रजनी की चुदाई उसीकी जुबानी-14 – वाह करनाल
रजनी उकडू होकर उलटा लेट गयी और गांड उठा दी। अब मैंने उसके चूतड़ खोले,गांड का छेद लाल भी था और थोड़ा सी सूजन भी थी।
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रजनी उकडू होकर उलटा लेट गयी और गांड उठा दी। अब मैंने उसके चूतड़ खोले,गांड का छेद लाल भी था और थोड़ा सी सूजन भी थी।
“पप्प फच पट्ट — पप्प फच पट्ट — पप्प फच पट्ट — पप्प फच पट्ट — की संगीतमयी ताल के साथ क्या मस्त चुदाई हो रही थी मेरी ।
दीपक के लंड में से कुछ नमकीन नमकीन निकल रहा था। मैं तो चाटती जा रही थी जो भी ये नमकीन नमकीन था।
“जिस तरह सरोज हम लोगों की चूतें चाट रही थी,और हमारी गांड में उंगली डाल कर गोल गोल घुमा रही थी, लग ही रहा था की सेक्स का पूरा मजा लेने में विश्वास रखती है”
चुदाई की आवाजें भी सुनी जा सकती थी फच….. फच…… फच….. । गीली चूत पर लंड का अंतिम सिरा टकराता था तो आवाज़ आती थी फच….. फच….. फच…।
“चुदाई का हर एक का अपना अपना तरीका है – मगर मकसद एक ही है मजे देना और मजे लेना “। तो पढ़िए एक मज़ेदार चुदाई की कहानी और आनंद लीजिये।
रजनी बोली, “सालो पढ़ाई करने आये हो या चुदाई करने, उतारो अपने अपने कपड़े” और फिर शुरू हुआ चुदाई का खेल दो लंड और दो चूत के बीच में।
अब हम सोच रहीं थीं, क्या होगा जब दो लंड होंगे दो चूतें होंगी और दो ही गांड के छेद – “कहीं भूचाल ना आ जाये”।
चुदाई एक से ही करवानी चाहिए – “हमने अपनी भोसड़ी का भोसड़ा थोड़े ही बनवाना है – ये भोसड़ी तो हमारे भावी पतियों की अमानत है “।
रजनी की चूत का गरम गरम नमकीन पानी मेरे मुंह में गया – क्या मज़ेदार और जायकेदार था। अब पता लगा लड़की को नमकीन भी क्यों कहते हैं।