहले 5-7 औरतों को चोदा था। उसमें से तीन मेरी अपनी सगी चाची थी, और दो उनकी बेटियां। उनके अलावा 2 मेरे मामा की बेटियां भी मुझसे ही चुदवाती थी। सभी को मेरे लंबे लंड के साथ-साथ चूदाई भी बहुत पसंद थी। ये सभी अगले 12-13 सालों तक मुझसे चुदवाती रही। पहली दोनों बेगम को मेरे दूसरे रिश्ते के बारे में मालूम था। उन्होंने कभी मुझे किसी दूसरे को चोदने से मना नहीं किया। लेकिन वे दोनों भी घर के बाहर जाकर चुदवाती थी। मैंने बहुत पूछा लेकिन उन्होंने अपने यारों के बारे में नहीं बताया।
अपनी बात बोलते हुए दर्ज़ी बार-बार चूचियों को मसल रहा था। खूबसूरत बदन का मज़ा ले रहा था।
दर्ज़ी: क़रीब 15 साल पहले मेरा तीसरा निकाह नगमा के साथ हुआ। मैं उस समय 37 साल का था, और नगमा कुंवारी थी। सुहागरात को मैंने उसे दो बार चोदा। दूसरी चूदाई के बाद उसने कहा कि उसका एक यार है और मुझसे उसे अपनी दुकान में नौकरी देने कहा।
दर्ज़ी: मैंने उसे बहुत डांटा, बहुत समझाया। तब उसने मुझे धमकी दी कि अगर मैं उसकी बात नही मानूंगा तो वो सब को बता देगी कि मैं अपनी चाचियों और बहनों को चोदता हूं। जिन्हें मैं चोदता था, उसने सब का नाम भी बता भी दिया। मैं क्या करता उसके यार “बिहारी” को अपने यहां नौकरी पर रख लिया। उस पंडित के बेटे को मैं दिन में अपने दुकान पर दर्ज़ी की ट्रेनिंग देता था, और साला जब भी मौक़ा मिलता था, मेरी तीसरी बेगम नगमा को चोदता था।
दर्ज़ी: तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद ही बिहारी बढ़िया सिलाई करने लगा, और तीन महीने बाद बड़ी बेगम से हुई बड़ी बेटी ने कहा कि बिहारी घर की तीनों औरत यानी मेरी तीनों बेगम को चोदता था।
अंजली ने बल्लू और केडिया के सामने सुबह भी आनंद से चुदवाया था, और उसे पहली बार पति के साथ चुदाई बढ़िया लगी थी। दर्ज़ी के सामने भी आनंद अपनी पत्नी को बहुत मस्त कर रहा था।
अंजली: आज मैं समझ गई। जब तुम अकेले में मुझे चोदते हो तो तुम बढ़िया से नहीं चोद पाते हो। ना ही तुम्हारा धक्का ही इतना बढ़िया होता है जैसा अभी मार रहे हो, और ना ही तुमने पहले कभी इतना देर चोदा। सलमान चाचा, रविवार को ट्रायल लेने आओगे तो अपनी बेटी और बिहारी को साथ लेकर आना। आनंद और बिहारी तो तुम्हारी बेटी को चोदेंगे ही, मैं उस कुतिया को इतना पागल कर दूंगी कि तुम्हारी बेटी दूसरों के सामने अपने अब्बू से चुदवायेगी।
दर्ज़ी ने कई बार अंजली के होंठों को चूमा, निप्पलस को चूसा। आनंद को सही में दूसरे के सामने चोदने में ताक़त और स्टैमिना दोनों बढ़ जाती थी। चुदाई देखते हुए सलमान अंजली के नंगे बदन पर हाथ फेरता रहा, और उसका हाथ कई बार आनंद के लंड पर भी आया। बूर के रस से चिपचिपे लंड को दर्ज़ी ने दो बार दबाया भी।
दर्ज़ी: अब घर में मालूम है कि मेरी चारों बेगम एक ही आदमी, एक तीस-बत्तीस साल के आदमी पंडित से चुदवाती है। मेरे दो और भाई भी साथ ही रहते है। तीनों भाई की 7 बेटियां है, और पांच बेटे हैं। 7 बेटियों में 4 पूरी तरह से जवान हो गई है। मैंने बेगमों से कई बार पूछा, तो उन्होंने ख़ुदा की कसम खाकर कहा कि उनका यार घर की किसी बेटी को नही चोदता है।
दर्ज़ी: मैंने बिहारी से भी पूछा तो उसने कहा कि मेरे सभी बच्चों को वह अपना ही बच्चा समझता है। बिहारी कहता है कि जिन औरतों को वो चोदता है उनकी बेटियों को वह कभी नहीं चोदेगा। साहब क्या बोलूं, कई बार उसे दुकान से बाहर निकालना चाहा तो घर की औरतों ने ही नहीं, मेरी बेटियों ने भी मुझे रोक दिया। मेरे ख़ानदान की सभी बेटियां उसे पंडित चाचा बोलती है। हरामी मेरे दूसरे दोनों भाई के घरों की औरतों को भी चोदता है।
अंजली: तुमने कभी देखा नहीं कि एक घर की कई औरतें एक ही मर्द से क्यों चुदवाती है? जैसा साहब ने कहा है परसों बिहारी के साथ-साथ अपनी बेटी या छोटी बेगम को साथ लेकर आओ। हमारे साथ तुम भी देख लेना कि वो कैसा मर्द हैं जो शान से तुम्हारी घर की औरतों को चोदता है। क्या बिहारी का लंड तुमसे ज़्यादा लंबा या मोटा है?
दर्ज़ी: मैंने उसका लंड देखा नहीं है और बेगम से कैसे पूछूं कि उन्हें चोदने वाले का लंड कैसा है? आनंद साहब अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। आपने ख़ुद कहा कि सुबह से आप तीन बार चोद चुके हो। अब मुझे अपनी घरवाली को चोदने दो।
अंजली को दर्ज़ी की ये हिम्मत बहुत पसंद आई। फिर भी वो डील चाहती थी। वो जानती थी कि ये चाचा केडिया जैसा क़ीमत नहीं दे पायेगा, तो रुपये की जगह वो दर्ज़ी के घर की औरतों को आनंद से ही चुदवाना चाहती थी। उसके मन में यह भी लालच था कि अगर कोई क़ीमत लेकर चुदवाना चाहेगी, तो उसे केडिया के सामने नंगा करेगी।
अंजली: तुम जब भी आओ तुमसे चुदवाऊंगी, लेकिन हर रविवार को तुम्हें अपने घर की एक जवान औरत, तीस-पैंतीस साल से कम की औरत को मेरे सामने आनंद से चुदवाना होगा। तुमने ख़ुद देखा कि आनंद साहब कितना बढ़िया चोदते है।
दर्ज़ी: मैडम जो बोलेगी सब करूंगा। अभी पहले चोदने दो।
अंजली ने आनंद को धक्का दिया।
अंजली: आनंद, तुम मुझे लंड चुसाओ और काका तुम पहले दो मिनट मेरी बूर चाटो।
आनंद ने बूर से लंड खींचा। फचाक की आवाज़ से लंड बाहर निकला। अंजली ने लंड को जड़ से पकड़ लिया।
अंजली: देख रहे हो चाचा, इस लंड पर मेरी बूर के अंदर का रस और माल लगा हुआ है। इसे चाटने से मेरी बूर के अंदर के हिस्से का स्वाद मिलेगा। चलो एक काम करते हैं, चाचा तुम बूर से निकले आनंद का लंड चाटो और चूसो, और जब तुम मेरी बूर से लंड निकालोगे, तो साहब तुम्हारा लंड चाटेंगे। मैं मज़ाक नहीं कर रही हूं। बहुत ही बढ़िया स्वाद मिलेगा। 2 मिनट चूसो। अगर बढ़िया नहीं लगेगा तो फिर चूसने नहीं बोलूंगी।
दर्ज़ी: तुमसे ज़्यादा गंदी औरत पूरी दुनिया में कोई दूसरी नहीं होगी।
बोल कर दर्ज़ी ने माथा नीचे किया। आनंद के लंड को जड़ से पकड़ा और अंजली आंख फाड़ कर देखती रही। पहले तो चाचा ने लंड के चारों तरफ़ ही नहीं पूरी लंबी और गोलाई को चाटा, और फिर सुपारे को चूसने लगा। दोनों पति पत्नी देखते रहे, और चाचा ने लंड की पूरी लंबाई, साढ़े 6 इंच लंड को अपने मुंह में रख कर चूसा।
कुल मिला कर दर्ज़ी ने 12-13 मिनट लंड को चाटा और चूसा। लंड को मुंह से बाहर निकाल कर बूर को चाटना शुरू किया। पूरे प्यूबिक एरिया को चाटा, जैसा उसने आनंद के देखा था बूर के फांक को चीयर कर अंदर के गुलाबी माल को भी चाटा। चाचा ने बूर को भी 5 मिनट से ज़्यादा चूसा और चाटा।
दर्ज़ी: अब आप दोनों को बढ़िया लगे या ख़राब हर रोज़ तीन बजे आकर अंजली की बूर को चाटूंगा और जम कर चोदूंगा। ले रंडी, चाचा के लंड का मज़ा ले।
दर्ज़ी ने बोलते हुए ज़ोर का धक्का मारा और लगातार धक्का मारता रहा। पांचवें धक्के में 8 इंच की लंबाई बूर के अंदर घुस गयी।
अंजली: वाह चाचा, आज तो सच में मज़ा आ गया।
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